सब आंखों के आंसू उजले कविता महादेवी वर्मा

इस लेख में महादेवी वर्मा का संक्षिप्त जीवन परिचय , सब आंखों के आंसू उजले कविता का सार , कविता की व्याख्या , काव्य-सौंदर्य तथा महत्वपूर्ण प्रश्न-अभ्यास प्राप्त करेंगे। यह प्रतियोगिता तथा परीक्षा के अनुरूप है यह विद्यार्थियों के लिए लाभदायक है।

यह कविता महादेवी वर्मा की प्रसिद्ध कविता है।

महादेवी वर्मा छायावादी कवियों में से एक थी , सब आंखों के आंसू उजले कविता में उन्होंने प्रत्येक प्राणी जीव तथा पृथ्वी पर उपस्थित सभी विषय को किसी न किसी प्रेरणा से होने का अर्थ बताया है। सभी के कार्य भांति-भांति के हैं मगर अहम है , सभी के सपने होते हैं सभी में विश्वास का भाव होता है।

इस कविता के माध्यम से उन प्रतीकों को उजागर किया है।

सब आंखों के आंसू उजले

‘सब आंखों के आंसू उजले’ इस कविता में महादेवी वर्मा ने प्रकृति के विभिन्न प्रतीकों द्वारा मानव जीवन के यथार्थ को प्रस्तुत किया है।  यह प्रकृति के इस स्वरूप की चर्चा की गई है , जो सत्य है , यथार्थ है और मनुष्य को उसके लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करता है।

अपनी मानव प्रकृति में परिवर्तन लाए बिना दूसरों का कल्याण करने का संदेश यहां निहित है।

कवित्री ने सभी के आंसुओं को उजला बताया है , क्योंकि वह मन की सत्य भावनाओं के प्रतीक हैं। सृष्टि के सभी पदार्थ ईश्वरीय सत्ता से प्रभावित है , इसलिए सभी पदार्थों की त्यागमई भावना से उत्पन्न करुणा और वेदना भी।

अंततः जीवन को उज्जवलता प्रदान करती है।

अतः आंसुओं को उजला कहना सार्थक एवं उपयुक्त है।

सपनों को सच बनाने के लिए मनुष्य को जीवन में आने वाली कठिनाइयों और सुख-दुख का साहसपूर्ण सामना करना चाहिए। दीपक की तरह , फूलों की तरह खेलना आना चाहिए। एक ही परम सत्ता का अंत भिन्न-भिन्न पदार्थों में , भिन्न-भिन्न रूपों में दिखाई देता है। कोई भी वस्तु अपनी-अपनी प्रकृति के अनुरूप साधन अपना कर ही अपने को श्रेष्ठ सिद्ध करता है।

इसी तथ्य को कवित्री ने अनेक उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया है।

छायावादी कवियों ने प्रकृति को मानवीय चेतना और संस्कार से युक्त माना है।

यही कारण है कि छायावादी कविता में प्रकृति मानवीय व्यवहार से पूर्ण है।

सब आंखों के आंसू उजले प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1 – महादेवी वर्मा ने आंसुओं के लिए उजली विशेषण का प्रयोग किस संदर्भ में किया और क्यों ?

उत्तर – उजला सच्चाई , सादगी और आत्मा का प्रतीक है। विभिन्न कष्टों में घिर जाने के बाद भी। विषम संकट में फंस जाने के बाद तथा सब कुछ खो जाने के बाद भी व्यक्ति की आंखों में भविष्य के लिए सपने होते हैं। उन सपनों में सच्चाई भी होती है और सत्य भी उन सपनों को प्राप्त करने के लिए जो आंखों से आंसू निकलते हैं।

वह सत्य तथा त्याग के आंसू होते हैं , यह भावना शाश्वत होती है।

इसलिए महादेवी ने आंसू को उजला कहा है।

प्रश्न 2 – सपनों को सत्य रूप में ढालने के लिए कवित्री ने किन यथार्थपूर्ण स्थितियों का सामना करने को कहा है ?

