अभिव्यक्ति और माध्यम किताब के मुख्य विषय जनसंचार माध्यम के बारे में आज हम पढ़ेंगे। सबसे पहले हम संचार विषय का बारीकी से अध्ययन करेंगे।
संचार व्यक्ति के जीवन को निरंतर सभ्य , शिक्षित बनाने का कार्य करता आया है।
पूर्व समय में भी व्यक्ति संचार के विभिन्न माध्यमों का प्रयोग किया करते थे। आज संचार के अनेक नए आधुनिक माध्यम आ गए हैं , किंतु मोटे तौर पर समझे तो संचार भावना तथा अभिव्यक्ति के आदान प्रदान करने की प्रक्रिया को कहते हैं।
संचार क्या है ? संचार ‘चर’ धातु से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है साथ साथ चलना अर्थात दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच सूचनाओं विचारों और भावनाओं के आदान-प्रदान को संचार कहते हैं। यह जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है , सभी जीव संचार करते हैं , परंतु मनुष्य बौद्धिक रूप से विकसित होने के कारण सर्वोत्तम संचार करता है। संचार माध्यमों के विकास में भौगोलिक दूरियां कम हो गई है , एक उंगली के स्पर्श से दूर बैठे अपनों से संचार कर सकते हैं।
सूचनाओं विचारों और भावनाओं को मौखिक, लिखित अथवा दृश्य – श्रव्य माध्यमों के द्वारा सफलतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाना ही संचार है। संचार एक प्रक्रिया है जिसमें सूचना देने वाले और पाने वाले दोनों की ही सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। एक के अभाव में भी यह संभव नहीं है , इस अर्थ में संचार अंतर क्रियात्मक (इंटरएक्टिव) प्रक्रिया है।
संचार के विभिन्न तत्व ( जनसंचार माध्यम और लेखन )
संचार के विभिन्न तत्व
- स्रोत – संचार प्रक्रिया को प्रारंभ करता है , व्यक्ति अपने संदेश या सूचना को अन्य तक पहुंचाना चाहता है वह स्रोत है।
- कूटीकृत या एन कोडिंग – संदेश की भाषा का ज्ञान संचारकर्ता व प्राप्तकर्ता दोनों को ही होनी चाहिए।
- संदेश – सफल संचार के लिए संदेश का स्पष्ट और सीधा होना आवश्यक है।
- माध्यम (चैनल) – संदेश को किस माध्यम (टेलीफोन , समाचारपत्र , रेडियो , इंटरनेट) से संदेश प्राप्तकर्ता तक पहुंचाया जाता है।
- डिकोडिंग – प्राप्त संदेश में निहित अर्थ को समझना।
- फीडबैक – फीडबैक के द्वारा पता चलता है कि संदेश सही रूप में प्राप्तकर्ता तक पहुंचा या नहीं।
- शोर – संचार प्रक्रिया में आने वाली रुकावटें शोर कहलाती है। शोर मानसिक , तकनीकी और भौतिक भी हो सकती है।
संचार के प्रकार
- सांकेतिक संचार – जब दो व्यक्ति आपस में इशारों के माध्यम से अपने भावनाओं को व्यक्त करते हैं अभिव्यक्ति करते हैं। उन्हें सांकेतिक संचार कहा जाता है।
- मौखिक और अमौखिक संचार – जब मुंह खोलकर , बोलकर संचार करें वह मौखिक और बिना मुख खोले बात समझाएं या बताएं तब वह अमौखिक संचार होता है।
- अंतः वैयक्तिक संचार – जब व्यक्ति अपने से बात करें अर्थात मन में प्रश्न करें और उत्तर भी दे वह अंतः व्यक्ति का संचार होता है।
- अंतर व्यक्तिक संचार – जब दो व्यक्ति आमने-सामने बैठकर संचार करें वह अंतर व्यक्ति का संचार कहलाता है।
- समूह संचार – जब एक समूह आपस में विचार विमर्श या चर्चा करें तो उसे समूह संचार कहते हैं।
- जनसंचार – जब हम समूह से यांत्रिकी या तकनीक के माध्यम से बात करते हैं तब उसे जनसंचार कहते हैं। यह माध्यम अखबार , रेडियो , टेलिविजन , सिनेमाघर या इंटरनेट कुछ भी हो सकता है।
संचार के कार्य
प्राप्ति , नियंत्रण , सूचना , अभिव्यक्ति , सामाजिक संपर्क , समस्या समाधान , प्रतिक्रिया और भूमिका को पूरा करने के लिए संचार का प्रयोग किया जाता है।
जनसंचार के कार्य
सूचना देना , शिक्षित करना , मनोरंजन करना , एजेंडा तय करना , निगरानी करना , विचारों की अभिव्यक्ति के लिए मंच उपलब्ध करना।
