यहां आप अव्यय की परिभाषा, भेद, और उदाहरण आदि का विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे। साथ ही कुछ प्रश्न उत्तर के अभ्यास से अपने जानकारी को पुख्ता करेंगे।
इस लेख के अध्ययन उपरांत आप स्वयं अव्यय शब्दों का निर्माण करेंगे तथा अपने साथियों को भी समझा सकेंगे।
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण एवं क्रिया विकारी शब्द होते हैं। जिनपर लिंग,वचन एवं कारक का प्रभाव होता है। इनके कारण संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण एवं क्रिया का स्वरूप बदलता रहता है।
अतः इन्हें विकारी या परिवर्तनीय शब्द कहा जाता है।
इसके अतिरिक्त हिंदी में ऐसे शब्द भी है जो लिंग,वचन एवं कारक पर कोई प्रभाव नहीं डाल पाते। लिंग,वचन एवं कारक बदलने पर भी यह शब्द यथास्थिति में रहते हैं। ऐसे शब्द को ही अव्यय/अविकारी शब्द कहते हैं।
अव्यय की परिभाषा
अव्यय का अर्थ है अ+व्यय अर्थात ना खर्च होने वाला। अतः अव्यय शब्द वह होते हैं जो लिंग,वचन,पुरुष एवं काल की दृष्टि से कोई परिवर्तन नहीं होता। इन्हें अविकारी अर्थात ना परिवर्तन होने वाले शब्द भी कहा जाता है।
जैसे-
- बालक दिनभर पढ़ता है
- बालिका दिनभर पडढती है।
- बालक एवं बालिका है दिनभर पड़ती है।
- बालक एवं बालिकाओं ने दिनभर पढ़ा।
- बालकों को दिनभर पढ़ने दो
- मैं दिनभर पढ़ता हूं
- वह दिनभर पढ़ते हैं।
उपर्युक्त वाक्यों में देखें तो ‘दिनभर’ शब्द का बार बार प्रयोग हुआ है। जिसमें लिंग,वचन,पुरुष कारक आदि शब्दों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। अर्थात ‘दिनभर’ शब्द में किसी प्रकार का परिवर्तन देखने को नहीं मिलता। आतःयह अव्यय या अविकारी शब्द कहे जाएंगे।
अव्यय शब्द के पांच भेद माने जाते हैं –
- क्रिया विशेषण ( Adverb )
- संबंधबोधक ( Preposition )
- समुच्चयबोधक ( Conjunction )
- विस्मयादिबोधक ( Interjection )
- निपात ( Nipat )
अव्यय के भेद
1. क्रिया विशेषण
क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्दों को क्रिया विशेषण कहते हैं जैसे –
- मोहन अच्छा लिखता है (रीति)
- विद्यालय अभी दूर है (स्थान)
- गीता प्रतिदिन पढ़ती है
- उसे थोड़ी देर सोचने दो
उपर्युक्त पदों में ध्यान से देखें तो रीति,स्थान,परिणाम आदि क्रिया की विशेषता को बता रहे हैं।
क्रिया के साथ कहां,कब,कैसे,कितना आदि के साथ प्रश्न करने पर अविकारी शब्द उत्तर में आते हैं वह क्रिया विशेषण होते हैं। जैसे –
- रमा कहां गई ? – अंदर,बाहर,ऊपर,नीचे – स्थान
- सोहन कितना बोलता है? – बहुत,कम, थोड़ा, ज्यादा – परिणाम
- लता कब आएगी ? – कल,आज, अभी, तुरंत – समय
- तुम कैसे चलते हो ? -धीरे-धीरे, तेज – रीति
क्रियाविशेषण के भेद
क्रिया विशेषण के चार भेद है
- कालवाचक क्रिया विशेषण Adverb of Time
- स्थान वाचक क्रिया विशेषण Adverb of Place
- परिमाणवाचक क्रिया विशेषण Adverb of Quantity
- रीतिवाचक क्रिया विशेषण Adverb of Manner
