पत्रकारिता के विविध आयाम अभिव्यक्ति और माधयम

पत्रकारिता क्या है? पत्रकारिता के विभिन्न आयामों से आप इस लेख में परिचित हो सकेंगे। यह विशेष रूप से कक्षा 11वीं में अभिव्यक्ति और माध्यम पुस्तक के अंतर्गत आता है।

इस लेख को पढ़कर विद्यार्थी अपने परीक्षा की तैयारी कर सकेगी और आगामी भविष्य पत्रकारिता के क्षेत्र में बनाने की योजना तय कर सकते हैं। पत्रकारिता का क्षेत्र वर्तमान समय में काफी व्यापक है। पत्रकारिता के भीतर विभिन्न प्रकार के क्षेत्र समाहित किए गए हैं , जिसके कारण इसका रूप और भी व्यापक हो गया है। रोजगार की संभावनाएं इसमें अपार है।

अतः विद्यार्थी इस क्षेत्र को कैरियर के रूप में चयन कर सकते हैं।

पत्रकारिता के विविध आयाम

मनुष्य अपने सहज भाव के कारण अपने आस-पास व दूर की जानकारी रखना चाहता है। ज्ञान अर्जित करना चाहता है , उसकी इस जिज्ञासा को शांत करने के लिए ही पत्रकारिता का विकास हुआ है।

अतः पत्रकारिता का मूल तत्व जिज्ञासा है।

पत्रकारिता क्या है?

पत्रकारिता अंग्रेजी जर्नलिज्म का हिंदी अनुवाद है। जर्नल शब्द का प्रयोग पत्रिका के लिए होता है।

मैथ्यू अर्नाल्ड के अनुसार –

‘ पत्रकारिता शीघ्रता में लिखे जाने वाला साहित्य है , पत्रकार देश-विदेश की घटनाओं , समस्याओं और सूचनाओं को संकलित कर समाचार रूप में डालकर प्रस्तुत करते हैं। इसी प्रक्रिया को पत्रकारिता कहते हैं। ‘

समाचार ( पत्रकारिता के विविध आयाम )

हर घटना समाचार नहीं होती , समाचार के रूप में उन्हें घटनाओं सूचना और मुद्दों को चुना जाता है , जिन्हें जानने में अधिक से अधिक लोगों की रूचि हो। किसी घटना को समाचार बनाने के लिए उसमें नवीनता , जनरुचि , निकटता , प्रभाव जैसे तत्वों का होना आवश्यक है। समाचार किसी भी ऐसी ताजा घटना विचार या समस्या की रिपोर्ट है , जिसमें अधिक से अधिक लोगों की रूचि हो और जिसका प्रभाव अधिक से अधिक लोगों पर पड़े।

समाचार के तत्व

  • नवीनता –

समाचार बनाने के लिए न्यू होने पर ही वह न्यूज़ है। दैनिक समाचार पत्र रात 12:00 बजे तक के समाचार कवर करता है , जो डेडलाइन समय सीमा होती है।

  • निकटता –

लोग उन घटनाओं को जानना चाहते हैं जो , भौगोलिक , सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से उनसे जुड़ी हुई हो।

  • प्रभाव –

घटना की तीव्रता से पता चलती है कि उसके कितने निकट लोग प्रभावित होते हैं।

  • जनरुचि –

किसी घटना विचार या समस्या के समाचार बनाने के लिए यह भी आवश्यक है कि आम लोगों की रूचि हो।

  • टकराव या संघर्ष –

लोगों को टकराव या संघर्ष के बारे में स्वाभाविक दिलचस्पी होती है। चुनाव के दिनों में राजनीतिक दल के संघर्ष में लोग रुचि रखते हैं।

  • महत्वपूर्ण लोग –

महत्वपूर्ण लोगों से संबंधित जानकारी में लोग विशेष रूचि रखते हैं।

  • उपयोगी जानकारी –

उपयोगी जानकारियां भी समाचार की भूमिका निभाती है , इन्हें जानने में आम लोगों की बेहद दिलचस्पी होती है।

