जाग तुझको दूर जाना व्याख्या, महादेवी वर्मा, कक्षा 11

महादेवी वर्मा की कविता जाग तुझको दूर जाना गीत के माध्यम से जनमानस को जगाने का प्रयत्न है। इस लेख में महादेवी वर्मा का संक्षिप्त जीवन परिचय , कविता की व्याख्या , महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर आदि का अध्ययन करेंगे जो परीक्षा की दृष्टि से उपयोगी है।

इस कविता के माध्यम से स्वाधीनता संग्राम में लोगों को जोड़ने के लिए प्रेरित किया गया है।  उनके पूर्वज अमर बलिदानों की याद दिलाया गया है। कुल मिलाकर कहें तो यह जागरण गीत है।

जाग तुझको दूर जाना – महादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा (छायावादी काव्यधारा की प्रसिद्ध कवित्री)

जीवन परिचय – छायावाद के चार स्तंभों में से एक महादेवी वर्मा का जन्म 1960 में फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ।  इनके पिता श्री गोविंद प्रसाद वर्मा तथा माता श्रीमती हेमा रानी थी। इनका विवाह 12 वर्ष की अल्पायु में डॉक्टर स्वरूप नारायण वर्मा से हुआ। उन्होंने सन् 1933 में प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में एम.ए. किया।

इसके बाद वही महिला विद्यापीठ की प्राचार्य बनी उनका देहावसान 1987 में हुआ।

रचनाएं – काव्य ग्रंथ –

  • नीहार , रश्मि ,
  • नीरजा ,
  • संध्या गीत व
  • दीपशिखा आदि।

गद्य रचनाएं –

  • पथ के साथी ,
  • अतीत के चलचित्र ,
  • स्मृति की रेखाएं व
  • श्रृंखला की कड़ियां आदि।

काव्यगत विशेषताएं –

छायावादी कवियों की प्रमुख विशेषता थी , वह किसी भी वक्तव्य को सीधा रखने के बजाय किसी को माध्यम बनाकर अपनी बात कहा करते थे। महादेवी वर्मा ने अपनी बातों को कहने के लिए कभी प्रकृति , कल्पना , चित्र , संगीत , प्रियतम आदि का सहारा लिया है।

महादेवी को आधुनिक युग की मीरा कहा जाता है। इन के काव्य में रहस्यवाद की छाप है , उन्होंने अपनी प्रेम अनुभूति में अज्ञात असीम प्रियतम को संबंधित किया है। जिसके कारण इनमें रहस्यवादी कवित्री के गुण देखने को मिलते हैं।

लाक्षणिकता , संगीतात्मकता , चित्रात्मकता , रहस्यवाद , काल्पनिकता तथा प्रकृति सौंदर्य इन के काव्य की विशेषता है। बिम्बों और प्रतीकों का सुंदर योजना है।

महादेवी की भाषा

  • स्वच्छ ,
  • कोमल ,
  • मधुर ,
  • सुसंस्कृत तथा तत्सम शब्दों से युक्त है।

इनकी भाषा में लोकोक्तियों एवं मुहावरों का सटीक प्रयोग है।

 

जाग तुझको दूर जाना पाठ का सार

प्रस्तुत गीत महादेवी की प्रसिद्ध रचना संध्या गीत से लिया गया है। यह एक जागरण गीत है , जिसमें कवित्री ने स्वाधीनता प्राप्ति के लिए भारतीय वीरों का राष्ट्रीय विघ्न बाधाओं और कठिनाइयों की परवाह किए बिना अपने लक्ष्य पर निरंतर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी है। कवियत्री ने अपने स्वर्णिम अतीत और साहसी निर्णय और कर्मवीर महापुरुषों की याद दिलाते हुए वह उनसे प्रेरणा लेते हुए निरंतर लक्ष्य की प्राप्ति की तरफ बढ़ने की प्रेरणा दी है।

छायावादी कवियों ने स्वाधीनता संग्राम में बढ़ चढ़कर भाग लिया था।

उन्होंने अपने लेखनी के माध्यम से भारत वासियों को जगाने का प्रयत्न किया था।

उन्हें स्वाधीनता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया तथा आह्वान किया था।

भारतीय लोगों की हताशा व पीड़ा को दूर करने के लिए उन्होंने भारत के अतीत गौरव गाथा को बताया , उनके महापुरुषों की याद दिला कर उनके द्वारा किए गए वीरता तथा साहस का परिचय स्मरण कराया। छायावादी कवियों ने सीधे तौर पर स्वाधीनता संग्राम में शामिल होने की बात ना कहते हुए प्रकृति आदि को माध्यम बनाया।

