कार्यालयी लेखन और औपचारिक तथा अनौपचारिक पत्र

इस लेख में आप कार्यालयी लेखन के अंतर्गत औपचारिक तथा अनौपचारिक पत्र तथा विभिन्न माध्यमों का अध्ययन करेंगे।

व्यक्ति अपने विचारों तथा भावनाओं के आदान-प्रदान हेतु विभिन्न प्रकार के माध्यम अपना आता है। कार्यालयों में भी कामकाज को लेकर जिन माध्यमों का प्रयोग किया जाता है , उसमें पत्र लेखन प्रक्रिया ज्यादा उपयोगी माना गया है।

औपचारिक तथा अनौपचारिक दो प्रकार के पत्रों का मुख्यतः कार्यालय तथा संस्थान में प्रयोग किया जाता है।

कार्यालयी लेखन और प्रक्रिया

सरकारी पत्र औपचारिक पत्र की श्रेणी में आते हैं।

प्रायः यह पत्र एक कार्यालय , विभाग अथवा मंत्रालय से दूसरे कार्यालय , विभाग या मंत्रालय को भेजे जाते हैं।

पत्र के शीर्षक पर कार्यालय , विभाग या मंत्रालय का नाम व पता लिखा जाता है। पत्र के बाएं तरफ संख्या लिखी जाती है , जिसे पत्र लिखा जा रहा है उसका नाम पता भी बाई और लिखा जाता है। ‘सेवा में’ का प्रयोग कम होता जा रहा है। पत्र के अंत में बाई और प्रेषक का पता और तारीख दी जाती है और भवदीय का प्रयोग कर नीचे भेजने वाले के हस्ताक्षर होते हैं।

सरकारी कार्यालयों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इन पत्रों को कई श्रेणियों में बांटा गया है। हर श्रेणी के पत्र के लिए एक विशेष स्वरूप निर्धारित कर दिया गया है।

मुख्य टिप्पणी नोटिंग सीट

किसी भी विचाराधीन पत्र अथवा प्रकरण को निपटाने के लिए उसपर जो राय , मत , आदेश या निर्देश दिया जाता है उसे टिप्पणी कहते हैं। टिप्पणी लिखने की प्रक्रिया को हम टिप्पण/नोटिंग कहते हैं। टिप्पण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं १ सहायक स्तर पर टिप्पणी २ अधिकारी स्तर पर टिप्पणी।

टिप्पण का उद्देश्य मामलों को नियमानुसार निपटाना है।

आरंभिक टिप्पणी में सहायक विचाराधीन मामले का संक्षिप्त ब्यौरा देते हुए उसका विवेचन करता है। कार्यालय में टिप्पण के कार्य अधिकतर सहायक स्तर पर होता है।

टिप्पणी अपने आप में पूर्ण एवं स्पष्ट होनी चाहिए , टिप्पण संक्षिप्त विषय संगत तर्कसंगत और क्रमबद्ध होनी चाहिए।

टिप्पणी सदैव अन्य पुरुष में लिखी जाती है।

अनुषांगिक टिप्पण ( कार्यालयी लेखन )

सहायक टिप्पण को संबंधित अधिकारी को भेजा जाता है, अगर संबंधित अधिकारी उस टिप्पण से सहमत है तो टिप्पणी के नीचे केवल हस्ताक्षर कर देता है अथवा मैं उपर्युक्त टिप्पणी से सहमत हूं लिखता है। टिप्पणी पर संबंधित अधिकारी का अनुषांगिक टिप्पणी कहलाता है।  यदि अधिकारी है तो वह टिप्पणी को काटने , बदलने , हटाने का कार्य नहीं करता, अपितु केवल अपनी असहमति व्यक्त करता है।

आनुषंगिक टिप्पणी प्राप्त होती है, लेकिन असहमति की स्थिति में टिप्पणी भी हो सकती है।

स्मरण पत्र

इसे अनुस्मारक रिमाइंडर भी कहा जाता है। जब किसी पत्र , ज्ञापन इत्यादि का उत्तर समय पर प्राप्त ना हो तो याद दिलाने के लिए अनुस्मारक भेजा जाता है। इसे स्मरण पत्र भी कहते हैं।

