इस लेख में आप रांगेय राघव का संक्षिप्त जीवन परिचय , गूंगे पाठ का सार तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों का अभ्यास करेंगे जो परीक्षा की दृष्टि से लाभकारी है।
रांगेय राघव का साहित्य सामाजिक मुद्दों पर आधारित रहता है , इस लेख में उन्होंने दिव्यांग लड़के को माध्यम बनाकर लिखा है , जो सुन तथा बोल नहीं सकता। समाज के प्रति उसका क्या रवैया रहता है ? तथा समाज की मानसिकता आज किस स्तर पर आ पहुंची है ? उसको प्रकट करने के लिए यह लेख काफी है।
रांगेय राघव बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनके साहित्य पर दृष्टि डालें तो उनका साहित्य सामाजिक तथा राष्ट्रीय मुद्दों को अपने भीतर समेटे हुए हैं।
समाज का चहुमुखी विकास किस प्रकार हो सके उनका साहित्य उसके लिए संघर्ष करता नजर आता है।
गूंगे ( रांगेय राघव ) कक्षा 11 – Gunge question answer class 11
रांगेय राघव का संक्षिप्त जीवन परिचय
रांगेय राघव का जन्म 1923 में हुआ था। आगरा विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. और पीएचडी की। अस्सी से अधिक कहानियां इन्होंने लिखी। यथार्थ का मार्मिक चित्रण अपनी कहानी और साहित्य में किया। इन्हें सन 1961 में राजस्थान साहित्य पुरस्कार से अलंकृत किया गया था।
रचनाएं –
> कहानी संग्रह
- रामराज्य का वैभव ,
- देवदासी ,
- समुद्र के फेन ,
- अधूरी मूरत ,
- जीवन के दाने ,
- अंगारे न बुझे ,
- ऐयाश मुर्दे ,
- इंसान पैदा हुआ।
> उपन्यास –
- घरौंदा ,
- विषाद – मद ,
- मुर्दों का टीला ,
- सीधा-साधा रास्ता ,
- अंधेरे के जुगनू ,
- बोलते खंडहर ,
- कब तक पुकारूं
भाषा शैली और विशेषताएं –
- भाषा सरल सहज एवं प्रवाह पूर्ण है
- लाक्षणिक भावपुर्ण एवं चित्रात्मक
- मुहावरे एवं लोकोक्तियां का प्रयोग
- भाषा शैली संवादात्मक , व्यंग्य पूर्ण विचार प्रधान एवं उपदेशात्मक।
रांगेय राघव की मृत्यु 1962 में हुई।
गूंगे कहानी पाठ परिचय Gunge Summary
गूंगे कहानी में एक गूंगे किशोर के माध्यम से शोषित पीड़ित मानव की अवस्था का चित्रण किया गया है। ऐसे विकलांगों के प्रति व्याप्त संवेदनहीनता को रेखांकित किया गया , ऐसे व्यक्तियों को जो देखते-सुनते हुए भी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते। गूंगे और बहरे कहा गया है , इसलिए कहानी का शीर्षक गूंगे पूर्णतया सार्थक है।
कहानी का प्रमुख पात्र गूंगा किशोर है वह जन्म से वज्र बहरा होने के कारण गूंगा है।
गूंगा बहुत मेहनती एवं स्वाभिमानी है , गूंगा तीव्र बुद्धि का है , वह हाथ के इशारे से बताता है। जब वह छोटा था उसकी मां छोड़कर चली गई थी , क्योंकि उसका बाप मर गया था। वह यह भी बताता है कि वह भीख नहीं लेता मेहनत कर खाता है। गूंगा गला खोल कर दिखाता है कि बचपन में गला साफ करने की कोशिश में किसी ने उसका काकल काट दिया।
चमेली ने पहली बार काकल के महत्व को अनुभव किया।
चमेली बहुत भावुक महिला थी , उसे चार रुपया और खाने पर गूंगे को नौकर रख लिया। पड़ोसी सुशीला ने उसे सावधान किया कि बाद में पछताएगी। उसने फूफा के बारे में बताया कि उसे बहुत मारते थे , अब वह वापस नहीं जाना चाहता।
वह चाहते थे कि गूंगा पल्लेदारी करके पैसा कमा कर उन्हें दे।
एक दिन गूंगा भाग गया सबके खा चुकने के पश्चात गूंगे ने आकर इशारे से खाना मांगा। चमेली ने गुस्से में रोटियां उसके आगे फेंक दी , पहले तो गूंगे ने गुस्से में रोटी छुआ तक नहीं पर फिर न जाने क्या सोचकर उसने रोटियां उठाकर खाली।
फिर तो अक्सर गूंगा भाग जाता था।
एक बार चमेली के पुत्र बसंता ने कसकर गूंगे को थप्पड़ जड दी। गूंगे का हाथ उठा फिर न जाने क्या सोचकर रुक गया उसकी आंखों में पानी भर आया और वह रोने लगा। चमेली के आने पर बसंता बताता है कि गूंगे ने उसे मारना चाहा था , गूंगा सुन नहीं सकता पर चमेली की भाव भंगिमा से सब कुछ समझ जाता है। चमेली ने गूंगे को मारने के लिए हाथ उठाया तो गूंगे ने उसका हाथ पकड़ लिया चमेली को लगा जैसे उसके पुत्र ने उसका हाथ पकड़ लिया हो , उसने घृणा से अपना हाथ छुड़ा लिया।
उसने सोचा कि यदि उसका बेटा गूंगा होता तो वह भी ऐसे ही कष्ट उठाता।
गूंगे का हाथ पकड़ने से चमेली को उसके शारीरिक बल का अंदाजा हुआ कि गूंगा बसंता से कहीं अधिक ताकतवर है , फिर भी उसने अपना हाथ बसंता पर नहीं चलाया।
इसलिए कि बसंता बसंता है………….. गूंगा गूंगा है।
किंतु पुत्र की ममता ने इस विषय पर चादर डाल दी।
एक बार घृणा से विच्छेद चमेली ने गूंगे से कहा क्यों रे तूने चोरी की है ?
