विशेषण की परिभाषा, भेद, तथा उदाहरण

इस लेख में आप विशेषण की परिभाषा, भेद, तथा उदाहरण की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।

विशेषण के चार भेद होते हैं जिनके नाम है – गुणवाचक, परिमाणवाचक, संख्यावाचक तथा सार्वनामिक। इन सभी को भी विस्तार से अध्ययन करेंगे तथा उनके उप भेदों को उदाहरण सहित समझेंगे।

परिभाषा

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं उन्हें विशेषण कहा जाता है। जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताई जाती है उसे विशेष्य कहा जाता है। 

यह देखा गया है कि विशेषण प्रायः संज्ञा अथवा सर्वनाम के पहले आता है परंतु कुछ मामलों में यह बाद में भी प्रयोग किया जाता है।

जैसे

. नीली कमीज पहनो।

२. यह कमीज नीली है।

विशेषण के भेद

१. गुणवाचक

२. परिमाणवाचक

३. संख्यावाचक

४. सार्वनामिक

अब हम विशेषण के सभी भेद को विस्तार से पढ़ेंगे तथा उनके अनेक उदाहरण समझेंगे जिससे आपको यह टॉपिक बिल्कुल आसानी से समझ में आ जाए।

1. गुणवाचक विशेषण

यह ऐसे विशेषण होते हैं जिनसे हमें विशेष्य के गुण, आकर, काल, दशा, रंग, रूप, आधी का बोध होता है, इन्हें ही गुणवाचक विशेषण कहते हैं।

जैसे

१. वह अच्छा व्यक्ति है। ( यहां पर अच्छा शब्द गुण बोध कराता है )

२. उसने नारंगी शर्ट पहनी है। ( यहां पर नारंगी शब्द रंग बोधक है )

३. आधुनिक युग कंप्यूटर, मोबाइल, तथा लैपटॉप का युग है। ( यहां पर आधुनिक शब्द काल बोधक है )

 

2. परिमाणवाचक विशेषण

परिमाण का अर्थ होता है मात्रा जैसे कि पांच, सोलह, थोड़ा, ज्यादा आदि।

परिभाषा :- जो विशेषण शब्द विशेष्य की परिमाण का बोध कराएं उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। इसमें ज्यादातर देखा गया है कि जो विशेष्य है, वह द्रव्यवाचक संज्ञा होती है तथा वह एकवचन भी होती हैं।

जैसे :-

१. पांच किलो चावल ( यहां पर पांच शब्द हमें परिमाण का बोध कराते हैं )

२. दो मीटर कपड़ा चाहिए। ( यहां पर दो मीटर शब्द परिमाण का बोध कराते हैं )

परिमाणवाचक के दो भेद होते हैं 

१. निश्चित परिमाणवाचक

परिभाषा :- जिन विशेषण शब्दों से हमें वस्तु की निश्चित मात्रा का ज्ञान होता है उन्हें हम निश्चित परिमाणवाचक कहते हैं। 

उदाहरण के लिए

१. कल की दौड़ सौ मीटर की होगी

२. उस व्यक्ति के सूट में चार मीटर कपड़ा लगेगा।

३ बाजार से सात किलो चावल ले आओ।

इन सभी उदाहरण को ध्यान से देखिए।

पहले में 100 मीटर, दूसरे में 4 मीटर, तथा तीसरे में 7 किलो हमें निश्चित मात्रा का बोध कराते हैं, इसलिए यह सभी निश्चित परिमाणवाचक है।

२. अनिश्चित परिमाणवाचक

परिभाषा :- जो विशेषण शब्द हमें वस्तु की अनिश्चित मात्रा का बोध कराएं उन्हें हम अनिश्चित परिमाणवाचक कहते हैं।

उदाहरण के लिए

१. मेरे लिए थोड़ी सी चीनी ले आओ।

२. बाजार जाकर कुछ आम खरीद लो।

३. थोड़ा सा पानी गर्म कर लो।

ऊपर दिए गए उदाहरण में जितने भी गाढ़े शब्द हैं जैसे कि पहले में थोड़ी सी, दूसरे में कुछ और तीसरे में थोड़ा सा, यह सभी शब्द हमें निश्चित मात्रा का बोध कराते हैं जिसके कारण यह सभी अनिश्चित परिमाणवाचक है।

3. संख्यावाचक विशेषण

यह वह विशेषण शब्द होता है जो विशेष्य का संख्या से संबंधित विशेषता का बोध कराता है। यहां पर विशेष्य प्रायः जातिवाचक संज्ञायें होती है। 

जैसे

१. कक्षा में अस्सी छात्र पढ़ते हैं।

( यहां पर गाढ़े शब्द हमें संख्या का बोध कराते हैं )

