अभिव्यक्ति और माध्यम एन.सी.ई.आर.टी (NCERT) द्वारा कक्षा ग्यारहवीं तथा बारहवीं के लिए व्याकरण के तौर पर लगाया गया है। इस पुस्तक के अध्ययन में विद्यार्थियों को अधिक दिक्कतें आती है।
इन्हीं परेशानियों को ध्यान में रखकर यह लेख तैयार किया जा रहा है।
इस लेख के माध्यम से विद्यार्थी अभिव्यक्ति और माध्यम के कठिन प्रश्नों का अध्ययन करते हुए , उनके कठिनाई स्तर को समझ सकेंगे। उन प्रश्नों के निवारण हेतु , उत्तर को सटीक स्वयं से लिख पाने में सामर्थवान हो सकेंगे।
यह लेख कक्षा ग्यारहवीं तथा बारहवीं के अतिरिक्त प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए भी लाभदायक है। प्रतियोगी परीक्षा में हिंदी विषय के अंतर्गत इन प्रश्नों को पूछा जाता है।
विद्यार्थी वहां इस लेख के माध्यम से उन प्रश्नों के हल कर सकते हैं।
अभिव्यक्ति और माध्यम – Abhivyakti aur madhyam class 11
अभी आप पढ़ेंगे अभिव्यक्ति और माध्यम कक्षा ग्यारहवीं के लिए। कक्षा बारहवीं के लिए आपको थोड़ा नीचे जाना पड़ेगा।
प्रश्न – पटकथा किसे कहते हैं ? विस्तार से लिखें।
उत्तर – पट अर्थात कपड़ा। वह कथा जिसे पर्दे पर दिखाने के लिए लिखा जाए , उसे पटकथा कहते हैं। वर्तमान में टीवी पर दिखाया जाने वाला फिल्म , नाटक , सीरियल आदि पटकथा के अंतर्गत आते हैं। सीधे तौर पर यह कह सकते हैं कि जो कथा पर्दे/ सिनेमा पर दिखाने के लिए लिखा जाए , वह पटकथा कहलाता है।
प्रश्न – नाटक के कितने तत्व हैं ?
उत्तर – नाटक के तत्व है
- १ कथावस्तु
- २ देशकाल वातावरण
- ३ भाषा शैली
- ४ अभिनेता
- ५ वेशभूषा
- ६ संवाद
- ७ उद्देश्य
प्रश्न – उल्टा पिरामिड शैली क्या है ? ( अभिव्यक्ति और माध्यम का महत्वपूर्ण प्रश्न )
उत्तर – उल्टा पिरामिड शैली का प्रयोग समाचार लेखन के लिए किया जाता है। समाचार लेखन करते हुए आरंभ में घटना का पूरा ब्यौरा दिया जाता है। तदुपरांत घटते क्रम में वर्णनात्मक ब्यौरा होता है।
इसी घटते क्रम को उल्टा पिरामिड शैली कहा गया है।
इसका सर्वोत्तम उदाहरण समाचार लेखन में देखने को मिलता है।
उल्टा पिरामिड अभिव्यक्ति और माध्यम का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है और यह परीक्षा में जरूर पूछा जाता है।
प्रश्न – फ्लैशबैक तकनीक क्या है ? स्पष्ट करें।
उत्तर – पटकथा पर दिखाए जाने वाला अतीत का दृश्य या घटना फ्लैशबैक तकनीक कहलाता है। इसके अंतर्गत अतीत की घटना को कथा बनाकर पर्दे पर दिखाया जाता है।
प्रश्न – फ्लैश फॉरवर्ड तकनीक क्या है ?
उत्तर – फ्लैश फॉरवर्ड तकनीक के माध्यम से भविष्य में घटने वाली घटना या दृश्य को पर्दे पर दिखाया जाता है। वर्तमान में बैठे हुए व्यक्ति को भविष्य में होने वाली घटना को दिखाना फ्लैशबैक तकनीक का कार्य है।
इसका प्रयोग पटकथा लिखने में किया जाता है।
प्रश्न – फ्लैशबैक तथा फ्लैशफॉरवार्ड तकनीक में क्या अंतर है ?