  • अनोखापन –

अनोखापन लिए हुए घटनाएं भी समाचार पत्र में शामिल किए जाते हैं।

  • विशेष भूमिका –

विशेष भूमिका निभाती है जैसे शुष्क स्थान पर अत्यधिक वर्षा या बाढ़ यह सभी विशेषांक रूप से पढ़े जाते हैं।

  • पाठक वर्ग –

समाचारीय घटना का महत्व इससे भी तय होता है की खास समाचार का पाठक वर्ग कौन है।

पाठक वर्ग की सूचियों और जरूरतों का विशेष ध्यान रखा जाता है।

नीतिगत ढांचा विभिन्न समाचार संगठनों की समाचारों के चयन और प्रस्तुति को लेकर एक नीति होती है। इस नीति को संपादकीय नीति कहते हैं। नीतिगत ढांचा तथा संपादक ही तय करता है कि कौन सी खबर चुनी जाए तथा उसकी प्रस्तुति की जाए।

संपादन का अर्थ है किसी सामग्री की अशुद्धियों को दूर करके उसे पठनीय बनाना।

उपसंपादक अपने संवाददाता की खबरों की भाषा , व्याकरण , वर्तनी तथा तथ्यपरक अशुद्धियों को दूर करके उसे प्रकाशित करने का स्थान तय करता है।

 

संपादन के सिद्धांत

पत्रकारिता को खास बनाए रखने के लिए इन सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक हो जाता है।

  • निष्पक्षता –

पत्रकार के लिए निष्पक्ष होना जरूरी है। पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। निष्पक्षता का अर्थ तटस्था नहीं है , सही – गलत , न्याय – अन्याय को ध्यान में रखकर किया जाता है।

  • तथ्यों की शुद्धता –

मीडिया या पत्रकारिता यथार्थ का प्रतिबिंब है। अतः तथ्यों को तोड़ -मरोड़ कर नहीं प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

  • वस्तुपरकता –

एक पत्रकार समाचार के लिए तथ्यों का आकलन अपनी धारणा आधार पर ना करें , उसका वास्तविक रूप प्रस्तुत करें।

  • संतुलन –

समाचार को किसी एक पक्ष में झुका नहीं होना चाहिए। दोनों पक्षों की बात बराबर होनी चाहिए।

  • स्रोत –

किसी भी समाचार में शामिल की गई सूचना एवं जानकारी का कोई स्रोत होना आवश्यक है।

स्रोत का उल्लेख आवश्यक हो जाता है।

 

पत्रकारिता के अन्य आयाम

इनके बिना कोई समाचार पत्र स्वयं को पूर्ण नहीं मान सकता।

  • संपादकीय

यह समाचार पत्र का सबसे महत्वपूर्ण पृष्ठ होता है। संपादक इस पृष्ठ पर अपनी राय प्रकट करता है। इस पृष्ठ पर विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों के लेख होते हैं। संपादक के नाम पत्र भी इसी पृष्ठ पर होते हैं।

वह घटनाओं पर आम लोगों की टिप्पणी होती है।

  • फोटो पत्रकारिता

जो बात हजार शब्द स्पष्ट नहीं कर सकते , उसे एक फोटो स्पष्ट कर देता है। यह बहुत प्रभावशाली माध्यम है।

  • कार्टून कोना

कार्टून के माध्यम से की गई धारदार टिप्पणियां सीधे पाठक के मन को छूती है।

  • रेखांकन और कार्टोग्राफ

इनके प्रयोग से शब्दों के बिना ही आंकड़ों को ग्राफ द्वारा एक नजर में समझाया जाता है। इसका प्रयोग समाचार पत्रों के अलावा टीवी में भी होता है।