१ कालवाचक क्रिया विशेषण Adverb of Time
क्रिया के होने का समय बताने वाले क्रिया विशेषण,कालवाचक क्रिया विशेषण कहलाते हैं।
- तुम कब आ रहे हो
- पानी निरंतर बह रहा है
- फिर कभी चलेंगे
- वह दिनभर खेलता रहता है
- वह कल सवेरे लखनऊ जाएगा
- राजू प्रतिदिन अभ्यास करता है।
- वह कोलकाता से अभी-अभी आया है
इसके अंतर्गत
समय वाचक – आज,कल, परसो, अब, तब, जब, कब, अभी, कभी, सवेरे, दोपहर, शाम, पहले, पीछे, आदि
अवधी वाचक – दिनभर, रातभर, सालभर, हमेशा, सदा, शाम तक, कभी-कभी, निरंतर आदि
पुनः पुनः वाचक – बार-बार, प्रतिदिन, हर समय, कई बार, हरसमय ,प्रायः , फिर, घड़ी घड़ी ,बहुधा आदि
इन शब्दों का प्रयोग क्रिया के समय तथा काल को बताने के लिए किया जाता है।
२ स्थान वाचक क्रिया विशेषण Adverb of Place
स्थान वाचक क्रिया विशेषण क्रिया के स्थान या निश्चित स्थिति का बोध कराता है। उसकी विशेषता से अवगत कराता है। जैसे –
- वह बाहर खड़ा है
- राम ऊपर बैठा है
- तुम इधर उधर मत जाओ
- माताजी बाहर गई है
- वह भीतर है
- उस तरफ मत जाओ
- यहां से वहां तक पानी ही पानी है
- बाहर बैठो
- इधर-उधर मत खड़े हो
- भीतर जाकर बैठिए
- यहां से चले जाइए
- किधर जा रहे हो।
स्थितिवाचक – आगे, पीछे, ऊपर, नीचे, पास, दूर, भीतर, बाहर, यहां, वहां, सर्वत्र आदि
दिशावाचक – इधर, उधर, दाहिने, बाएं, की तरफ, की ओर, के चारों ओर आदि
३ परिमाणवाचक क्रिया विशेषण Adverb of Quantity
क्रिया की मात्रा या परिमाण का ज्ञान कराने वाले क्रिया विशेषण को परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।
यह पांच प्रकार के होते हैं-
- अधिकतमवाचक –बहुत, अधिक, अत्यंत, खूब, भारी, बिल्कुल आदि।
- न्यूनतमवाचक – कुछ, कम, तनिक, प्रायः, जरा, थोड़ा आदि।
- तुलनावाचक – कितना, जितना, उतना, कम से कम, अधिक से अधिक, बढ़कर आदि।
- श्रेणीवाचक – थोड़ा-थोड़ा, क्रम से, तिल तिल करके, एक-एक करके आदि।
- पर्याप्तवाचक – केवल, ठीक, काफी, बस आदि
- थोड़ा खेल भी लिया करो
- कम बोला करो
- खूब खाया करो
- थोड़ा-थोड़ा अभ्यास कीजिए
- वह अधिक बोलता है
- ज्यादा लालच बुरी बला है
- कम बोलो अधिक पढ़ो
- थोड़ा खाओ
- सुशील बहुत अच्छा लिखता है
४ रीतिवाचक क्रिया विशेषण Adverb of Manner
जो क्रिया विशेषण शब्द क्रिया के होने की रीति की विशेषता का बोध कराते उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे-
- मैं ध्यान पूर्वक सुन रहा हूं
- गाड़ी तेज चल रही है
- राकेश भली-भांति रह रहा है
- वह चुपके से खा रहा है
- मोहन तेज दौड़ता है
- वह अवश्य आएगा
- शायद वह नहीं जाएगा
- शोर मत करो
- आप कब तक रुकेंगे
प्रकार के अर्थ में – सा, अचानक, यथाशक्ति, सहसा, धीरे-धीरे, अकस्मात, आप ही आप , एकाएक ,जैसा
निश्चय के अर्थ में – सचमुच, यथार्थ में, जरूर, अवश्य, बेशक, निसंदेह, दरअसल आदि
निश्चय के अर्थ में – यथासंभव, संभवत, शायद ,कदाचित ,बहुत करके मुमकिन है आदि