इसका प्रारूप तो औपचारिक पत्र की तरह होता है पर आकार छोटा होता है।

यदि एक से अधिक अनुस्मारक भेजे जाते है तो उन्हें अनुस्मारक 1, 2 , 3 इत्यादि लिखें।

अर्धसरकारी पत्र ( कार्यालयी लेखन )

अर्धसरकारी पत्र में अनौपचारिकता का पुट होता है। इसमें मैत्री भाव होता है , यह पत्र तब लिखे जाते हैं जब लिखने वाला अधिकारी संबंधित अधिकारी को व्यक्तिगत स्तर पर जानता हो या परामर्श लेना चाहता हो। इसके लेखन के लिए लेटर पैड का प्रयोग होता है।  सबसे ऊपर बाई और प्रेषक का नाम , पता और पदनाम होता है। पत्र का प्रारंभ श्री श्रीमान , प्रिय इत्यादि से हो सकता है।

पत्र के अंत में भवदीय के स्थान पर ‘आपका’ शब्द प्रयोग किया जाता है।

तत्पश्चात संबोधित अधिकारी का नाम पद और पूरा पता दिया जाता है।

प्रेस विज्ञप्ति –

प्रेस रिलीज कोई व्यक्ति या संस्थान किसी विषय यह बैठक में जो निर्णय लेता है , उसे प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से सर्वमान्य तक पहुंचाया जाता है।

परिपत्र (सर्कुलर) –

सरकारी या निजी संस्थान में जो निर्णय लिए जाते हैं , उन्हें लागू करने के लिए अधीनस्थ कार्यालयों को परिपत्र जारी किया जाता है। जिसमें निर्णय को कार्यान्वित करने के निर्देश भी होते हैं।

कार्यसूची ( कार्यालयी लेखन )

विभिन्न संस्थानों और कार्यालयों में विभिन्न विषयों में विचार विमर्श कर निर्णय में पहुंचने के लिए कई समितियों का गठन किया जाता है। इन समितियों मैं अध्यक्ष , सचिव के अतिरिक्त अन्य सदस्य भी होते हैं। जब किसी विषय पर विचार विमर्श करना हो अथवा निर्णय लेना हो तो समिति के सब सदस्य एक निश्चित समय से पूर्व निश्चित स्थान पर बैठक का आयोजन करते हैं। बैठक प्रारंभ होने से पहले विचारणीय मुद्दों की एक क्रमवार सूची बनाई जाती है , जिससे कार्यसूची/एजेंडा कहते हैं।

कार्यसूची का निर्णय इसलिए किया जाता है ताकि केवल उन विषयों पर चर्चा की जाए जो विचारणीय हो।

इससे समय की बचत होती ही है , साथ में विषय से भटकने की स्थिति नहीं आती।

बैठक का संचालन सचिव करता है।

कार्यवृत्त

कार्यसूची में दिए गए मुद्दों को सचिव बैठक में प्रस्तुत करता है। समिति के अध्यक्ष की उपस्थिति में सभी सदस्य विचारणीय मुद्दों पर अपने अपने विचार व्यक्त करते हैं।  विचार-विमर्श के बाद निर्णय लेते हैं , प्रत्येक मुद्दे पर किया गया विचार विमर्श एवं निर्णय ही कार्यवृत्त है।

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कार्यालयी लेखन निष्कर्ष –

उपर्युक्त अध्ययन के माध्यम से जानकारी प्राप्त होती है कि कार्यालय लेखन के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के पत्र तथा उनके स्वरूपों का प्रयोग किया जाता है। औपचारिक तथा अनौपचारिक पत्र का मुख्यतः प्रयोग किया जाता है। किसी कमेटी अथवा जांच की स्थिति में पत्र का स्वरूप परिवर्तित हो जाता है। कार्यालय तथा प्रमुख संस्थानों में पत्र व्यवहार किस प्रकार किया जाता है उसका स्वरूप क्या होता है इसका उपर्युक्त विवरण प्रस्तुत किया गया है।

  • प्रेस विज्ञप्ति ,
  • कार्यसूची ,
  • परिपत्र ,
  • स्मरण पत्र आदि

वर्तमान समय में अधिक तौर पर प्रयोग किए जाते हैं।

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