उत्तर – फ्लैशबैक तकनीक के माध्यम से अतीत की घटना को दिखाया जाता है। फ्लैश फॉरवर्ड तकनीक के माध्यम से भविष्य में होने वाली संभावित घटनाओं को दिखाया जाता है। एक अतीत को दिखाता है तो दूसरा भविष्य को।
पटकथा का मूल उद्देश्य अतीत या भविष्य को दिखाते हुए वर्तमान में आना होता है।
प्रश्न – स्क्रीनप्ले क्या है ? इससे आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – पर्दे पर दिखाया जाने वाला दृश्य अंग्रेजी के में स्क्रीनप्ले कहलाता है। स्क्रीनप्ले के अनुसार व्यक्ति – नाटक , फिल्म या कहानी को स्क्रीन अथवा पर्दे पर देखता है।
प्रश्न – संचार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – संचार दो व्यक्तियों द्वारा आपस में किए गए अपने विचारों के आदान-प्रदान को कहा जाता है। संचार चर धातु से बना है , जिसका अर्थ है चलना अर्थात वह जो साथ-साथ चले संचार कहलाता है।
प्रश्न – फीडबैक किसे कहते हैं ? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर – फीडबैक सूचना के ठीक प्राप्त होने के उपरांत व्यक्ति के अनुभव के रूप में प्राप्त किया जाता है। वर्तमान समय में कंपनियां अपने गुणवत्ता में सुधार करने के लिए अपने ग्राहकों से फीडबैक लिया करती है।
जिससे भविष्य में ग्राहकों के अनुकूल वह कार्य कर सकें।
प्रश्न – पहला समाचार वाचक कौन थे ? ( अभिव्यक्ति और माध्यम का महत्वपूर्ण प्रश्न )
उत्तर – पहला समाचार वाचक महर्षि नारद मुनि को माना गया है। वह प्राचीन काल में घूम-घूम कर एक-दूसरे को सूचना दिया करते थे। महाभारत का एक दृश्य जिसमें संजय हस्तिनापुर में बैठे , अपने नेत्रहीन महाराज धृतराष्ट्र को , हस्तिनापुर में हो रहे महाभारत युद्ध का वृतांत सुनाते थे।
यह भी समाचार वाचक का कार्य है।
प्रश्न – जन संचार के आधुनिक माध्यम कौन-कौन से हैं ?
उत्तर – जन संचार के आधुनिक माध्यम टेलीविजन , पत्र- पत्रिका , समाचार पत्र , इंटरनेट , सिनेमा , मोबाइल तथा कंप्यूटर है।
प्रश्न – हिंदी समाचार के चार समाचार पत्र का नाम लिखें।
उत्तर – हिंदुस्तान , नवभारत , पंजाब केसरी , अमर उजाला , दैनिक भास्कर।
प्रश्न – रेडियो संचार का कैसा माध्यम है ? इसकी शुरुआत कब हुई ?
उत्तर – रेडियो समाचार का श्रव्य माध्यम है। रेडियो के माध्यम से कोई भी व्यक्ति उस में प्रसारित होने वाले – संगीत , सूचना , समाचार , मनोरंजन आदि को सुन सकता है।
जनसंचार के शुरुआती दौर में यह संचार का सशक्त माध्यम था।
इसकी खोज 1895 में इटली के वैज्ञानिक जी. मार्कोनी ने की थी।
1921 में संगीत प्रसारण का कार्यक्रम टाइम्स ऑफ इंडिया ने मुंबई में किया।
इसके पश्चात 1936 में ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना हुई थी।
प्रश्न – टेलीविजन संचार का कैसा माध्यम है ? इसकी खोज कब हुई ?
