तत्पुरुष समास की परिभाषा, भेद, उदाहरण

इस लेख में आप तत्पुरुष समास की परिभाषा, भेद, उदाहरण तथा प्रश्न उत्तर का अध्ययन करेंगे। साथ ही समास क्या है वह जानने का प्रयास करेंगे। इस लेख में विद्यार्थियों के कठिनाई स्तर को ध्यान रखा गया है। जहां विद्यार्थी कठिनाई महसूस करते हैं उसे सरल बनाने का भी प्रयास किया गया है।

समास किसे कहते हैं

समास का शाब्दिक अर्थ है संक्षिप्तीकरण, दो या दो से अधिक शब्दों के योग से समास का निर्माण होता है जैसे – यथाशीघ्र, रसोईघर, नीलकमल आदि। संधि तथा समास में अंतर है जहां संधि के अंतर्गत शब्दों को जोड़ा जाता है,वही समास के अंतर्गत दो सार्थक शब्दों को जोड़कर एक नया शब्द बनाया जाता है।

तत्पुरुष समास की परिभाषा

जिस समस्त पद का उत्तरपद प्रधान होता है अर्थात दूसरा शब्द प्रधान होता है वहां तत्पुरुष समास माना जाता है। इनकी पहचान कुछ परसर्गों से की जा सकती है।

जैसे – (का,से,पर आदि)

सत्याग्रह – सत्य के लिए आग्रह

राजकुमार – राजा का पुत्र ।

तत्पुरुष समास के उदाहरण

समस्तपद सामान्य विग्रह समास विग्रह
यश-प्राप्त यश+प्राप्त यश को प्राप्त
जेबकतरा जेब+कतरा जेब को काटने वाला
गगनचुंबी गगन+चुंबी गगन को चूमने वाला
स्वर्गगत स्वर्ग+गत स्वर्ग को गत
ग्रामगत ग्राम+गत ग्राम को गत /गया
मनमाना मन+माना मन से माना
गिरहकट गिरह+कट गिरह को काटने वाला
गुणयुक्त गुड़+युक्त गुणों से युक्त
परलोकगमन परलोक+गमन परलोक को गमन
हथकड़ी हाथ+कड़ी हाथ के लिए कड़ी
देश-निकाला देश+निकाला देश से निष्कासित
रसोईघर रसोई+घर रसोई के लिए घर
सर्वभक्षी सर्व+भक्षी सब खाने वाला
रसभरी रस+भरी रस से भरा हुआ
ऋणमुक्त ऋण+मुक्त ऋण से मुक्त
नेत्रहीन नेत्र+हीन नेत्र से हीन

इस प्रकार के अन्य शब्द है जिनका आप स्वयं से भी निर्माण कर सकते हैं जिसमें उत्तरपद प्रधान होगा तथा उनके बीच परसर्ग चिन्ह का से पर के आदि होंगे।

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अव्ययीभाव समास

तत्पुरुष समास के भेद

कुछ विद्वानों के अनुसार तत्पुरुष समास के अंतर्गत कर्मधारय समास तथा द्विगु समास को माना गया है। किंतु यह अपवाद का विषय है।

हिंदी तथा संस्कृत के साहित्य में दोनों को स्वतंत्र समास का दर्जा दिया गया है।

अतः उन्हें तत्पुरुष का भेद मानना उचित नहीं होगा उनका अध्ययन आप स्वतंत्र लेख में कर सकते हैं।

तत्पुरुष समास के नौ भेद माने गए हैं –

  1. कर्म तत्पुरुष
  2. करण तत्पुरुष
  3. संप्रदान तत्पुरुष
  4. अपादान तत्पुरुष
  5. संबंध तत्पुरुष
  6. अधिकरण तत्पुरुष
  7. नञ तत्पुरुष
  8. अलुक तत्पुरुष
  9. मध्यम पद लोधी तत्पुरुष

1. कर्म तत्पुरुष

इसके अंतर्गत कर्म कारक ‘को’ विभक्ति का लोप हो जाता है जैसे –

समस्तपद विग्रह
ग्रामगत ग्राम को गया
वनगमन वन को गया
परलोकगमन परलोक को गया
गगनचुंबी गगन को चूमने वाला
यशप्राप्त यश को प्राप्त
रथचालक रथ को चलाने वाला
चिड़ीमार चिड़िया को मारने वाला
विद्यार्थी विद्या को धारण करने वाला
शरणागत शरण को आदत

उपर्युक्त उदाहरण में आपने देखा समास के समस्त पद से ‘को’ विभक्ति का लोक हुआ है ,जिसके कारण एक सामासिक पद का निर्माण हुआ है।

2. करण तत्पुरुष

( तत्पुरुष समास के भेद )

इसमें करण कारक ‘से’ के माध्यम से विभक्ति का रूप हुआ है जैसे –

समस्तपद विग्रह
वज्रहत वज्र से हत
भयभीत भय से भीत
बाढ़ पीड़ित बाढ़ से पीड़ित
अकाल पीड़ित अकाल से पीड़ित
जन्मांध जन्म से अंधा
हस्तलिखित हस्त से लिखित
भयातूर भय से आतुर
दोषपूर्ण दोष से पूर्ण
मुंहमांगा मुंह से मांगा
बिहारी रचित बिहारी के द्वारा रचित
तुलसी रचित तुलसी के द्वारा रचित
भूखमरा भूख से मरा
मदांध मद से अंधा

