pradushan ke liye nibandh प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण आज विश्वव्यापी समस्या बन गई है, जिसकी चिंता पूरे विश्व में है इसके लिए हर स्तर पर बैठक और इस समस्या के समाधान के लिए कदम उठाए जाते हैं। समस्या इतनी गंभीर है जिसका निवारण करना मानव जीवन को सुरक्षित रखने के लिए अति आवश्यक है। इस समस्या का निराकरण एकाएक नहीं किया जा सकता। इस समस्या के निराकरण के लिए छोटे-छोटे बच्चों में नैतिक शिक्षा देने की आवश्यकता है, इसलिए आज विद्यालय में इस विषय के प्रति बच्चों को जागरूक किया जाता है। आने वाली पीढ़ी को जागरूक कर सके। प्रदूषण से संबंधित निबंध विद्यालय पूछे जाते हैं, जानकारी के अभाव में विद्यार्थी प्रश्न का हल नहीं करते, अपने अंक गवा देते हैं। इस लेख का उद्देश्य आपको प्रदूषण पर निबंध किस प्रकार लिखना है, उसे समझाने का है यह लेख आपके लिए कारगर हो।

Pradushan ke liye Nibandh

समाज दिन-प्रतिदिन अपना स्वरूप बदलता जा रहा है, कुछ दशक पूर्व जो समाज का स्वरूप था वह आज नहीं है। पूर्व समय में जहां लोग पत्थर, वृक्ष, नदी आदि की पूजा पूरी आस्था के साथ किया करते थे। आज वैसी आस्था नहीं रही जिसके कारण प्रकृति का चक्र असंतुलित हो रखा है। वृक्ष दिन-प्रतिदिन कम होते जा रहे हैं, नदियां गंदी होती जा रही है तथा कृषि योग्य भूमि दिन प्रतिदिन समाप्त हो रही है। जनसंख्या विस्फोट जिसका संभवत एक कारण है। सामाजिक का स्वरूप बदलने के कारण भोग-विलासिता की प्रवृत्ति लोगों में आ गई है।

आज उपभोक्तावादी संस्कृति ने लोगों को आलसी बना दिया है, सभी कार्य पैसों के बदौलत करने की प्रबल इच्छा उन्हें प्रकृति के प्रति निराशावादी बना रही है। कुछ दशक पूर्व जहां लोग खुले आसमान में अच्छी नींद लिया करते थे वही आज ए.सी और कूलर में कृत्रिम हवा पाकर संतुष्ट हैं। वह इनके पीछे हो रहे प्रदूषण या हानि को नहीं जानते जिसके कारण अंधाधुंध प्रयोग कर प्रकृति का दोहन कर रहे हैं।

कारखाने, यातायात यह सभी घटक पर्यावरण को दिन प्रतिदिन बदतर बना रहे हैं, जिसके कारण कितने ही जीव जंतु विलुप्त हो गए या विलुप्त होने के कगार पर हैं। यह प्रवृत्ति मनुष्य के लिए भी चुनौती का विषय है। आज पूरा विश्व इस चुनौती का सामना कर रहा है, यह वैश्विक स्तर पर गंभीर विषय बना हुआ है। बड़े-बड़े विद्वान इस समस्या से निपटने का रास्ता ढूंढ रहे हैं, सभी एक-दूसरे देश पर दोषारोपण कर अपने दायित्वों को नजरअंदाज करते हैं। विकसित देश विकासशील देशों पर समस्या की जिम्मेदारी ठोकते हैं वही विकासशील देश विकसित देशों पर प्रदूषण का आरोप लगाते हैं। चाहे दोषी कोई भी हो इस द्वंद्व में मानव जीवन ही संकट में आ खड़ा हुआ है। इसलिए सभी को एक साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है, और यह कार्य वैश्विक स्तर पर किया जाना चाहिए।

प्रदूषण के प्रकार

1 जल प्रदूषण- वर्तमान समय में लोगों की लापरवाही के कारण जल प्रदूषण की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। स्वच्छ जल की उपलब्धता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कल-कारखानों से निकलने वाला गंदा केमिकल युक्त पानी, नदियों में प्रवाहित करने के कारण स्वच्छ जल दूषित हो रहा है, जिसके कारण उस जल पर निर्भर होने वाले जीव-जंतु पौधे सभी विलुप्त होते जा रहे हैं। नदियों मैं रहने वाले जलीय जीव विलुप्त हो चुके हैं या होने के कगार पर हैं। यह सभी मानव की स्वार्थी प्रवृत्ति के कारण हुआ है छोटी सी लापरवाही पर्यावरण को दिन-प्रतिदिन दूषित करती जा रही है।

2 वायु प्रदूषण – शहर की जिंदगी विलासिता से परिपूर्ण होती है, यहां व्यक्ति एक-दूसरे को देखकर उन विलासिताओं को अपने लिए अपनाना चाहता है, जिसकी प्राप्ति की आपाधापी में वायु प्रदूषण को व्यक्ति स्वयं जन्म देता है। कारखानों से निकलने वाला धुंआ, खुले में जलने वाला कचरा, ट्रैफिक में खड़ी गाड़ियां। इतना ही नहीं अन्य ऐसे माध्यम है जो वायु प्रदूषण को दिन प्रतिदिन बढ़ाते रहते हैं। शहरों में कुछ ऐसे महीने भी आते हैं जब लोगों का घर से बाहर निकलना बंद हो जाता है। इन दौरान वायु प्रदूषण अपने चरम स्थिति पर होता है, सांस लेना भी दूभर हो जाता है लोग घर के भीतर भी सांस लेने में दिक्कत का सामना करते हैं। यह सभी मानव के द्वारा स्वयं उत्पन्न की गई समस्या है। वायु की गुणवत्ता आज चिंता का विषय है, हम लोग पेड़-पौधे, जलीय स्रोत आदि को नष्ट कर रहे हैं, जिसके कारण यह स्थिति देखने को मिल रही है।