उस समय अंग्रेजों का शासन भारत में हुआ करता था।

इसलिए सीधे तौर पर विद्रोह की बात नहीं की जा सकती थी।

अपनी बात को रखने के लिए इन कवियों ने किसी भाव , वस्तु या इतिहास को माध्यम बनाकर अपनी संपूर्ण बातें कविता के माध्यम से लोगों के समक्ष प्रस्तुत की। कवित्री ने देशवासियों को विषम परिस्थितियों , सांसारिक बंधनों व मोह-माया से और प्रभावित न होते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा दी है।

कवित्री ने आत्मा की अमरता का ज्ञान कराते हुए मृत्यु से ना डरने की सलाह दी है।

कवित्री ने पतंगे का उदाहरण देकर बलिदान का महत्व समझाया है। कवित्री का कहना है कि देशवासियों को बलिदान के मार्ग पर अपने कोमल भावनाओं को बलिदान करना होगा।

जाग तुझको दूर जाना काव्य सौंदर्य

भाव पक्ष – कवित्री ने विघ्न बाधाओं मुसीबतों और विषय परिस्थितियों में भी निरंतर लक्ष्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा दी है। स्वाधीनता की चाह रखने वाले विपरीत परिस्थितियों से विचलित ना होकर निरंतर आगे बढ़ते जाते हैं।

कवियत्री ने आत्मा की अमरता और भारतीयों की दृढ़ता व शक्ति सामर्थ्य की याद दिलाई है।

शिल्प सौंदर्य –

  • तत्सम शब्द प्रधान खड़ी बोली का प्रयोग है।
  • ओज गुण व गीत शैली में लिखा गीत है। प्रश्न शैली भी अपनाई गई है।
  • लक्षणा शब्द शक्ति  प्रयुक्त हुई है
  • वीर रस में लिखा उद्बोधन गीत है
  • ‘हिमगिरी के हृदय’ , ‘ बाधा बनेंगे’ , ‘मधुप की मधुर’ और ‘मदिरा मांग’ में अनुप्रास अलंकार है।
  • ‘जीवन सुधा’  में रूपक तथा ‘सो गई आंधी’ में मानवीकरण अलंकार है
  • ‘सजेगा आज पानी’ में शैलेश है।
  • बिंब और प्रतीकों का प्रयोग।

जाग तुझको दूर जाना महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1 – ‘जाग तुझको दूर जाना’ कविता किसे संबोधित करते हुए लिखी गई है ?

उत्तर – इस कविता में कवित्री देशवासियों को स्वाधीनता संग्राम में बढ़-चढ़कर भाग लेने की प्रेरणा देती है। यह एक जागरण गीत है , उस समय देशवासी आलस्य में पड़े थे। उन्हें जगाने की आवश्यकता थी , कवित्री उन्हें उनका पथ निर्देशित कर मार्ग में आने वाली बाधाओं के प्रति सचेत करती है।

प्रश्न 2 – ‘मोम के बंधन’ और ‘तितलियों के पर’ का प्रतीकार्थ लिखिए।

उत्तर – मोम के बंधन इसमें पारिवारिक मोह के बंधन का अर्थ निहित है। तितलियों के पर इसमें सुंदर युवतीयों के आकर्षण जाल का अर्थ निहित है।

प्रश्न 3 – कविता में अमरता-सूत किसे और क्यों कहा गया है ?

उत्तर – कविता में अमर-सूत भारत वासियों को कहा है। क्योंकि उनके पूर्वज स्वाधीनता संग्राम में तथा विदेशी आक्रमणकारियों से लोहा लेते हुए अमरता को प्राप्त हुए थे। जिनके पुत्र वह है , उनको याद दिलाने का प्रयत्न किया गया है। वह ऐसे यशस्वी के पुत्र होकर निराश और हताश होकर बैठे हैं यह निंदा का विषय है।

उन्हें पूरे सामर्थ के साथ उठकर अपने ऊपर हो रहे अत्याचार का विरोध करना चाहिए।

प्रश्न 4 – कविता में कैसी हार को ‘मानिनी जय की पताका’ के रूप में स्वीकार किया गया है?

उत्तर – कविता में मानिनी जय की पताका , हार के रूप में उन शहीदों के लिए कहा गया है जो अपने कर्तव्य के लिए शहीद हुए हैं। जिन्होंने संघर्ष किया , धूप-छांव , बर्फ आदि की परवाह न करते हुए केवल अपने कर्तव्य को किया और वीरता के साथ हार को प्राप्त हुए ।  जिसकी मिसाल समाज के भीतर लंबे समय तक रहे , ऐसी हार को मानिनी जय की पताका के रूप में स्वीकार किया गया है।

प्रश्न 5 – ‘पतंगा’ का उदाहरण प्रस्तुत कर कवित्री भारतीय वीरों से क्या कहना चाहती है ?

