लोकोक्तियाँ अर्थ एवं वाक्य में प्रयोग सहित उदाहरण

इस लेख में हम पढ़ेंगे लोकोक्तियाँ अर्थ एवं वाक्य में प्रयोग सहित उनके उदाहरण। 

इस लेख को तैयार करने के लिए हमने सभी प्रकार के विद्यार्थियों का ध्यान रखा है। इस लेख का अध्ययन आप अपनी परीक्षा के लिए कर सकते हैं। यह लेख विद्यालय, विश्वविद्यालय तथा प्रतियोगी परीक्षाओं के अनुरूप है। इसके अध्ययन से आप अवश्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

लोकोक्तियाँ अर्थ और उदाहरण सहित

लोकोक्ति दो शब्दों के योग से बना है ‘लोक’ + ‘उक्ति’ अर्थात जो जनता या जन समाज के बीच आम बोलचाल में अनुभव के आधार पर उक्तियां पेश की जाती है, उन्हें हम लोकोक्ति कहते हैं। प्रचलित भाषा में हम लोकोक्ति को कहावत भी कहते हैं यह सामाजिक अनुभव के आधार पर बोली तथा कही जाती है। लोकोक्ति, मुहावरे से भिन्न होती है इसमें सामाजिक शब्दावलीयों का अधिक प्रयोग किया जाता है, जबकि मुहावरे में व्याकरणिक शब्दावली ओं का अधिक प्रयोग किया जाता है।

‘अ’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1. अंत भला तो सब भला – समाप्ति सफल हो तो छोटी बड़ी गलती भी माफ होती है

उदाहरण

कुंभ का आयोजन व्यापक तौर पर किया गया जिसमें बहुत सारी खामियां भी रही भीड़ को नियंत्रित करने मैं थोड़ा व्यवधान भी आया किंतु कुंभ बिना किसी बाधा विघ्न के संपन्न हुआ इसका अंत भला हुआ तो पूरा कुंभ मेला सफल हुआ।

2. अधजल गगरी छलकत जाए – अपूर्ण होते हुए पूर्ण से अधिक समझना

उदाहरण

मोहन दो दिन ट्यूशन के आ गया वह पूरी कक्षा में अपने आप को सबसे सर्वश्रेष्ठ मानने लगा। उसने अपने आगे अन्य विद्यार्थियों को महत्व देना ही बंद कर दिया।

3. अंधे के हाथ बटेर – अकस्मात ज्यादा मिल जाना

उदाहरण

जब टोनी पैसों के लिए इधर उधर दौड़ रहा था तभी उसे एक घड़ा मिल गया जिसके अंदर सोने चांदी के गहने थे उसके लिए बटेर मिलने जैसा हो गया।

4. अंधा क्या चाहे दो आंखें – मनचाही वस्तु मिल जाना

उदाहरण

व्यक्ति जिस चीज से असमर्थ रहता है, उसके जीवन में जिसकी विवशता रहती है उसे अगर वरदान मांगने को कहा जाए तो वह अपनी मनमानी चीज को ही मांगता है जैसे एक अंधा व्यक्ति अपना आंख ही मांगेगा।

5. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत – समय का हाथ से निकलना

उदाहरण

वार्षिक परीक्षा का समय सिर पर आ गया किंतु जिस विद्यार्थियों ने अध्ययन नहीं किया वह सभी अनु तृण हुए बाद में उनके पछताने से क्या लाभ जब चिड़िया चुग गई हो खेत।

6. अंधे के आगे रोए अपने नैना खोए – निर्दय व्यक्ति से अपना दुख कहना व्यर्थ है

उदाहरण

कई ऐसे कंजूस मालिक, साहूकार होते हैं जो अपने मजदूरों का ध्यान तक नहीं रखते। उनसे किसी प्रकार की सहायता प्राप्त नहीं होती। ऐसे मालिक और साहूकारों के आगे रो कर अपने नैनो को ही कष्ट पहुंचाना है।

7. अंधों में काना राजा – मूर्खों के बीच थोड़े पढ़े लिखों का भी आदर होता है।

उदाहरण

मूर्खों की टोली में दो अक्षर जानने वालों का भी वह महत्व होता है, जो पूरे राज्य में राजा का होता है। वह टोली उन्हें अपने समूह का नेता मानती है उसके बातों पर अपनी सहमति रखती है।

8. अंधा बांटे रेवड़ी अपने-अपने को दे – अपने तथा परिवार के हितों के लिए न्याय को चोट पहुंचाना

उदाहरण

जो व्यक्ति अपने अपनों में भेद करता है, वह सिर्फ अपनों को ही लाभ पहुंचाता है। जिस प्रकार एक नेत्रहीन व्यक्ति कोई सामान देने से पूर्व सुनिश्चित कर लेता है कि वह किसको दे रहा है। ऐसे ही अन्य लोग स्वार्थ के वशीभूत अपने-अपने लोगों को लाभ पहुंचाते हैं।

9. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता – अकेले व्यक्ति से सब कुछ संभव नहीं है

उदाहरण

किसी भी कार्य को करने के लिए पूरे समूह की आवश्यकता होती है। जिस प्रकार स्वतंत्रता आंदोलन में कोई एक व्यक्ति के संघर्ष से स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हो सकती थी। पूरे भारत वर्ष के लोगों ने संघर्ष किया तब जाकर यह आजादी नसीब हुई।

10. अंधी पीसे कुत्ता खाए – अनजान आदमी को मूर्ख बनाना

उदाहरण

कम जानकारी या सत्य को नहीं देखने पर विधर्मी कथा छल-कपट का साथ देने वाले लोग सच्चे व्यक्ति को मूर्ख बनाते हैं और उनसे अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं क्योंकि वह व्यक्ति सत्य से अनभिज्ञ रहता है।

11. अपनी अपनी डफली अपना अपना राग – स्वयं का मालिक होना

उदाहरण

पंचायत के समय नेता और जनता के बीच गहरा वाद-विवाद चलता है। जनता जहां अपना दुख नेताओं के सामने बताते हैं, वही नेता यह मान लेते हैं कि उनकी डफली है वह जो राज गाय जनता को सुनना ही पड़ेगा। जबकि यह विश्वास लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।

12. अपने मुंह मियां मिट्ठू – अपनी बड़ाई स्वयं करना

उदाहरण

बॉलीवुड के कुछ ऐसे अभिनेता हैं जो समाज कल्याण का स्वांग रचाते हैं और खूब बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। अखबारों में इस त्यौहार भी देते हैं। इनका कार्य केवल अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना है। यह केवल अपने मुंह से अपनी तारीफ करते हैं, दूसरे लोग भले तारीफ करें या ना करें।