स्वीकार के अर्थ में – हां, जी, ठीक, अच्छा, सच, बिल्कुल ठीक, जरूर आदि
कारण के अर्थ में – क्योंकि, अतः ,अतएव , के निमित्त , के उद्देश्य से , किस लिए आदि
निषेध के अर्थ में – ना ,नहीं, मत, ना आदि
प्रश्न के अर्थ में – कैसे, क्यों आदि।
2. सम्बन्धबोधक अव्यय
वे अविकारी शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ आकर उनका संबंध वाक्य तथा अन्य शब्दों के साथ जोड़ देते हैं जैसे –
- वह डर के मारे कापता है
- राम अपने भाई के साथ जायेगा
- धन के बिना व्यक्ति का जीवन व्यर्थ है
- रेलगाड़ी पटरी पर चलती है।
- घर के भीतर जाओ
- अध्यापक ग्लोबल वार्मिंग के बारे में पढ़ाएंगे
उपर्युक्त शब्द के बिना ,के मारे, के भीतर, आदि का संबंध पूरे वाक्य से जुड़ रहा है। अतः सभी संबंधबोधक अव्यय है।
अगर इन अव्यय को वाक्य से हटा दिए जाएं तो वाक्य अर्थहीन हो जाता है।
अतः यह सभी अव्यय शब्द संज्ञा तथा सर्वनाम के साथ जुड़कर वाक्य को सार्थक बनाते हैं।
संबंधबोधक अव्यय के भेद –
संबंधबोधक अव्यय दो प्रकार के माने जाते हैं १ सामान्य संबंधबोधक २ विभक्तियुक्त संबंधबोधक।
१ सामान्य संबंधबोधक –
जिस पद में संबंधबोधक विभक्ति रहित होते हैं उन्हें सामान्य संबंधबोधक अव्यय कहते हैं। जैसे –
- ज्ञान के बिना जीवन व्यर्थ है
- मोहन साहित्य पढ़ रहा है
- मै घर से विद्यालय जाने के लिए निकला था।
- वह रामभरोसे जीवन भर काम करता रहा
- राधा पूर्व दिशा की और गई थी
२ विभक्तियुक्त संबंधबोधक
जिस पद में कारक चिन्ह विभक्ति के साथ संबंधबोधक प्रयोग किए जाते हैं। वह विभक्तियुक्त संबंधबोधक कहे जाते हैं। जैसे –
- मेरे घर के निकट बगीचा है
- मेजर ने देश के लिए सर्वस्व न्यौछावर कर दिया
- राम के अलावा सब आ गए।
- बस की जगह कार से गए।
- भोजन के संग सलाद खाना लाभकारी होता है।
- विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है की वह अपना सर्वांगीण विकास करे।
- आज दाल के बगैर चावल बना।
- माँ के खातिर आज मंदिर गया।
- डर के मारे हाँथ पांव कपङे लगा।
संबंधबोधक अव्यय के प्रकार-
- कालवाचक – आगे ,पीछे ,के पूर्व ,के पश्चात ,के पहले, के बाद, के अंतर आदि।
- स्थानवाचक – के पीछे ,के निकट ,के पास ,के दूर, के ऊपर ,के नीचे, के पीछे आदि।
- तुलनावाचक – की अपेक्षा , के आगे।
- साधनवाचक – के सहारे , के द्वारा ,के जरिए।
- दिशावाचक – की तरफ ,के आर पार ,के प्रति ,के पार, की ओर ,के सामने, के आसपास आदि।
- कारणवाचक – के आगे, के मारे ,के कारण।
- संबंधवाचक – के संग , के साथ ,के समेत।
- उद्देश्यवाचक – की खातिर ,के निमित्त ,के लिए, के हेतु।
- व्यतिरेकवाचक – के अलावा , के बगैर, के अतिरिक्त, के सिवाय
- लेनदेनसूचक – की जगह पर, के बदले
- समानतासूचक – की तरह, के बराबर, के तुल्य, के समान ,के अनुसार
- विरोधदर्शक – के उल्टा, के प्रतिकूल, के खिलाफ ,के विपरीत
- संग्रहसूचक – तक ,पर्यंत, भर।
संबंधबोधक अव्यय और क्रिया विशेषण में क्या अंतर है?