उत्तर – पतंगा का जीवन क्षण भर का होता है। जिसका जीवन अमर रूप से जलने वाले दीपक के इर्द-गिर्द घूमता है। वह फिर भी अपने जीवन को अपने सभी भावनाओं का त्याग करके अपना जीवन न्योछावर कर देता है। ठीक उसी प्रकार मानव का जीवन भी अपने कर्म के लिए है। कर्म करते हुए पतंगे की भांति अपना जीवन बलिदान कर देना , एक वीर पुरुष का कर्तव्य है।

प्रश्न 6  – ‘तू न अपनी छाँह’  को अपने लिए कारा बनाना का आशय स्पष्ट करें।

उत्तर – कविता में ‘तू न अपनी छाँह’ के माध्यम से व्यक्ति के कोमल भावना उसके विचारों , मोह , माया आदि को बताया है। जो परछाई के भांति व्यक्ति के साथ जुड़ा रहता है। कवित्री कहती है तू अपनी मोह माया को अपने साथ मत कर और अपने कर्तव्य पथ पर सदैव अग्रसर है। जो व्यक्ति मोह , माया को परछाई के भांति अपने साथ लेकर चलता है।

वह फिर अपने कर्तव्य पथ पर कभी नहीं चल पाता।

प्रश्न 7 – नाश के पथ पर अपने चिन्ह छोड़ने का क्या अर्थ है ?

उत्तर – स्वाधीनता संग्राम एक ऐसा पथ था जिस पर न जाने कब तक चलना होगा , और कितने ही बलिदान देने पड़ेंगे। यह ऐसा पथ है जहां सब कुछ नाश हो जाता है। इस पथ पर कोई विरला ही चल सकता है , जो अपने मोह माया को त्याग कर। अपनी मातृभूमि को मुक्त कराने की क्षमता रखता है , इस आंदोलन और कर्तव्य के पथ को नाश का पद कवित्री ने माना है।

प्रश्न 8‘जाग तुझको दूर जाना’ कविता का मूल भाव क्या है ?

उत्तर – कविता में उन वीरों को जगाने का प्रयत्न किया गया है , जो अपनी मातृभूमि के खातिर किसी भी हद तक जाने को तत्पर है। जो अपने मातृभूमि की खातिर अपना सर्वस्व न्योछावर करने की क्षमता रखते हैं। उन्हें इस पथ पर चलने के लिए कवित्री जगा रही है।

यही उनके जीवन का कर्तव्य पथ है , जिस पर चलते हुए सफलता को प्राप्त करना है।

प्रश्न 9 – कवित्री किस मोहपूर्ण बंधन से मुक्त होकर मानव को जागृत का संदेश देना चाहती है ?

उत्तर – कवित्री सांसारिक मोह के बंधन से मुक्त होने के लिए मानव को जागृत करना चाहती है। जो आकर्षण के पीछे भागते हैं , सुंदर युवतियों के मोह जाल में फंसते हैं। ऐसे युवा को इन मोह पूर्ण बंधन से निकलकर अपनी मातृभूमि के लिए कुछ विशेष करने के लिए जागृत करना चाहती है।

प्रश्न 10 – स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी को किन गुणों का विस्तार करना चाहिए ? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी में देश हित की भावना का विस्तार अनिवार्य है। जो देश हित की भावना से कार्य करता है , वह फिर देश हित को ही सर्वोपरि मानता है। देश हित के आगे उसके निजी हित छोटे होते हैं। वह फिर सांसारिक आकर्षण में नहीं उलझता , बल्कि अपने देश के लिए कुछ विशेष करने का जज्बा अपने हृदय में रखता है।

प्रश्न 11  – ‘सुधा’ और ‘मदिरा’ प्रतीकों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – सुधा अर्थात अमृत , मदिरा – शराब। सुधा जहां अमरत्व को प्रदान करता है।

वही मदिरा क्षणिक सुख देकर धोखे में व्यक्ति को रखता है।

प्रश्न 12  – निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

(क) – विश्व का क्रंदन  ……………………. अपने लिए कारा बनाना।

भाव पक्ष – विश्व में व्याप्त क्रंदन , करुणा तुझे भंवरे की मधुर गुनगुन , पंखुड़ी , फूल आदि आकर्षक चीजें सब भुला देंगे।  तू अपने सांसारिक बंधनों को त्याग कर अपने विजय पथ पर आगे बढ़ , क्योंकि तुझको अपने मातृभूमि की खातिर संघर्ष करना है। जागरूक रहना है , बिना लक्ष्य की प्राप्ति तुझे ना रुकना होगा ना विश्राम करना होगा।