‘आ’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 आम के आम गुठलियों के दाम – दुगना लाभ होना

उदाहरण

मोहन का परिवार किराए पर घर लेकर रहा करता था।  उस मकान मालिक ने उस किराय को ही किस्त में बदलकर वह घर मोहन के पिता जी का नाम कर दिया। इससे उसको आम के आम और गुठलियों के दाम भी मिल गए। क्योंकि वह किराया मकान के ब्याज में बदल गया था।

2 आगे कुआं पीछे खाई – चारों ओर से घिर जाना

उदाहरण

सरकारी विमान सेवा बंद होने पर जब कर्मचारियों को निकाला गया तो उनकी स्थिति आगे कुआं पीछे खाई की हो गई थी। क्योंकि उन्हें कहीं और नौकरी नहीं मिल पा रही थी, कमाने का संकट सामने आ खड़ा था। कई लोगों ने तो लोन भी लिया हुआ था उसका भी भय सता रहा था।

3 आसमान से गिरा खजूर पर अटका – एक मुसीबत से छूट कर दूसरे मुसीबत में पड़ जाना

उदाहरण

जनता ने नए नेता को यह समझकर चुना कि उसके आने से सारी व्यवस्थाएं बदल जाएंगी उन्हें सुविधा मिलेगी। किंतु जनता के साथ आसमान से गिरकर खजूर पर पटकने की स्थिति हो गई क्योंकि नया नेता भी कोई कार्य करने वाला नहीं था।

4 आधी छोड़ सारी को, धावे आधी मिले न सारी पावे – अधिक लालच में कुछ भी प्राप्त ना हो ना

उदाहरण

जो व्यक्ति अधिक लालच करता है उसके हाथ सदैव खाली रहते हैं। वह सामने से आ रहे अवश्य को भी यह समझ कर छोड़ देता है कि उससे भी बड़ा अवसर आने वाला है। इसके फिर में वह दोनों अवसरों से वंचित रह जाता है।

5 आ बैल मुझे मार – विपत्ति को स्वयं बुलाना

उदाहरण

आमदनी का स्रोत सीमित होने पर जब एक या उससे अधिक लोन लेते हैं, जिसका कर्जा भरने में बेहद कठिनाई होती है। वह स्थिति आ बैल मुझे मार की होती है क्योंकि यह लोन व्यक्ति अपने शौक को पूरा करने के लिए ले तो लेता है किंतु उसे चुका पाने में और समर्थ रहता है।

6 आंख का अंधा नाम नयनसुख – नाम के विपरीत गुण होना

उदाहरण

व्यक्ति के नाम से कुछ नहीं होता, सब उसके कर्मों से होता है। जैसे एक करोड़ीमल नाम होकर भी व्यक्ति भिक्षा मांगकर अपना जीवन चलाता है।  इसीलिए कभी भी उसकी वास्तविकता को देखना चाहिए मुंह बोली बातों पर नहीं।

‘उ’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 उल्टा चोर कोतवाल को डांटे – निर्दोष व्यक्ति को दोषी बताना

उदाहरण

कार चला रहे एक बुजुर्ग ने साइकिल सवार को टक्कर मार दी। साइकिल सवार अपनी जगह ठीक था गलती बुजुर्ग की थी। उल्टा वह बुजुर्ग साइकिल सवार को डांटने और धमकाने लगा।

2 उल्टे बांस बरेली को – दोषारोपण करना

उदाहरण

मैराथन की दौड़ में खिलाड़ी ठीक प्रकार से प्रदर्शन नहीं किया, उल्टा व आयोजकों के सिर हार का ठीकरा फ़ोड़ने लगा। जबकि आयोजकों की इसमें कोई गलती नहीं थी। वह खिलाड़ी ठीक से दौड़ा ही नहीं था। इसे ही कहते हैं उल्टा बांस बरेली को।

‘ऊ’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 ऊंट के मुंह में जीरा – आवश्यकता से कम मिलना

उदाहरण

जंगल में भूखे शेर को मांस का एक छोटा टुकड़ा मिलना ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। क्योंकि उसको ज्यादा मांस के टुकड़े की आवश्यकता होती है जिससे वह अपनी भूख मिटा सके।

2 ऊंची दुकान फीका पकवान – वास्तविकता के विपरीत दिखावा करना

उदाहरण

शहर में प्रसिद्ध मिष्ठान भंडार का पकवान जब खा कर देखा तो वह बेहद साधारण था। जो सामान्य हलवाई भी बना सकते थे। किंतु उन्होंने इतना प्रचार-प्रसार किया हुआ था कि न जाने कितनी बड़ी दुकान हो। प्रचार के अनुसार उनके पकवान फीके थे।

‘ए’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 एक पंथ दो काज – एक साथ दो कार्य पूर्ण करना

उदाहरण

भारत सरकार ने धारा 370 को हटाने के साथ-साथ जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख को भी बांट दिया। इसे कहते हैं एक पंथ दो काज, क्योंकि ऐसा करने से धारा 370 को पुनः स्थापित करना काफी जटिल हो गया।

2 एक अनार सौ बीमार – सीमित वस्तु के लिए असीमित मांग

उदाहरण

कोरोना महामारी के समय ऑक्सीजन की इतनी किल्लत हुई कि एक सिलेंडर को पाने के लिए हजारों लोग इंतजार कर रहे थे।

3 एक और एक ग्यारह – एक और एक मिलने से गुणात्मक शक्ति हो जाती है

उदाहरण

छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में नक्सलियों के साथ सेना मुठभेड़ कर रही थी। सेना की संख्या कम होने पर नक्सली भारी पड़ रहे थे। तभी सेना का साथ पुलिस बल ने दिया, अब इनकी ताकत एक और एक मिलकर ग्यारह की हो गई थी। जिससे नक्सली देखते ही देखते भाग खड़े हुए।

4 एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकते – दो प्रतिद्वंद्वी एक जगह नहीं रह सकते

उदाहरण

कबड्डी टीम को प्रशिक्षण के लिए दो कोच नियुक्त किए गए। उन दोनों की रणनीति विपरीत थी जिसके कारण दोनों में सदैव टकराव होता रहा और कबड्डी टीम का प्रशिक्षण अधूरा रहा। इस प्रशिक्षण को पूरा करने के लिए एक कोच को हटाना पड़ा। क्योंकि एक म्यान में दो तलवार कभी नहीं रहा करती।

