प्रतिवेदन लेखन की पूरी जानकारी prativedan lekhan

इस लेख में प्रतिवेदन लेखन विषय पर संपूर्ण जानकारी है तथा समझने के लिए अंतिम में प्रारूप/नमूना भी दिया गया है।  इस प्रारूप को देखकर , पढ़कर आसानी से समझा जा सकता है।

विद्यार्थियों को प्रतिवेदन रिपोर्ट तथा अन्य लेखों के बीच भिन्नता स्पष्ट नहीं होती है। इन कठिनाई स्तर को पहचान करते हुए हमने इस लेख में विद्यार्थियों के समस्या को सुलझाने का प्रयास किया है। यह लेख प्रतिवेदन लेखन को स्पष्ट करने में पूर्ण रूप से सक्षम है।

परीक्षा की दृष्टि से आप इस लेख का अध्ययन कर सकते हैं।

प्रतिवेदन लेखन – Prativedan lekhan

प्रतिवेदन शब्द प्रति उपसर्ग और विद धातु के योग से बना है। इसका अर्थ है सम्यक अर्थात पूरी जानकारी। इस प्रकार प्रतिवेदन से अभिप्राय अनुभव से युक्त विभिन्न तथ्यों का विस्तृत लेखा-जोखा है।

प्रायः रिपोर्ट एवं प्रतिवेदन को समान अर्थ में ले लिया जाता है, किंतु प्रतिवेदन शब्द का अर्थ, स्वरूप और विषय वस्तु रिपोर्ट से काफी भिन्न है।

जैसे –

  • पुलिस को घटना की रिपोर्ट दी जाती है ,
  • डॉक्टर मरीज की रिपोर्ट पढ़ता है
  • संवाददाता समाचार के लिए रिपोर्ट लिखता है।

यहां पर रिपोर्ट का अर्थ सामान्य विवरण से है , जबकि प्रतिवेदन किसी घटना कार्य योजना इत्यादि का अनुभव और तथ्यों से परिपूर्ण विवरण है , जो लिखित रूप से प्रस्तुत किया जाता है। इसमें कार्य विशेष की जानकारी तो दी जाती है , साथ ही विभिन्न आंकड़ों आदि के माध्यम से निष्कर्ष सुझाव और संतुस्तियाँ भी दी जाती है।

औपचारिक प्रतिवेदन लेखन 

जब सरकार या किसी संस्था अथवा विशिष्ट अधिकारी के आदेश अनुसार किसी कार्य विशेष के बारे में प्रतिवेदन तैयार किया जाता है , उसे औपचारिक प्रतिवेदन लेखन  कहते हैं। इसका वस्तुनिष्ठ और तथ्यात्मक होना अनिवार्य है। औपचारिक प्रतिवेदन किसी व्यक्ति विशेष का अपना अध्ययन एवं निष्कर्ष है। समाचार पत्रों में इस प्रकार के प्रतिवेदन प्रकाशित होते रहते हैं , इसमें अकेला व्यक्ति ही उत्तरदाई होता है।

प्रतिवेदन लेखन के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना आवश्यक है

  1. रूपरेखा पहले बनानी चाहिए
  2. तथ्यों का संकलन
  3. विवेकपूर्ण, निष्पक्ष अध्ययन
  4. विचारों की प्रमाणिकता
  5. विषय केंद्रित अध्ययन
  6. सही निर्णय
  7. अनावश्यक विस्तार से बचें।

प्रतिवेदन महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

१ प्रश्न – प्रतिवेदन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – रिपोर्ट , घटना का ब्यौरा तथा प्रतिवेदन में काफी अंतर है। रिपोर्ट या ब्यौरा का दायरा सीमित होता है। डॉक्टर द्वारा रिपोर्ट दिया जाता है , पुलिसकर्मी अथवा संवाददाता द्वारा ब्यौरा प्रस्तुत किया जाता है। लेकिन प्रतिवेदन में व्यापक रूप से एक कमेटी का निर्माण होता है।

कुछ उद्देश्य या जांच का विषय निश्चित होता है।

उस विषय पर यह कमेटी सर्वांगीण रूप से जांच करती है और उसकी कमियों विशेषताओं को जांच में प्रकट करते हुए अपने सुझाव भी देती है। प्रतिवेदन पर कमेटी के सभी सदस्यों का नाम दायित्व तथा हस्ताक्षर होना अनिवार्य है।

सभी के मत प्रतिवेदन में वांछित हैं।

२ प्रश्न – प्रतिवेदन एवं रिपोर्ट में क्या अंतर है स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – प्रतिवेदन तथा रिपोर्ट में आधारभूत अंतर है। प्रतिवेदन में जहां एक कमेटी कार्य करती है और अपने जांच को विस्तृत रूप से करती है तथा सुधार के लिए अपने विचार प्रकट करती है। वही रिपोर्ट में इस प्रकार का आग्रह नहीं होता है। रिपोर्ट केवल जांच से संबंधित होती है , उसमें सुधार तथा कमियों का लिखा होना आवश्यक नहीं होता।

३ प्रश्न – प्रतिवेदन के संदर्भ में निष्कर्ष से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर – प्रतिवेदन में निष्कर्ष का होना बेहद आवश्यक है। निष्कर्ष के माध्यम से कमेटी द्वारा प्रस्तुत किए गए सुझाव का विस्तृत ब्यौरा मिल जाता है।  उसमें किस प्रकार का सुधार किया जा सकता है तथा किन कमियों को दूर करने से उसकी गुणवत्ता में सुधार हो सकता है यह सभी संकेत प्राप्त हो जाते हैं। निष्कर्ष देने वाले उस क्षेत्र के अनुभवी तथा विशेषज्ञ होते हैं इस कारण निष्कर्ष का होना प्रतिवेदन में लाभकारी सिद्ध होता है।

४ प्रश्न – एक अच्छा प्रतिवेदन प्रस्तुत करते समय किन-किन बातों पर ध्यान रखना चाहिए ?

