इस लेख में उपमा अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित समस्त जानकारी का विस्तार पूर्वक अध्ययन करेंगे। इसमें टेबल के माध्यम से अलंकार को समझने में सरल बनाया गया है।
इस लेख का अध्ययन कर आप विद्यालय,विश्वविद्यालय तथा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी कर सकते हैं।
उपमा अलंकार की परिभाषा
परिभाषा :- किसी विख्यात वस्तु की समानता के सादृश्य जब किसी वस्तु या प्राणी के रूप ,गुण, धर्म का वर्णन करते हैं तो वहां उपमा अलंकार होता है। यह सादृश्य मुल्क अर्थालंकार है।
उपमा अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है। अर्थालंकार में मुख्य रूप से छः अलंकारों को समाहित किया गया है जिसमें से उपमा अलंकार एक है। अलंकार का मुख्य गुण काव्य सौंदर्य वृद्धि करना तथा रोचकता उत्पन्न करना है।
अर्थात अलंकार काव्य के सौंदर्य की वृद्धि करते हैं। इसके अनेकों उदाहरण और व्याख्या लेखकों ने अपने मतानुसार दिए हैं।
उपमा अलंकार के भेद
उपमा अलंकार के चार अंग माने गए हैं –
1 उपमेय 2 उपमान 3 साधारण धर्म 4 वाचक शब्द।
1 उपमेय –
वह प्राणी या वस्तु जिसका ‘सादृश्य’ रूप से वर्णन किया जाता है। इसे ‘प्रस्तुत’ भी कहा जाता है। जैसे –
उसका मुख चंद्रमा के समान है
‘मुख’ सादृश्य या प्रस्तुत है अतः यह उपमेय है।
2 उपमान –
जिस प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति के साथ उपमेय की समानता व्यक्त की जाती है उसे उपमान या ‘अप्रस्तुत’ भी कहा जाता है। जैसे –
उसका मुख चंद्रमा के समान है
‘चंद्रमा’ अप्रस्तुत है अर्थात यह उपमान है।
3 साधारण धर्म –
उपमेय तथा उपमान के बीच समानता गुण, धर्म आदि को मिलाता है उसे साधारण धर्म कहते हैं। जैसे –
उसका मुख चंद्रमा के समान सुंदर है
‘सुंदर’ शब्द साधारण धर्म है।
4 वाचक शब्द –
जिन शब्दों से उपमेय तथा उपमान के बीच समानता प्रकट की जाती है उन्हें वाचक शब्द कहते हैं। जैसे –
उसका मुख चंद्रमा के समान सुंदर है
‘समान’ शब्द वाचक है
अन्य वाचक शब्द – जैसा,जैसे,जैसी,सा,सी,से,सम,समान,ज्यों,सरिस,सदृस आदि है।
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अलंकार की परिभाषा, भेद, और उदाहरण
उपमा अलंकार का उदहारण upma alankar ke udaharan
पद | उपमेय | उपमान | साधारण धर्म | वाचक शब्द |
अरविंद से शिशु वृंद कैसे सो रहे हैं। | शिशु | अरविंद | वृंद | से |
पीपर पात सरिस मन डोला। | पीपल | मन | डोला | सरिस |
नील गगन सा शांत ह्रदय था हो रहा। | ह्रदय | नील गगन | शांत | सा |
हाय फूल-सी कोमल बच्ची हुई राख की ढेरी थी। | कोमल बच्ची | राख | ढेरी | सी |
दीपशिखा सा ज्वलित कलश नभ से उठकर करता निराजन। | कलश | दीपशिखा | ज्वलित | सा |
मखमल के झूले पड़े हाथी सा टीला। | मखमल | हाथी | टीला | सा |
यदि हम किसी तरह युधिष्ठिर जैसा संकल्प पाए जाते हैं। | युधिष्ठिर | संकल्प | जैसा | |
लघु सूरधनु से पंख पसारे-शीतल मलय समीर सहारे। | सुरधनु | मलय समीर | लघु | से |
तब तो बहता समय शीला सा जम जाएगा। | समय | बहता | जम | सा |
सावन के अंधहि ज्यों सूझत रंग हरो। | अँधा | सावन | सूझना | ज्यों |
मुख बाल रवि सम लाल होकर ज्वाला बोधित हुआ। | मुख | रवि | ज्वाला | सम |
छलछल थे संध्या के श्रम कण आंसू से गिरते थे प्रतिक्षण। | आंसू | श्रम कण | प्रतिक्षण | से |
उपमा अलंकार के भेद upma alankar ke bhed
उपमा अलंकार के तीन भेद माने गए हैं –
- पूर्णोपमा
- लुप्तोपमा
- मालोपमा
1.पूर्णोपमा
जब उपमा के चारों अंग उपमेय,उपमान,साधारण,धर्म,वाचक शब्द वर्तमान स्थिति में हो वहां पूर्णोपमा अलंकार माना जाता है। जैसे –
नील गगन सा शांत हृदय था हो रहा।
2.लुप्तोपमा
जिस वाक्य में उपमा के चारों अंग में से कोई अंग लुप्त हो वहां लुप्तोपमा अलंकार माना जाता है। जैसे-
कुंद रंदु सम देह।
3.मालोपमा
जिस वाक्य में उपमेय,उपमानों की माला से बन जाती हो वहां मालोपमा अलंकार माना जाता है। अर्थात उस वाक्य में एक से अधिक उपमेय,उपमान की उपलब्धता होती है। जैसे –
हिरनी से, मीन से, सुखांजन समान चारु
अमल कमल से, विलोचन निहारे है।
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निष्कर्ष –
उपरोक्त अध्ययन में हमने पाया कि उपमा अलंकार के चार अंग -उपमेय,उपमान,साधारण धर्म, वाचक शब्द है। तथा तीन भेद पूर्णोपमा,लुपोत्तमा, मालोपमा माने गए हैं।
इन सभी के सहयोग आदि से उपमा अलंकार की सिद्धि होती है।
जैसा कि हम जानते हैं अलंकार काव्य के सौंदर्य में वृद्धि के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
अतः अलंकार का कार्य सौंदर्य की वृद्धि करना होता है। उपमा अलंकार के अंतर्गत उपमेय तथा उपमान की तुलना की जाती है। किसी प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी से तुलना समानता के आधार पर की जाती है।
यह समानता उपमा अलंकार के रूप में परिवर्तित होती है
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