गूंगा चुप हो गया चमेली ने हाथ पकड़कर द्वार से निकल जाने को कहा। गूंगे की समझ में कुछ नहीं आ रहा था चमेली उस पर खूब चिल्लाई , उसे बहुत बुरा-भला कहा , लेकिन जैसे मंदिर की मूर्ति कोई उत्तर नहीं देती वैसे ही उसने भी कुछ नहीं कहा। उसे केवल इतना ही समझ आया कि मालकिन नाराज है और उसे घर से निकल जाने को कह रही है। उसे इस बात पर हैरानी और विश्वास हो रहा था।
अंततः चमेली ने उसे हाथ पकड़कर दरवाजे से बाहर धकेल दिया।
करीब एक घंटे बाद शकुंतला और बसंता यह कहकर चिल्ला उठे अम्मा-अम्मा चमेली ने देखा के गूंगा खून से भीगा था। उसका सिर फट गया था , वह सड़क पर के लड़कों से पीट कर आया था क्योंकि वह गूंगा होने के कारण उनसे दबना नहीं चाहता था। दरवाजे की दहलीज पर सिर रखकर वह कुत्ते की तरह चिल्ला रहा था। चमेली चुपचाप देखती रही चमेली सोचती रही कि आज के दिन ऐसा कौन है जो गूंगा नहीं है।
गूंगा भी स्नेह चाहता है समानता चाहता है।
गूंगे सप्रसंग व्याख्या
आज ऐसा कौन……………………….. समानता चाहता है।
प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश प्रसिद्ध कहानीकार रांगेय राघव द्वारा रचित कहानी ‘गूंगे’ से उद्धृत है। यहां विकलांगों के प्रति समाज की संवेदनहीनता का वर्णन किया गया है।
व्याख्या – गूंगे की दशा देखकर चमेली सोचती है कि आज के समय में ऐसा कौन है जो गूंगा नहीं है। आज का मानव संवेदनहीन हो गया है। समाज , राष्ट्र , धर्म और व्यक्ति के प्रति हर व्यक्ति कुछ करने की चाह रखता है , परंतु अन्याय का विरोध नहीं कर पाता। उसे अपनी सुख-सुविधाओं के खो जाने का भय है। वह मुंह में शब्द होकर भी गूंगा है , गूंगा स्नेह चाहता है , वह अपना हक चाहता है।
विशेष –
- अन्याय देख कर चुप रहने वालों को भी गूंगा कहा गया है।
- खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति समाज की संवेदनहीनता का चित्रण।
गूंगे पाठ का महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
प्रश्न – मनुष्य की करुणा की भावना उसके भीतर गूंगे पनकी प्रति छाया है। आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – लेखक कहना चाहता है करुणा के प्रति अन्याय होता देखकर मनुष्य में करुणा की भावना जागृत तो अवश्य है , परंतु अनेक कारणों से वह उसे व्यक्त नहीं कर पाता। यह कारण किसी जिम्मेदारी से बचने की प्रवृत्ति , कृत्रिम सुखों को खोने का भय , स्वयं किसी विपत्ति में फंसने की आशंका आदि उसकी करुणा की भावना को कर्म रूप में परिवर्तित नहीं होने देते।अतः उसकी करुणा की भावना मौन रूप धारण कर लेती है। वह अपने में साहस नहीं पाता कि उस भावना को साकार कर सकें।
यह चमेली के पति के बारे में कहा गया है।
प्रश्न – हमें विकलांगों के प्रति कैसा व्यवहार करना चाहिए ?
उत्तर – कोई भी मनुष्य अपने आप में पूर्ण नहीं है , हम सभी में कोई ना कोई कमी अवश्य होती है। अतः हमें विकलांगों के साथ समानता का व्यवहार करना चाहिए। विकलांगों के प्रति हो रहे अन्याय और शोषण के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए। विषम परिस्थितियों में उनकी सहायता करनी चाहिए उनके प्रति दया नहीं , प्रेम व सौहार्द पूर्ण व्यवहार करना चाहिए। उनके सम्मान व स्वाभिमान को बनाए रखना चाहिए।
हम स्वयं कई बातों में उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं प्रेरणा ले सकते हैं।
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