प्रतिवेदन को बनाने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए –

  • रूपरेखा पहले से बनानी चाहिए –

किस विषय में और किन-किन क्षेत्रों पर अपनी जांच को ले जाना है , तथा उसमें किसका सहयोग है। इन सभी का विस्तृत रूपरेखा बनाना प्रतिवेदन की सफलता है।

  • तथ्यों का संकलन –

कमेटी या सदस्यों को चाहिए कि वह किन विषयों पर प्रतिवेदन तैयार कर रहे हैं , उनसे जुड़े सभी तथ्यों को संकलित कर अपने पास रखें तथा साक्ष्य भी जुटा कर रखें।

  • विवेक पूर्ण निष्पक्ष अध्ययन –

अध्ययन करते समय अपने मन मस्तिष्क को खोलकर चारों ओर से उसका अवलोकन करना चाहिए। किसी भी भावना से रहित कार्य करना चाहिए। पूर्वाग्रह से ग्रसित जांचकर्ता सटीक पर विश्वसनीय जांच नहीं कर सकता।

  • विचारों की प्रमाणिकता –

जांचकर्ता के विचार तथा उसके द्वारा सुझाव दिए गए अविश्वसनीय तथा प्रमाणिक होने चाहिए।

५ प्रश्न – प्रतिवेदन कितने प्रकार के होते हैं स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – प्रतिवेदन दो प्रकार के होते हैं औपचारिक जो सरकारी तथा संस्था के क्षेत्र में कार्य करती है तथा एक व्यक्तिगत होता है जिसमें व्यक्ति उसके लिए स्वयं उत्तरदायित्व होता है जैसे संवादाता।

प्रतिवेदन का प्रारूप

विद्यालय के शैक्षणिक विकास और उन्नति को ध्यान में रखते हुए प्रधानाचार्य ने एक समिति का गठन किया। जांच एवं अध्ययन के पश्चात समिति की ओर से प्रतिवेदन प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर –  विद्यालय के शैक्षिक विकास और उन्नति के लिए 20 सितंबर 2020 को विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री रामपाल यादव जी ने एक समिति का गठन किया था।

जिसमें निम्नलिखित सदस्य थे –

  • श्री शोभित लाल शिक्षाविद एवं सचिव
  • श्रीमती हेमलता वरिष्ठ शिक्षिका हिंदी सदस्य
  • श्री तरुण कुमार शारीरिक शिक्षक सदस्य
  • श्रीमती रजनी शर्मा वरिष्ठ अध्यापिका विज्ञान सदस्य
  • श्री रत्नेश कुमार वरिष्ठ अध्यापक गणित सदस्य

समिति ने इस दिशा में अध्ययन किया कि वर्तमान में विद्यालय का विकास एवं उन्नति इस गति से नहीं हो रहा है जैसी अपेक्षित थी। अ

ध्ययन के अनुसार निम्नलिखित क्षेत्रों में कार्य की स्थिति को सुधारने की आवश्यकता है –

  1. विद्यालय में मूलभूत सुविधाएं अथवा पीने के पानी , स्वच्छ शौचालय इत्यादि की उचित व्यवस्था की जाए।
  2. विद्यालय में कंप्यूटर शिक्षा का प्रावधान है परंतु शिक्षकों की कमी ने उसे अवरुद्ध कर दिया है।
  3. अतः यथाशीघ्र कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए।
  4. विद्यालय के पुस्तकालय एवं शारीरिक शिक्षा कक्षा में विद्यार्थियों के अनुरूप पुस्तकें एवं खेल सामग्री उपलब्ध कराई जाए तथा बच्चों से उनका समुचित उपयोग कराया जाए।
  5. छात्रों के विकास के लिए अभिभावकों से सतत संपर्क रखा जाए।
  6. नैतिक शिक्षा के वर्धन के लिए प्रार्थना सभा एवं सदन व्यवस्था के माध्यम से बच्चों को प्रेरित किया जाए।
  7. प्रत्येक तीन माह के पश्चात उपर्युक्त सुझावों की प्रगति की समीक्षा की जाए।

दिनांक – 20 सितंबर 2020

१ हस्ताक्षर सचिव –

२ हस्ताक्षर सदस्य –

३ हस्ताक्षर सदस्य –

४ हस्ताक्षर सदस्य –

५ हस्ताक्षर सदस्य –

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प्रतिवेदन लेखन निष्कर्ष

प्रतिवेदन किसी भी घटना या सूचना को आदि से अंत तक विस्तृत रूप से प्रकट करने की शैली है। कठिनाई का स्तर , रिपोर्ट एवं प्रतिवेदन में भिन्नता के समय आती है।

यह लेख रिपोर्ट पर प्रतिवेदन दो अलग-अलग रूप है इसको स्पष्ट करता है।

रिपोर्ट डॉक्टर , संवाददाता या पुलिस कर्मचारी के द्वारा भी हो सकती है।

किंतु प्रतिवेदन वही होता है जो पूर्ण रूप से जानकारी उपलब्ध कराने में सक्षम होता है।

पूरी जानकारी , योजना , जांच के सदस्य सुझाव , संतुस्ती आदि को प्रकट करता है , वह प्रतिवेदन की श्रेणी में आता है।

आशा है आप प्रतिवेदन विषय पर , अपने सभी संकोच तथा समस्याओं का समाधान पा चुके होंगे। किसी भी प्रकार की समस्या आने पर आप हमसे कमेंट बॉक्स में लिखकर सुझाव या संपर्क प्राप्त कर सकते हैं।

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