प्रस्तुत लेख में समास की परिभाषा, उदाहरण, भेद, तथा महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर होंगे जो के समझ को विकसित करने के लिए कारगर है।
इस लेख को तैयार करने से पूर्व हमने छात्रों के कठिनाई स्तर की पहचान तथा खोज की है। जहां विद्यार्थियों को समझने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, हमने उस कठिनाई को सरल रूप प्रदान करने का प्रयास किया है।
समास का शाब्दिक अर्थ है संक्षिप्तीकरण। दो या दो से अधिक शब्दों को जोड़कर किसी एक नए सार्थक शब्द का निर्माण ही समास कहलाता है।
जैसे – राजा का पुत्र –
यहां दो अलग-अलग शब्द का प्रयोग वाक्य में हुआ है ,राजा अर्थात राज्य का स्वामी , पुत्र-बेटा।
अर्थात जो राजा का पुत्र है उसके लिए एक शब्द राजपूत्र होगा।
यहां वाक्य का संक्षिप्तीकरण करते हुए एक शब्द का निर्माण हुआ है,जो स्पष्ट और सार्थक है। राजपूत्र कहने से राजा का बेटा होना सिद्ध होता है अतः यह समास का उदाहरण है।
समास की परिभाषा
दो या दो से अधिक शब्दों को जोड़कर एक नए तथा सार्थक शब्द के निर्माण को समास कहते हैं।
जैसे – रसोई के लिए घर
इन सभी को संक्षिप्तीकरण किया जाए और नए शब्द का निर्माण किया जाए तो रसोईघर कहने से कार्य हो जाता है,अर्थात यह समास है।
समास के उदहारण
नीला है कंठ जिसका – नीलकंठ
दस है सिर जिसके – दशानन
दो पहर का समूह – दोपहर
चार राहों का समूह – चौराहा
प्रत्येक दिन – प्रतिदिन
समास के भेद
समास के छः भेद है
- अव्ययीभाव
- तत्पुरुष
- कर्मधारय
- द्विगु
- द्वंद्व
- बहुव्रीहि
1. अव्ययीभाव समास
जिस समास का पहला पद प्रधान होता है,या फिर शब्द की गंभीरता पहले पद पर हो वह अव्ययीभाव कहे जाते हैं।
अव्ययीभाव में मुख्य रूप से आरंभ इन शब्दों के साथ होता है – यथा,प्रति, नि, भर, बे ,बा,ब आदि।
समस्तपद | विग्रह |
भरपेट | पेट भर कर |
यथामति | मति के अनुसार |
प्रतिदिन | दिन-दिन |
रातोंरात | रात ही रात में |
बाइज्जत | इज्जत के साथ |
यथासंभव | जैसा संभव हो |
2 तत्पुरुष समास
जिस समास का दूसरा पद प्रधान होता है तथा विग्रह करने पर कर्ता व संबोधन को छोड़कर अन्य किसी भी कारक की विभक्ति चिन्ह आते हैं वहां तत्पुरुष माने जाते हैं।
समस्त पद | विग्रह |
वनगमन | वन को गमन |
भयभीत | भय से भीत |
गंगाजल | गंगा का जल |
युद्धभूमि | युद्ध के लिए भूमि |
पथभ्रष्ट | पथ से भ्रष्ट |
दोषपूर्ण | दोष से पूर्ण |
3 कर्मधारय समास
जिस समास का समस्त पद प्रधान होता है उसे कर्मधारय कहते हैं।
समस्तपद | विग्रह |
कमलनयन | कमल के समान नयन |
नीलांबर | नीला है जो अंबर |
नीलगाय | नीली है जो गाय |
पितांबर | पीला है जो अंबर अर्थात वस्त्र |
नीलकंठ | नीला है जो कंठ |
चंद्रमुख | चंद्र के समान मुख |
4 द्विगु समास
जिस समस्त पद का पहला पद संख्यावाचक होता है वह द्विगु समास कहा जाता है। अर्थात इस के पद से संख्या का भी आभास होता है जैसे –
समस्तपद | विग्रह |
सप्तऋषि | सात ऋषियों का समूह |
चौराहा | चौराहों का समूह |
नवरत्न | नौ रत्नों का समूह |
पंचवटी | पांच वट वृक्षों का समूह |
चौमासा | चार माह का समूह |
सप्ताह | सात दिनों का समूह |
5 द्वंद्व समास
जिस समस्त पद का दोनों पद प्रधान होता है तथा विग्रह करने पर ‘और’ , ‘या’ आदि पद आते हैं वे द्वंद समास कहते हैं। जैसे –