पत्रकारिता के प्रकार

  • खोज पर पत्रकारिता

ऐसी पत्रकारिता जिसमें गहराई से छानबीन करके ऐसे तथ्यों व सूचनाओं को सामने लाने की कोशिश की जाती है , जिन्हें दबाने या छुपाने का प्रयास किया जा रहा हो।

आज इसी को स्टिंग ऑपरेशन भी कहा जाता है।

  • विशेषकृत पत्रकारिता

संसदीय , न्यायालय , आर्थिक , खेल , विज्ञापन , विकास , अपराध , विज्ञान , फैशन और फिल्मों से संबंधित पत्रकार उस क्षेत्र की विशेषता प्राप्त होते हैं।

  • वॉच डॉग पत्रकारिता

जब मीडिया सरकार के काम पर निगाह रखने वाली हर गड़बड़ी के पर्दाफाश कर जनता के समक्ष लाती है , तो उसे वॉच डॉग पत्रकारिता कहते हैं।

  • एडवोकेसी पत्रकारिता

जब कोई समाचार संगठन किसी मुद्दे को उछाल कर उसके पक्ष में जनमत हासिल करने के लिए अभियान चलाते हैं , तो उसे एडवोकेसी या पक्षधर पत्रकारिता कहते हैं।

  • वैकल्पिक पत्रकारिता

जो मीडिया स्थापित व्यवस्था के विकल्प को सामने लाने और उसके अनुकूल सोच को अभिव्यक्त करता है उसे वैकल्पिक मीडिया कहा जाता है।

एक अच्छे पत्रकार को सफल होने के लिए पत्रकारिता के मूल्यों को ध्यान में रखना पड़ता है। इन्हीं मूल्यों को पत्रकार की बैसाखी कहा जाता है।

  • सच्चाई –

पत्रकार को सदैव ध्यान में रखना चाहिए कि वह सच्चाई के साथ अपनी खबरों को प्रकाशित करें। उसमें किसी प्रकार का झूठ नहीं होना चाहिए , क्योंकि झूठ होने पर उसके समाचार पर कोई विश्वास नहीं करेगा तथा दंडात्मक कार्यवाही भी संभव है।

  • संतुलन –

पत्रकार को किसी भी मुद्दे के बीच संतुलन स्थापित करके चलना चाहिए। उसे केवल खबरों को व्यक्त करना चाहिए अपनी अभिव्यक्ति वह खबरों के साथ नहीं कर सकता।

ऐसा करने से वह उस खबर का पक्षधर कहलाएगा।

  • निष्पक्षता –

पत्रकार में निष्पक्षता का भाव अति आवश्यक है। इसके अभाव में पत्रकार स्वयं अपनी विश्वसनीयता खो बैठता है। इसके बाद उसका समाचार लिखना व्यर्थ हो जाता है।

  • स्पष्टता –

पत्रकार को स्पष्टवादी होना चाहिए किसी भी घटना को स्पष्ट करते हुए लोगों की जिज्ञासा को शांत करना चाहिए। यह कला उसे आनी ही चाहिए।

संपादक मंडल

यह एक संगठन है जिसमें

  • संपादक,
  • संयुक्त संपादक,
  • सहायक संपादक,
  • विशेष संपादक,
  • मुख्य संपादक,
  • उप संपादक संवाददाता और प्रूफ्रीडर शामिल होते हैं।

 

समाचार माध्यमों का मौजूदा रुझान

व्यापारीकरण के कारण सभी अधिक से अधिक धन कमाना चाहते हैं।

अतः अपने समाचार पत्र अथवा चैनल को लोकप्रिय बनाने के लिए सनसनीखेज खबरें पीत पत्रकारिता या पेज थ्री का प्रयोग अधिक से अधिक करते हैं।

पत्रकारिता का महत्व

  • देश विदेश की गतिविधियों की जानकारी देती है।
  • जन सामान्य को उसके कर्तव्य और अधिकारों की जानकारी देती है।
  • रोजगार के अवसर तलाशने में सहायक है।
  • राष्ट्रीय चेतना का सशक्त आधार है।
  • युगीन समस्याओं से जनता को जोड़ती है।
  • मानव कल्याण की प्रेरणा देती है।