स्थान वाचक तथा कालवाचक अवयव शब्द क्रिया विशेषण तथा संबंधबोधक दोनों होते हैं किंतु प्रयोग की दृष्टि से दोनों में भिन्नता होती है जब संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ इनका प्रयोग किया जाता है तो यह संबंधबोधक होते हैं किंतु जब प्रिया के साथ विशेषण ओं की तराइन का प्रयोग किया जाता है तो यह क्रिया विशेषण के रूप में परिवर्तित होते हैं जैसे –
क्रिया-विशेषण | संबंधबोधक |
उसके पास एक कार है | मेरे भाई के पास एक कार है |
कोई खेल रहा है | राम खेल रहा है |
सामने कोई खड़ा है | मेरे घर के सामने एक बगीचा है |
मोहन घर के अंदर हे | मोहन घर के अंदर बैठा किताब पढ़ रहा हे |
झंडा ऊपर लगा हे | मेरे ऊपर किताब गिरा |
पहले खा लो | खाने से पहले पि लो |
3. समुच्चयबोधक अवयव ( Conjunction )
जहां दो शब्दों में भेद करने ,वाक्यांशों को अलग करने तथा वाक्यों को तोड़ने वाले अव्यय प्रयोग किए जाते हैं ,वह समुच्चयबोधक कहे जाते हैं।यह योजक भी कहे जाते हैं। जैसे –
- महाराणा प्रताप ने कहा कि कल वह स्वयं युद्ध की कमान संभालेंगे।
- यदि जाना कहते हो तो समय से जाओ
- मोहन ने पूरे वर्ष पढ़ाई नहीं की इसलिए फेल हो गया
- राम और श्याम एक कक्षा में पढ़ते हैं
- धीरे बोलो ताकि कोई सुन न ले।
- अभी पढ़ाई करो अन्यथा पछताना पड़ेगा
- चाहे आओ चाहे जाओ
- खूब पढ़ाई करने पर भी नौकरी नहीं मिली।
उपर्युक्त वाक्यों को पढ़कर स्पष्ट होता है कि उसमें प्रयोग किए गए अव्यय के कारण वाक्यों का दो भाग हो जाता है जो एक-दूसरे पर आश्रित है।
समुच्चयबोधक अव्यय के भेद
समुच्चयबोधक के प्रमुख दो भेद माने गए हैं 1 समानाधिकरण समुच्चयबोधक 2 व्यधिकरण समुच्चयबोधक।
1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक
जो समुच्चयबोधक अव्यय शब्द वाक्यों को एक-दूसरे से जोड़ते हैं तथा स्वतंत्र शब्दों या वाक्य को संयुक्त करने या जोड़ने की क्षमता रखते हो , जिससे एक संयुक्त वाक्य का निर्माण हो सके। वहां समानाधिकरण समुच्चयबोधक माना जाता है। जैसे –
- सीता,गीता और रीता खेल रही है
- कुछ लड़के पढ़ रहे थे ,कुछ खेल रहे थे।
- मन लगाकर पढ़ो ताकि प्रथम आओ।
- राम और लक्षमण भाई थे।
उपर्युक्त वाक्य में और, कुछ अव्यय शब्द का प्रयोग हुआ है जो दोनों शब्दों तथा वाक्य को जोड़कर एक संयुक्त वाक्य बनाने की क्षमता रखते हैं समुच्चयबोधक अव्यय है।
समानाधिकरण समुच्चयबोधक के चार भेद है
१ संयोजक २ विभाजक ३ विरोधबोधक ४ परिणामबोधक ।
१ संयोजक-
