व्यंजना शब्द शक्ति की परिभाषा, भेद, और उदाहरण

प्रस्तुत लेख में व्यंजना शब्द शक्ति का विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे और उसके सभी भेदों की जानकारी हासिल करेंगे। इस लेख को हमने विद्यार्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरल बनाने का प्रयत्न किया है।

हिंदी साहित्य में शब्द शक्ति का विशेष महत्व है, किसी भी साहित्य में सब शक्तियों को प्राण तत्व माना गया है।

शब्द शक्ति तीन प्रकार की मानी गई है लक्षणा, व्यंजना, अभिधा।

आधुनिक मानव समाज में शब्दों का विशेष महत्व है, यह शब्द ही उसके कार्य व्यापार का माध्यम है। इन शब्दों का एक निश्चित रूप और आकार होता है, जो उनके भावों को अभिव्यक्त करने का माध्यम भी है। अर्थात सभी प्रकार के अर्थ का बोध शब्दों के माध्यम से होता है। शब्दों को तीन रूप में वर्गीकृत किया गया है – वाचक शब्द, लक्ष्क शब्द, व्यंजक शब्द। इनके माध्यम से तीनों शब्द शक्तियों की उत्पत्ति हुई है जिन्हें हम अभिधा शब्द शक्ति, लक्षणा शब्द शक्ति, व्यंजना शब्द शक्ति कहते हैं।

व्यंजना शब्द शक्ति की परिभाषा

व्यंजना शब्द शक्ति आनंद वर्धन द्वारा निरूपित ध्वनि सिद्धांत पर आधारित है। व्यंजना का अर्थ है – ‘प्रकाशित करना’ अर्थात जिस शब्द शक्ति के द्वारा मुख्यार्थ और लक्ष्यार्थ से भिन्न तीसरे का अर्थ प्रकाशित हो उसे व्यंजना शब्द शक्ति कहते हैं। इस शब्द शक्ति से प्रकाशित अर्थ को व्यंग्यार्थ और अर्थ धारण करने वाले शब्द को व्यंजक कहते हैं। यह व्यंग्य अर्थ सूचित किया व्यंजित होता है।

उदाहरण से समझें तो किसी कार्यालय में अगर कर्मचारी आपस में बात करते हुए कहे ‘5:00 बज गए हैं’ तो उससे संभावित अर्थ यह निकलता है कि अब कार्यालय बंद होने का समय आ गया है, हमें अब अपना काम समेटना चाहिए। यह अर्थ व्यंजना से संबंधित है।

व्यंजना शब्द शक्ति के भेद

व्यंजना का अंतिम लक्ष्य रमणियता का बोध कराना है, व्यंजना का संबंध अर्थ से माना गया है। व्यंजना के मुख्य पर दो भेद माने गए हैं

  1. शाब्दी व्यंजना
  2. आर्थी व्यंजना

शाब्दी व्यंजना 

इस व्यंजक के अंतर्गत उसके शब्दों का विशेष अर्थ होता है। अर्थात यहां शब्दों को हटाकर कोई समानार्थी शब्द का प्रयोग नहीं किया जा सकता।  शाब्दी व्यंजना के दो भेद हैं –

( क ) अभिधामूला शाब्दी व्यंजना

चिरजीवौ जोरी जुरै क्यों न सनेह गंभीर

को घटि ये वृषभानुजा वे हलदर के बीर। ( बिहारी )

यहां वृषभानुजा और हलधर शब्दों का प्रयोग हुआ है। वृषभानुजा राधा तथा हलदर बलराम को कहा गया है।

( ख ) लक्षणामूला शाब्दी व्यंजना

जहां लक्ष्यार्थ के माध्यम से व्यंजना का आभास होता है, वहां लक्षणामूला शाब्दी व्यंजना माना जाता है।  वह गधे जैसा काम करता है।

आर्थी व्यंजना

इस व्यंजना के अंतर्गत व्यंग्यार्थ शब्द आश्रित ना होकर अर्थ द्वारा व्यंजन होता है। इसमें अर्थ की प्रमुखता होती है।  जहां अर्थ के द्वारा व्यंग्यार्थ की व्यंजना होती है वहां आर्थी व्यंजना होता है। इसके प्रमुख दो भेद माने गए हैं – अभिधामूला आर्थी व्यंजना, लक्षणामूला आर्थी व्यंजना।

संबंधित लेख का अध्ययन करें

संज्ञा

अलंकार

सर्वनाम 

हिंदी वर्णमाला

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

उपसर्ग

क्रिया

समास

अव्यय

विशेषण

क्रिया विशेषण

कारक

पर्यायवाची शब्द

मुहावरे 

विलोम शब्द

लोकोक्तियाँ

संधि

वचन की संपूर्ण जानकारी

शब्द शक्ति

 

निष्कर्ष

मनुष्य के शब्द व्यवहार से जिन अर्थों तथा भावों की अभिव्यक्ति होती है उन्हें शब्द शक्ति कहा जाता है। उपरोक्त अध्ययन में हमने पाया शब्द शक्ति तीन प्रकार की है। अभिधा, लक्षणा, व्यंजना उपरोक्त लेख में हमने व्यंजना शब्द शक्ति का विस्तृत रूप से अध्ययन किया। आशा है उपरोक्त लेख आपको पसंद आया हो, आपके ज्ञान की वृद्धि हो सकी हो।

संबंधित विषय से प्रश्न पूछने के लिए कमेंट बॉक्स में लिखें हम आपके प्रश्नों के उत्तर तत्काल देने का प्रयत्न करेंगे।

Leave a Comment