पटकथा लेखन : प्रारूप, विशेषताएं और उदाहरण

इस लेख में पटकथा लेखन क्या होता है, किसे कहते हैं, प्रारूप, विशेषताएं और इसकी उत्पत्ति आदि का विस्तार पूर्वक अध्ययन आप कर सकेंगे। इस लेख में पटकथा से संबंधित समस्त जानकारी उपलब्ध है। इस विषय को सरल बनाने के लिए हमने विभिन्न प्रकार के प्रश्नों का भी संकलन किया है।

अध्ययन उपरांत आप पटकथा के विषय में विस्तार से जान सकेंगे और अपनी समझ विकसित कर सकेंगे। इस लेख के अध्ययन से आप अपनी परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर सकेंगे।

पटकथा लेखन की पूरी जानकारी

पटकथा शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है पट और कथा।  पट का अर्थ है पर्दा , कथा का अर्थ है कहानी। जो छोटे यानी दूरदर्शन या पर्दे यानी फिल्म किसी पर भी दिखाई जाए , पटकथा कहलाती है।

फिल्म व टीवी की पटकथा की संरचना नाटक की संरचना से बहुत मिलती है।

अंग्रेजी में इसे भी स्क्रीनप्ले कहते हैं। पटकथा लेखक पत्रकार एवं साहित्यकार मनोहर श्याम जोशी ने अपनी पुस्तक पटकथा लेखन-एक परिचय में लिखा है –

“पटकथा कुछ और नहीं कैमरे से फिल्म के पर्दे पर दिखाए जाने के लिए लिखी गई कथा है।”

पटकथा के स्रोत :- सबसे पहले कथा का चयन किया जाता है।

यह कथा हमारी जिंदगी , कोई घटना , इतिहास अथवा किसी सच्चे किस्से या साहित्य की किसी अन्य विधा पर आधारित होती है।

पटकथा के संरचना – अंग्रेजी के शब्द स्क्रीनप्ले पटकथा के निम्न अंग होते हैं।

  • पात्र – नायक प्रतिनायक होते हैं।
  • इसमें द्वंद्व – टकरा हट और फिर समाधान होता है।
  • अलग-अलग घटनास्थल होते हैं।
  • दृश्य भी होते हैं।

नाटक और फिल्म की पटकथा में अंतर

  • नाटक के दृश्य लंबे होते हैं , फिल्म के छोटे।
  • एक सजीव कला माध्यम है।
  • नाटक के घटनास्थल सीमित होते हैं, फिल्म के असीमित
  • नाटक में कथा का विकास रेखिए होता है , फिल्म में विकास कई प्रकार से होता है।

=> फ्लैश बैक/फ्लैश फॉरवर्ड – फ्लैशबैक में अतीत के किसी घटना को दिखाया जाता है। फ्लेशफॉरवर्ड में भविष्य में होने वाली किसी घटना को पहले ही दिखा देते हैं।

फ्लैशबैक और फॉरवर्ड दोनों का प्रयोग करने के बाद हमें वर्तमान में आना जरूरी है।

पटकथा लेखन की मूल इकाई दृश्य होती है।

=> पटकथा लेखन में कंप्यूटर की भूमिका – वर्तमान समय में पटकथा लेखन में कंप्यूटर का प्रयोग होने लगा है।

कंप्यूटर पर ऐसे सॉफ्टवेयर आ गए हैं, जिसमें पटकथा का प्रारूप तैयार रहता है।

सॉफ्टवेयर पटकथा में सुधार लाने के सुझाव भी प्रस्तुत करता है।

इन्हें मानना ना मानना लेखक की इच्छा पर निर्भर करता है।

=> शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास देवदास पर कई फिल्म बन चुकी है।

मुंशी प्रेमचंद , धर्मवीर भारती तथा मन्नू भंडारी आदि की रचनाओं पर फिल्म एवं टीवी धारावाहिक बन चुके हैं।

=> सिनेमा , टेलीविजन दोनों ही माध्यमों के लिए बनने वाली फिल्में या धारावाहिकों का मूल आधार पटकथा ही होती है।

पटकथा लेखन महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

१ प्रश्न – समाचार के मुख्य तत्व कौन-कौन से हैं ?

उत्तर – समाचार के प्रमुख तत्व निम्नलिखित है-

  • नवीनता –

समाचार सदैव नवीन होने चाहिए पुरानी घटना को लोग नहीं पढ़ना चाहते।

  • निकटता –

समाचार वह अधिक पढ़े जाते हैं जो व्यक्ति के अधिक निकट हो अर्थात व्यक्ति के आसपास की घटना को समाचार में लिखना चाहिए।

  • जन रुचि –

समाचार लिखते समय जनता की रुचि को विशेष ध्यान रखना चाहिए।

  • अनोखापन –

अधिक समाचार वह बिकते हैं जिनमें अनोखा पन्हो नवीनता हो।

  • महत्वपूर्ण लोग –

समाचार में महत्वपूर्ण लोगों के विषय में जानकारी तथा समाचार लिखना चाहिए।

  • उपयोगी जानकारी –

व्यक्ति के उपयोग में आने वाली जानकारी को समाचार पत्र में प्राथमिकता के साथ लिखा जाना चाहिए।

  • पाठक वर्ग –

समाचार लिखते समय पाठक वर्ग के अनुसार घटना का चयन किया जाना चाहिए। पाठक वर्ग समाचार का प्रमुख आधार है।

२. प्रश्न – पट कथा शब्द किन दो शब्दों से मिलकर बना है ?

