इस लेख में आप कर्मधारय समास की परिभाषा, भेद, उदाहरण, आदि का विस्तार पूर्वक अध्ययन करेंगे। साथ ही समास की जानकारी भी हासिल करेंगे।
यह लेख कठिनाई स्तर को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। जहां विद्यार्थी कर्मधारय समास में कठिनाई महसूस करते थे,उसे हमने सरल बनाने का प्रयास किया है। आशा है इस लेख को पढ़ने के बाद आप समास के प्रति अपनी जानकारी और रुचि को बढ़ा सकेंगे।
कर्मधारय का शाब्दिक अर्थ है कर्म को धारण करने वाला। अर्थात वह शब्द जिसमें किसी व्यक्ति पदार्थ आदि का कर्म प्रधान रूप से हो।
समास का शाब्दिक अर्थ है संक्षिप्तीकरण समास का यह एक भेद है।
कर्मधारय समास की परिभाषा
जिस समास पद में दोनों पदों का संबंध विशेषण-विशेष्य अथवा उपमेय -उपमान से हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
इसकी विशेषता यह भी है कि इसका उत्तर प्रद प्रधान होता है।
कर्मधारय समास का उदाहरण
समस्तपद | विग्रह | पूर्वपद | उत्तरपद |
महाराज | महान है जो राजा | महा (विशेषण) | राज (विशेष्य) |
भलामानस | भला है जो मानस | भला (विशेषण) | मानस (विशेष्य) |
नीलांबर | नीला है जो अंबर | नीला(विशेषण) | अंबर(विशेष्य) |
चंद्रमुख | चंद्रमा के समान मुख | चंद्र(विशेषण) | मुख(विशेष्य) |
नीलकंठ | नीला है जो कंठ | नीला(विशेषण) | कंठ(विशेष्य) |
कृष्णसर्प | कृष्ण है जो सर्व | कृष्ण(विशेषण) | सर्प(विशेष्य) |
देह लता | देव रूपी लता | देह (विशेषण) | लता(विशेष्य) |
कमलनयन | कमल रूपी नयन | कमल (विशेषण) | नयन(विशेष्य) |
विद्याधन | विद्या रूपी धन | विद्या(विशेषण) | धन(विशेष्य) |
कनक लता | कनक सी लता | यहाँ कनक (विशेषण) है | लता (विशेष्य) |
नीलगाय | नीली है जो गाय | नील(विशेषण) | गाय (विशेष्य) |
पितांबर | पीला है जो अंबर | पीत (विशेषण) | अंबर (विशेष्य) |
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निष्कर्ष
उपर्युक्त अध्ययन से हमने पाया कि कर्मधारय समास का संबंध तत्पुरुष के साथ नहीं अपितु स्वतंत्र है। कुछ विद्वानों ने कर्मधारय का संबंध तत्पुरुष से जोड़ा।इस समास के अंतर्गत विशेषण-विशेष्य उपमेय-उपमान का संबंध समस्त पद से होता है।
आशा है आपने इस समास का अध्ययन विस्तृत रूप से किया होगा और अपनी जानकारी को विकसित भी की होगी।
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