श्लेष अलंकार की परिभाषा, उदाहरण, भेद

इस लेख में अध्ययन करेंगे श्लेष अलंकार की परिभाषा, उदाहरण, भेद आदि । साथ ही अनेक उदाहरणों से इसको सरलतापूर्वक समझने का भी प्रयास करेंगे।

यह लेख परीक्षा की दृष्टि से तैयार किया गया है। जिसका एक नजर में अध्ययन कर श्लेष अलंकार के विषय में विस्तृत रूप से लिख सकते हैं।

यह अलंकार शब्दालंकार के अंतर्गत आता है। शब्दाअलंकार के अंतर्गत मुख्य रूप से तीन अलंकार को माना गया है –

  • अनुप्रास अलंकार ( इसके अंतर्गत वर्णों की आवृत्ति बार-बार होती है )
  • यमक अलंकार ( इसके अंतर्गत शब्दों की बार-बार आवृत्ति होती है , किंतु अर्थ की भिन्नता के साथ )
  • श्लेष अलंकार ( इसमें एक ही शब्द के दो अर्थ निकलते हैं ,अर्थात एक से अधिक शब्द की प्रतीति होती है।
  • जिसको चिपका हुआ भी कह सकते हैं )

श्लेष अलंकार की परिभाषा

श्लेष का शाब्दिक अर्थ है चिपका हुआ  अतः जहां एक शब्द के दो या दो से अधिक अर्थ की जानकारी मिलती हो ,वहां श्लेष अलंकार होता है।

जैसे –

जो रहीम गति दीप की ,कुल कपूत गति सोय

बारे उजियारो करे बढे अंधेरो होई। ।

उपर्युक्त पद में ‘बारे’ और ‘बढे’ शब्दों में श्लेष है। यहां यह शब्द एक बार आए हैं किंतु इनके अर्थ दो प्रतीत हो रहे हैं।

बारे – बचपन में, जलाने पर

बढे- उम्र बढ़ने पर , बुझने पर।

अन्य अलंकार की जानकारी भी प्राप्त करें

अनुप्रास अलंकार

यमक अलंकार

अलंकार की परिभाषा, भेद, और उदाहरण

श्लेष अलंकार के उदहारण

उदहारण अर्थ
मधुबन की छाती को देखो , सूखी इसकी कितनी कलियां। कलियाँ -१ अविकसित फूल २ यौवन से पूर्व की अवस्था
तो पर वारौं उरबसी सुनि राधिके सुजान

तू मोहन के उरबसी हवै उरबसी समान। ।

उरबसी -१ ह्रदय में वास २ अप्सरा का नाम
सुवरन को ढूंढत फिरत कवि व्यभिचारी चोर। सुवरन -१ सुन्दर वर्ण २ सुंदरी ३ सोना
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।

पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून। ।

पानी -१ चमक २ मान-सम्मान ३ जल
मेरी भव-बाधा हरौ राधा नागरी सोई

जा तन की झाई परै स्यामु हरित दुति होई। ।

हरित -१ हरना २ हरा रंग ३ हर्षित होना।
गुन करि मोहि सूर सांवरे को निरगुन निरबैहै।
जो रहीम गति दीप की कुल कपूत गति सोय

बारे उजियारे करे , बढे अंधेरो होय। ।

बारे-१ बचपन २ जलाने पर

बढे – १ उम्र बढ़ना २ बुझना

चिरजीवौ जोरी जुरै क्यों न सनेह गंभीर।

को घटि या वृषभानुजा वे हलधर के बीर।

वृषभानुजा – १ राधा २ गाय

हलधर -१ बलराम २ बैल

मंगन को देख पट देत बार-बार पट – १ वस्त्र २ दरवाजा
हे प्रभु हमें दो जीवन दान। जीवन – १ पानी २ उम्र
विपुल धन अनेकों रत्न हो साथ लाए

प्रियतम बता दो लाल मेरे कहां है।

लाल – १ पुत्र २ रत्न
यह दीप अकेला स्नेह भरा स्नेह-१ तेल २ प्रेम
अब ना घिरत घन आनंद निदान को घन – १ बादल २ कवि घनानंद
अति आधीन सुजान कनौडे गिरिधर नार नवावति नार १ गर्दन २ नारी
हौं तो स्याम रंग में चुराई चित चोरा चोरी

बोरत तौं बोरयों पै नीचौरत बनै नहीं

स्याम – १ कृष्ण २ काला

 

श्लेष अलंकार के भेद

श्लेष अलंकार के दो भेद माने गए हैं –

  1.  अभंग पद श्लेष
  2. सभंग पद श्लेष

1 अभंग पद श्लेष –

जहां शब्दों को बिना तोड़े-मरोड़े एक से अधिक अर्थ प्राप्त होते हो वहां अभंग पद श्लेष होता है। जैसे –

जो रहीम गति दीप की कुल कपूत की सोय

बारे उजियारो करे बढ़े अंधेरो होय। ।

यहां दीपक और कुपुत्र का वर्णन है। ‘बारे’ और ‘बढे’ शब्द दो दो अर्थ बता रहे हैं।

बारे – बचपन में, जलाने पर। बढे- उम्र बढ़ने पर , बुझने पर।

2 सभंग पद श्लेष –

जब किसी शब्द को तोड़-मरोड़ कर उससे दो या अधिक अर्थ प्रतीत होते हो ,वहां सभंग पद श्लेष होता है।

रो-रोकर सिसक-सिसक कर कहता मैं करुण कहानी

तुम सुमन नोचते सुनते करते जानी अनजानी। ।

यहां सुमन शब्द का एक अर्थ है फूल ,दूसरा अर्थ सुंदर मन।

सुमन का खंडन करने पर सु+मन अर्थात सुंदर मन अर्थ होने के कारण यह सभंग पद श्लेष अलंकार है।

यह भी पढ़ें

संज्ञा की परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण।

रस की परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण

सर्वनाम की पूरी जानकारी – परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण 

हिंदी वर्णमाला की पूरी जानकारी

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द – One Word Substitution

उपसर्ग की संपूर्ण जानकारी

क्रिया की परिभाषा, उदहारण, भेद

समास की परिभाषा, उदाहरण, भेद

अव्यय की परिभाषा, भेद, और उदाहरण

 

निष्कर्ष

उपर्युक्त अध्ययन से स्पष्ट होता है कि श्लेष अलंकार शब्दालंकार के अंतर्गत आता है। जिसमें एक शब्द में अनेक अर्थ चिपके होते हैं अर्थात अन्य अर्थ भी प्रतीत होते हैं। इस अलंकार का प्रयोग कविता तथा दोहे में बहुत इस्तेमाल किया जाता है ताकि उसकी शोभा बढ़ाई जा सके तथा पाठकों में रोचकता की अनुभूति हो।

इसके दो भेद अभंग पद तथा सभंग पद माने गए हैं जिसका विस्तार पूर्वक उल्लेख ऊपर किया गया है।

हमने इन दोनों भेदों के उदाहरण भी देखें तथा भविष्य में यहां पर अन्य उदाहरण भी अवश्य डाले जाएंगे ताकि विद्यार्थी एवं पाठकों को किसी प्रकार की समस्या ना रह जाए।

आशा है श्लेष अलंकार पर लिखा गया यह लेख आपको पसंद आया हो तथा आपके ज्ञान की वृद्धि हो सकी हो। संबंधित विषय से प्रश्न पूछने के लिए कमेंट बॉक्स में लिखें तथा आप अपने विचार भी साझा कर सकते हैं जिससे अन्य विद्यार्थियों को मदद मिल सके।

Leave a Comment