आधुनिक जनसंचार के माध्यम पाश्चात्य तकनीक से प्रेरित है , परंतु भारतीय इतिहास गवाह है कि देवर्षि नारद पहले समाचार वाचक माने जाते हैं। महाभारत काल में संजय की कल्पना जिसने युद्ध का आंखों देखा वर्णन धृतराष्ट्र को सुनाया था एक समृद्ध संचार व्यवस्था की ओर इशारा करता है।
जनसंचार के आधुनिक माध्यम
समाचार पत्र , पत्रिका , टेलीविजन , सिनेमा और इंटरनेट आदि।
जनसंचार की मजबूत कड़ी समाचार पत्र , पत्रिका या प्रिंट माध्यम है। यही समाचारों के आदान-प्रदान का मुख्य साधन माना जाता है। पत्रकारिता के तीन पहलू हैं – पहला समाचार को संकलित करना , दूसरा उन्हें संपादित कर छपने लायक बनाना , तीसरा पत्र या पत्रिका के स्वरूप में छाप कर पाठकों तक पहुंचाना।
संवादाता जो खबरें एकत्रित करके लाता है , उन्हें व्यवस्थित ढंग से छापने का काम संपादक करता है।
400 साल पहले ही अखबारी पत्रकारिता अस्तित्व में आई परंतु भारत में इसकी शुरुआत 1780 में जेम्स ऑगस्ट हिकी के बंगाल गजट से हुई। जो कोलकाता से निकला था हिंदी का पहला सप्ताहिक पत्र उदंड मार्तंड भी 1826 में कोलकाता से ही प्रकाशित हुआ। जिसका संपादन पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने किया था।
भारतेंदु जी ने बहुत सी पत्र – पत्रिकाएं निकालकर इस क्षेत्र में विशेष योगदान दिया।
स्वतंत्रता से पूर्व पत्रकारों में गणेश शंकर विद्यार्थी , माखनलाल चतुर्वेदी , प्रताप नारायण मिश्र , शिवपूजन सहाय , रामवृक्ष बेनीपुरी और बालमुकुंद गुप्त है।
प्रमुख पत्र पत्रिकाएं
केसरी , हिंदुस्तान , सरस्वती , हंस , कर्मवीर , प्रताप प्रदीप और विशाल भारत आदि है।
आजादी के बाद प्रमुख पत्रकारों में सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन , रघुवीर सहाय , धर्मवीर भारती , मनोहर श्याम जोशी , राजेंद्र माथुर आदि है।
समाचार पत्र –
- नवभारत टाइम्स ,
- जनसत्ता ,
- नईदुनिया ,
- अमर उजाला ,
- दैनिक जागरण आदि है।
पत्रिकाएं –
- धर्मयुग ,
- साप्ताहिक हिंदुस्तान ,
- दिनमान ,
- इंडिया टुडे और सप्ताहिक कादंबिनी है।
रेडियो ( जनसंचार के आधुनिक माध्यम )
रेडियो जनसंचार का श्रव्य माध्यम है , जो सर्वाधिक लोकप्रिय है।
1895 में इटली के जी मारकोनी ने वायरलेस की खोज की और उसी का रूपांतरण रेडियो है।
1921 में मुंबई में टाइम्स ऑफ इंडिया डाक तार विभाग की ओर से संगीत कार्यक्रम प्रकाशित हुआ।
1936 में ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना हुई ,
आज देश में लगभग 350 से अधिक निजी रेडियो स्टेशन का जाल बिछ गया है।
टेलिविजन ( जनसंचार के आधुनिक माध्यम )
यह दृश्य – श्रव्य माध्यम है। उसकी विश्वसनीयता सर्वाधिक है।
1927 में बेल टेलीफोन लैबोरेट्रीज न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन के बीच प्रायोगिक टेलीविजन कार्यक्रम का प्रसारण किया। 1936 में बी.बी.सी ने अपनी सेवा प्रारंभ की शुरुआत 15 सितंबर 1959 में हुई जिसका उद्देश्य शिक्षा के सामुदायिक विकास को प्रोत्साहित करना था।
15 अगस्त 1965 में स्वतंत्रता दिवस से विधिवत टेलीविजन सेवा प्रारंभ हुई।
1 अप्रैल 1976 से इसे आकाशवाणी से अलग कर दिया गया।
जनतंत्र को प्रबल बनाने में जहां समाज पुराने मूल्य टूटे हो और नए ना बन रहे हो दूरदर्शन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
सिनेमा ( जनसंचार के आधुनिक माध्यम )
मनोरंजन के साथ-साथ परोक्ष रूप में सूचना ज्ञान और संदेश देने का काम करता है। सिनेमा का आविष्कार का श्रेय थॉमस अल्वा एडिसन को जाता है। 1894 में फ्रांस में पहली फिल्म द अराइवल ऑफ ट्रेन बनी। भारत में पहली मूक फिल्म 1913 में राजा हरिश्चंद्र दादा साहब फाल्के द्वारा बनाई गई। 1931 में पहली बोलती फिल्म आलम आरा बनी , इस समय भारत विश्व का सबसे बड़ा फिल्म निर्माता देश है।
