प्रस्तुत लेख में भयानक रस का विस्तृत लेख लिखा गया है। इस लेख के माध्यम से आप भयानक रस की परिभाषा, भेद, और उदाहरण, आलम्बन, उद्दीपन, अनुभाव तथा संचारी भाव का व्यापक अध्ययन कर पाएंगे।
इस लेख के माध्यम से आप भयानक रस से परिचित होंगे। अन्य रसों से यह रस किस प्रकार भिन्न है, इसका गहन अध्ययन कर पाएंगे। अंततोगत्वा आप अपने ज्ञान का विकास कर सकेंगे। यह लेख आपके ज्ञान तथा रुचि को बढ़ाते हुए अपने उद्देश्यों में पूर्ण हो , ऐसी अपेक्षा करते हुए लेख आरंभ करते हैं –
भयानक रस की परिभाषा तथा स्थायी भाव
स्थायी भाव – भय है
परिभाषा – किसी बलवान शत्रु या भयानक वस्तु को देखकर जो भय उत्पन्न होता है वही भयानक रस है।
इस रस को लेकर भी आचार्यों में पर्याप्त मतभेद है। यहां तक कि कई आचार्यों ने हनुमान जी द्वारा किए गए लंका दहन के दृश्य को भी भयानक रस में नहीं माना है। उनका मानना है कि भयानक रस वहां सिद्ध होता है जहां स्थायी भाव चीर समय तक भय के रूप में हो।
भयानक रस का आलम्बन, उद्दीपन, अनुभाव तथा संचारी भाव
आलंबन –
पाप या पाप कर्म , सामाजिक तथा अन्य बुराइयां , हिंसक जीव जंतु , प्रबल अन्यायकारी व्यक्ति , भयंकर अनिष्टकारी वस्तु , देवी संकट , भूत – प्रेत आदि।
उद्दीपन –
आश्रय की असहाय अवस्था , आलंबन की भयंकर चेस्टाएं , निर्जीव स्थान , अपशगुन , आदि।
अनुभाव –
हाथ – पांव कांपना , नेत्र विकराल होना , भागना , स्वेद , उंगली काटना , जड़ता , स्तब्धता , रोमांच , घिघि बंध जाना , मूर्छा , चित्रकार , स्वेद , विवरण , सहायता के लिए इधर-उधर देखना , शरण ढूंढना , दैन्य प्रकाशन , रुदन आदि।
संचारी भाव –
शंका , आवेद , अमर्ष , स्मृति , आशंका , स्मरण , घृणा , शोक , भ्रम , ग्लानि , चिंता , दैन्य , चपलता , किंकर्तव्यविमूढ़ , निराशा , आशा आदि।
भयानक रस व्यक्तिगत जीवन में घटित होने वाली घटनाओं से अछूता नहीं है।
इस रस के अंतर्गत पाप – पुण्य , बुराई , देवी संकट आदि यह सभी भयानक रस के आलंबन तथा संचारी भाव बनते हैं।
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भयानक रस के उदाहरण – Bhayanak ras examples
तीन बेर खाती थी वो तीन बेर कहती है।
व्याख्या –
प्रस्तुत पंक्ति में मुगल की रानियों के भय का वर्णन है , जो शिवाजी महाराज के भय से व्याकुल है जो इतनी डरी हुई है कि घास – फूस और फल खाने को मजबूर है।
गज की घटा न गज घटनी श्नेह साजे
भूषण भनत आयो से शिवराज को।
व्याख्या –
उपयुक्त पंक्ति में शिवाजी के भय से आतुर रानियां आपस में काली घटा को घिरते हुए देख बातचीत कर रही है। यह कोई काली घटा घेर के नहीं आ रही है , बल्कि यह शिवाजी अपनी सेनाओं के साथ आ रहे हैं। जिसके कारण पूरा आसमान लाल और काला नजर आ रहा है। यह उनके हाथियों की आवाज है जो हमें बादल की आवाज प्रतीत हो रही है।
उधर गरजती सिंधु लहरियां कुटिल काल के जालों सी
चली आ रही फैन उगलती फन फैलाए व्यालों सी।
व्याख्या –
प्रस्तुत पंक्ति जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई है।
जो भारत में सिंधु नदी की ओर से बढ़ रही आक्रांताओं की ओर इशारा किया गया है। उन्होंने इन पंक्तियों के माध्यम से उन गिद्धों और कुटिल चालों को जनमानस के सामने रखा है। जो भारत को लूटने और तबाह करने के लिए निरंतर बढ़ती जा रही है।
एक और अजगरहि लखि , एक और मृराय
विकल बटोही बीच ही , परयों मूर्छा खाए।
व्याख्या –
प्रस्तुत लेख के माध्यम से काल के बीच खड़े व्यक्ति का वर्णन है।
एक ओर से अजगर तथा दूसरी ओर शेर के बीच फंस गया है। उसके भय की स्थिति इस पंक्ति में प्रस्तुत की गई है। इन दोनों के बीच में फसा हुआ व्यक्ति भय से आतुर होता है और मूर्छा खाकर वहीं गिर जाता है।
पद पाताल सीस अजधामा , अपर लोक अंग अंग विश्रामा।
भृकुटि बिलास भयंकर काला , नयन दिवाकर कच धन माला।
व्याख्या –
प्रस्तुत पंक्ति में रावण की पत्नी मंदोदरी श्री राम को अपने स्वप्न में देखती है। जिनका पैर पाताल में और सिर आकाश में तथा उनके अंग अनेकों लोक में फैले हुए थे। ऐसा अद्भुत दृश्य देखकर व डर गई और रावण को उनसे बैर मोल न लेने की सलाह दे रही है।
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भयानक रस महत्वपूर्ण प्रश्न – Important Questions on Bhayanak ras
प्रश्न – भयानक रस का स्थायी भाव क्या है ?
उत्तर – स्थायी भाव भय है।
प्रश्न – रौद्र रस तथा भयानक रस में क्या अंतर है ?
उत्तर – रौद्र रस तथा भयानक रस में काफी समानता होते हुए भी सूक्ष्म अंतर है। रौद्र रस में जहां स्थायी भाव क्रोध है , वही भयानक रस में स्थायी भाव भय है। क्रोध और भय में सूक्ष्म अंतर है।
प्रश्न – रस कितने प्रकार के हैं ?
उत्तर – रस 9 प्रकार के हैं।
प्रश्न – रसराज किसे कहा गया है ?
उत्तर – श्रृंगार रस को।
प्रश्न – ऐसा कौन सा रस है जो व्यक्ति के साथ सीधा संबंध स्थापित कर लेता है ?
उत्तर – करुण रस।
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