इस लेख में आप द्विगु समास की परिभाषा, भेद, उदाहरण आदि का समस्त रूप से अध्ययन करेंगे।
इसके अध्ययन से आप द्विगु समास के विषय में गहन जानकारी हासिल करेंगे। इस लेख को तैयार करने से पूर्व हमने कठिनाई स्तर को चिन्हित किया है और इसे सरल सुलभ बनाने का प्रयास भी किया है। समास का अर्थ है संक्षिप्तीकरण। अर्थात दो या दो से अधिक शब्दों या पद को जोड़कर एक नए शब्द का निर्माण करना ही समास का गुण है।
द्विगु समास की परिभाषा
जिस समास का पहला पद संख्यावाचक विशेषण हो तथा समस्त पद समूह का अर्थ देता हो उसे द्विगु समास कहते हैं।
जैसे – त्रिभुवन नवरत्न आदि।
द्विगु समास का उदाहरण
समस्तपद | विग्रह |
चौराहा | चौराहों का समूह |
तिराहा | तीन राहों का समूह |
नवग्रह | नौ ग्रहों का समूह |
त्रिभुवन | तीन भवनों का समूह |
सप्ताह | सात दिनों का समूह |
पंचवटी | पांच वृक्षों का समूह |
पंचतत्व | पांच तत्वों का समूह |
चौपाई | चार पदों का समूह |
अठन्नी | आठ आने का समूह |
अष्टाध्यायी | आठ अध्यायों का समाहार |
शताब्दी | सौ वर्षों का समूह |
सप्तऋषि | सात ऋषिओं का समूह |
चौमासा | चार मास का समूह |
त्रिवेणी | तीन नदियों का समूह |
त्रिफला | तीन फलों का समाहार |
सतसई | सात सौ दोहो का समूह |
उपर्युक्त शब्दों को पढ़ने पर स्पष्ट होता है कि शब्द के आरंभ में संख्यावाचक विशेषण का ज्ञान होता है।जिसके जुड़ने से उसके समूह के लिए एक शब्द का निर्माण हो रहा है। अतः यहां द्विगु समास माना जाएगा।
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निष्कर्ष –
अध्ययन में हमने पाया कि सामासिक शब्द का आरंभ संख्यावाचक है जिससे पूरे समूह की संख्या का ज्ञात होता है।
कुछ विद्वानों के अनुसार यह तत्पुरुष समास का अंग है किंतु हिंदी व्याकरण में इसको स्वतंत्र सप्ताह प्रदान की गई है।
अतः यह तत्पुरुष समास के समान यही एक समास है।
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