कविता के तत्व kavita ke ghatak kaun kaun se hain

इस लेख में सृजनात्मक लेखन का विस्तृत रूप से अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।

कविता किसे कहते हैं, इसकी रचना कैसे की जाती है, कविता के प्रमुख तत्व, सृजनात्मक लेखन के अंतर्गत अध्ययन करेंगे। इसका अध्ययन करने से विद्यार्थी इस विषय में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर सकता है।

सृजनात्मक लेखन की पूरी जानकारी

सृजन मानव का जन्मजात स्वभाव होता है। इस पृथ्वी पर सृजन क्रमशः जारी रहता है। इसी क्षेत्र में व्यक्ति साहित्य से संबंधित रचनाओं को सृजित करता है। उन सभी रचनाओं को सृजनात्मक लेखन कहा जाता है, जिन्हें व्यक्ति अपने मन-मस्तिष्क, बौद्धिक क्षमता के अनुसार करता है इसी क्रम में कविता एक है।

कविता व्यक्ति के मनोभावों को प्रकट करने तथा बड़ी-बड़ी बातें और विचारों को शब्द तथा लयबद्ध रूप से प्रकट करने की क्षमता रखता है।

इसका प्रचलन आधुनिक कवियों ने विशेष रूप से किया है। कविता के कल्पनाशीलता के रूप को पाठकों ने अधिक सराहा है।

कविता कैसे बनती है ( सृजनात्मक लेखन )

कविता इंसान के मन को अभिव्यक्त करने वाली सबसे पुरानी कला है। मौखिक युग में कविता के द्वारा इंसान ने अपने भावों को दूसरे तक पहुंचाया होगा। इससे स्पष्ट होता है कि कविता मन में उमड़ने-घूमडने वाले भावों और विचारों को अभिव्यक्त करने का काव्यात्मक माध्यम है।

वाचिक परंपरा में जन्मी कविता आज लिखित रूप में मौजूद है।

पारंपरिक लोरियां, मांगलिक गीतों, श्रमिकों द्वारा गुनगुनाए लोकगीतों और तुकबंदी में कविता के स्वर मुखरित होते हैं।

कविता को आज तक किसी एक परिभाषा में बांध पाना संभव नहीं हो पाया है।

अनेक प्राचीन काव्य शास्त्रियों और पश्चिमी विद्वानों ने कविता की एक परिभाषाएं दी है। जैसे – शब्द और अर्थ का संयोग, रस युक्त वाक्य, संगीतमय विचार आदि। कविता लेखन के संबंध में दो मत मिलते हैं, एक का मानना है कि अन्य कलाओं के समान कविता लेखन की कला को प्रशिक्षण द्वारा नहीं सिखाया जा सकता क्योंकि इसका संबंध मानवीय भावों से होता है।

जबकि दूसरा मत कहता है कि अन्य कलाओं की भांति प्रशिक्षण के द्वारा कविता लेखन को भी सरल बनाया जा सकता है। कविता का पहला उपकरण शब्द है। किसी डल्ब्यू एच ओर्डन ने कहा है कि प्ले विद द वर्ड्स अर्थात कविता लेखन में सबसे पहले शब्द से खेलना सीखे।

उनके अर्थ की परतों को खोलें, क्योंकि शब्द ही भावनाओं और संवेदनाओं को आकार देते हैं।

बिम्ब और छंद कविता को इंद्रियों से पकड़ने में सहायक होते हैं।

बाह्य संवेदनाएं मन के स्तर पर बिम्ब के रूप में परिवर्तित हो जाती है।

छंद के अनुशासन की जानकारी के बिना आंतरिक लय का निर्वाह असंभव है।

कविता की भाषा, बिंद, संरचना सभी परिवेश के इर्द-गिर्द घूमते हैं।

इसलिए इसके अनुसार ही भाषा, बिंद और छंद का चयन किया जाना चाहिए।

कविता के मुख्य तत्व kavita ke ghatak kaun kaun se hain

  1. भाषा का सम्यक ज्ञान
  2. शब्द विन्यास
  3. छंद विषयक बुनियादी जानकारी
  4. अनुभव और कल्पना का सामंजस्य
  5. सहज संप्रेषण शक्ति
  6. भाषा एवं विचार की अनुभूति

नवीन दृष्टिकोण और प्रस्तुतीकरण की कला न हो तो कविता लेखन संभव ही नहीं है।

प्रतिभा को किसी नियम या सिद्धांत द्वारा पैदा नहीं किया जा सकता, किंतु परिश्रम और अभ्यास से विकसित किया जा सकता है। कविता लेखन के यह घटक कविता लेखन भले ही ना सिखाएं पर कविता की सराहना एवं कविता विषयक ज्ञान देने में सहायक है।

सृजनात्मक लेखन प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1 – कविता से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – कविता में उमड़ने-घुमडने वाले भावों और विचारों को अभिव्यक्त करने का काव्यात्मक माध्यम है।

प्रश्न 2 – कविता लेखन का सबसे पहला उपकरण किसे माना जाता है ?

