संधि का अर्थ है मेल करना, दो अक्षर या शब्दों के मेल से नए शब्द निर्माण करना ही व्याकरण की दृष्टि से संधि है। संधि मुख्य रूप से तीन प्रकार की मानी गई है। वृद्धि संधि का संबंध स्वर संधि से है, इसके अंतर्गत कुछ विशेष स्वर के आपस में मिलने से नए स्वर की उत्पत्ति होती है। यह स्वर वृद्धि का कारण बनते हैं अतः इन्हें वृद्धि संधि कहा जाता है।
इस लेख में आप वृद्धि संधि का विस्तार पूर्वक अध्ययन करेंगे।
वृद्धि संधि की परिभाषा उदाहरण सहित
अ या आ का मेल ए या ऐ से होने पर ऐ रूप में परिवर्तित हो जाता है। तथा अ या आ का मेल ओ या औ से होने पर औ हो जाता है जैसे –
वृद्धि संधि के उदाहरण
अ + ए = ऐ | एक + एक | एकैक |
“ | लोक + एषणा | लोकैषणा |
अ + ऐ = ए | परम + ऐश्वर्य | परमैश्वर्य |
“ | मत + ऐक्य | मतैक्य |
आ + ए = ऐ | सदा + एव | सदैव |
“ | तथा + एव | तथैव |
आ + ऐ = ऐ | महा + ऐश्वर्य | महैश्वर्य |
“ | विद्या + ऐश्वर्य | विद्यैश्वर्य |
अ + ओ = औ | परम + ओज | परमोज |
“ | दंत + ओष्ठ | दन्तोष्ठ |
“ | जल + ओघ | जलौघ |
अ +औ = औ | परम + औषध | परमौषध |
“ | वन + औषध | वनौषध |
आ + ओ = औ | महा + ओजस्वी | महौज्सवी |
“ | महा + ओज | महौज |
आ + औ = औ | महा + औषध | महौषध |
“ | महा + औदार्य | महौदार्य |
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निष्कर्ष –
उपरोक्त अध्ययन से हमने पाया कि दो स्वर आपस में मिलकर स्वरों की वृद्धि करते हैं। वह स्वर की मात्रा को बढ़ाते हैं, इन्हें हम वृद्धि संधि कहते हैं। यह स्वर संधि का भेद है, व्याकरण में तीन प्रकार की संधि मानी गई है।
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