पत्रकारिता के विविध आयाम प्रश्न उत्तर

१ प्रश्न – पत्रकारिता से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – पत्रकारिता का सीधा संबंध जिज्ञासा से होता है।  व्यक्ति के जिज्ञासा को शांत करना पत्रकारिता की मूलभूत आवश्यकता है। किसी भी समाचार , समस्या या घटना को पत्रकारिता के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।

२ प्रश्न – पत्रकारिता के मूल में कौन सा भाव होता है ?

उत्तर – पत्रकारिता के मूल में जिज्ञासा भाव है। पाठक या जनता के मन में जो जिज्ञासा उत्पन्न होती है। पत्रकारिता उस जिज्ञासा का समाधान करता है।

३ प्रश्न – समाचार क्या है ?

उत्तर – समाचार व्यक्ति तथा समाज से जुड़ी हुई वह चुनिंदा विषय है , जो लोक हित में हो। सभी विषय समाचार नहीं होते उसका चयन करना पड़ता है।

 

४ प्रश्न – समाचार के मुख्य तत्व कौन-कौन से हैं ?

उत्तर – किसी भी साहित्य को लिखने के लिए उसके कुछ प्रमुख तत्व होते हैं। समाचार लेख मैं भी कुछ प्रमुख तत्व निम्नलिखित है –

  • नवीनता –

समाचार का नवीन होना उसकी सफलता है।  कोई भी व्यक्ति पुराने खबरों को नहीं पढ़ना चाहता। वह नई से नई खबरों से रूबरू होना चाहता है , इसलिए समाचार की नवीनता उसकी सफलता है।

  • निकटता –

व्यक्ति उन्ही खबरों को देखना , जानना , व पढ़ना चाहता है जो उसके निकट हो , जिससे उसका संबंध हो। अतः खबरों का दायरा व्यक्ति के निकट का होना चाहिए।

  • प्रभाव –

समाचार वह ज्यादा सफल होता है , जिसके प्रभाव में अधिक से अधिक जनता आती हो। अतः प्रभावित खबरों को चयन करके लिखा जाना चाहिए।

  • जनरुचि –

समाचार उन विषयों पर लिखा जाना चाहिए जो समाज के लिए रुचि का विषय हो। रुचि का क्षेत्र समाचार पत्र में शामिल न किए जाने पर समाचार पत्र की उपयोगिता सिद्ध नहीं होती।

अतः जनरूचि का चयन करते हुए विशेष लेख लिखा जाना चाहिए।

  • अनोखापन –

वर्तमान समय में अनेकों समाचार पत्र-पत्रिका बाजार में उपलब्ध है। विभिन्न प्रकार के प्रकाशक इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं , किंतु वही समाचार पत्र सफल है जिनके पत्र में कुछ अनोखापन है।  लोग उन्हें पत्र-पत्रिकाओं के प्रति आकर्षित होते हैं जो उन्हें आकर्षित तथा अनोखे लगते हैं।

  • महत्वपूर्ण लोग –

समाचार पत्र में महत्वपूर्ण लोगों को भी शामिल किया जाना चाहिए उनके जीवन लाइफ़स्टाइल आदि को पत्र में जगह देना चाहिए समाज ऐसे लोगों से सीधे जुड़ पाता है।

यह समाचार पत्र की सार्थकता सिद्ध करता है।

 

५ प्रश्न – समाचार के संदर्भ में डेडलाइन से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर – समाचार पत्र में नवीनता की मांग सदैव रहती है। अतः अखबारों में नवीन खबरों को समाहित करने के लिए रात्रि 12:00 बजे का समय तय है। इस डेड लाइन से पूर्व सभी समाचार का संग्रह किया जाता है , ताकि अगले दिन प्रातः उन खबरों को जनता तक पहुंचाया जा सके।

६ प्रश्न – संपादन के मुख्य सिद्धांत कौन-कौन से हैं ?