जो समानाधिकरण समुच्चयबोधक दो शब्दों अथवा वाक्यांशों का मुख्य वाक्यों में मेल कराता हो उन्हें संयोजक कहते हैं। जैसे –
- सूरदास और तुलसीदास हिंदी के महाकवि माने गए हैं।
- महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा का संदेश दिया
- मोहन खेल रहा है तथा रोहन पढ़ रहा है।
२ विभाजक –
जो समानाधिकरण समुच्चयबोधक एक ही श्रेणी के दो या अधिक प्राणियों वस्तुओं आदि में से किसी एक के ग्रहण या त्याग का बोध कराते हुए , दो उपवाक्यों को जोड़ते हैं। जैसे –
- यह फोन रमेश का है या सुरेश का
- ना उसने कुछ कहा ना मैंने कुछ बोला
- तुम चलोगे या मैं जाऊं
- अगर खाने पीने पर ध्यान दिया होता तो बीमार नहीं होते।
३ विरोधबोधक –
जो समानाधिकरण समुच्चयबोधक दो शब्दों में से विरोधी होने के कारण एक का निषेध करते हैं ,उन्हें विरोधबोधक कहते हैं जैसे –
- अगर तुम चुप रहना होगा वरना झगड़ा हो जाएगा
- विद्यालय का गेट बंद हो गया परंतु मैं समय से नहीं पहुंच सका
- वक्ता मंच का संचालन ही नहीं करते अपितु मनोरंजन भी करते हैं
- सूरदास एक महाकवि ही नहीं अपितु भक्त भी थे।
४ परिणामबोधक –
जो समानाधिकरण समुच्चयबोधक दो उपवाक्यों को जोड़ते हैं तथा दूसरे उपवाक्य के परिणाम का बोध कराते हैं , उन्हें परिणामबोधक कहते हैं। जैसे –
- आपने कहा था इसलिए मैंने यह कार्य किया
- कल मैं देर तक सोऊंगा। अतः मुझे कोई ना जगाए।
2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
जो समुच्चयबोधक शब्द एक प्रधान उपवाक्य में एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य को जोड़ते हैं , उन्हें व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं जैसे –
- यदि वह मेहनत करता तो अवश्य सफल हो जाता।
- वह जल्दी चला गया ताकि ट्रेन पकड़ सके।
- उसकी बोली मानो सुल के समान हो
- पिताजी की आज्ञा थी इसलिए में चला गया।
व्यधिकरण समुच्चयबोधक के तीन भेद हैं – १ कारण बोधक २ संकेत बोधक ३ उद्देश्य बोधक।
१ कारण बोधक –
जो वाक्यों के उपवाक्यों में कार्य का बोध कराते हैं उन्हें कारण बोधक कहते हैं। जैसे –
- मैं देर से स्कूल पहुंचा क्योंकि स्कूल बस निकल गई थी।
- वह गरीब है इसलिए ट्यूशन नहीं लगा सकता।
२ संकेत बोधक –
संकेत या शर्त प्रकट करने वाले व्यधिकरण समुच्चयबोधक संकेतबोधक कहलाते हैं। जैसे –
- यदि तुम यहां आओ तो कोई सामान मत लाना
- यदि वह स्वस्थ है तथापि पढ़ाई में कमजोर है।
३ उद्देश्यबोधक –
जिन व्यधिकरण समुच्चयबोधक शब्दों के बाद आने वाले वाक्य अपने से पहले वाक्य का उद्देश्य प्रकट करते हैं। जैसे –
