क्रिया की परिभाषा, उदहारण, भेद, प्रश्न उत्तर सहित

इस लेख में आप क्रिया का विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे। क्रिया की परिभाषा, उदहारण, भेद, प्रश्न उत्तर आदि को विस्तार पूर्वक समझेंगे ।

परिभाषा :-

जिन शब्दों से कार्य होने अथवा उसके स्थिति का परिचय प्राप्त होता है वह क्रिया कहलाता है।

जैसे –

  1. श्याम नियमित स्कूल जाता है
  2. पक्षी आकाश में उड़ रहे हैं
  3. श्याम ने फल खाया
  4. सीता गीत गाती है
  5. बच्चा रो रहा है

उपर्युक्त पांच उदाहरण हमने देखे जिसमें – जाता है,उड़ रहे हैं, खाया, गाती है, रो रहा है, इन शब्दों को गाढ़े काले रंग से चिन्हित किया गया है।

यह सभी क्रिया के पद हैं जो किसी कार्य के होने तथा उसकी स्थिति को बताते हैं।

कई बार यह स्वतः भी होती है

जैसे –

  • तेज हवा चल रही है
  • निरंतर बरसात हो रही है

धातु ,क्रिया मूल

क्रिया के मूल रूप को धातु या क्रिया मूल कहते हैं।

जाऊंगा, जाता है,जा रहा है, जाना चाहिए, जाइए, आदि क्रिया रूपों में ‘जा’ सभी रूपों में समान रूप से मिलता है।

इसी समान रूप से मिलने वाले अंश को धातु अथवा क्रिया मूल कहते हैं।

आना,करना, रखना, उठना, बैठना, पढ़ना, दौड़ना,चलना    सभी क्रियापद हैं।

इन पदों से ‘ना’ हटा देने पर क्रियाओं का धातु रूप बनता है – आ,कर, रख, उठ, बैठ, पढ, दौड़,चल

क्रिया के भेद

इसके मुख्यतः दो भेद माने गए हैं

1. अकर्मक

2. सकर्मक 

1. अकर्मक क्रिया

जिस वाक्य में क्रिया का प्रयोग के लिए कर्म की आवश्यकता नहीं होती , उससे अकर्मक कहा जाता है। इसके अंतर्गत किए जाने वाले कार्य स्वतः ही होते हैं ,उसके लिए किसी विशेष आग्रह की जरूरत नहीं होती है।

जैसे –

  1. गरिमा हंसती है (यह उसका स्वाभाविक क्रिया है)
  2. राजीव आता है
  3. सीता हंसेगी
  4. पक्षी उड़ रहे हैं
  5. बच्चा रो रहा है
  6. लड़की भागती है
  7. गौरव रोता है
  8. शेर दहाड़ता है
  9. बिल्ली भागती है
  10. सांप रेंगता है
  11. रेलगाड़ी चलती है
  12. कुत्ता भोंकता है
  13. बच्चे खेलते हैं
  14. विद्यार्थी पढ़ते हैं
  15. मेघा गाती है 

उपर्युक्त वाक्य पर ध्यान दें तो यह सभी उनके स्वाभाविक क्रियाएं हैं। इसको करने के लिए अलग से विशेष कुछ नहीं करना। अतः यह सभी अकर्मक के उदाहरण है।

2 सकर्मक क्रिया

जिस वाक्य में क्रिया को करने के लिए कर्म की आवश्यकता होती है ,वहां सकर्मक होता है।

जैसे –

  1. राजेश क्रिकेट खेल रहा है
  2. सीता ने रोटी खाया
  3. रमेश चाय पी रहा है
  4. ड्राइवर गाड़ी चलाता है
  5. कुली समान उठाता है
  6. मदारी बंदर नाचा रहा है
  7. रमेश फूल तोड़ रहा है
  8. सीता मिठाई खाती है
  9. भंवरा रस पीता है
  10. रमेश मिठाई खाता है
  11. सुरेश लेख लिखता है
  12. वीर युद्ध अभ्यास कर रहे हैं
  13. स्मृति पाठ पढ़ रही है
  14. बच्चे उपनिषद् का अध्ययन कर रहे हैं
  15. बालक वेद पढ़ रहे हैं

उपर्युक्त वाक्य को देखें तो इसमें सभी क्रियाएं व्यक्ति के स्वाभाविक क्रिया नहीं है , इसको करने के लिए इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है। चाहे तो वह नहीं भी कर सकता है।

अतः इसको करने के लिए कर्म की आवश्यकता है। अतः यह सभी सकर्मक क्रिया है।

3 द्विकर्मक क्रिया

जिस वाक्य में क्रिया के दो कर्म की अनुभूति होती है, वहां द्विकर्मक क्रिया माना जाता है जैसे –

  • मैंने श्याम को पुस्तक दी
  • सीता ने राधा को रुपए दिए।
  • चाणक्य ने चंद्रगुप्त को युद्ध का ज्ञान दिया
  • श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया

उपर्युक्त वाक्य में देना दो कर्म को प्रस्तुत करता है अतः यह द्विकर्मक कहा जाएगा।

  • राजा ने अपराधी को दंड दिया
  • मोहन ने राधा को बात कही
  • किसान बैलों को गांव ले जाता है

ध्यान देने योग्य बात

अकर्मक जहां कर्म की आवश्यकता नहीं हो। सकर्मक जहां कर्ता के कर्म की आवश्यकता होती हो।

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निष्कर्ष –

कर्ता द्वारा किए गए कर्म को क्रिया कहा जाता है। उपर्युक्त अध्ययन से हमने स्पष्ट किया है कि अकर्मक तथा सकर्मक दो प्रकार की क्रिया है।

जिसके अंतर्गत व्यक्तिगत कर्म की आवश्यकता होती है तथा दूसरे पक्ष में कर्म की आवश्यकता नहीं होती है। इन दोनों को अलग-अलग भेद के रूप में जानते हैं पहला अकर्मक तथा दूसरा सकर्मक के रूप में जाना जाता है।

जिन वाक्यों में कर्ता द्वारा कर्म की आवश्यकता नहीं होती है वह अकर्मक कहलाती है। वही दूसरे वाक्य में जहां करता द्वारा कर्म की आवश्यकता होती है वह सकर्मक कहलाता है।

आशा है क्रिया के संबंधित विषय में आपकी जानकारी बढ़ी होगी।

यह लेख आपके किसी काम आया हो फिर भी इस विषय से संबंधित किसी प्रकार का प्रश्न आपके मन में उठता है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकते हैं।

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