उत्तर – संपादन की सफलता उसके महत्वपूर्ण बिंदुओं पर निर्भर करती है जो निम्नलिखित हैं-

  • निष्पक्षता –

पत्रकार को समाचार लेखन करते समय निष्पक्ष भाव से कार्य करना चाहिए। उसकी विचारधारा चाहे जो हो , किंतु समाचार लेखन कार्य करते समय उसका निष्पक्ष रहना ही पत्र की सफलता है। निष्पक्ष ना होने पर एक वर्ग उस पत्र से दूरी बना लेगा , जो पत्र तथा समाज के लिए उचित नहीं है।

  • तथ्यों की शुद्धता –

किसी भी विषय को पत्र में शामिल करने से पहले उन तथ्यों की जांच की जानी चाहिए।

जानकारी कितने शुद्ध है , उसकी पुष्टि किए बिना समाचार लिखना सर्वथा निरर्थक है। सफल पत्रकार को चाहिए किसी भी घटना की पहले पुष्टि करें , उसके बाद ही विचार करें।

  • वस्तुपकता –

किसी भी घटना या साक्ष्य को पत्रकार स्वयं के मन-मस्तिष्क से विचार ना करते हुए , उसकी शुद्धता और उसकी वास्तविकता को ही प्रकट करना चाहिए।

  • संतुलन –

सफल पत्रकार वही है , जो घटना तथा तथ्यों के बीच संतुलन बनाकर रखता है।

टकराव की स्थिति में वह स्थिरता से कार्य करता है। उसके विवेक पर समाचार की सफलता निर्भर करती है। अतः टकराव की स्थिति में संतुलन बनाए रखना पत्रकार की सफलता है।

किसी भी प्रकार से पक्ष विपक्ष से पत्रकार को बचना चाहिए।

  • स्रोत –

घटने वाली घटना का क्या जरूरत है उसकी जानकारी पत्रकार के पास होनी चाहिए। भविष्य में उसे उन घटनाओं के स्रोत की जानकारी भी उपलब्ध करानी चाहिए।

७ प्रश्न – वस्तुपकता एवं तथ्यपरकता में क्या अंतर है ?

८ प्रश्न – पत्रकार के लिए निष्पक्ष होना क्यों आवश्यक है ?

९ प्रश्न – पत्रकारिता कितने प्रकार की होती है ? उसके नाम लिखिए।

१० प्रश्न – पीत पत्रकारिता क्या है ?

११ प्रश्न – न्यूज़ का क्या अर्थ है ? संपादकीय नीति से क्या अभिप्राय है ?

१२ प्रश्न – फोटो पत्रकारिता का क्या महत्व है ?

उत्तर – माना जाता है हजार शब्द जिस विचार को प्रकट नहीं कर सकते उस विचार को एक फोटो प्रकट कर देता है।  अतः एक फोटो हजारों हजार शब्दों की प्रतीति है। समाचार पत्र में फोटो को समाचार की अभिव्यक्ति के लिए शामिल किया जाता है। फोटो को देखकर पाठक अपने मन में एक ऐसी संकल्पना बना देता है , जिससे वह खबरों के और निकट आ जाता है।

१३ प्रश्न – स्टिंग ऑपरेशन का क्या आशय है ?

उत्तर – समाचार में स्टिंग ऑपरेशन का खासा महत्व है , यह किसी अहम जानकारी को उजागर करने के लिए किया जाता है। सरकार या गैर कानूनी रूप से हो रहे कार्य जिसे जनता आदि से छिपाकर किया जा रहा हो। उसको उजागर करने के लिए गुप्त रूप से ऑपरेशन किया जाता है जिसे स्टिंग ऑपरेशन आमतौर पर कहते हैं।

१४ प्रश्न – पत्रकारिता में विशेषज्ञता के प्रमुख क्षेत्र कौन-कौन से हैं ?