उत्तर – टेलीविजन संचार का दृश्य तथा श्रव्य माध्यम है। टेलीविजन के माध्यम से व्यक्ति सूचना घटना मनोरंजन आदि को देख तथा सुन सकता है। इसकी खोज 1927 में हुई थी। भारत में किसका प्रयोग 15 सितंबर 1959 को शिक्षा के प्रसारण के उद्देश्य रूप में हुआ था।
प्रश्न – भारत में पहली मुक फिल्म कब बनी ? इसका नाम क्या था ?
उत्तर – भारत की पहली मूक फिल्म राजा हरिश्चंद्र थी जिसे 1913 में दादासाहब फालके ने बनाया था।
प्रश्न – पहली बोलती हुई फिल्म कौन सी थी ? इसका क्या नाम था ?
उत्तर – पहली बोलती फिल्म आलम आरा थी , जिसे 1931 में बनाया गया था।
प्रश्न – द्वारपाल किसे कहते हैं ?
उत्तर – किसी सूचना को प्रकाशित तथा प्रसारित करने से पूर्व। अनेक द्वारपाल अर्थात निरीक्षक संपादक आदि इस पर नजर रखते हैं। जिन्हें द्वारपाल कहा जाता है।
प्रश्न – जनसंचार में द्वारपाल का क्या महत्व है ?
उत्तर – जनसंचार माध्यमों में द्वारपाल का विशेष महत्व तथा योगदान होता है।
द्वारपाल की देख-रेख में सूचना का प्रकाशन तथा प्रसारित आदि कार्यक्रम संपन्न होता है। समाचार की शुद्धता , स्पष्टता और सटीकता इन सभी पर द्वारपाल अपनी नजर बनाए रखता है।
इस प्रकार जनसंचार के प्रति दर्शकों – पाठकों का विश्वास बना रहता है।
प्रश्न – इंटरनेट के लाभ लिखें।
उत्तर – इंटरनेट आधुनिक युग का सशक्त माध्यम है। व्यक्तिगत जीवन इंटरनेट के माध्यम से सुलभ हो गया है। संचार के क्षेत्र में इंटरनेट ने क्रांति उत्पन्न किया है। इंटरनेट के माध्यम से एक व्यक्ति पूरे विश्व की जानकारी एक क्षण में प्राप्त कर सकता है। अपने दोस्तों , परिजनों तथा शुभचिंतकों को तत्काल मिल सकता है , उनसे वार्तालाप कर सकता है।
यहां तक की पढ़ाई तथा सूचना प्राप्त करने का इंटरनेट एक सशक्त माध्यम बन गया है।
इंटरनेट का प्रयोग मोबाइल , कंप्यूटर जैसे उपकरणों के माध्यम से सरल रूप में किया जा सकता है।
प्रश्न – पत्रकारिता के तीन पहलू क्या-क्या है ?
उत्तर – पत्रकारिता के प्रमुख तीन पहलुओं इस प्रकार हैं –
- समाचार/खबर को एकत्र करना। (यहां रिपोर्टर्स की भूमिका अहम रहती है)
- खबर को समाचार पत्र पत्रिका में छापने लायक बनाना। (यहां मुद्रक तथा संपादक अहम योगदान निभाते हैं)
- खबर को पत्र-पत्रिका में छाप कर पाठकों तक पहुंचाना। (इस क्षेत्र में ट्रांसपोर्टर तथा वेंडर की भूमिका होती है )
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प्रश्न – पत्रकारिता का अंतिम लक्ष्य क्या है ?
उत्तर – पत्रकारिता का अंतिम लक्ष्य दर्शकों तथा पाठकों तक सच्ची जानकारी उपलब्ध कराना। इसका मूल तत्व जिज्ञासा है।
प्रश्न – पत्रकारिता किसे कहते हैं ?