3 भूमि प्रदूषण- जनसंख्या विस्फोट के कारण दिन-प्रतिदिन कृषि योग्य भूमि घटती जा रही है। लोग अतिक्रमण करते हुए उर्वरा युक्त जमीन को क्षति पहुंचा रहे हैं या उस पर अपना आवास बना रहे हैं। जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म होने के कारण कृषि की पैदावार में साल दर साल कमी आ रही है। इस कमी को दूर करने के लिए तथा अधिक धन के लालच में किसान तथा उससे संबंधित पेशेवर व्यापारी कृषि की पैदावार को बढ़ाने के लिए केमिकल का अंधाधुन प्रयोग करते हैं, जिसके कारण कृषि की पैदावार में कुछ मुनाफा तो होता है लेकिन भूमि की पैदावार शक्ति कम हो जाती है।

भूमि प्रदूषण का एक और कारण यह है कि फैक्ट्री से निकलने वाला औद्योगिक कचरा तथा जल बिना किसी सावधानी के भूमि में मिला दिया जाता है जिसके कारण भूमि की पैदावार शक्ति कम हो जाती है। वह कृषि युक्त भूमि धीरे-धीरे बंजर बन जाती है, जिस पर किसी प्रकार की खेती करना संभव नहीं हो पाता। इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए समाज को शिक्षित होना होगा तथा इसकी रोकथाम के लिए स्वयं से प्रयास करना होगा।

4 ध्वनि प्रदूषण- शहरों में वायु प्रदूषण की समस्या आम है, यहां कल-कारखाने ट्रैफिक जाम, ध्वनि विस्तारक यंत्र आदि के कारण वायु प्रदूषण की समस्या निरंतर बनी रहती है। यह समस्या तब और अधिक घातक हो जाती है जब हॉस्पिटल या उसके आसपास वायु प्रदूषण बढ़ता है। इसकी चपेट में आने से हृदय के मरीज तथा अन्य गंभीर बीमारी के मरीज इस समस्या से अधिक प्रभावित होते हैं। यह समस्या विद्यालय के समय भी देखने को मिलती है, जब विद्यार्थी विद्यालय में अध्ययन के लिए आते हैं और ट्रैफिक का शोर तथा ध्वनि विस्तारक का शोर शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावित करता है।

रोकथाम/कैम्पैन

प्रदूषण मानव जाति के लिए ही नहीं पूरे सृष्टि के लिए हानिकारक है, इसकी रोकथाम के लिए पूरे समाज को एक साथ आना होगा और अपना दायित्व समझते हुए इसकी रोकथाम करनी होगी। हम छोटे-छोटे कैंपेन के माध्यम से समाज को जागरूक कर सकते हैं। इसके होने वाले प्रभाव के प्रति सचेत कर सकते हैं। विद्यालय स्तर पर विद्यार्थियों को शामिल कर सकते हैं। विद्यार्थी भविष्य के कर्ताधर्ता होते हैं, इसलिए उन्हें जागरूक करना अति आवश्यक है। इसे हम कैंपेन या रैली के माध्यम से सरल बना सकते हैं।

अगर सही समय पर पर्यावरण के प्रति लोग जागरूक नहीं हुए तो इसका भयावह परिणाम देखने को मिल सकता है। अतः सभी को अपना दायित्व तथा जिम्मेदारी समझ कर इसकी रोकथाम के लिए कार्य करने की आवश्यकता है।

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निष्कर्ष-

प्रदूषण किसी भी रूप में मानव जाति के लिए ठीक नहीं है, अतः प्रदूषण के निवारण के लिए सभी समाज को एक साथ मिलकर कार्य करना होगा। उन्हें जागरूक रहते हुए अपने दायित्व का निर्वाह करना होगा क्योंकि प्रदूषण की मार दूरगामी होती है, आने वाली पीढ़ियां इसका परिणाम भुगतती है जिसका कोई कसूर नहीं होता। अगर समय रहते मानव जाति सचेत नहीं होती तो प्रदूषण धीरे-धीरे हमारी सृष्टि तथा पर्यावरण चक्र को बिगाड़ सकता है।

आज तमाम तरह के परिणाम हमें देखने को मिल रहे हैं, हमारा मौसम का चक्र बिगड़ गया है, समुद्र का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। भूत ताप दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, हरे भरे वृक्ष नष्ट होते जा रहे हैं ग्लेशियर की बर्फ पिघल रही है। जगह-जगह सूखा पड़ रहा है, बरसात अपने समय पर नहीं होती इन सभी कारणों से मानव जाति तथा पशु पक्षी अधिक प्रभावित हो रहे हैं। कितनी ही मौतें इन कारणों से देखने को मिल रही है।

अतः समय हाथ से निकले इससे पहले मानव जाति को प्रदूषण के प्रति सजग सतर्क और जिम्मेदार रहना होगा।

आशा है उपरोक्त लेख आपको पसंद आया हो अपने सुझाव तथा विचार कमेंट बॉक्स में लिखें।

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