उत्तर – सपनों को सत्य करने के लिए उसे विभिन्न प्रकार की स्थितियों का सामना करना पड़ेगा। जिसमें सुख-दुख , हर्ष-पीड़ा आदि सब कुछ निहित है।

इन सभी परिस्थितियों का सामना करते हुए ही , सपनों को सत्य किया जा सकता है।

इसके लिए महादेवी ने विभिन्न प्रकार के उदाहरण भी प्रस्तुत किए हैं।

प्रकृति ने सभी को विशेष कार्य के लिए नियुक्त किया है।

सभी के कार्य और विशेषता अलग-अलग है। इसी प्रकार मनुष्य को अपने जीवन में सदैव सफलता के लिए अपने सपनों को सच करने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए और जीवन के प्रत्येक परिस्थिति चुनौती से निपटने का साहस भी होना चाहिए।

प्रश्न – ‘नीलम मरकत के संपुट दो , जिनमें बनता जीवन मोती’ ‘नीलम मरकत’ और ‘जीवन मोती’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए

उत्तर – आकाश को नीलम तथा धरती को पन्ना संपुट कहा गया है। नीला आसमान और धरती के विशाल हरे भरे भूभाग पर दोनों के बीच मोती के समान जीवन बनता है। इन्हीं दोनों के मध्य जीवन निरंतर समानांतर चलता रहता है। और इस अनंत संसार में घटित होता है।

प्रश्न – कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि प्रकृति किस प्रकार मनुष्य को उसके लक्ष्य तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध होती है ?

उत्तर – कविता में प्रकृति मानव को प्रेरणा देते हुए , संदेश देते हुए दिखाया गया है।  पर्वत , झरना , वृक्ष , फल-फूल आदि सभी अपने जीवन को किस प्रकार दूसरों के लिए जीते हैं। दूसरों के कल्याण की भावना और मैं किस प्रकार होती है।

यह सभी साक्ष्य उपलब्ध कराते हुए सहायक सिद्ध हुए हैं।

जिनसे प्रेरित होकर मनुष्य अपने कर्तव्य मार्ग पर चलते हुए अपने समस्त सुखों को प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न – सपने सपने में सत्यता के आधार पर कविता की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए ?

उत्तर – प्रत्येक व्यक्ति के भीतर अनेकों प्रकार के सपने होते हैं और यह आवश्यक नहीं है जो सपना एक व्यक्ति देख रहा है दूसरा व्यक्ति भी उसी सपने को देख रहा हो। कुछ सपने निजी हित के लिए होते हैं तथा कुछ सपने दूसरों के हितों के लिए। मगर सभी सपनों में सत्यता होती है , अर्थात वह सभी सपने उज्जवल होते हैं , सफेद होते हैं और सत्य पर आधारित होते हैं।

यही कहानी की मूल संवेदना है।

प्रश्न – प्रकृति किस प्रकार मनुष्य को , उसके लक्ष्य तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध होती है ?

उत्तर – प्रकृति के कार्यों द्वारा मनुष्य की प्रेरणा मिलती है , मनुष्य आलस्य छोड़कर संघर्ष पथ पर बढ़ने के लिए प्रेरित हो जाता है।  फूलों का मरकंद , दीपक की लौ , झरनों का चंचल होकर बहना , प्रकृति का करुणा-जल , नभ  के तारे , विद्युत मेघ , अंकुरण आदि सभी उपादान मनुष्य को संघर्ष करके लक्ष्य तक पहुंचने की प्रेरणा देता है।

 

व्याख्या हेतु सहायक बिंदु ( सब आंखों के आंसू उजले )

महादेवी जी स्पष्ट करती है कि ईश्वर ने भिन्न-भिन्न प्रकार की वस्तुएं बनाई है , सभी के कार्य अलग-अलग होते हैं। परंतु सभी वस्तुओं में दूसरों के कल्याण के लिए त्यागमई भावना का गुण होना चाहिए।

दीपक जलकर और फूल खिल कर यह कार्य करता है।

पर्वत और सागर दोनों ही पृथ्वी को जल प्रदान करते हैं , फिर भी दोनों अपनी प्रकृति नहीं बदलते। सागर का हृदय कभी पत्थर सा कठोर नहीं बनता और पर्वत कभी अपने कठोरतम को नहीं बदलता। हीरे को अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए खंडित होना पड़ता है और सोने को आग में तपना पड़ता है। सोना ना तो कभी टूट कर और ना ही हीरा आग में तप कर अपने आकर्षण और सौंदर्य को बनाए रख पाता है। स्पष्ट है कि प्रत्येक वस्तु अपनी अपनी प्रकृति के अनुरूप ही साधन अपनाकर अपने अनुपम सौंदर्य और मूल्य को बनाए रख सकती है।

