दीर्घ संधि की परिभाषा, अर्थ, एवं उदाहरण सहित पूरी जानकारी

संधि तीन प्रकार की मानी गई है स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि। दीर्घ संधि स्वर संधि का एक भेद है। इसके अंतर्गत छोटे स्वर का परिवर्तन बड़े स्वर या मात्रा में हो जाता है।

इस मात्रा या स्वर की वृद्धि को दीर्घ स्वर संधि कहा जाता है।

आज के लेख में आप दीर्घ संधि का विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे। इसे सरल बनाने के लिए हमने विद्यार्थियों के कठिनाई स्तर को ध्यान में रखा है।

दीर्घ संधि की संपूर्ण जानकारी

परिभाषा:- दो सजातीय स्वर और मिलकर दीर्घ स्वर के रूप में परिवर्तित होते हैं, ऐसी संधि को दीर्घ स्वर संधि कहते हैं।

अ + अ = आ

वेद + अंत वेदांत
स्व + अर्थ स्वार्थ
परम + अर्थ परमार्थ
धर्म + अधर्म धर्माधर्म
सत्य + अर्थ सत्यार्थ
धर्म + अर्थ धर्मार्थ
अन्न + अभाव अन्नाभाव

अ + आ = आ

गज + आनन गजानन
हिम + आलय हिमालय
सत्य + आनंद सत्यानंद
शिव + आलय शिवालय
परम + आनंद परमानन्द
धर्म + आत्मा धर्मात्मा
रत्न + आकर रत्नाकर

आ + अ = आ 

शिक्षा + अर्थी शिक्षार्थी
विद्या + अर्थी विद्यार्थी
सीमा + अंत सीमान्त
दीक्षा + अंत दीक्षांत
यथा + अर्थ यथार्थ
रेखा + अंकित रेखांकित
सेवा + अर्थ सेवार्थ

आ + आ = आ

कारा + आवास कारावास
दया + आनंद दयानन्द
दया + आलु दयालु
श्रद्धा + आनद श्रद्धानन्द
महा + आत्मा महात्मा
वार्ता + आलाप वार्तालाप
विद्या + आलय विद्यालय

इ + इ = ई

कवि + इंद्र कवीन्द्र
रवि + इंद्र रविंद्र
कपि + इंद्र कपीन्द्र
अति + इव अतीव
गिरि + इंद्र गिरीन्द्र
अभि + इष्ट अभीष्ट
मुनि + इंद्र मुनींद्र

इ +ई = ई

प्रति + ईक्षा प्रतीक्षा
मुनि + ईश्वर मुनीश्वर
कवि + ईश्वर कवीश्वर
कवि + ईश कवीश
परि + ईक्षा परीक्षा
हरि + ईश हरीश
रवि + ईश रवीश

ई + इ = ई

योगी + इंद्र योगीन्द्र
पत्नी + इच्छा पत्नीच्छा
मही + इंद्र महीन्द्र
नारी + इच्छा नारिच्छा
शची + इंद्र शचीन्द्र
नारी + इंदु नारीन्दु
गिरि + इंद्र गिरीन्द्र

ई + ई = ई 

नदी + ईश नदीश
रजनी + ईश रजनीश
सती + ईश सतीश
योगी + ईश्वर योगीश्वर
नारी + ईश्वर नारीश्वर
जानकी + ईश जानकीश
लक्ष्मी + ईश लक्ष्मीश

उ + उ = ऊ

भानु + उदय भानूदय
बहु + उद्देश्यीय बहुद्देशीय
सु + उक्ति सूक्ति
अनु + उदित अनूदित
गुरु + उपदेश गुरुपदेश
लघु + उत्तर लघुत्तर
विधु + उदय विधूदय

उ + ऊ = ऊ

लघु + ऊर्मि लघूर्मि
साधु + ऊर्जा साधूर्जा
मधु + ऊष्मा माधूष्मा
सिंधु + ऊर्मि सिंधूर्मि
अम्बु + ऊर्मि अम्बूर्मी
मधु + ऊष्मा माधूष्मा
सिंधु + ऊर्जा सिन्धूर्जा

ऊ + उ = ऊ

वधू + उत्सव वधूत्सव
वधू + उपकार वधूपकर
भू + उत्सर्ग भूत्सर्ग
भू + उद्धार भूद्धार
सरयू + उल्लास सरयूल्लास

ऊ + ऊ = ऊ

भू + ऊष्मा भूष्मा
भू + उर्ध्व भूर्ध्व
भू + ऊर्जा भूर्जा
वधू + ऊर्मि वधूर्मि
सरयू + ऊर्मि सरयूर्मि

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निष्कर्ष

दीर्घ संधि, स्वर संधि का भेद है इसके अंतर्गत स्वर के बड़े मात्रा का चिन्ह लगता है, जैसा उपरोक्त उदाहरण में हमने विस्तृत रूप से अध्ययन किया।

आशा है आपको इस लेख से दीर्घ संधि के विषय में जानकारी हासिल हुई होगी।

संबंधित विषय से प्रश्न पूछने के लिए कमेंट बॉक्स में लिखें हम आपके प्रश्नों के तत्काल उत्तर देंगे।

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