डायरी लेखन : सम्पूर्ण जानकारी उदाहरण सहित

डायरी लेखन आधुनिक युग की देन है, यह गद्य साहित्य का अंग है। इस लेख में डायरी लेखन की विस्तृत जानकारी दी गई है।

डायरी लेखन किसे कहते हैं तथा क्या उपयोगिता है साहित्य के क्षेत्र में इसकी निश्चित तथा व्यवस्थित रूप रेखा क्या है। डायरी लेखन की समस्त जानकारी इस लेख में उपलब्ध है। अंतिम में डायरी लेखन के कुछ नमूने हैं जिन्हें पढ़कर आप स्वयं लेखन कर सकेंगे।

यह लेख परीक्षा की दृष्टि से तैयार किया गया है। इसका अध्ययन कर आप परीक्षा में अधिकतम अंक प्राप्त कर सकते हैं।

डायरी लेखन क्या है? प्रसिद्ध डायरी, प्रारूप एवं उदाहरण

डायरी क्या है :- डायरी एक मोटी जिल्द वाली नोटबुक होती है। जिसके पन्नों पर साल के 365 दिनों की तिथियां , क्रम से सजी होती है और हर पृष्ठ पर खाली जगह छूटी होती है।

जिसमें हम सूचनाओं या निजी बातों को दर्ज करने के लिए प्रयोग करते हैं।

डायरी एक व्यक्तिगत दस्तावेज है जिसमें हम अपने जीवन के कुछ विशेष क्षणों में घटित अनुभवों , विचारों , घटनाओं , मुलाकातों आदि का विवरण लिखते हैं। डायरी-लेखन नितांत निजी स्तर पर घटित घटनाओं और उससे संबंधित बौद्धिक , भावात्मक , समस्त प्रतिक्रियाओं का लेखा-जोखा है।

जिस बात को हम दुनिया में किसी और व्यक्ति के सामने नहीं कह सकते उन्हें डायरी में लिखते हैं।

डायरी लेखन में हम खुद को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं तथा अपने अंदर अनजाने में जमा हो रहे भार से मुक्त होते हैं। इससे हमें अपने गुणों और अवगुणों का ज्ञान होता है जो हमारी कमियों को दूर करने में सहायक होता है। डायरी – लेखन हमें अपने अंतरंग के साथ साक्षात्कार करने का अवसर प्रदान करता है।

डायरी के माध्यम से हम अपने अतीत को स्मरण कर सकते हैं। डायरी लिखते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। डायरी लिखना अपने साथ एक अच्छी दोस्ती कायम करने का बेहतरीन जरिया है।  डायरी या तो किसी नोटबुक में या पुराने साल की डायरी में लिखी जानी चाहिए।

पुराने साल की डायरी में पहले की छपी हुई थी , क्योंकि जगह अपने हाथ से तिथि डालनी चाहिए।

कुछ प्रसिद्ध डायरिया और उनके लेखक

  • द डायरी ऑफ अ यंग गर्ल – ऐनी फ्रैंक
  • एक साहित्यकार की डायरी – गजानन माधव मुक्तिबोध
  • पैरों में पंख बांधकर – रामवृक्ष बेनीपुरी
  • रूस में पच्चीस मास – राहुल सांस्कृत्यायन
  • सुदूर दक्षिण पूर्व – सेठ गोविंद दास
  • हरि घाटी – डॉ.रघुवंश

डायरी लेखन प्रश्न उत्तर

१ प्रश्न – डायरी लेखन क्या है ?

उत्तर – डायरी मे लिखे गए प्रतिदिन के ब्योरे को डायरी लेखन कहा जाता है।यह व्यक्ति के द्वारा स्वयं लिखा जाने वाला साहित्य भी है।

यह कोई एक दिन की घटना नहीं अपितु वर्ष भर की प्रक्रिया होती है।

इसके माध्यम से व्यक्ति स्वयं का साक्षात्कार कर सकता है।

२ प्रश्न – डायरी हमारा किससे साक्षात्कार करती है ?

उत्तर – डायरी हमारा साक्षात्कार खुद से करवाती है। इसमें 365 दिन की घटनाओं और स्थिति का स्वयं वर्णन किया जाता है।

इसके माध्यम से हम स्वयं को जान सकते हैं , अपना खुद का साक्षात्कार कर सकते हैं।

३ प्रश्न – किन्ही दो प्रसिद्ध डायरियों एवं उनके लेखकों के नाम लिखिए।

उत्तर – १ हरि घाटी – डॉ.रघुवंश और २ पैरों में पंख बांधकर – रामवृक्ष बेनीपुरी।

४ प्रश्न – ‘रूस में पच्चीस मास’ किसकी रचना है ?

उत्तर – राहुल सांकृत्यायन।

५ प्रश्न – डायरी लेखक की भाषा शैली कैसी होनी चाहिए ?

उत्तर – डायरी लेखक की भाषा शैली उसके स्वाभाविक शैली में होनी चाहिए। उन्हीं भाषाओं का प्रयोग किया जाना चाहिए जो वह नित्य-प्रतिदिन करता है।

क्लिष्ट भाषा तथा सांस्कृतिक भाषा बोझिल जान पड़ेगी।

६ प्रश्न – डायरी किस समय लिखनी चाहिए ?

