प्रस्तुत लेख शांत रस पर आधारित है। यह लेख शांत रस की परिभाषा, भेद, उदाहरण, स्थायी भाव, आलम्बन, उद्दीपन, अनुभाव तथा संचारी भाव आदि को विस्तार सहित बताने में सक्षम है।
इस लेख के अध्ययन उपरांत आप शांत रस तथा अन्य रसों से परिचय कर पाएंगे। उनके सूक्ष्म तत्वों का भी अध्ययन कर पाएंगे। इस लेख के माध्यम से आप दो रसों में भेद तथा समानता का भी अध्ययन कर सकेंगे। अन्य रसों से शांत रस किस प्रकार भिन्न है , यह भी जानकारी इस लेख में निहित है। यह लेख रस से संबंधित आपके सभी जिज्ञासाओं को शांत कर ज्ञान की वृद्धि करेगा –
किसी भी साहित्य का प्राण तत्व रस होता है।
साहित्य की रचना विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए होती है। किंतु सभी साहित्य में एक सामान्य सी बात यह है उन सभी साहित्य में रस मुख्य रूप से आरंभ से अंत तक विद्यमान होता है। रस की संख्या नौ स्वीकार की गई है , किंतु विभिन्न आचार्यों ने अपने तर्कसंगत मत देते हुए वात्सल्य रस , तथा भक्ति रस को भी स्वीकृति दिलाई है।
कुल मिलाकर वर्तमान समय में रस ग्यारह प्रकार के हैं।
शांत रस की पूरी जानकारी – Shant ras in Hindi
स्थायी भाव :- शांत रस का स्थायी भाव निर्वेद / वैराग्य है।
परिभाषा :- जब किसी वस्तु, प्राणी अथवा किसी प्रिय जन से मोहभंग होता है वहां शांत रस की निष्पत्ति मानी जाती है। शम से हमारा अभिप्राय शमन /त्याग से है। जब व्यक्ति अपने प्रिय या आनंद वर्धक सुख – सुविधाओं का शमन करता है , वहां शांत रस की जागृति होती है। वैराग्य भी तभी जागृत होता है जब सुख – सुविधाओं और आनंद वर्धक युक्तियों का त्याग किया जाता है।
आचार्यों के अनुसार विभाव, अनुभाव, संचारी भाव के सहयोग से रस की निष्पत्ति होती है। संचारी भाव तेंतीस प्रकार के स्वीकार किए गए हैं। किंतु इन संचारी भावों को अपनाते समय अनेकों संचारी भाव की अवहेलना की गई है। यहां स्पष्ट कर दें कि
व्याकरण की दृष्टि से संचारी भाव 33 ही माने गए हैं।
शांत रस – आलम्बन, उद्दीपन, अनुभाव तथा संचारी भाव
स्थायी भाव :- शांत रस का स्थायी भाव निर्वेद / वैराग्य है।
आलंबन – संसार की असारता , मृत्यु , जरा , रोग , सांसारिक प्रपंच आदि का ज्ञान , श्मशान वैराग्य आदि।
उद्दीपन – सत्संग , धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन – श्रवण , तीर्थाटन , जीवन के अनुभव आदि।
अनुभाव – संयम , स्वार्थ का त्याग , सब कुछ बांट देना , सत्संग करना , गृह त्याग , शास्त्र अध्ययन , स्वाध्याय , आत्मचिंतन , रोमांच , कम्पन , अश्रु , सात्विक अनुभाव।
संचारी भाव – घृणा , हर्ष , ग्लानि , मति , स्मृति , धृति , संतोष , आशा , विश्वास , दैन्य आदि।
प्राचीन आचार्यों ने संसार से वैराग्य भाव का जागृत होना शांत रस माना है।
किंतु आधुनिक युग के विद्वानों ने सन्यासी द्वारा एकांत में की गई साधना को भी शांत रस की अनुभूति कराने वाला माना है। इन दोनों उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि शांत रस लौकिक होते हुए अलौकिक भी है।
शांत रस अपनी सीमा को पार करके अन्य रसों में तब्दील हो जाता है। जैसे किसी वेद – पुराण का अध्ययन आध्यात्मिक शांति का विस्तार करता है। यह अपनी सीमा से निकलकर भक्ति रस में परिणत हो जाता है। ठीक इसी प्रकार जब आध्यात्मिक शांति के लिए व्यक्ति दान – धर्म आदि का कार्य करता है , तो वह वीर रस की सीमा में प्रवेश कर जाता है। ज्ञान की प्राप्ति कर जहां व्यक्ति में शांत रस का प्रचार होता है , वही मानवीय प्रेम भी जागृत होता है।
यह अपनी सीमा से निकलकर करुण रस में परिवर्तित हो जाता है।
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शांत रस के उदाहरण – Shant ras examples in Hindi
मन रे तन कागद का पुतला
लागै बूंद बिनसि जाय छिन में ,
गरब करै क्या इतना।
व्याख्या – प्रस्तुत पंक्ति कबीर दास की है। इस पंक्ति के माध्यम से कहा गया है कि हे मनुष्य तुम किस बात पर गर्व करते हो ? जो यह शरीर को और अपने जीवन को लेकर यूं ही जो मदमस्त रहते हो। यह कुछ काम नहीं आएगा , यह तन एक कागज का पुतला है। एक बूंद पडने पर जिस प्रकार कागज गल कर अपना वास्तविक अस्तित्व खो देता है। यह शरीर भी एक क्षण में अपना सब कुछ छोड़ जाएगा। इसलिए अपने शरीर और अपने ऐश्वर्य पर कभी भी गर्व नहीं करना चाहिए।
ओ क्षणभंगुर भव राम राम।
व्याख्या – प्रस्तुत पंक्ति महात्मा बुद्ध बनने से पूर्व सिद्धार्थ की है। शांति और विश्व कल्याण के लिए सुख , समृद्धि , वैभव , परिवार , राज पाट छोड़कर प्रस्थान करते हैं उन्होंने इस जीवन को क्षणभंगुर माना है
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महत्वपूर्ण प्रश्न – Important Questions for Shant ras in Hindi
प्रश्न – शांत रस का स्थायी भाव क्या है ?
उत्तर – शांत रस का स्थायी भाव निर्वेद/वैराग्य है।
प्रश्न – रसों की संख्या कितनी है ?
उत्तर – रस 11 संख्या/प्रकार के हैं।
प्रश्न – निर्वेद तथा वैराग्य किस प्रकार का स्थायी भाव है ?
उत्तर – निर्वेद तथा वैराग्य। लौकिक और अलौकिक है।
प्रश्न – संचारी भाव की संख्या कितनी है ?
उत्तर – संचारी भावों की संख्या 33 है।
प्रश्न – वात्सल्य रस का स्थायी भाव क्या है ?
उत्तर – वात्सल्य रस का स्थायी भाव वत्सल है।
प्रश्न – शांति के लिए किया गया दान पुण्य किस रस के अंतर्गत आता है ?
उत्तर – दानवीर यह वीर रस का एक भेद है।
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