यहां हिंदी के अतिरिक्त क्षेत्रीय भाषा और बोली में भी फिल्में बनती है।
इंटरनेट ( जनसंचार के आधुनिक माध्यम )
इंटरनेट जनसंचार का सबसे आधुनिक और लोकप्रिय माध्यम है। रेडियो , टेलीविजन , किताब सिनेमा यहां तक कि इसमें पुस्तकालय के सारे गुण मौजूद है। यह एक अंतर क्रियात्मक माध्यम है। जिसमें प्रयोगकर्ता नहीं है , वह चर्चा बातचीत का एक हिस्सा होता है। इंटरनेट ने संचार की नई संभावनाएं जगा दी है , हमें विश्वग्राम का सदस्य बना दिया है। अश्लील पन्नों हुआ अपराधिक गतिविधियों के कारण इसके दुरुपयोग की घटनाएं सामने आने लगी है।
जनसंचार माध्यमों का प्रभाव
जनसंचार माध्यमों के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं। अखबार पढ़े बिना हमारी सुबह नहीं होती , रेडियो , टेलीविजन मनोरंजन के साथ-साथ समाचार ज्ञान विज्ञान बाजार भाव विज्ञापन देते हैं। इंटरनेट का प्रयोग शादी – विवाह के लिए टिकट बुक करवाने के लिए कोई बिल जमा कराने बैंक में काम घर से करने के लिए करते हैं ऐसा लगता है कि पूरी दुनिया नेट पर निर्भर है। सदुपयोग के साथ-साथ दुरुपयोग भी हो रहा है। नेट क्राइम बढ़ता जा रहा है , जहां सिनेमा , टीवी वास्तविकता से परे काल्पनिक दुनिया में पहुंचा देते हैं वहीं हुए अपराधों के नए-नए तरीके सिखा देते हैं।
हिंसा और अश्लीलता युवा वर्ग को प्रभावित करती है।
विज्ञापनों के जाल में मनुष्य फंस जाता है। अखबार और टेलीविजन चैनलों में कुछ खास मुद्दों को उछाला जाता है , कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि जहां एक और लोग शिक्षित सचेत और जागरूक हो रहे हैं वहीं नकारात्मक प्रभाव उन्हें भ्रमित पथभ्रष्ट और चरित्र पर प्रभाव डाल रहे हैं।
एक जागरूक पाठक श्रोता होने के नाते हमें आंखें , कान और दिमाग सदा खुले रहने चाहिए।
जनसंचार माध्यमों की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह भी है कि उसमें अनेक द्वारपाल गेटकीपर कार्य करते हैं। द्वारपाल का कार्य जनसंचार से प्रकाशित या प्रसारित होने वाली सामग्री को नियंत्रित एवं निर्धारित करना है। किसी जनसंचार माध्यम में काम करने वाले द्वारपाल ही निश्चित करते हैं कि वह किस प्रकार की सामग्री प्रकाशित व प्रसारित की जाएगी।
जनसंचार माध्यम प्रश्न उत्तर
प्रश्न – संचार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – संचार ‘चर’ धातु से बना है जिसका अर्थ है चलना अर्थात जो साथ साथ चले वह संचार है।
प्रश्न – फीडबैक क्या है ?
उत्तर – फीडबैक जनसंचार का एक प्रक्रिया है। जनसंचार करते समय हमें यह पुष्टि करने के लिए कि हमारा संदेश दूसरे व्यक्ति तक ठीक प्रकार से पहुंचा उसमें कोई त्रुटि या सुधार की आवश्यकता है , इसके लिए फीडबैक का सहारा लिया जाता है।
फीडबैक के द्वारा हम सुधार कर सकते हैं।
प्रश्न – जनसंचार में द्वारपाल की क्या भूमिका है ?
उत्तर – जनसंचार में द्वारपाल की संख्या बहुत अधिक होती है। वह किसी भी सूचना प्रकाशन आदि का पूरा दायित्व ग्रहण करते हैं। जनसंचार के लिए द्वारपाल की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
प्रश्न – द्वारपाल किसे कहते हैं ?
उत्तर – जनसंचार के क्षेत्र में द्वारपाल संपादक को कहते हैं। संपादक ही अपने अखबार में किसको छापना है किसको नहीं छापना है किसको कितना महत्व देना है इस प्रकार के महत्वपूर्ण निर्णय लेता है। और अपने पत्र पत्रिका समाचार आदि का सुचारू रूप से प्रकाशन कर पाता है।
प्रश्न – पहला समाचार वाचक किसे माना गया है ?
उत्तर – देवर्षि नारद को पहला समाचार वाचक माना गया है।
प्रश्न – भारत में पहली फिल्म बनाने का श्रेय किसको जाता है ?
उत्तर – भारत में पहला फिल्म बनाने का श्रेय दादा साहब फाल्के को जाता है।
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