नीलम रत्न का आभास देता है ,

नीला आकाश और मरकत (पन्ना) जैसी दिखने वाली हरी-भरी विस्तृत धरती के द्वारा बीच का बना स्थान दोना , अंजलि जैसा प्रतीत होता है। दोनों जैसे एक संसार में सभी प्रकार का जीवन पनपता है , जो किसी सिपी के अंदर पलने वाले मोती की तरह स्वच्छ पवित्र और है समस्त सृष्टि में एक ही परम सत्ता का आंसर विद्यमान है।

जो आकाश में बिजली और बादल का रूप धारण कर प्रस्फुटित होता है।

कवित्री कहती है कि जो आकांक्षाएं मेरे भीतर बनती-बिगड़ती है वैसी ही दूसरे प्राणी भी अपने भीतर महसूस करते हैं। जलते , खिलते और बढ़ते हुए इस संसार के सभी जड़ चेतन पदार्थों में एक ही परम सत्ता का प्राण स्पंदित होता है। कवित्री स्पष्ट करती है कि पीड़ा की अनुभूति में सुख का अहसास में निरंतर आगे बढ़ती हुई सृष्टि की हर जड़ चेतन पदार्थ में एक ही प्राण समाया हुआ है।

एक ही परम सत्ता संपूर्ण सृष्टि में समान रूप से व्याप्त है यही।

कारण है कि प्रत्येक सपने वस्तु के अस्तित्व में एक ही सत्य आधारित होता है।

सब आंखों के आंसू उजले काव्य सौंदर्य

भाव पक्ष –

इस कविता में संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त प्रकृति के माध्यम से जीवन की व्याख्या की गई है।

प्रकृति के अनेक उपादानों दीप , फूल , पर्वत और सागर आदि के माध्यम से जीवन में त्यागमई भावना को रेखांकित किया गया है। सृष्टि के कल्याण के लिए हमें निश्चल भाव से अपने स्वभाव में परिवर्तन किए बिना अपना जीवन दूसरों के लिए उत्सर्ग करना होगा। ईश्वर सर्व व्यापक है , सृष्टि के प्रत्येक जड़ चेतन पदार्थ में एक ही परम सत्ता विद्यमान है।

शिल्प सौंदर्य –

  • भाषा तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली है
  • पूरी कविता में मानवीय अलंकार है
  • चित्रात्मकता एवं संगीतात्मकता है।
  • भावानुकूल शब्दों का प्रयोग है। अतः भाषा में सरसता , सरलता और लालित्य है।
  • ‘सबके सपनों में सत्य’ , ‘केशर किरणों और रंग-रूप’ में अनुप्रास अलंकार है।
  • घुल-घुल और शत-शत , सपने-सपने में प्रकाश अलंकार है।
  • जीवन-मोमी , करुणा-जल में रूपक अलंकार है
  • नभतारक-सा , केशर किरणों-सा , में उपमा अलंकार है
  • नीलम , भरकत , संपुट , जीवन-मोती आदि प्रतीकों का सुंदर प्रयोग किया गया है।

 

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निष्कर्ष

सब आंखों के आंसू उजले कविता में महादेवी ने जीवन के उच्च आदर्श को स्पष्ट करते हुए , उन्हें प्रकृति से जुड़ने का , कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। सभी का अपना कर्तव्य है यह विभिन्न उदाहरणों के द्वारा स्पष्ट किया गया है। हीरा , सोना , सागर , झरना आदि अपने मर्यादा में रहकर कार्य करते हैं , यह उनकी विशेषता है। ठीक इसी प्रकार सभी व्यक्ति में कुछ विशिष्ट गुण होते हैं उन्हें पहचानने और अपने जीवन मार्ग में आगे निरंतर बढ़ने के लिए महादेवी ने यहां आह्वान किया है तथा प्रेरित किया है।

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