5 एक तो करेला दूसरा नीम चढ़ा – दूसरे के प्रभाव में आना

उदाहरण

टोनी छोटे-मोटे जुआ तो खेल लिया करता था, किंतु जब से वह बुरे लोगों की संगत में आया है वह चोरी भी करने लगा है। एक तो पहले से ही करेला था, दोस्तों के साथ मिलकर नीम भी चढ़ गया अर्थात और भी कड़वा हो गया।

6 एक ही थाली के चट्टे बट्टे – घनिष्ठ संबंध होना

उदाहरण

सभी मंत्री एक ही थाली के चट्टे बट्टे होते हैं, उन्हें बड़ी-बड़ी बातें करना आता है जनता के हितों से उनका कोई लगाओ नहीं होता वह केवल अपने हित के बारे में सदैव सोचते हैं।

7 एक हाथ से ताली नहीं बजती – किसी भी प्रतिक्रिया में दो पक्ष होते हैं

उदाहरण

फैक्ट्री के दो गुट में झगड़ा हो गया जांच में सामने आया झगड़े का कारण दोनों गुट बराबर है क्योंकि लड़ाई कभी एक और से शुरू नहीं होती।

8 एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है – एक का दोष सभी पर प्रभाव डालता है

उदाहरण

एक बुरा आचरण करने वाला व्यक्ति पूरे समाज को बदनाम कर देता है, इसलिए समाज को चाहिए कि उस व्यक्ति से दूरी बना कर रहे।

‘ओ’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 ओखली में सिर देना – संकट में पडना

उदाहरण

यह जानते हुए भी कि लोन लेना बेहद खतरनाक होता है, जिसका कर्ज न चुकाने पर काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है। लोन लिया और इन सभी समस्याओं में जानबूझकर पड़ गया जो ओखली में सिर देने वाली बात हो गई।

2 ओछे की प्रीत, बालू की भीत – दुष्ट की मित्रता बालू के खिलौने जल्दी नष्ट हो जाते हैं

उदाहरण

निम्न कोटि के लोगों से लगाओ रखना उनसे प्रेम करना, रेत से बने हुए खिलौने के समान है जो ज्यादा देर तक टिकी नहीं रहती। वह क्षण भर में नष्ट हो जाता है, इसी प्रकार यह लोग अपने स्वार्थ सिद्ध होते ही, आपका नुकसान पहुंचा देते हैं।

‘क’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 कोयले की दलाली में मुंह काला – बुरे काम का बुरा नतीजा

उदाहरण

टोनी ने अपने जानकारों से पैसे उधार पर लेकर किसी व्यक्ति को दिए, वह व्यक्ति सारा पैसा लेकर भाग गया। जिससे टोनी की भी काफी बेज्जती हुई।

2 काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती – धोखा बार-बार नहीं दिया जा सकता

उदाहरण

टोनी जब पिछला उधार बिना चुका है लोगों के पास पैसे मांगने गया तो, सभी ने पैसे देने से मना कर दिए क्योंकि काठ की हांडी तो एक बार ही चढ़ती है।

3 काला अक्षर भैंस बराबर – अनपढ़ होना

उदाहरण

अनपढ़ लोगों के लिए सभी किताब एक समान होते हैं, चाहे वह किताब कितना ही गुढ बात क्यों ना बता रहा हो। क्योंकि उन्हें पढ़ना नहीं आता इसलिए सभी अक्षर एक समान नजर आते हैं।

4 कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव ऊपर – सहायता के लिए एक-दूसरे पर निर्भर

उदाहरण

भारत की अर्थव्यवस्था पूंजीपति और बैंक पर विशेष निर्भर करती है। कभी पूंजीपति को आवश्यकता होती है तो वह बैंक से पैसे लेते हैं। कभी बैंक को आवश्यकता होती है तो वह पूंजी पतियों से पैसे लेते हैं। जिससे दोनों अपनी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। यह दोनों एक-दूसरे पर निर्भर भी करते हैं।

5 का वर्षा जब कृषि सुखाने – समय पर काम ना आना

उदाहरण

बीमारी के समय जब पैसों की सख्त आवश्यकता थी तब चारों ओर ढूंढ कर देख लिया कहीं पैसे नहीं मिले। अब जब पैसे की आवश्यकता नहीं है तो सभी पैसे देने के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं। यह तो वैसा ही हो गया जैसे कृषि सूखने के बाद बरसात का होना।

6 कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमति ने कुनबा जोड़ा – असंगत वस्तुओं का मेल

उदाहरण

बिना योजना के बनाई गई इमारत अधिक समय तक नहीं टिकती। उसकी मजबूती के लिए ठीक प्रकार से कार्य करने की आवश्यकता होती है

7 कंगाली में आटा गीला – तंगी के समय अधिक खर्च

उदाहरण

आर्थिक तंगी के समय महंगाई का निरंतर बढ़ना कंगाली में आटा गीला का कार्य करती है।  एक तो वैसे ही पैसे की तंगी ऊपर से यह महंगाई।

8 कहां राजा भोज कहां गंगू तेली – तुलना ना होना

उदाहरण

अधिक बोलने वाले व्यक्ति तथा शांत रहकर जवाब देने वाले व्यक्ति में राजा भोज और गंगू तेली की सी भिन्नता होती है। दोनों का कोई मेल नहीं हो सकता।

‘ख’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 खोदा पहाड़ निकली चुहिया – परिश्रम से अधिक लाभ ना मिलना

उदाहरण

फसल की पैदावार ठीक से हो इसके लिए दिन-रात परिश्रम किया, इतना मेहनत और धन तथा समय भी लगाया किंतु फसल काटने के बाद खोदा पहाड़ निकली चुहिया की सी स्थिति हो गई। फसल की पैदावार बिल्कुल ना के बराबर हुई।

2 खग जाने खग ही की भाषा – अपने स्वभाव के लोगों को भलीभांति जानना

उदाहरण

दो शेयर मार्केट के लोग आपस में न जाने कैसी शब्दावली ओं का प्रयोग करते हुए बातचीत कर रहे थे जो मेरे बिल्कुल समझ से ऊपर था। यह स्थिति खग जाने खग की भाषा वाली थी। अर्थात एक पक्षी की भाषा पक्षी समझ सकती है वैसे ही इन दोनों लोगों की बात कोई तीसरा शेयर मार्केट का व्यक्ति ही समझ सकता था।

3 खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है – संगति का असर

उदाहरण

संगति का असर व्यक्ति पर अवश्य पड़ता है। वह जैसी संगति में रहता है उसका आचरण भी वैसा ही हो जाता है। अगर वह दुष्ट लोगों के साथ रहेगा तो दुष्ट बनेगा, वही सज्जन व्यक्ति का साथ मिलने पर वह सज्जन बनता है।