समस्तपद | विग्रह |
राम-लक्ष्मण | राम और लक्ष्मण |
राजा-प्रजा | राजा और प्रजा |
पाप-पुण्य | पाप और पुण्य |
भला-बुरा | भला और बुरा |
धूप-छांव | धूप और छांव |
भाई-बहन | भाई और बहन |
6 बहुव्रीहि समास
जिस समस्त पद का कोई भी पद प्रधान नहीं होता, किंतु उससे अन्य पद की प्रधानता का ज्ञान होता है वह बहुव्रीहि समास कहा जाता है।
जैसे –
समस्तपद | विग्रह |
दशानन | दस हैं आनंन जिसके (रावण) |
चतुर्भुज | चार है भुजाएं जिसकी (विष्णु) |
लंबोदर | लंबा है उदर जिसका अर्थात (गणेश) |
नीलकंठ | नीला है कंठ जिसका(शिव) |
सुलोचना | सुंदर है लोचन जिसके |
गजानन | गज के समान आनंद (गणेश) |
समास विग्रह-
सामासिक शब्दों के बीच के संबंध को स्पष्ट करना समास विग्रह कहलाता है।
जैसे –
राजपूत्र – राजा का पुत्र।
रसोईघर – रसोई के लिए घर।
पूर्वपद और उत्तर पद-
समास में दो प्रकार के शब्द होते हैं,जिन्हें हम पद कहते हैं। पहले पद को पूर्वपद तथा दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं। जैसे –
गंगाजल
इसमें पूर्वपद गंगा होगा ,उत्तरपद जल है।
ध्यान देने योग्य बात
- आपस में संबंध रखने वाले दो या दो से अधिक पदों के सहयोग से समास का निर्माण होता है।
- एक से अधिक पदों के योग से बने शब्द समस्त पद कहलाते हैं।
- समस्त पद बनते ही अन्य सभी विभक्ति या तथा चिन्ह,कारक आदि लुप्त हो जाते हैं।
- समस्त पद में पूर्व पद तथा उत्तर पद होता है ,जिन्हें पहला शब्द या दूसरा शब्द सदारण अर्थों में कहा जाता है।
- हिंदी तथा संस्कृत में कर्मधारय तथा द्विगु समाज को स्वतंत्र माना गया है।
- जबकि पाश्चात्य साहित्य में कर्मधारय तथा द्विगु को तत्पुरुष का अंग माना जाता है।
समास तथा संधि में क्या अंतर होता है ?
अंतर समझना बहुत आसान है क्योकि समास का अर्थ है संक्षिप्त करना, वही संधि का अर्थ है जोड़ना या मेल करना।
समास में दो पद मिलकर नए शब्द के रूप में परिवर्तित होते हैं। जैसे –
- रसोई के लिए घर – रसोईघर
- राजा का पुत्र – राजपूत्र।
संधि में ऐसा नहीं है संधि में उच्चारण तथा वर्तनी में अंतर आ जाता है। जैसे –
- इति+आदि – इत्यादि
- अति+अधिक – अत्यधिक
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निष्कर्ष
आशा है उपर्युक्त अध्ययन से समास के प्रति विस्तृत जानकारी मिल गई होगी। इसके तथा संधि के बीच क्या अंतर है यह भी स्पष्ट हो गया होगा।
इसके छः भेद का अध्ययन हिंदी व्याकरण के अंतर्गत किया जाता है। कुछ विद्वानों के अंतर्गत कर्मधारय तथा द्विगु समास को तत्पुरुष के अंतर्गत माना जाता है। किंतु वह अपवाद का विषय है हमें छः भेद का ही अध्ययन करना है।
आशा है इस लेख से आपके सभी प्रश्न हल हो गए होंगे ,फिर भी किसी प्रकार के प्रश्न आपके मन में आते हैं तो कमेंट बॉक्स में लिखकर आप हम से पूछ सकते हैं।
यह विषय समझना विद्यार्थियों के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि यह आपके परीक्षा में अधिक मात्रा में पूछे जाते हैं और इसमें बहुत विद्यार्थियों के नंबर करते हैं। इसलिए हमारा सुझाव है कि अगर आपको यहां पर कोई भी परेशानी आई हो तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से जरूर पूछें या फिर अपने विचार बताएं।