- मैं ठीक प्रकार से गाड़ी चलाना नहीं सीखा इसलिए गाड़ी नहीं चलाता
- उसे इतना डरा दो जो हमारे विरुद्ध कुछ ना कहें
- मैंने अच्छी तरह तैयारी नहीं की थी इसलिए परीक्षा नहीं दी।
4. विस्मयादिबोधक अवयव ( Interjection )
विस्मयादिबोधक शब्द वह होते हैं जहां विस्मय ,आश्चर्य, हर्ष,घृणा , सुख, दुख,आदि मनोभावों का बोध होता हो। जैसे –
- वाह कितना सुंदर घर है
- शाबाश बहुत सुंदर प्रदर्शन किया
- हाय कितनी कोमल है
- अरे वाह! कितना सुन्दर लिखा है
- बाप रे! इतना बड़ा हाथी।
- हे भगवान! ऐसा क्यों किया।
मनोभाव | विस्मयादिबोधक अव्यय |
विस्मयादिबोधक/आश्चर्यजनक | क्या! ओह! अरे! |
हर्षबोधक | आह! वाह! ओह! क्या खूब! शाबाश! बहुत खूब! |
शोकबोधक/ पीड़ा/ ग्लानि | आह! हाय! ओह माँ! हाय राम! हाय-हाय! उफ़! |
तिरस्कार/घृणा | छि ! छि-छि! हट! धिक्! धत! |
स्वीकृतिबोधक | अच्छा! जी हाँ! बहुत अच्छा! हाँ-हाँ! |
सम्बोधन | अरे! ओ! एजी! हे! |
चेतावनी | होशियार! हटो! खबरदार! सावधान |
संवेदना | राम-राम! हाय! तोबा-तोबा! |
5. निपात
वह अव्यय जो किसी शब्द या पद के बाद अलग कर उसके मूल अर्थ को विशेष प्रकार का बल प्रदान करते हैं ,उन्हें निपात या अवधार कहते हैं। जैसे –
- ही – श्याम ही स्कूल जाता है। माताजी कल ही मुंबई गई थी। सचिन दिल्ली में ही रहता है। वह रोटी ही खाता है। वह चाय ही पीता है।
- भी – सचिन भी रोटी खाता है। मैं भी विद्यालय जाऊंगा। वह क्रिकेट ही नहीं कबड्डी भी खेलता है।
- तो – मैंने वह कार्य कर तो दिया था। राम पढ़ता तो है। कुछ देर सांस तो लेने दो।
- तक – मैंने संदेश भेजा था तुम तक पहुंचा होगा। तुमने तो याद तक नहीं किया। गुस्से में कुछ खाया तक नहीं गया।
- मात्र – उन्नति का मार्ग मात्र शिक्षा है। परीक्षाएं शुरू होने में मात्र 1 दिन है। उसके पास मात्र ₹100 हैं। विद्यालय की फीस मात्र ₹1000 है।
- भर – उसके एहसान को जीवन भर नहीं भूलूंगा। जो चार अक्षर भर पढ़ लेता है वह कभी पराजित नहीं होता। मैंने उसे देखा भर था।
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निष्कर्ष
उपर्युक्त अध्ययन से हमने पाया क्रिया की विशेषता को बताने वाले शब्द क्रिया विशेषण कहलाते हैं। इसका विस्तृत रूप से हमने अध्ययन उदाहरण तथा परिभाषा प्राप्त किया।
आशा है इसके अध्ययन से आप की ज्ञान की वृद्धि हो सकी हो तथा इस विषय में आपके समझ का विकास हुआ हो।
फिर भी किसी प्रकार के प्रश्न के लिए आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकते हैं।
अव्यय की विस्तार से जानकारी देने के लिए आपका धन्यवाद।