अयादि संधि स्वर संधि का भेद है , संधि का अर्थ है मेल करना। स्वर संधि के अंतर्गत दो स्वरों के मेल से नए स्वर के रूप में परिवर्तन ही स्वर संधि कहलाता है।
इस लेख में आप अयादि संधि का विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे इन्हें किस प्रकार बनाया जाता है, इसका अभ्यास करेंगे। अंततः आप अयादि संधि से भलीभांति परिचित होंगे और अपनी परीक्षा की तैयारी करेंगे।
अयादि संधि की परिभाषा और उदाहरण
‘ए’ या ‘ऐ’ का किसी भिन्न स्वर से मेल होने पर क्रमशः अय् , आय् हो जाता है। ‘ओ’, ‘औ’ का किसी भिन्न स्वर से मिल होने पर क्रमशः ‘अव्’, ‘आव्’ हो जाता है जैसे –
ए + अ = अय् | ने + अन | नयन |
“ | शे + अन | शयन |
ऐ + अ = आय् | नै + अक | नायक |
“ | सै + अक | सायक |
“ | गै + अक | गायक |
“ | गै + अन | गायन |
ऐ + इ = आयि | गै + इका | गायिका |
“ | नै + इका | नायिका |
ओ + अ = अव् | पो + अन | पवन |
“ | भो + अन | भवन |
ओ + इ = अवि | भो + इष्य | भविष्य |
“ | पो + इत्र | पवित्र |
“ | हो + अन | हवन |
औ + इ = आवि | नौ + इक | नाविक |
औ + अ = आव् | पौ + अन | पावन |
“ | पौ + अक | पावक |
औ + उ = आवु | भौ + उक | भावुक |
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निष्कर्ष
उपरोक्त अयादि संधि का विस्तृत रूप से हमने अध्ययन किया और उस में आने वाले परिवर्तन को भी बारीकी से समझा। यह स्वर संधि का एक भेद है जिसमें दो स्वरों के मेल से नए स्वर के रूप में परिवर्तन आता है।
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