4 खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे – व्यर्थ के विरोध से अपनी ऊर्जा खत्म करना

उदाहरण

नेताओं की जब दाल नहीं गलती तो वह खिसियानी बिल्ली की तरह बर्ताव करते हैं, जिससे चाहते हैं कि जनता उनसे डरे किंतु ऐसा नहीं होता।

‘ग’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 गेहूं के साथ घुन भी पीस जाना – दोषी व्यक्ति के साथ निर्दोष को भी सजा मिलना

उदाहरण

बुरे लोगों के साथ कुछ अच्छे लोग भी फंस जाते हैं। टोनी रात दिन चोरी किया करता था, किंतु वह शाम को कुछ अच्छे लोगों से भी मिलता था। जब जांच में टोनी को पकड़ा गया तो उसके अच्छे दोस्तों को भी शक की दृष्टि से जांच किया गया।

2 गंगा आए तो गंगादास, जमुना आए तो जमुनादास – परिस्थिति के अनुकूल बदल जाना

उदाहरण

मौकापरस्त लोग समय के अनुसार स्वयं को बदल लेते हैं। अपने मौके को अवसर में बदलने के लिए उनके अनुकूल ढाल लेते हैं और उनका हितेषी बन उनको नुकसान पहुंचाते हैं।

‘घ’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 घर की मुर्गी दाल बराबर – स्वयं को कम आंकना

उदाहरण

मोहन के पिता काफी शिक्षित हैं, वह दूसरे बच्चों को पढ़ाते हैं।  किंतु मोहन अपने पिता से नहीं पढ़ता उसे बाहर ट्यूशन पढ़ने में आनंद आता है। उसके लिए उसके पिता की पढ़ाई घर की मुर्गी दाल बराबर है।

2 घर फूंक तमाशा देखना – अपने शान के लिए धन को लुटाना

उदाहरण

टोनी ने शराब के नशे में घर का सारा धन बेच दिया, यहां तक कि घर को धोखाधड़ी करके गिरवी भी रख दिया। अब जब उसके पास कुछ नहीं बचा तो बैठा पछता रहा है वह घर फूंक कर अब तमाशा देख रहा है।

3 घर का भेदी लंका ढाए – अपनों का रहस्य बता कर उनका अहित करना

उदाहरण

अपना गुप्त भेद कोई सगा-संबंधी ही जानता है। जब वह शत्रुओं से मिलकर हमारे सभी राज बता देता है तो शत्रु हमें आसानी से नुकसान पहुंचा पाता है। इसे ही कहते हैं घर का भेदी लंका ढाए, जैसे विभीषण ने लंका की सारी गुप्त बातें राम को बता दी थी जिससे राम की सेना को पूरी रणनीति का ज्ञान हो गया था।

‘च’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 चोर की दाढ़ी में तिनका- अपनी गलती छुपाने के लिए आगे बढ़ कर बोलना

उदाहरण

साहूकार के यहां काम करने वाले नौकर ने पहले रुपए का बंडल चुराया। पकड़े जाने के डर से उसने साहूकार की तारीफ करने लगा और अपने खजाने को ध्यान से रखने की नसीहत देता रहा। साहूकार पहले तो अनमने ढंग से उसे सुनता रहा जब उसने तिजोरी को चेक किया तो उसे समझ आया कि वह मीठी मीठी बातें क्यों कर रहा था वह तुरंत ही पकड़ा गया।

2 चोर चोर मौसेरे भाई – एक जैसे पेशे के लोगों का आपसी संबंध होना

उदाहरण

एक चोर दूसरे चोर का राज कभी नहीं खोलता, जब तक की काफी ज्यादा आवश्यकता ना पड़े क्योंकि वह एक दूसरे के राज जानते हैं। वह चोरी के मामले में मौसेरे भाई होते हैं जो किसी भी कीमत पर अपने भाई का नुकसान नहीं होने देते क्योंकि उसका नुकसान उस से भी जुड़ा रहता है।

3 चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात – सुख के समय लापरवाही के कारण ज्यादा दिन नहीं रहते

उदाहरण

जिन्हें धन की प्राप्ति लॉटरी यह अकस्मात होती है वह उस धन की कदर नहीं करते। उनके लिए वह धन चार दिन की चांदनी होती है जिन्हें खर्च कर वह फिर अंधेरी रात में तब्दील हो जाती है।

4 चौबे गए छब्बे होने, दुबे ही रह गए – लाभ के स्थान पर हानि

उदाहरण

मोहसिन दुबई कमाने के लिए गया, वहां के खर्चों से उल्टा उसे नुकसान ही होने लगा।

5 चिराग तले अंधेरा – अपना ज्ञान अपने आसपास को ना मिल पाना

उदाहरण

शहर मैं एक नामी विद्यालय है जिसमें ढेर सारे विद्यार्थी दूर-दूर से पढ़ने आते हैं किंतु वही पास की बस्ती में छोटे बालकों के लिए शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है जो चिराग तले अंधेरे के समान है।

‘छ’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 छोटा मुंह बड़ी बात – हैसियत से बढ़कर बोलना

उदाहरण

एक नामी साहूकार के यहां काम करने वाले कर्मचारी का बालक बुद्धि में इतना निपुण है कि किसी भी प्रश्न का उत्तर तत्काल दे देता है। जिससे चढ़कर साहूकार हमेशा छोटी मुंह बड़ी बात के ताने दिया करता है।

2 छछूंदर के सिर में चमेली का तेल – अयोग्य व्यक्ति को मूल्यवान वस्तु मिल जाना

उदाहरण

अयोग्य, अज्ञानी व्यक्ति को मूल्यवान चीज की कोई कदर नहीं होती है। उसे मूल्यवान वस्तु भी मिल जाए तो वह उसको तुच्छ ही समझता है। क्योंकि उस वस्तु के बारे में उसे ज्ञान ही नहीं है, जो छछूंदर के सर चमेली का कार्य करती है।

‘ज’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 जैसी करनी वैसी भरनी – जैसा कर्म वैसा फल

उदाहरण

एक राजा ने घृणा वश अपने मंत्री के बेटे की हत्या के लिए कसाई खाने भेजा। मंत्री और राजा के बेटे दोस्त थे, मंत्री के बेटे के बजाय राजा के बेटे कसाई खाने पहुंच गए जहां उनकी हत्या हो गई। राजा को अपनी करनी का फल मिल गया था।