२. वह लड़की सातवीं कक्षा में पढ़ती है।

३. नेहा ने दौड़ में प्रथम स्थान हासिल किया।

संख्यावाचक के दो भेद होते हैं

१. निश्चित संख्यावाचक

२. अनिश्चित संख्यावाचक

 

4. सार्वनामिक विशेषण

यह वह सर्वनाम के शब्द होते हैं जो संज्ञा के पहले आते हैं और विशेषण का बोध कराते हैं, उन्हें हम सर्वनामिक विशेषण कहते हैं। सार्वनामिक विशेषण को संकेतवाचक भी कहते हैं।

जैसे

१. वह छात्रा प्रथम आई।

२. वे बालक पढ़ने में अच्छे हैं

विशेषण की अवस्थाएं

जैसा कि हमें पता है कि विशेषण शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। परंतु जिन वस्तुओं की विशेषता बताई जाती है उनके गुण कम ज्यादा होते हैं जिसकी वजह से तुलना पैदा होती है। यह तुलना ही विशेषण की अवस्थाएं कहलाती है।

विशेषण की निम्नलिखित अवस्थाएं होती है

१. मूलावस्था

२.उत्तरावस्था

३. उत्तमावस्था

इन तीनों प्रकारों में आप सभी प्रकार के तुलना का अध्ययन कर सकते हैं। अब हम इन्हें एक-एक करके पढ़ेंगे

मूलावस्था

परिभाषा :- जब किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण को सामान्य रूप से प्रकट किया जाता है, उसे मूलावस्था कहते हैं। इस अवस्था में तुलना नहीं होती है।

उदाहरण द्वारा समझे

१. राकेश होशियार है

२. स्नेहा सुंदर है।

यहां पर होशियार तथा सुंदर शब्द व्यक्ति के गुणों को सामान्य रूप से प्रकट कर रहे हैं, एवं यहां पर किसी प्रकार की तुलना नहीं हो रही है इसलिए यह अवस्था मूलावस्था है।

उत्तरावस्था

परिभाषा :- जब दो व्यक्तियों तथा वस्तुओं में तुलना की जाती है तब विशेषण उत्तरावस्था में प्रयुक्त होता है।

जैसे कि मोहन राकेश से ज्यादा होशियार है।

यहां पर दो व्यक्तियों के गुणों की तुलना की जा रही है जिसकी वजह से यह उत्तरवस्था है।

अन्य उदाहरण

मुकेश चेतन से अधिक बुद्धिमान है।

रमा नीता से ज्यादा सुंदर है।

उत्तमावस्था

परिभाषा : इस अवस्था में दो से अधिक व्यक्तियों तथा वस्तुओं की तुलना करके किसी एक को सबसे अधिक या न्यूनतम बताया जाता है।

जैसे कि

१. दिल्ली में सबसे ज्यादा आबादी पाई जाती है।

२. चंद्रगुप्त मौर्य सबसे सफल राजा थे।

इन दोनों वाक्यों में सबसे ज्यादा तथा सबसे सफल शब्द हमें उत्तम अवस्था का बोध कराते हैं।

ध्यान दें

यह तुलनात्मक अवस्थाएं केवल तीन विशेषण के साथ होती है जिनके नाम है गुणवाचक, अनिश्चित संख्यावाचक तथा निश्चित परिमाणवाचक। अन्य जगहों पर यह तुलनात्मक अवस्था संभव नहीं है।

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निष्कर्ष

जो शब्द संज्ञा तथा सर्वनाम की विशेषता बताएं उन्हें हम विशेषण कहते हैं। इस के चार भेद होते हैं जिनके नाम हैं गुणवाचक, परिमाणवाचक, संख्यावाचक तथा सांस्कृतिक अथवा सार्वनामिक। इसमें भी परिमाणवाचक के दो भेद हैं जिनके नाम है अनिश्चित तथा निश्चित परिमाणवाचक। उसके बाद संख्यावाचक के भी दो भेद है, अनिश्चित तथा निश्चित संख्यावाचक।

यह सब पढ़ने के बाद हमने यह भी जाना कि इसकी तीन अवस्थाएं होती है जिनके नाम है मूलावस्था, उत्तमावस्था तथा उत्तरावस्था। जिनसे हम तुलनात्मक विषयों को समझते हैं।

अगर आपके मन में अभी भी विशेषण से जुड़ा कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स के जरिए पूछ सकते हैं, हम आपके सवाल का जवाब देने का प्रयास करेंगे तथा यह अन्य विद्यार्थियों के लिए भी उपयोगी साबित होगा।

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