इस पथ पर चलकर तुझे अपने और अपने देशवासियों को स्वाधीनता दिलानी होगी।

इसके लिए तू अपने सारे सुखों का त्याग कर।

शिल्प सौंदर्य –

  • स्वाधीनता की प्राप्ति के लिए बहुत ही आकर्षण तथा बंधनों से मुक्त होने की बात कही है।
  • ‘मधुर की मधुर’ अनुप्रास अलंकार है।
  • औज गुण प्रधान है
  • सरल सहज खड़ी बोली का प्रयोग है
  • रचनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।

(ख) कह ना ठंडी सांस  …………. सजेगा आज पानी।

भाव सौंदर्य –

कवित्री स्वाधीनता संग्राम में शामिल होने वाले सैनानियों को अपनी पीड़ा और वेदना को भूल जाने के लिए कह रही है। क्योंकि यह सभी मार्ग में बाधा उत्पन्न करते हैं। स्वयं के साहस , शौर्य और पराक्रम से जो आंखों में आंसू आते हैं वह वीरता और संतोष का परिचय देते हैं। यह हृदय की विशालता का भी प्रदर्शन करते हैं। अतः अपनी ठंडी और सुख भरी सांसो का त्याग करना होगा।

परिश्रम करके जो आंखों में पानी आएगा उसमें आत्म सम्मान का भाव स्वयं दिखेगा।

शिल्प सौंदर्य –

  • कोमल भावनाओं का त्याग करने की बात कही है।
  • कर्तव्य करते हुए सुख के आंसू का जिक्र है।
  • ‘सजेगा आज पानी’ यहां ‘पानी’ में श्लेष अलंकार है।
  • संस्कृत निष्ठ खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
  • कुछ गुणों से युक्त पंक्तियां हैं
  • लय तुक से युक्त पंक्तियां हैं।

(ग)  है तुझे अंगार-शय्या  ………….. कलियां बिछाना।

भाव सौंदर्य – जिस पथ पर स्वाधीनता संग्राम के सेनानी जा रहे हैं , वह पथ केवल अंगारों का है। उस पर चलकर सो कर लक्ष्य तक पहुंचना है। इस पथ पर चलने के लिए अपने सभी कोमल भावनाओं का त्याग करना होगा। अपने समस्त निजी हितों को पीछे छोड़ कर निरंतर आगे बढ़ना होगा।

इस मार्ग में प्रेम , ईर्ष्या , द्वेष आदि का कोई स्थान नहीं है।

बस यह बलिदानों का मार्ग है , जिस पर चलकर स्वाधीनता मिलेगी।

शिल्प सौंदर्य –

  • बलिदान पथ पर कोमल भावनाओं का त्याग करना बताया है
  • ‘अंगार-शय्या पर मृदुल कलियां बिछाना विरोधाभास अलंकार है
  • ‘अंगार शय्या ‘  में रूपक अलंकार
  • संस्कृत निष्ठ खड़ी बोली का प्रयोग।
  • भाषा सरल सहज तथा प्रवाहयी
  • ओज गुण की प्रधानता।

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निष्कर्ष

समग्रतः कहा जा सकता है कि महादेवी वर्मा ने अपने इन कविताओं के माध्यम से मनुष्य को जहां एक और उसे कर्तव्य के मार्ग पर लाने का प्रयास किया है , वहीं दूसरी और उसके जीवन के शाश्वत मूल्यों को समझाने का प्रयत्न किया है। यही छायावादी कवियों की प्रमुख विशेषता है।

छायावादी कवि मानवीय मूल्यों को बताते हुए उन्हें कर्तव्य के पथ पर लाने का सदैव प्रयत्न करते हैं।

उनके खोए हुए इतिहास को पुनः जागृत करने का प्रयत्न करते हैं।

छायावादी कवियों ने प्रकृति के समस्त माध्यमों का प्रयोग करते हुए मनुष्य को समझाने तथा उसको उच्च सत्ता प्रदान करने का पुरजोर प्रयत्न किया है। जाग तुझको दूर जाना कविता में स्वाधीनता संग्राम में शामिल होने के लिए भारत वासियों को प्रेरित किया गया है।

तब भारत अंग्रेजी सत्ता का आधिपत्य था , जिन्होंने भारतीय जनमानस को अपने दमनकारी नीतियों के कुचक्र में फंसा रखा था। वह उनका निरंतर शोषण कर रहे थे , जिसका प्रतिशोध या प्रतिकार भारतीय जनमानस नहीं कर पाते थे। इसी हताशा पीड़ा को छायावादी कवियों ने उनके वर्तमान स्थिति को इतिहास के गौरव क्षण से दूर करने का प्रयत्न किया है। उनके पूर्वज किस प्रकार यशस्वी और ओजस्वी थे , उसको बताया गया है। वह अमर शहीदों के पुत्र हैं , यह पुनः याद दिला कर उन्हें स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया है।

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