2 जिसकी लाठी उसकी भैंस – जिसके पास शक्ति होती है उसी की विजय होती है

उदाहरण

गांव से बाहर सरकारी जमीन कई वर्षों से खाली थी। जिस पर गांव के लोग सामूहिक प्रयोग किया करते थे।  किंतु शक्तिशाली लोगों ने उस जमीन को अपना बताकर अन्य लोगों को वहां आने से मना कर दिया। किसी और के पास इतना साहस नहीं था कि वह उनसे प्रतिस्पर्धा कर सके इसलिए उसकी लाठी थी वह अपनी भैंस बताकर जमीन कब्जा कर लिया।

3 जल में रहकर मगर से बैर – साथ में रहकर शत्रुता करना

उदाहरण

विद्यालय के शिक्षक अपने प्रधानाचार्य से जानबूझकर शिकायत नहीं करते क्योंकि प्रधानाचार्य उनकी शिकायत से नाराज हो जाएंगे। उनके लिए जल में रहकर मगर से बैर लेना संभव नहीं है।

4 जिस बर्तन में खाया उसी में छेद करना – कृतज्ञ होना

उदाहरण

टोनी अपने, मां बाप का इकलौता बेटा था उसकी परवरिश के लिए मां-बाप ने दिन रात एक कर दिया। किंतु टोनी बड़ा होकर अपने मां-बाप का ही नुकसान करने लगा। उसने जिस थाली में खाया उसी में अब छेद करना आरंभ कर दिया था।

5 जो बादल गरजते हैं वह बरसते नहीं – अधिक बोलने वाले लोग कम काम करते हैं

उदाहरण

कपिल बड़ी-बड़ी बातें करता है मैं यह कर दूंगा, मैं वह कर दूंगा किंतु जब कार्य करने का समय आता है तो वह गायब हो जाता है। इससे सिद्ध होता है कि जो बादल गरजते हैं वह बरसते नहीं।

6 जाको राखे साइयां मार सके ना कोई – समय से पूर्व अनहोनी ना होना

उदाहरण

जब ईश्वर और समय साथ हो तो कितनी भी विपरीत परिस्थिति क्यों ना आ जाए व्यक्ति का बाल भी बांका नहीं हो सकता। मुंबई में इमारत गिरने से सभी जख्मी तथा मारे गए। किंतु एक बच्चा सकुशल बाहर निकाला गया क्योंकि उसका समय और ईश्वर उसके साथ था।

7 जंगल में मोर नाचा किसने देखा – कार्य होने का प्रमाण ना मिलना

उदाहरण

नेता जी ने अपने भाषण में तमाम कार्यों का दावा किया जो उन्होंने अपने कार्यकाल में किया। किंतु लोगों को वह कार्य आज तक नहीं दिखे, क्योंकि नेता जी ने वह सभी कार्य किए ही नहीं थे जिनका वह दावा कर रहे थे।

8 जैसे नागनाथ वैसे सांपनाथ – दोनों का कुटिल व्यवहार होना

उदाहरण

गलत संगत और प्रवृत्ति के लोग भले ही नाम अलग-अलग क्यों ना हो वह हानिकारक ही होते हैं चाहे वह किसी भी बुरे संगत में क्यों ना हो। उससे समाज का ही नुकसान होता है।

‘ड’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 डूबते को तिनके का सहारा – कठिन समय में छोटा सहारा भी बहुत होता है

उदाहरण

मारवाड़ी परिवार अपने समुदाय के लोगों को कठिन समय में सहायता देकर उन्हें पुनः आर्थिक रूप से मजबूत बनाते हैं। उनके लिए यह सहारा बहुत बड़ा होता है जो अन्य समुदाय में देखने को नहीं मिलता।

‘त’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 तेते पांव पसारिए जेती लंबी सौर – आय के अनुसार ही खर्च करना चाहिए

उदाहरण

अपनी आय तथा आवश्यकता अनुसार खर्च करना चाहिए। जो व्यक्ति सदैव कर्ज लेकर अपने सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, वह भविष्य में निश्चित रूप से पछताता है। इसलिए उतना ही पैर फैलाना चाहिए जितनी बड़ी चादर हो।

2 तेली का तेल जले मसालची का दिल जले – आराम से जिंदगी जीने वाले को देख दूसरे लोग सदैव जलते हैं

उदाहरण

परिश्रम करने वाले व्यक्ति की मेहनत लगती है जिसके बलबूते पर वह सफलता तक पहुंच पाता है। किंतु जलने वाले लोग उसकी सफलता को देखकर ईर्ष्या करते हैं।  वह उसके मेहनत और कठिन परिश्रम को नहीं देखते।

‘थ’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 थोथा चना बाजे घना – दिखावा करना

उदाहरण

जो व्यक्ति अपने में अपूर्ण हो स्वयं में कमियां हो वह अधिक शोर मचाता है। वह अपने आप को पूर्ण तथा औरों से श्रेष्ठ दिखने का प्रयत्न करता है।

‘द’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 दादा खरीदे पोता बरतें – सामान का लंबी अवधि तक चलना

उदाहरण

मोहन के दादा जी ने अपने समय में एक आम का बागान लगाया था। वह आम के वृक्ष अब इतने बड़े और फलदार हो गए हैं कि उनके पोते अब उस बागान का लाभ ले रहे हैं इसे ही कहते हैं दादा खरीदे और पोता बरतें।

2 दूर के ढोल सुहावने – दूर से देखी गई चीज आकर्षक लगती है

उदाहरण

आज के लोगों में सामान्य सी गलतफहमी देखने को मिलती है। वह अमीर को देखकर सोचते हैं उसकी जिंदगी कितनी आसान है काश मेरी जिंदगी भी उस जैसी होती।  किंतु बारीकी से देखी जाए तो अमीर लोगों की जिंदगी सदैव संकट में रहती है, जो उन्हें एक क्षण में फकीर बना सकती है।

3 दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है – धोखा खाया व्यक्ति सतर्क रहता है

उदाहरण

मोहन को अपने ही लोगों से धोखा मिला इसलिए अब वह जल्दी किसी पर विश्वास नहीं करता।

4 दूध का दूध पानी का पानी – न्याय करना

उदाहरण

दो लोगों के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा चल रहा था। पुलिस ने जांच कर प्रमाण के साथ न्याय किया जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो गया।

5 दुविधा में दोनों गए माया मिली ना राम – अनिश्चित रहने की स्थिति में हानि होना

उदाहरण

जो लोग समय तथा अवसर की कदर नहीं करते तथा दुविधा ग्रस्त रहते हैं वैसे व्यक्ति भविष्य में पछताते हैं। दुविधा के कारण उन्हें कुछ भी प्राप्त नहीं हो पाता बाद में बैठे हाथ मलते रह जाते हैं।