उत्तर – पत्रकारिता जर्नलिज्म का हिंदी रूपांतरण है। यह एक ऐसा साहित्य है जो शीघ्र लिखा जाता है।
इसका उद्देश्य घटनाओं को तत्काल प्रकाशित अथवा प्रसारित करना होता है।
प्रश्न – समाचार के प्रमुख तत्व / घटक कौन-कौन से हैं ? विस्तार से लिखें।
उत्तर – समाचार के प्रमुख तत्व तथा घटक निम्नलिखित है –
- नवीनता – समाचार की मांग होती है कि वह नवीन हो। तत्काल और वर्तमान में घटी हुई घटना को , विशेष महत्व दिया जाता है।
- निकटता – दर्शकों की सदैव मांग रहती है घटना उनके निकट की हो। दर्शक उन घटनाओं को अधिक देखना और सुनना पसंद करते हैं जो उनके आसपास की हो।
- प्रभाव – समाचार लेखन में इसका विशेष महत्व होता है। प्रस्तुत की गई घटना दर्शकों को कितना प्रभावित कर सकी। यह समाचार की सफलता को दर्शाती है।
- जन रुचि – दर्शकों की मांग पर समाचार का क्षेत्र होना चाहिए। कुछ दर्शक राजनीति में रुचि रखते हैं , तो कुछ आर्थिक में। जन रुचि को ध्यान में रखते हुए समाचार लेखन का प्रबंध किया जाना चाहिए।
- टकराव या संघर्ष – समाचार को उन खबरों से बचना चाहिए जो लोगों में टकराव या संघर्ष की स्थिति उत्पन्न न करें। व्यक्ति स्वभाव से टकराव या संघर्ष की घटनाओं में रुचि लेता है इसको भली-भांति समझना चाहिए।
- महत्वपूर्ण लोग – व्यक्ति प्रसिद्ध व्यक्ति तथा महत्वपूर्ण लोगों के प्रति जानने की उत्सुकता रखते हैं। ऐसे व्यक्तियों का चयन कर उन पर विशेष लेख लिखा जा सकता है।
- उपयोगी जानकारी – समाचार के माध्यम से उपयोगी जानकारी दी जा सकती है। जैसे किसी चुनाव के समय चुनाव में शामिल होने से लेकर वोट डालने तक की जानकारी। किसी महामारी के दौरान उससे बचाव और इलाज की जानकारी। इस प्रकार की उपयोगी जानकारी दर्शकों तथा पाठकों को बेहद पसंद आती है
- अनोखापन – निरंतर एक ही प्रकार के लेख और डिजाइन को देखकर दर्शक में निरस्ता उत्पन्न होती है। इसमें नए तथा अनोखेपन को आवश्यक रूप से अपनाना चाहिए।
अभिव्यक्ति और माध्यम में समाचार के प्रमुख तत्वों का बहुत बड़ा योगदान है इसलिए ध्यानपूर्वक पढ़कर समझे।
प्रश्न – संपादक कौन होता है ? इसकी क्या भूमिका होती है ?
उत्तर – समाचार लेखन में संपादक की अहम भूमिका रहती है। संपादक को समाचार पत्र का प्राण भी कह सकते हैं।
संपादक के निर्देशों के अनुसार पत्र-पत्रिका का प्रकाशन किया जाता है।
संपादक पूरे पत्र-पत्रिका के डिजाइन उसके लेख , विषय आदि पर ध्यान बनाए रखता है।
प्रश्न – पीत्त पत्रिका क्या है ?
उत्तर – पीत पत्रिका समाचार पत्र का एक अंग है। इसका उद्देश्य भंडाफोड़ तथा सनसनीखेज खबरों को प्रकाशित करना है।
प्रश्न – स्टिंग ऑपरेशन क्या है ?