उत्तर – डायरी लेखन करते समय लेखक को स्वतंत्र और अकेले रहना चाहिए। अधिकतर उचित समय रात्रि का होता है , जब पूरे दिन की घटना को खुले मन से एकांत में लिखा जा सकता है।

७ प्रश्न – ऐनी फ्रैंक जन्म कहां हुआ था ?

८ प्रश्न – ऐनी फ्रैंक की डायरी किस नाम से प्रकाशित हुई ?

उत्तर – द डायरी ऑफ अ यंग गर्ल।

९ प्रश्न – ऐनी फ्रैंक की डायरी में कब से कब तक का वर्णन किया गया है ?

१० प्रश्न – ऐनी फ्रैंक की मूल डायरी किस भाषा में लिखी गई है। इस डायरी की प्रसिद्धि का मुख्य कारण क्या है ?

११ प्रश्न – डायरी लिखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

उत्तर – डायरी लिखते समय निम्नलिखित प्रमुख बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए

  • डायरी लिखते समय ईमानदारी बरतनी चाहिए
  • शब्दों का प्रयोग करते समय उसे अपने स्वाभाविक शब्दों का प्रयोग करना चाहिए
  • लेखन कार्य करते समय एकांत तथा खुले मन के साथ होना चाहिए
  • दिनांक आदि को अपने हाथों से ही लिखना चाहिए
  • पुराने साल की डायरी हो तो उस पर लिखे हुए तिथि को काटकर स्वयं अपने हाथ से लिखें।

डायरी लेखन प्रारूप एवं उदाहरण ?

1.

दिनांक – 5 अप्रैल 2005

समय – रात्रि 9:00 बजे

आज मुझे अपार खुशी हो रही है। ऐसी खुशी आज से पूर्व अनुभव नहीं की थी। लंबी प्रतीक्षा और संघर्ष के कारण आज में अध्यापक बन गया हूं। वास्तव में आज मैं अध्यापक हूं। जीवन में कई छोटी-बड़ी कठिनाइयां तो आई ही।

एक समय ऐसा भी आया जब मैं इस सपने को पूरा करने के संकल्प से पीछे हट गया था।

जब मैं विद्यालय गया वहां अध्यापकों ने मुझे बधाइयां दी गले लगाए। इस खुशी को मैं अपने हृदय में संभाल कर रखना चाहता हूं। ऐसा अनुभव ना कभी प्राप्त हुआ है और ना कभी होगा। मेरा उन सभी मित्रों को विशेषकर प्रधानाचार्य , स्टाफ सेक्रेटरी , और विषय अध्यापकों को नमन है जिन्होंने मेरा विशेष स्वागत किया। प्रधानाचार्य ने तो मुझे गुलदस्ता और चॉकलेट देकर मेरे बचपन के दिनों को भी इन खुशियों में शामिल कर दिया।

निश्चित रूप से आज का दिन मेरे लिए अविस्मरणीय है।

2

दिनांक – 1 जुलाई 2008

समय – सायं  5:00 बजे

आज का दिन उत्साह और उत्सुकता का है। दो महीनों की छुट्टी के बाद आज पुनः स्कूल खुला है। आज मैं उन सभी दोस्तों से मिला जिनसे मैं दो  महीने दूर रहा। उन दोस्तों से मिलकर पुरानी यादें ताजा हो गई और एक अपार खुशी का संचार हुआ।

दोस्तों के बिना दो महीने कितना बोरियत रहा यह मैं अच्छे से समझ सकता हूं।

आज हम सभी दोस्तों ने एक-दूसरे के पसंद का नाश्ता घर से बनवा कर लाया था। सभी एक साथ बैठकर खाना खाए तो बेहद आनंद की अनुभूति हुई। यह आनंद और कहां मिल सकता है।

नमन ने तो सभी दोस्तों के लिए टॉफी लेकर आया था।

सभी अध्यापक और अध्यापिकाए भी प्रसन्न थी। शालिनी मैडम ने मुझे गले लगा कर मेरा अभिवादन किया। तब मुझे यह समझ आया मैं इन खुशियों से कितनी दूर था।

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डायरी लेखन निष्कर्ष –

उपरोक्त अध्ययन से स्पष्ट होता है कि डायरी लेखन आधुनिक साहित्य की देन है। यह गद्य साहित्य का एक अंग है। यह कला कोई एक दिन की नहीं है अपितु यह जीवन पर्यंत चलने वाली कला है। व्यक्ति अपने नित्य प्रतिदिन के घटनाक्रम को उसमें से भी प्रमुख चिन्हित करके लिखता है। इसका अध्ययन करने से व्यक्ति स्वयं को अध्ययन कर पाता है। यह कहें कि व्यक्ति स्वयं का साक्षात्कार करता है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

कुछ प्रमुख डायरियाँ प्रकाशित हुई है जिन्हें पढ़कर उसके लेखक के विषय में समस्त जानकारी प्राप्त होती है। यह जानकारी प्रमाणित होती है क्योंकि लेखक के द्वारा स्वयं लिखी गई होती है। अगर हम प्रेमचंद के विषय में अध्ययन करना चाहते हैं तो , किसी दूसरे लेखक के द्वारा लिखे गए लेख उतने प्रमाणित नहीं लगेंगे , जितना प्रेमचंद के द्वारा लिखी गई डायरी से विश्वास प्राप्त होगा।

यह पाठकों को प्रमाणित रुप से बात समझाने में सफल हो सकता है।

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