6 दादा बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया – रुपया का मोल होना

उदाहरण

वर्तमान समय में पैसों का महत्व बढ़ गया है। आज कोई बिना स्वार्थ के कार्य नहीं करता। किसी भी कार्य के पीछे उसका निजी स्वार्थ छिपा रहता है क्योंकि आज रिश्तो की जगह पूंजी ने ले ली है।

7 देखें ऊंट किस करवट बैठता है – भविष्य की अनिश्चितता होना

उदाहरण

शेयर मार्केट में पैसा लगाने वाले लोग सदैव इस प्रतीक्षा में रहते हैं कि ऊंट किस करवट बैठेगा। क्योंकि इस पर उनकी लाभ हानि टिकी रहती है।

‘ध’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का – किसी के अधीन रहना

उदाहरण

बेईमानी करने पर कंपनी ने अपने एक कर्मचारी को निकाल दिया जिसके कारण उसकी छवि खराब हुई। अब उसे कोई कंपनी अपने यहां कार्य नहीं दे रही। उसकी स्थिति धोबी के कुत्ते जैसी हो गई अब वह नगर का रहा ना घाट का।

‘न’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 न राधा के नौ मन तेल न राधा नाचेगी – पहुंच से अधिक बड़ा लक्ष्य रखना

उदाहरण

जो लोग इस आशा में बैठे रहते हैं कि जब धन की बहुतायत मात्रा होगी तब वह कोई कार्य आरंभ करेंगे। इस गलतफहमी में वह अपना समय गवा देते हैं क्योंकि उनके पास बिना कार्य किए कभी धन की उपलब्धता नहीं हो सकता। वह भ्रम में कभी कार्य आरंभ ही नहीं कर पाता।

2 नेकी कर दरिया में डाल – उपकार कर भूल जाना

उदाहरण

सच्चे और नेक दिल मनुष्य उपकार करने के बाद उसको भूल जाता है क्योंकि उसके कर्मों का हिसाब कोई और कर रहा होता है। वह अपने नेकी का गुणगान अपने मुख से नहीं करते।

3 ना रहेगी बांस ना बजेगी बांसुरी – विवाद को समाप्त करना

उदाहरण

रास्ते में शराब का ठेका था जिससे आसपास के लोगों को काफी समस्या तथा लज्जा का सामना करना पड़ता था। धीरे-धीरे विवाद बढ़ने पर सरकार ने उस शराब के ठेके को बंद कर लाइब्रेरी स्थापित कर दी। अब ना बात है ना बासुरी बजेगी अर्थात ठेके का विवाद सदैव के लिए बंद हो गया।

4 नौ दिन चले अढ़ाई कोस – धीमी गति रखना

उदाहरण

आलसी विद्यार्थी अपने पढ़ाई के पाठ्यक्रम को वर्ष भर में भी पूरा नहीं कर पाते। वह धीमी गति से पढ़ाई करते हैं जिसके कारण वह अन्य लोगों के मुकाबले पीछे रह जाते हैं।

5 नौ नगद न तेरह उधार – लेन-देन का हिसाब ठीक रखना

उदाहरण

कार्य समय पर किया जाए तो कम मेहनत में वह पूरा हो जाता है। अगर उस कार्य को समय पर छोड़ दिया जाए तो वह और जटिल और परिश्रम वाला कार्य हो जाता है। इसलिए अपने कार्य को समय पर करना चाहिए।

‘प’ से प्रमुख लोकोक्तियां

1 पर उपदेश कुशल बहुतेरे – दूसरों को उपदेश देना सरल है

उदाहरण

बड़ी-बड़ी बातें करना तथा उपदेश देना काफी सरल है, किंतु जब उस उपदेश को स्वयं पर लागू करने की बात आती है तो वह बेहद जटिल हो जाता है।  इसलिए उपदेश देने के बजाय स्वयं पर लागू कर उदाहरण पेश करना चाहिए।

‘ब’ से प्रमुख लोकोक्तियां

1 बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद – अज्ञानी होना

उदाहरण

जो व्यक्ति आयुर्वेद के महत्व को नहीं जानता उसके उपचार की विधि से अनभिज्ञ हो वैसे व्यक्ति को आयुर्वेद का महत्व बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद जैसा है। जैसे बंदर अदरक का स्वाद नहीं बता सकता, वैसे ही यह व्यक्ति भी आयुर्वेदिक महत्व को नहीं बता सकता।

2 बिन मांगे मोती मिले मांगे मिले ना भीख – मांगने से कुछ नहीं प्राप्त होता

उदाहरण

जो व्यक्ति आवश्यकता पड़ने पर भी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाता वैसे व्यक्ति की मदद सभी लोग करना चाहते हैं। क्योंकि उसके हृदय में छल कपट नहीं होता बल्कि आत्मसम्मान की भावना भरी होती है। वह किसी भी परिस्थिति में धोखा नहीं दे सकता।

3 बोए पेड़ बबूल का आम कहां से पाए – बुरे काम का बुरा नतीजा

उदाहरण

जैसे कर्म आप करते हैं वैसा ही फल आपको मिलता है। अगर आप बुरे का साथ देंगे तो आप के साथ हम निश्चित ही बुरा होगा। अगर आप सही राह पर चलेंगे तो आप को सही दिशा ही प्राप्त होगी।

4 बिल्ली के भागों छींका टूटे – अचानक लाभ होना

उदाहरण

लॉटरी में पैसे लगाकर उम्मीद छोड़ चुका था, तभी अचानक लॉटरी की रकम दुगनी हो गई, जिससे बिल्ली के भागों छींका टूटने की स्थिति हो गई।

‘भ’ से प्रमुख लोकोक्तियां

1 भागते भूत की लंगोटी सही – अवसर पर जो मिल जाए वही काफी

उदाहरण

जानकारी मिलते ही की कंगाली के कारण बैंक स्थाई रूप से बंद होने वाला है। लोगों ने बैंक से जितना हो सके अधिक से अधिक अपने पैसे निकाल लिए। क्योंकि उनके लिए भागते भूत की लंगोटी सही की स्थिति थी।

‘म’ से प्रमुख लोकोक्तियां

1 मान ना मान मैं तेरा मेहमान – जबरदस्ती पीछे पड़ना

उदाहरण

कुछ ऐसे लोग पीछे पड़ जाते हैं जो परिचय ना होते हुए भी अपना मेहमान बताने लगते हैं और वह सुविधा प्राप्त करना चाहते हैं जो अपने परिवार जनों को मिलता है।