उत्तर – स्टिंग ऑपरेशन किसी भ्रष्टाचार या अप्रिय घटना को गुप्त रूप से रिकॉर्ड करना है। कभी-कभी भ्रष्टाचार गहरी जड़े जमा लेता है इसकी रक्षा के लिए बाहरी शक्तियां काम करती है। साधारण व्यक्ति के वश में इन घटनाओं को प्रमाणिक रूप से व्यक्त करना नहीं होता है। ऐसी घटनाओं को गुप्त रूप से प्रमाणिकता के साथ उद्घाटित करना स्टिंग ऑपरेशन कहलाता है।
इसमें रंगे हाथ अपराधी या भ्रष्टाचारी पकड़ा जाता है।
प्रश्न – फोटो पत्रकारिता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – माना जाता है हजारों शब्दों से जो बात नहीं कही जा सकती , वह एक फोटो कह देती है। भारत के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान जब पत्रकारों को अभिव्यक्ति की आजादी नहीं थी। फोटो पत्रकारिता ने अहम योगदान निभाते हुए पत्रकारों की आवाज बनी। कितने ही प्रसिद्ध कार्टून बनाने वाले तथा व्यंग कारों ने फोटो के माध्यम से सत्ता की नींव को हिलाया था।
फोटो के माध्यम से पत्रकारिता करना फोटो पत्रकारिता कहलाता है।
प्रश्न – संपादन क्या है ? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर – संपादन किसी भी समाचार के प्रकाशन से पूर्व उसकी अशुद्धि तथा त्रुटियों को दूर करता है।
इसके लिए संपादक तथा उप संपादक और प्रूफ राइटर की भूमिका अहम हो जाती है।
प्रश्न – संपादक मंडल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – संपादक मंडल एक समूह होता है , जो सूचना के प्रकाशन से पूर्व अहम भूमिका निभाता है। इसमें संपादक , उप संपादक , संयुक्त संपादक , सहायक संपादक , विशेष संपादक , संवाददाता और प्रूफ्रीडर आदि शामिल होते हैं।
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प्रश्न – संपादकीय क्या होता है ? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर – संपादकीय वह पृष्ठ होता है जो पूरे समाचार पत्र का लक्ष्य प्रदर्शित करता है।
यह पृष्ठ संपादक द्वारा लिखा जाता है। इस पृष्ठ पर छपने वाला लेख विशेष होता है , यह समसामयिक मुद्दे सामाजिक मुद्दे आर्थिक मुद्दों आदि पर आधारित होता है।
संपादकीय पृष्ठ उस समाचार पत्र या पत्रिका का दृष्टिकोण प्रदर्शित करता है।
अभिव्यक्ति और माध्यम – Abhivyakti aur madhyam ( class 12 )
अभी आप पढ़ेंगे अभिव्यक्ति और माध्यम कक्षा बारहवीं के लिए। भक साला
प्रश्न – जनसंचार के प्रमुख माध्यम कौन-कौन से हैं ?
उत्तर – जनसंचार के प्रमुख माध्यम प्रिंट , रेडियो , टेलिविजन तथा इंटरनेट है।
प्रिंट के रूप में समाचार पत्र-पत्रिकाएं होती है। रेडियो श्रवण का एक प्रमुख माध्यम है । टेलीविजन दृश्य तथा द्रव्य के साथ घटना व दृश्य प्रसारित करता है , वही इंटरनेट इन सभी के प्रसारण में सुलभ है।
प्रश्न – भारत में पहला छापाखाना कहां खुला ? उस के क्या उद्देश्य थे ?
उत्तर – भारत में पहला छापाखाना 1556 को गोवा में खुला। यह ईसाई मिशनरियों द्वारा स्थापित किया गया था। जिसका प्रमुख उद्देश्य धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन करना था।
ईसाई भारत में निरंतर अपना धर्म प्रचार कर रहे थे।
मुद्रण के कारण उन्होंने अपनी पुस्तकों को प्रकाशित कर गैर इसाई यों को प्रभावित किया था।
प्रश्न – मुद्रण प्रणाली की प्रमुख विशेषता क्या थी ?
उत्तर – मुद्रण प्रणाली का भारत में आगमन सराहनीय था। मुद्रण का आरंभिक कार्य ईसाई पुस्तकों को प्रकाशित कर गैर ईसाइयों तक धार्मिक विशेषता सिद्ध करना था।
किंतु अनेकों खामियां होने के बावजूद इसकी विशेषताएं भी अनेकों थी।
मुद्रण कला से पूर्व ताम्रपत्र , तथा पेड़ के पत्तों आदि पर लिखा जाता था।
यह अधिक टिकाऊ नहीं थे। समय के साथ वह सब लेख नष्ट हो जाया करते थे। मुद्रण कला के विकास में उनके संरक्षण में अपना योगदान दिया।
मुद्रण के माध्यम से शब्दों को सहेजने में सुविधा हुई।
इनके लेख अधिक समय तक खराब नहीं होते थे।
प्रश्न – रेडियो जनसंचार का कैसा माध्यम है ?