उत्तर –  कविता लेखन का सबसे पहला उपकरण शब्द को माना जाता है।

प्रश्न 3 – ‘प्ले विद द वर्ड्स’ से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर – प्ले विद द वर्ड्स से अभिप्राय है कि कविता लेखन में सबसे पहले शब्दों से खेलना सीखे, वह उनके अर्थ की परतों को खोलें।

प्रश्न 4 – कविता के लिए आवश्यक कोई दो घटक/तत्व बताइए ?

उत्तर – कविता के लिए आवश्यक प्रमुख घटकों में से दो घटक है –

  1. भाषा का सम्यक ज्ञान
  2. शब्द विन्यास

प्रश्न 5 –  विद्यार्थी की रचनात्मक शक्ति और ऊर्जा को कैसे बाहर लाया जा सकता है ?

उत्तर – विद्यार्थी की रचनात्मक शक्ति और ऊर्जा को बाहर निकालने के लिए उन्हें शब्दों के साथ खेलना और उनकी तह तक जाना सीखना चाहिए।

प्रश्न 6 – कविता लेखन के लिए आवश्यक प्रमुख घटकों का वर्णन कीजिए। 

उत्तर – कविता लेखन के लिए आवश्यक प्रमुख घटक निम्नलिखित है –

भाषा का ज्ञान :-

कविता में भाषा की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

भावों और संवेदनाओं की अभिव्यक्ति के लिए जरूरी है कि कवि कविता में भाषा के रोज नए प्रयोगों द्वारा अपने अनुभवों को रूप प्रदान करता रहे।

शब्द विन्यास :-

शब्द मनुष्य के सबसे प्रिय मित्र होते हैं।

इसलिए कविता लेखन के समय कवि को अपने भावों और विचारों के अनुरूप शब्दों का चयन कर उनका प्रयोग करना चाहिए।

छंद विषयक बुनियादी जानकारी :-

छंद ओर तुक से बंधी हुई रचना हमारी भावनाओं को संगीत में बांधकर हमारे सामने प्रस्तुत करती है

तो उसकी छुअन हमें भीतर तक उस भाव से जोड़ देता है।

इसलिए कविता में छंद और तुक कविता को अधिक भावमयी बना देता है।

अनुभव और कल्पना का सामंजस्य :-

कवि कविता में भावों और विचारों के साथ अपनी कल्पना शक्ति का प्रयोग करता है।

कल्पना के द्वारा कवि कविता में जीवन के सत्य के मधुर और कटु दोनों रूपों को प्रकट करता है।

कवि को केवल कोरी कल्पना से बचना चाहिए।

सहज संप्रेषण शक्ति :-

कविता कवि अपने लिए नहीं लिखता वरन उसका लक्ष्य अपने भावों और विचारों से सहज

और परिचित सहज व सरल भाव पाठक को कविता के साथ बांध देते हैं।

भाव एवं विचारों की अनुभूति :-

कविता भावों का प्रबल आवेग है और मनुष्य भावों और विचारों की अभिव्यक्ति करने के लिए तत्पर रहता है। सामान्य व्यक्ति कविता की उस ऊंचाई तक नहीं पहुंच सका जहां कवि पहुंच जाता है , क्योंकि कवि की आत्मा शक्ति प्रबल होती है।

7 प्रश्न – कविता लेखन में शब्दों के महत्व पर प्रकाश डालिए।

8 प्रश्न -कविता लेखन में छंदों और विंबो की भूमिका स्पष्ट कीजिए।

9 प्रश्न – अपने जीवन में घटी ऐसी घटना जिसने आपके मन को स्पर्श किया हो अनुभूति को कविता में डालने का प्रयास कीजिए।

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सृजनात्मक लेखन निष्कर्ष :-

उपर्युक्त अध्ययन से स्पष्ट होता है कि सृजनात्मक लेखन के अंतर्गत कविता का लेखन किया जाता है।

कविता का लेखन करते समय घटक का विशेष ध्यान रखा जाता है।

शब्दों का जो व्यक्ति खेल करता है और रचनात्मक कला का अनुभव रखता है वह अच्छे से अच्छा लिख सकता है।

कविता की रचना कर सकता है।

कई विद्वानों ने माना भी है कविता लेखक को शब्दों से खेलना अवश्य आना चाहिए अर्थात उसे शब्दों का विस्तृत ज्ञान होना चाहिए। जिससे वह विभिन्न प्रकार के भावों और जानकारियों को अपने कविता के माध्यम से प्रकट कर सकता है।

उपर्युक्त अध्ययन से आपका ज्ञान तथा अनुभव बढ़ा होगा यह लेख आपके किसी न किसी प्रकार से आपके काम आ सका हो।

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हम आपके प्रश्नों के उत्तर यथाशीघ्र देने का प्रयत्न करेंगे।

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