2 मन चंगा तो कठौती में गंगा – अच्छी सोच से अच्छा परिणाम

उदाहरण

मन शांत और स्थिर रहने पर स्वयं के भीतर भी ईश्वर के दर्शन कर सकते हैं अपने हृदय के भीतर बहती गंगा में स्नान कर सकते हैं। वही मन अशांत अस्थिर हो तो गंगा स्नान, तीर्थ स्थल जाना भी व्यर्थ है।

3 मुंह में राम बगल में छुरी – कपटी होना

उदाहरण

कुछ ऐसे ढोंगी और बहरूपिया होते हैं जो समाज में हितोपदेश तथा नीति की बातें करते हैं। किंतु जब उसे अमल करना होता है तो वहां अपना स्वार्थ देखते हुए दूसरों का अहित करते हैं।

4 मुंह मियां मसूर की दाल – अपनी बड़ाई स्वयं करना

उदाहरण

टोनी अपनी बड़ाई घूम-घूम कर स्वयं किया करता है, वह अपने मुंह मियां मसूर की दाल बना रहता है। अपने को श्रेष्ठ दिखाने का प्रयास करता है।

‘र’ से प्रमुख लोकोक्तियां

1 रस्सी जल गई पर बल ना गया – सब कुछ लुटा कर भी अहंकार का बचे रहना

उदाहरण

समाज में बाहुबली का आतंक था, सरकार बदलते ही बाहुबली का सारा अहंकार सरकार ने धराशाई कर दिया। कुछ ना होते हुए भी वह ऐसे अहंकार रखता है जैसे उससे बड़ा कोई बाहुबली ना हो। इसकी स्थिति रस्सी जल गई पर बल ना गया किसी हो गई।

‘ल’ से प्रमुख लोकोक्तियां

1 लातों के भूत बातों से नहीं मानते – अपराधी बिना सजा दिए नहीं सुधरते

उदाहरण

समाज में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो बिना सजा के नहीं सुधरते ऐसे लोगों को सुधारने के लिए सजा देने की भाषा का ही प्रयोग करना पड़ता है।

‘ढ’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 ढाक के तीन पात – कोई असर ना पढ़ना

उदाहरण

सलीम मानसिक रूप से इतना कमजोर है कि उसे एक ही बात को हजारों बार बताने पर भी पूरा याद नहीं रखता। जिसके कारण उसे बार-बार पूछने की नौबत पड़ती है उसके लिए प्रत्येक बात ढाक के तीन पात के समान है।

‘स’ से प्रमुख लोकोक्तियां

1 सांप भी मरे लाठी न टूटे – बुरे का अंत अपना अहित किए बिना

उदाहरण

नई सरकार के आते ही पुलिस प्रशासन ऐसे कार्यवाही करने लगी कि देखते-देखते सभी अपराधी समाज से समाप्त हो गए। उन्होंने ऐसे कार्यवाही की कि सांप भी मर गया लाठी भी नहीं टूटा।

2 सेवा करे सो मेवा पावे – निस्वार्थ की गई सेवा का फल अच्छा होता है

उदाहरण

जो बालक अपने माता पिता की अंतिम समय तक सेवा करते हैं उन्हीं बालकों को अपने मां पिता की संपत्ति प्राप्त होती है यह उनके सेवा का ही फल होता है।

3 सस्ता रोए बार-बार महंगा रोए एक बार – लालच का फल

उदाहरण

जो व्यक्ति सस्ते और लालच के चक्कर में सदैव लगा रहता है वह बार-बार कष्ट पाता है। क्योंकि सस्ता सामान अधिक समय तक नहीं टिकता। वही महंगा सामान खरीदते समय एक बार ही कष्ट होता है, किंतु उसका उपभोग लंबे समय तक किया जाता है।

4 सिर मुड़ाते ओले पड़े – अचानक मुसीबत का आना

उदाहरण

डॉक्टर साहब ने काफी सोच-विचार कर एक नया घर ब्याज पर खरीदा। कुछ समय बाद सरकार ने ब्याज दर को अचानक काफी ज्यादा बढ़ा दिया, जो डॉक्टर साहब के लिए सिर मुड़ाते ओले पड़ने के समान हो गया।

5 सीधी उंगली से घी नहीं निकलना – सरलता से कार्य ना होना

उदाहरण

कभी-कभी कोई कार्य सीधे तरीके से ना हो तो उसको पूरा करने के लिए दूसरा वैकल्पिक रास्ता चुनना ही पड़ता है। अगर किसी कार्यालय में कर्मचारी सीधे तौर पर कार्य नहीं करते तो उनसे नौकरी से निकालने की धमकी देकर कार्य करवाना पड़ता है।

6 सौ सुनार की एक लोहार की – कमजोर के अनेकों प्रहार पर, बलशाली का एक प्रहार काफी होता है

उदाहरण

छोटे-छोटे परिश्रम से बड़ी सफलता प्राप्त नहीं होती। बड़ी सफलता प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम भी करना होता है। कठिन परिश्रम की चोट से सफलता अवश्य प्राप्त होती है।

‘ह’ से प्रमुख लोकोक्तियाँ

1 हाथ कंगन को अरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या – प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती

उदाहरण

समझदार और पढ़े लिखे लोग किसी भी परिस्थिति में अपने विवेक से कार्य कर लेते हैं। क्योंकि वह प्रत्यक्ष को प्रमाण देने का सामर्थ रखते हैं।

2 हींग लगे न फिटकरी रंग दी चौखा – बिना खर्च अच्छा परिणाम मिलना

उदाहरण

मनोज नए शहर में नौकरी की तलाश के लिए एक वर्ष से घूम रहा था। उसे जब नौकरी मिली तो उसे रहने का स्थान तथा स्वास्थ्य के लिए इंश्योरेंस भी कंपनी ने करा कर दिया। यह उसके लिए हरे लगे ना फिटकरी रंग भी चोखा होने जैसा था।  क्योंकि वह रूम का किराया भी अलग से दे रहा था और स्वास्थ्य का इंश्योरेंस भी उसके पास नहीं था।

3 हमारी बिल्ली हमें पर म्याऊं – धोखा देना

उदाहरण

समाज में कुछ ऐसे लोग होते हैं जिन्हें मेहनत करके सिखाने पर भी वह हमें ही चुनौती देने लगते हैं जैसे हमारी बिल्ली और हमारा ही नुकसान करने को आमादा हो।

4 हाथी निकल गया दुम रह गई – निशान रह जाना

उदाहरण

डकैतों ने बैंक में डकैती करके लाखों रुपए की चपत लगाई। किंतु एक डकैत के पहचान पत्र बैंक में गिरने से पूरी डकैती का पर्दाफाश हो गया। इसे ही कहते हैं हाथी निकल गया लेकिन दुम रह गई।