उत्तर – पटकथा दो शब्दों के योग से बना है पट (वस्त्र) और कथा (कहानी) । अर्थात वह कहानी जो पर्दे पर दिखाई जा सके। सिनेमाघर आदि में पर्दे का प्रयोग किया जाता है।

३ प्रश्न – पट कथा का स्रोत क्या है ?

उत्तर – पटकथा का स्रोत व्यक्तिगत जीवन से संबंधित हो सकता है , चाहे वह इतिहास का हो या भविष्य का या फिर वर्तमान का ही क्यों ना हो। उन सभी घटनाओं को जो पर्दे पर दिखाया जा सकता है। वही पटकथा का मूल स्रोत माना जाता है।

४ प्रश्न – ‘फ्लैशबैक’ तकनीक क्या है ?

उत्तर – फ्लैशबैक तकनीक का प्रयोग सिनेमा आदि में किया जाता है। इस तकनीक के माध्यम से अतीत की घटनाओं को प्रदर्शित किया जाता है।

अतीत में घटी हुई घटनाओं को दर्शकों के समक्ष चित्रित किया जाता है।

५ प्रश्न – ‘पट कथा लेखन-एक परिचय’ पुस्तक के लेखक कौन है ?

उत्तर – मनोहर श्याम जोशी।

७ प्रश्न – किन्ही दो लेखकों एवं उसकी रचनाओं के नाम लिखिए जिन पर फिल्म बनी है।

उत्तर – शरत चंद्र चट्टोपाध्याय तथा प्रेमचंद का नाम उन लेखकों में अग्रणी है , जिनकी रचनाओं पर फिल्म बन चुकी है। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय की प्रसिद्ध फिल्म देवदास तथा मुंशी प्रेमचंद पर आधारित शतरंज के मोहरे प्रसिद्ध है।

८ प्रश्न – किसी एक लेखक एवं उसकी रचना का नाम लिखिए जिसपर टी.वी धारावाहिक बना हो।

९ प्रश्न – नाटक और पटकथा में दृश्यों में क्या अंतर होता है ?

१० प्रश्न – पटकथा की मूल इकाई क्या है ?

उत्तर – पटकथा की मूल इकाई दृश्य है क्योंकि पर्दे पर दृश्य के माध्यम से ही कथा को व्यक्त किया जा सकता है।

११ प्रश्न – पट कथा लेखन में कंप्यूटर का एक लाभ बताइए ?

उत्तर – समय परिवर्तनशील है , वर्तमान समय में कंप्यूटर की उपलब्धता ने सारे कार्य सरल कर दिए हैं।

पूर्व समय मैं जहां लेखन कार्य दुष्कर हुआ करता था , वही कंप्यूटर के माध्यम से सरल हो गया है।

कंप्यूटर में निश्चित रूप रेखा पूर्व से ही बनी होती है उसके अनुसार पटकथा सरलता से लिखा जा सकता है।  किसी भी कमी को कंप्यूटर स्वतः संकेत कर देता है।

कमियों की पहचान कर उसको तत्काल दूर किया जा सकता है।  कंप्यूटर के द्वारा कथा का संग्रह लंबे समय तक किया जा सकता है।

इतना ही नहीं एक क्षण में दूर बैठे व्यक्ति के साथ साझा भी किया जा सकता है।

१२ प्रश्न – स्क्रीनप्ले से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – स्क्रीनप्ले अंग्रेजी का शब्द है, जिसका हिंदी अनुवाद पटकथा होगा। पटकथा अर्थात वह कथा जिसे पर्दे पर दिखाया जा सके।

१३ प्रश्न – पटकथा में दृश्य बदलने पर कौन से शब्दों का प्रयोग किया जाता है ?

१४ प्रश्न – नाटक और पटकथा की संरचना में क्या समानताएं होती है ?

१५ प्रश्न – नाटक और पटकथा में क्या अंतर होता है ?

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पटकथा लेखन निष्कर्ष –

समग्रतः हम कह सकते हैं कि पट कथा पर्दे पर दिखाई जाने वाली कथा होती है। सिनेमाघर तथा दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रम इसी के ही अंग हैं।

एक समय में अधिक से अधिक व्यक्तियों को पटकथा के माध्यम से प्रस्तुति दी जा सकती है।

इस प्रस्तुति में अधिक खर्च तथा सामग्री की आवश्यकता नहीं होती।

रिकॉर्डर कथा को पर्दे पर आसानी से दिखाया जा सकता है , जिसमें धन तथा समय की बचत होती है। इसका  प्रचलन आजादी के समय से बढ़ता चला आ रहा है। उससे पूर्व अधिक प्रचलन अधिक नहीं था। क्योकि उस समय यह महंगी तकनीक थी ।

सिनेमा घर वाले घूम-घूम कर लोगों को सूचित किया करते थे कि इस दिन सिनेमा का आयोजन किया जाएगा।

आज ऐसा नहीं है लोग अपने मोबाइल , टेलिविजन या  सिनेमाघरों में जाकर अपने मनोरंजन के अनुसार फिल्म तथा सीरियल आधी देख सकते हैं , यह सभी पटकथा है।

1 thought on “पटकथा लेखन : प्रारूप, विशेषताएं और उदाहरण”

  1. बहुत उपयोगी किन्तु यदि इसमें ‘सिनोपसिस’ लेखन की जानकारी भी दी जाती तो और भी उचित होता ।

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