उपर्युक्त उदाहरण में आपने ध्यान दिया जिसमें ‘से’ , ‘के’ विभक्ति का लोप है। जिसके कारण यह ‘करण तत्पुरुष समास’ में परिवर्तित होता है।

3. संप्रदान तत्पुरुष

जिसमें संप्रदान कारक की विभक्ति ‘के लिए’ का लोप हो जाता है, वहां संप्रदान तत्पुरुष होता है जैसे –

समस्तपद विग्रह
पाठशाला पाठ के लिए शाला
यज्ञशाला यज्ञ के लिए शाला
आरामकुर्सी आराम के लिए कुर्सी
मालगाड़ी माल के लिए गाड़ी
युद्धभूमि युद्ध के लिए भूमि
देशभक्ति देश के लिए भक्ति
डाकगाड़ी डाक के लिए गाड़ी
मालगोदाम माल के लिए गोदाम
हवन-सामग्री हवन के लिए सामग्री
परीक्षाभवन परीक्षा के लिए भवन
जेबखर्च जेब के लिए खर्च
सत्याग्रह सत्य के लिए आग्रह

दिए गए उद्धरण में ‘के लिए’ विभक्ति का लोप हे जो सम्प्रदान कारक की और संकेत करता है।

4. अपादान तत्पुरुष

( तत्पुरुष समास के भेद )

इसमें अपादान की विभक्ति ‘से’ का लोप होता है। जैसे  –

समस्तपद विग्रह
रोगमुक्त रोग से मुक्त
पथभ्रष्ट पथ से भ्रष्ट
देश निकाला देश से निकाला
गुरु भाई गुरु के सम्बन्ध से भाई
ऋणमुक्त ऋण से मुक्त
गुणहीन गुण से हीन

यहां सभी पदों में से विभक्ति का लोप है।

5. संबंध तत्पुरुष

जिस समस्तपद में सम्बन्ध कारक की विभक्ति-का, की, के आदि का लोप हो वहां सम्बन्ध तत्पुरुष माना जाता है। जैसे –

समस्तपद विग्रह
राजकुमारी राजा की कुमारी
पवनपुत्र पवन का पुत्र
गृहस्वामी गृह का स्वामी
प्रजापति प्रजा का पति
राजपूत्र राजा का पुत्र
भारत रत्न भारत का रत्न

उपर्युक्त संबंध कारक में का,की,के विभक्ति का लोप हुआ है।

6. अधिकरण तत्पुरुष

जिस अधिकरण कारक की विभक्ति ‘में’, ‘पर’ आदि शब्दों का लोप हो जाता हो। जैसे –

समस्तपद विग्रह
गृह प्रवेश गृह में प्रवेश
शरणागत शरण में आगत
घुड़सवार घोड़े पर सवार
जगबीती जग पर बीती
आपबीती आप पर बीती
जलमग्न जल में मग्न

यहां ‘में’ , ‘पर’ विभक्ति का लोप  है।

7. नञ तत्पुरुष

( तत्पुरुष समास के भेद )

जिस तत्पुरुष समास का पहला पद ‘अ’ या ‘अन्’  अन्य होता है तथा उसका अर्थ नहीं होता उसे नञ तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे

समस्तपद विग्रह
असंभव न संभव
असत्य न सत्य
अहित न हित
अधर्म न धर्म
अन्याय न न्याय
अनाधिकार न अधिकार

 

8. अलुक तत्पुरुष

जिस समस्त पद में चिन्ह का  लोप नहीं होता समस्त पद में विभक्ति चिन्ह मौजूद रहते हैं। उसे अलुक तत्पुरुष समास कहते हैं –

युधिष्ठिर युद्ध में स्थिर
धनंजय धन को जय करने वाला
खे चर आकाश में विचरण करने वाला

 

9. मध्यम पदलोपी तत्पुरुष

( तत्पुरुष समास के भेद )

जिस तत्पुरुष समास में विग्रह करने पर कारक के विभक्ति चिन्ह के अतिरिक्त कुछ और भी पद आते हैं उसे मध्यम पदलोपी तत्पुरुष समास कहते हैं –

समस्तपद विग्रह
मालगाड़ी माल ले जाने वाली गाड़ी
बैलगाड़ी बैल के द्वारा खींचे जाने वाली गाड़ी
गोबर गणेश गोबर से बना गणेश
वायुसेना वायु में लड़ने वाली सेना
दही-बड़ा दही में डूबा हुआ बड़ा
थलसेना स्थल पर लड़ने वाली सेना

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निष्कर्ष-

तत्पुरुष समास के अध्ययन में हमने पाया कि जिस समास का उत्तरपद प्रधान होता है वह तत्पुरुष समास कहा जाता है।

इनके पहचान की विधि भी हमने बताया जिसके कारण कुछ परसर्ग चिन्हों का लोप हो जाता है। जैसे –

राजा का बेटा कहने पर एक शब्द उभर कर आता है राजकुमार यह उस पूरे वाक्य को एक शब्द में बताने में सक्षम है।

अर्थात राजकुमार समास का शब्द है। समास का अर्थ ही संक्षिप्तीकरण है।

आशा है इस लेख से आपके ज्ञान की वृद्धि हो सकी हो, आपको समास के प्रति जानकारी मिल सकती हो।

फिर भी किसी प्रकार के प्रश्न के लिए आप कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं।

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