इस लेख में आप सुदामा पांडे धूमिल का संक्षिप्त जीवन परिचय, घर में वापसी पाठ का सार, पाठ की मूल संवेदना, व्याख्यात्मक प्रश्न, काव्य सौंदर्य तथा परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रश्न अभ्यास भी है।
सुदामा पांडे धूमिल के साहित्य पर प्रकाश डालने पर स्पष्ट होता है कि उनके साहित्य का झुकाव ग्रामीण परिवेश की और अधिक था। उन्होंने अल्प समय में ही हिंदी साहित्य को एक नया आयाम दिया। ‘धूमिल’ ने हिंदी जगत में एक अमिट छाप छोड़ी जो आज भी हिंदी पाठकों के बीच प्रमुख है। सुदामा पांडे धूमिल ने ग्रामीण परिवेश को बड़ी ही बारीकी से देखा था और उसे अपने साहित्य में समाहित किया था। उसका एक उदाहरण यह पाठ ‘घर में वापसी’ भी है
Ghar Me Wapsi Summary in Hindi
‘घर में वापसी’ सुदामा पांडे धूमिल की कालजई रचना है। आज भी इस पाठ में उठाया गया विषय तर्कसंगत है। पाठ में गरीबी तथा नौकरी चले जाने के बाद जो स्थिति उत्पन्न होती है उसको बताने का प्रयास किया है। परिवार आपसी विचार-विमर्श तथा बातचीत ना होने के कारण विघटन के मार्ग पर निकल जाता है, वह इस पाठ में देखा जा सकता है। परिवार के बीच आपसी बातचीत बंद है, क्योंकि किसी के पास रोजगार नहीं है। सभी एक दूसरे के सुख – दुख परेशानियों को समझते हैं। भीतर मन से सभी एक दूसरे से प्रेम भी करते हैं, किंतु आपस में बातचीत कोई नहीं करता, धूमिल ने इस पाठ में समस्या तथा समाधान दोनों को बताया है।
सुदामा पांडे धूमिल संक्षिप्त जीवन परिचय
कवि परिचय – साठोत्तरी कविता के सशक्त हस्ताक्षर धूमिल का पूरा नाम सुदामा पांडे धूमिल है, इनका जन्म 9 नवंबर 1936 को वाराणसी जिले के खेवली गांव में हुआ। बालक सुदामा ने सन 1953 में हाईस्कूल परीक्षा पास की। सन 1950 में आई.टी.आई वाराणसी से विद्युत डिप्लोमा किया और वही अनुदेशक के पद पर नियुक्त हो गए।
असमय ही ब्रेन ट्यूमर हो जाने के कारण 10 फरवरी 1975 को उनका स्वर्गवास हो गया।
प्रमुख रचनाएं –
- बांसुरी जल गई ,
- संसद से सड़क तक ,
- कल सुनना मुझे और
- सुदामा पांडे का प्रजातंत्र।
- धूमिल को मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
काव्यगत विशेषताएं –
सुदामा पांडे धूमिल नई कविता के सशक्त हस्ताक्षर हैं, उनके काव्य में एक विशेष प्रकार का गवइपन दिखाई देता है। धूमिल की कविता में परंपरा, सभ्यता, शालीनता और भद्रता का विरोध है।
उन्होंने व्यंग्य के माध्यम से उपहास, झुंझलाहट और पीड़ा को व्यक्त किया है।
भाषा शैली –
उनके काव्य में मुहावरे, लोकोक्तियों और सूक्तियों का सुंदर प्रयोग मिलता है। संवाद शैली के प्रयोग से भाषा सशक्त हो गई है।लाक्षणिकता और प्रतीकात्मकता इनकी भाषा की विशेषता है।
भाषा सरल और सहज है, इन्होंने मुक्त छंदों का प्रयोग किया है।
जाग तुझको दूर जाना महादेवी वर्मा
सब आंखों के आंसू उजले महादेवी वर्मा
घर में वापसी पाठ का सार
घर में वापसी धूमिल जी की गरीबी से संघर्ष कर रहे परिवार की दुख भरी कविता हे। कोई भी व्यक्ति अपने रोज की भागदौड़ वाली जिंदगी में प्रेम ममत्व, स्नेह, ऊर्जा, सुरक्षा रिश्ते चाहता है। वह एक ऐसा घर चाहता है जहां उस घर में रहने वाले लोगों के बीच आपसी संबंध मधुर परिपक्व ऊर्जावान हो। परंतु इस कविता में जिस घर का उल्लेख किया है , उसकी अपनी त्रासदी है। त्रासदी यह है कि उस घर के लोगों के बीच आपस में संवाद हीनता की दीवार खींच गई है।
इस संवाद हीनता का कारण गरीबी है, ऐसा नहीं है कि यह परिवार पैसे की ओर आकर्षित या धन का लालच रखता है। बल्कि सच यह है कि परिवार के सभी सदस्यों को एक-दूसरे की मजबूरी और लाचारी को जानते हैं समझते हैं, इसलिए वे एक दूसरे से बोलते नहीं।
यह परिवार गरीबी से लड़ते-लड़ते इतना उर्जा हीन दीन हीन जर्जर हो गया है कि आपसी रिश्तो को जीवित रखने के लिए जिस संवाद और ऊर्जा की आवश्यकता है वह समाप्त हो चुकी है। परिवार में पांच सदस्य हैं, सभी के बीच खून का रिश्ता है। परंतु गरीबी के कारण यह सभी अपने मन के भावों को अभिव्यक्त नहीं कर पाते हैं। यह संवादहीनता इनके बीच आपस में भाषा रूपी जर्जर ताले को खोल भी नहीं पाती है। यहां तक कि यह आपस में एक दूसरे के प्रति अपने दायित्व कर्तव्यों को भी गरीबी के कारण पूरा कर पाने में असमर्थ हैं।