5 हाथ पांव फूलना – भय लगना

शेर को अचानक सामने देखकर राजेश के हाथ पांव फूल गए जिसके कारण वह थरथर कांपने लगा।

6 हाथी के पांव में सबका पांव – छोटी-छोटी मेहनत बड़ी सफलता दिलाती है

उदाहरण

एक साहूकार केवल अपना और अपने परिवार का जीवन नहीं चलाता बल्कि उसके यहां कार्य करने वाले सभी कर्मचारियों का तथा उनके परिवारों का भी जीवन साहूकार से ही चलाता है।अतः साहूकार की संपन्नता सभी की संपन्नता है।

7 हीरे की कदर जोहरी जाने – गुणवान व्यक्ति की पहचान गुणवान व्यक्ति ही करता है

उदाहरण

मूल्यवान वस्तु की कीमत उसके गुण और मूल्य को जानने वाला व्यक्ति ही बता सकता है किसी अनजाने व्यक्ति को उसके गुण और मूल्य की कीमत पता नहीं होती।

8 हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और – संपन्न लोग अधिक दिखावा नहीं करते

उदाहरण

मारवाड़ी साहूकार अपना जीवन इतना सादा रखते हैं कि उनके व्यक्तित्व से उनके धन का आकलन नहीं किया जा सकता। वह समाज में बेहद साधारण रूप से रहते हैं। चाहे उनके पास कितनी संपत्ति क्यों ना हो। उनके खाने के दांत और दिखाने के दांत अलग होते हैं।

9 होनहार बिरवान के होत चिकने पात – कम आयु में प्रतिभा का पता चलना

उदाहरण

विलक्षण प्रतिभा के बालक अपनी प्रतिभा को कम आयु में ही दिखाना आरंभ कर देते हैं। जिससे उनके परिवार और समाज को उसके प्रतिभावान होने का ज्ञान बचपन में ही हो जाता है।

लोकोक्ति से जुड़े प्रश्न उत्तर

इनके जरिए आप अपनी इस विषय से संबंधित समझ को जांच सकते हैं

1 ‘नाच न जाने आंगन टेढ़ा’ का सही उदाहरण क्या होगा ?

(क) अहंकार दिखाना (ख) नाचने का ढंग ना जानना
(ग) आंगन टेढ़ा होने के कारण नाच पाने में असमर्थ (घ) अपनी योग्यता छिपाने के लिए दूसरों पर दोष मढ़ना

उत्तर – अपनी योग्यता छिपाने के लिए दूसरों पर दोष मढ़ना।

2 – ‘चोर की दाढ़ी में तिनका’ सही व्याख्या क्या होगी ?

(क) दोषी का सदैव चौकन्ना रहना (ख) अपने कार्यों को छुपाना
(ग) हार कर भी हार ना मानना। (घ) धोखेबाजी करना

उत्तर – दोषी का सदैव चौकन्ना रहना।

3 ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’ का क्या अर्थ है ?

(क) बड़ा कार्य करना (ख) अधिक मेहनत पर कम प्राप्त होना
(ग) बड़ी सफलता मिलना (घ) पहाड़ खोदकर चुहिया को निकालना

उत्तर – अधिक मेहनत पर कम प्राप्त होना

4 अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता’ का क्या अर्थ है ?

(क) अकेला व्यक्ति असफल होता है (ख) एक चने से घड़ा नहीं टूटता
(ग) अकेला व्यक्ति बड़ा काम नहीं कर सकता (घ) अकेला व्यक्ति लड़ाई नहीं कर सकता

उत्तर – अकेला व्यक्ति बड़ा काम नहीं कर सकता

5 ‘अधजल गगरी छलकत जाए’ लोकोक्ति का क्या अर्थ होगा?

(क) अल्प ज्ञान द्वारा गर्व करना (ख) अहंकारी होना
(ग) आधी भरी हुई गगरी छलकती है (घ) संभल कर चलना

उत्तर – अल्प ज्ञान द्वारा गर्व करना

6 ऊंट के मुंह में जीरा लोकोक्ति का क्या अर्थ होगा ?

(क) पेट भर खाना खाना (ख) ऊंट को जीरा खिलाना
(ग) ऊंट को जीरे का स्वाद लगना (घ) बहुत थोड़ा

उत्तर – बहुत थोड़ा

7 एक अनार सौ बीमार लोकोक्ति का क्या अर्थ होगा ?

(क) एक अनार सौ मरीज का होना (ख) मांग कम पूर्ति अधिक
(ग) एक वस्तु के अनेक चाहने वाले (घ) एक वस्तु के कम चाहने वाले

उत्तर – एक वस्तु के अनेक चाहने वाले

8 मुंह में राम बगल में छुरी का क्या अर्थ होगा ?

(क) क्रोधी होना (ख) ईर्ष्या का भाव रखना
(ग) ऊपरी मित्रता मन में शत्रुता (घ) ईश्वर के नाम पर धोखा करना

उत्तर – ऊपरी मित्रता मन में शत्रुता

9 ‘धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का’ लोकोक्ति का अर्थ क्या है ?

(क) शांत रहना (ख) मार खाना
(ग) अधिक भार उठाना (घ) कहीं और ठिकाना ना मिलना

उत्तर – कहीं और ठिकाना ना मिलना

10 ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ लोकोक्ति का सही अर्थ क्या होगा?

(क) लाठी वाले के पास भैंस होती है (ख) भैंस लाठी से मार खाती है
(ग) शक्तिशाली का बोलबाला होना (घ) लाठी वाले की भैंस से लड़ाई।

उत्तर – शक्तिशाली का बोलबाला होना

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निष्कर्ष

उपरोक्त लेख में हमने लोकोक्ति का विस्तृत रूप से अध्ययन किया। यह दो शब्दों के योग से बना है लोग+उक्ति। अर्थात लोगों के सोच विचार से जो भाव प्रकट किया जाता है।

यह लोकोक्ति जनसामान्य के बीच प्रचलित होती है।

इसका कोई एक निश्चित रूप रेखा नहीं होती।

इसका प्रयोग विभिन्न परिस्थितियों में किया जा सकता है इसमें शब्दार्थ और वाच्यार्थ दोनों का महत्व है।

आशा है यह लेख आपको पसंद आया हो, आपके ज्ञान की वृद्धि हो सकी हो।

संबंधित विषय से प्रश्न पूछने के लिए क्या सुझाव देने के लिए कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें।

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