उत्तर – समाचार पत्र में विभिन्न विषयों को क्षेत्रों को समाहित किया जाता है। उसमें विशेष योग्यता रखने वाले पत्रकार कार्य करते हैं।

एक समाचार पत्र में विशेष योग्यता तथा विशेषज्ञता वाले संपादक कार्य करते हैं

उनका क्षेत्र –

  • कानून
  • कृषि
  • शिक्षा
  • व्यापार
  • वैश्विक समाचार ,
  • खेल आदि होते हैं।

यह पत्रकार इन क्षेत्रों में विशेषज्ञ के रूप से कार्य करते हैं।

१५ प्रश्न – वॉच डॉग पत्रकारिता का क्या तात्पर्य है ?

१६ प्रश्न – एक सफल पत्रकार को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

१७ प्रश्न – पत्रकार की बैसाखी किन्हें माना जाता है ?

१८ प्रश्न – समाचार किसे कहा जाता है ? समाचार के तत्व पर प्रकाश डालिए।

१९ प्रश्न – संपादन के सिद्धांतों पर प्रकाश डालिए।

२० प्रश्न – पत्रकारिता के अन्य आयाम बताइए।

  • पीत पत्रकारिता

यह पत्रकारिता सनसनी फैलाने का कार्य करती है। पीत पत्रकारिता में अखबार अफवाहों , व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोपों , प्रेम संबंधों , भंडाफोड़ और फिल्मी गप-शप को समाचार की तरह प्रकाशित करते हैं।

  • पेज थ्री

इसमें फैशन , अमीरों की पार्टी , महफिलों और जाने-माने लोगों के निजी जीवन के बारे में बताया जाता है। यह आमतौर पर पृष्ठ तीन पर प्रकाशित होती है।  इसलिए इसे पेज थ्री पत्रकारिता कहते हैं।

आजकल इसकी पृष्ठ संख्या अलग भी हो सकती है।

  • डेडलाइन

समाचार माध्यमों में किसी समाचार को प्रकाशित या प्रसारित होने के लिए पहुंचने की आखरी समय सीमा को डेटलाइन कहते हैं।

  • न्यूज़पेग –

किसी मुद्दे पर लिखे जा रहे लेख या फीचर में उसे नवीनतम घटना का उल्लेख जिसके कारण वह मुद्दा चर्चा में आ गया हो।

 

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निष्कर्ष –

समग्रतः कहा जा सकता है कि पत्रकारिता का क्षेत्र आज व्यापक और विस्तृत हो गया है। इसका पाठक वर्ग सभी वर्ग से संबंधित है , पूर्व समय में जहां समाचार का पाठक मध्यमवर्गीय या उच्च वर्गीय हुआ करता था।

आज ऐसा कोई आग्रह नहीं रहा है।

अर्थात समाचार को पढ़ने वाला एक सामान्य व्यक्ति भी हो सकता है।

वह व्यक्ति भी हो सकता है जिसे हल्की-फुल्की जानकारी हो।

वह अशिक्षित व्यक्ति भी समाचार में रुचि ले सकता है जो चित्रों को देखने और समझने की कला जानता हो। ऐसे दौर में समाचार लेखन का महत्व और बढ़ जाता है , क्योंकि समाज समाचार से जुड़ा हुआ है। पत्रकार को सदैव अपने तय किए गए मानदंडों के अनुरूप ही कार्य करना चाहिए।

उसकी अवहेलना करने पर समाचार की सत्यता और उसके मानदंडों की क्षति होती है।

समाचार लेखन का क्षेत्र व्यापक है , इस क्षेत्र में विद्यार्थी अपना कैरियर बना सकते हैं।

समाचार लेखन में विशेषज्ञता हासिल करना उस क्षेत्र से संबंधित पत्र की कुशलता का द्योतक है। आज समाचार के विषय खेल , आर्थिक , राजनीतिक , सांस्कृतिक , साहित्यिक आदि तक फैले हुए हैं।

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