गरीबी इनके रिश्तो को आपस में जिंदा रखने में सबसे बड़ी बाधक है।
घर में वापसी मूल भाव
यह कविता गरीबी से संघर्ष करते हुए परिवार की व्यथा कथा है। प्रत्येक मनुष्य संसार की भागमभाग भरी जिंदगी से राहत पाने के लिए उसने अपनत्व और सुरक्षा भरे वातावरण में घर बनाता है और उसमें रहता है। लेकिन विडंबना यह है कि तमाम रिश्ते, नातों, स्नेह और अपनत्व के बीच गरीबी की दीवार खड़ी हो जाती है। गरीबी से लड़ते-लड़ते अब इतनी भी ताकत नहीं रही कि रिश्तो में मधुरता लाने के लिए कोई चाबी बनाई जाए जो इस जटिल ताले को खोल सके।
कवि ने एक ऐसे घर की कामना की है जहां गरीबी दीवार की भांति बाधक ना हो और परिवार के सभी सदस्य प्रेम पूर्ण वातावरण में रहते हुए सुख प्राप्त कर सकें।
प्रश्न निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
वैसे हम स्वजन है …………… भाषा के भुन्न – सी ताले को खोलते।
प्रसंग –
कवि – धूमिल
कविता – घर में वापसी
व्याख्या –
प्रस्तुत पंक्तियों में कभी यह बताना चाहते हैं कि यद्यपि हमारा परिवार गरीब है तथापि हम स्वजन है अर्थात हम करीबी रिश्तेदार हैं हमारे रिश्ते मधुर हैं आज भी गरीबी होने के बावजूद हम सभी में आत्मीयता बनी हुई है। परंतु फिर भी हमारे रिश्ते के बीच गरीबी की दीवार जिसके कारण हम आपस में अपने मनोभावों को अभिव्यक्त भी नहीं कर पाते हैं। गरीबी के कारण रिश्तो में उपस्थित संवादहीनता के कारण हम सभी पारिवारिक सदस्य आपस में ना तो बोल पाते हैं और ना ही एक दूसरे के प्रति अपने कर्तव्यों को निभा पाते हैं।
प्रत्येक सदस्य पर एक मानसिक दबाव काम कर रहा है, जिसका कारण यह गरीबी और उससे उत्पन्न संवादहीनता है। यह गरीबी परिवार को विरासत में मिली है, वह जन्मजात गरीब हैं। परिवार का कोई भी सदस्य अपने विचारों को इसी प्रकार प्रकट नहीं करता क्योंकि वह सभी आपस में एक दूसरे की मजबूरी समझते हैं। आपसी रिश्तो की ऊर्जा व गर्मी बिल्कुल समाप्त हो गई है आगे कवि कहता है कि रिश्तो में आपस में इतनी भी ऊर्जा नहीं बची जिससे कि इनके बिच जंग खाई भाषा रूपी ताले को खोला जा सके, अर्थात भी आपस में संवाद की परंपरा को शुरू कर सकें।
शिल्प सौंदर्य –
- भाषा सरल सहज हे
- भाषा में चित्रात्मकता है
- गरीबी का यथार्थ चित्रण है
- खड़ी बोली आधुनिक जीवन में पैसों का रिश्ते पर प्रभाव पड़ा है उसका सटीक वर्णन किया है
- कविता आज के सबसे संवेदनशील मुद्दों को उठाती है
- मुक्तक छंद की कविता है
- भाषा का भुन्ना – सी ताला। रूपक अलंकार
- नवीन उपमान का प्रयोग।
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घर में वापसी काव्य सौंदर्य
भाव पक्ष – प्रस्तुत कविता में कवि में गरीबी की विवशता भरी जिंदगी का सजीव चित्र प्रस्तुत किया है। गरीबी के कारण परिवार में आए दिन बिखराव और अलगाव का भावपूर्ण चित्र उपस्थित किया है।कवि के हृदय में गरीबी के कारण आए बिखराव और अलगाव का भावपूर्ण चित्र उपस्थित किया है। कवि के हृदय में गरीबी के कारण विखराव को जोड़ने के तीव्र इच्छा है।
शिल्प सौंदर्य –
- कवि ने प्रतीकात्मकता और लाक्षणिकता से युक्त खड़ी बोली का प्रयोग किया है
- भाषा में करीब, गरीब आदि उर्दू शब्दों का प्रयोग से व्यवहारिकता आ गई है
- भाषा में चित्रात्मकता का समावेश है।
- मुक्तक छंद में लिखी गई कविता है
- सर्वथा नवीन उपमानों का प्रयोग है
- पंचर पहिए, पड़ाव से पहले, भाषा के भुन्नासी में अनुप्रास अलंकार है
- भाषा का भुन्नासी ताला बड़ा ही सुंदर रुपक है
- जोखिम उठाना मुहावरे का सटीक प्रयोग है
- मुक्तक छंद प्रयोग किया गया है
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घर में वापसी कविता का महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न – मां की आंखें पड़ाव से पहले ही तीर्थ यात्रा की बस के दो पंचर पहिए हैं, कैसे ?