उत्तर – रेडियो जनसंचार का श्रव्य माध्यम है। भारत में इसकी शुरुआत पत्र-पत्रिका और टी.वी से पूर्व हुई। भारत में रेडियो की लोकप्रियता सबसे अधिक थी।
समय के साथ इसका स्थान टेलिविजन तथा इंटरनेट में ले लिया।
प्रश्न – उल्टा पिरामिड शैली क्या है ? अपने शब्दों में लिखें
उत्तर – उल्टा पिरामिड शैली समाचार लेखन की एक कला है। इसमें घटते क्रम में समाचार को लिखा जाता है।
समाचार लेखन तीन चरणों में पूरा होता है –
- इंट्रो – इसके अंतर्गत समाचार मे निहित समस्त घटना आरंभ में ही दे दी जाती है।
- बॉडी – घटते हुए क्रम में घटना का विस्तृत वर्णन होता है।
- समापन – समाचार का अंतिम चरण होता है। जिसमें अपने शब्दों में घटना का सार प्रस्तुत किया जाता है यह काफी संछेप होता है।
समाचार लेखन का आरंभ विस्तृत घटना का ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए होता है। इसके पश्चात घटना का ब्यौरा होता है।
अंत में उस घटना के पीछे की संक्षिप्त जानकारी दी जाती है।
प्रत्येक समाचार पत्र में समाचार लेखन पद्धती उल्टा पिरामिड शैली पर आधारित होती है।
प्रश्न – टेलीविजन जनसंचार का कैसा माध्यम है ? इसके लाभ तथा हानि लिखें।
उत्तर – टेलीविजन जनसंचार का श्रव्य तथा दृश्य माध्यम है। वर्तमान समय में यह सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। टेलीविजन के माध्यम से सर्वाधिक दर्शक जुड़े हैं।
टेलीविजन के लाभ –
- घटनाओं का जीवंत प्रसारण।
- शीघ्रता से घटनाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाना।
- घटना को दृश्य तथा द्रव्य रूप में प्रकाशित करना।
- देश विदेश की जानकारी तत्काल प्राप्त करना।
टेलीविजन के हानि –
- कई बार गलत सूचना का प्रसारण।
- गलत सूचना के प्रसारण के कारण धार्मिक तथा सामाजिक उन्माद को बढ़ावा मिलना।
- मौसम की खराबी के कारण प्रसारण में बाधा।
- एंकर के अपरिपक्व होने से जनसंचार के मूल्यों की हानि।
प्रश्न – इंटरनेट पत्रकारिता क्या है ?
उत्तर – इंटरनेट पत्रकारिता का प्रचलन वर्तमान समय में काफी अधिक बढ़ गया है। लोगों के पास समय की कमी है वह घर बैठकर टेलीविजन या रेडियो सुनकर अपना समय व्यतीत नहीं कर सकते। आज का व्यक्ति यह चाहता है वह कहीं भी बैठे हुए अपना मनोरंजन तथा देश विदेश की जानकारी हासिल कर सकें।
इसकी सुविधा इंटरनेट पत्रकारिता ने दी है।
व्यक्ति चाहे घर हो या ऑफिस या कहीं सफर कर रहा हूं इंटरनेट के माध्यम से वह समाचार को पड़ सकता है अथवा देख सकता है। इंटरनेट पत्रकारिता ऑनलाइन , तथा ई – प्लेटफार्म पर उपलब्ध होता है।
व्यक्ति अपने मोबाइल तथा लैपटॉप कंप्यूटर आदि के माध्यम से पढ़ सकता है।
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