उत्तर – कवी सुदामा पांडे धूमिल ने मां की आंखों को तीर्थ यात्रा की बस के दो पहिए कहा है। पड़ाव शब्द का प्रयोग प्रतीकात्मक है, वह मृत्यु का प्रतीक है।
दो पंचर पहिए का प्रतीकार्थ है ज्योति विहीन आंखें।
अपेक्षित गंतव्य तक न पहुंच पाने की यातना पंचर पहिए से व्यक्त होती है।
प्रश्न – पिता की आंखें लोह सायं की ठंडी सलाखें हैं से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – कवि ने पिता की आंखों को लोह सायं की ठंडी सलाखें बताया है यह उपमान प्रतीक रूप में प्रयुक्त किया है।यौवनावस्था में पिता तेजस्वी और रौबदार रहे होंगे पर बुढ़ापे और गरीबी ने उनके तेज को छीन लिया है उनका उत्साह ठंडा पड़ चुका है। भाषा सहज, सरल, भावपूर्ण है।
प्रश्न – घर एक परिवार है परिवार में पांच सदस्य हैं किंतु कवि पांच सदस्य नहीं उन्हें पांच जोड़ी आंखें मानता है। क्यों ?
उत्तर – घर एक परिवार होता है, जहां रहने वाले सभी सदस्य एक – दूसरे के सुख-दुख में सहायक होते हैं। उन सहायकों से मिलकर पूरा परिवार बनता है। किंतु कवि ने उन सदस्यों को सदस्य ना कहकर पांच जोड़ी आंखें बताया है, क्योंकि वहां रहने वाले सदस्य आपस में एक-दूसरे से बात नहीं करते।
धन के अभाव में उनके आपसी प्रेम में कमी आ गई है।
एक – दूसरे से बात ना करने के कारण परिवार विघटन के रास्ते पर आ गया है।
जिसके कारण उन्हें अपनत्व ममत्व सभी समाप्त हो चुकी हैं।
कोई एक दूसरे से नजर नहीं मिला था, सभी खुद में उलझे हुए हैं इसलिए कवि ने उन्हें पांच जोड़ी आंख बताना उचित माना है।
प्रश्न – पत्नी की आंखें, आंखें नहीं हाथ है, जो मुझे थामे हुए हैं से कवि का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – पत्नी सुख-दुख की सहभागी होती है, वह जितना सुख में साथ देती है उतना ही दुख में साथ देती है। कवि के साथ भी यही स्थिति है, पत्नी ने कवि का साथ उन परिस्थितियों में भी सदैव दिया जब उसकी अत्यधिक आवश्यकता थी। उसकी आंखें सदैव खुशियों से आशा और उत्साह से भरी रहती थी। जिसे कवि ने सहारा मानकर दुख के समय संघर्ष करने की प्रेरणा प्राप्त की। इसी भाव ने उन दोनों के बीच के रिश्तो को मजबूती प्रदान की।
प्रश्न – रिश्ते हैं लेकिन खुलते नहीं, कवि के सामने ऐसी कौन सी विवशता है जिससे आपसी रिश्ते भी नहीं खुलते हैं ?
उत्तर – रिश्तो के ना खुलने से आशय उनकी जटिलता से है, यह जटिलता परिवार में निर्धनता विपन्नता के कारण आई है। जिसके कारण परिवार के सदस्य एक – दूसरे से दूर और चिड़चिड़ा स्वभाव के हो गए हैं। आपस में बातचीत नहीं है, सभी के बीच दूरियां बढ़ती गई है लोगों की आपसी अभिव्यक्ति खुलकर नहीं हो पाती है। इसी विवशता को लेखक ने रिश्तो के नाप लेने की बात कही है।
घर में वापसी कहानी के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर यहां समाप्त होते हैं।