यहां विद्यार्थी के लिए बिस्कोहर की माटी पाठ का सार , महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर , व्याख्यात्मक प्रश्न तथा लेखक का संक्षिप्त जीवन परिचय उपलब्ध है , जो परीक्षा की दृष्टि से उपयोगी है।
शहर तथा ग्रामीण परिवेश में काफी भिन्नता होती है। इस पाठ में ग्रामीण परिवेश का चित्र करने का प्रयत्न किया गया है। लेखक ने अपने शब्दों के माध्यम से अपने ग्रामीण परिवेश को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है।
बिस्कोहर की माटी
बिस्कोहर की माटी के लेखक विश्वनाथ ने अपने आरंभिक जीवन तथा ग्रामीण जीवन को इस पाठ में समाहित किया है।
उन्होंने ऋतु परिवर्तन वहां के अनुपम सौंदर्य ताल – तलैया आदि का व्यापक रूप से वर्णन किया है। साथ ही उन्होंने पक्षी माता तथा नर माता के बीच तुलनात्मक अध्ययन किया है। माता कोई भी हो वह अपने पुत्र का सदैव रक्षा करती है , उसका हित चाहती है। बत्तख के उदाहरण से उन्होंने यहां स्पष्ट किया है।
बरसात के दिनों में ग्रामीण क्षेत्र में किस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है , तथा वह परिवेश में किस प्रकार आनंदमय होता है लेखक ने यहां वर्णन किया है।
बिस्कोहर की माटी पाठ का सार
प्रस्तुत पाठ बिस्कोहर की माटी में लेखक अपने गांव तथा वहां के प्राकृतिक परिवेश , ग्रामीण जीवन शैली ,गांव में प्रचलित घरेलू उपचार तथा अपनी मां से जुड़ी यादों का वर्णन करता है। कोईयाँ एक प्रकार का जलपुष्प है। इसे कुमुद और कोकाबेली भी कहते हैं। शरद ऋतु में जहां भी पानी एकत्रित होता है। कोईयाँ फूल उग जाता है। शरद की चांदनी में कोईयाँ की पत्तियां तथा उजली चांदनी एक से लगती है।
इस पुष्प की गंध अत्यंत मादक होती है।
लेखक के अनुसार बच्चे का मां से संबंध भी अद्भुत होता है। बच्चा जन्म लेते ही मां के दूध को भोजन के रूप में ग्रहण करता है। नवजात शिशु के लिए दूध अमृत के समान है , बच्चा मां से सिर्फ दूध ही ग्रहण नहीं करता उससे संस्कार भी ग्रहण करता है। जो उसके चरित्र तथा व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होते हैं। बच्चा सुकबुकता है , रोता है , मां को मारता है , मां भी कभी-कभी मारती है फिर भी बच्चा मां से चिपका रहता है। बच्चा , मां के पेट से गंध , स्पर्श , भोक्ता है , बच्चा दांत निकलने पर टीस्ता है अर्थात हर चीज को दांत से काटता है।
चांदनी रात में खटिया पर बैठकर जब मां बच्चे को दूध पिलाती है , तब बच्चा दूध के साथ साथ चांदनी के आनंद को महसूस करता है। अर्थात चांदनी मां के समान उसने आनंद और ममता देती है। मां से लिपटकर बच्चे का दूध पीना जड़ से चेतन होना यानी मानव जन्म लेने की सार्थकता है। बिसनाथ अभी मां का दूध पीता था कि उसके छोटे भाई का जन्म हो गया। मां के दूध पर छोटे भाई का अधिकार हो गया , नाथ का दूध छूट गया। बिसनाथ को उनके तीन साल होने पर पड़ोसन की कसेरनी दाई ने पाला।
मां का स्थान दाई नहीं ले लिया यह बिसनाथ पर अत्याचार हुआ।
दिलशाद गार्डन में लेखक बत्तखों को देखता है।
बत्तख अंडे देने के समय पानी छोड़ कर जमीन पर आ जाती है। लेखक ने एक बत्तख को कई अंडों को सेते देखा।
लेखक को बत्तख मां तथा मानव शिशु में कई समानताएं दिखी। जिस प्रकार बत्तख पंख फैलाकर अंडों को दुनिया की नजरों से बचा कर रखती है। अपनी पैनी चोंच से सार्थकता से कोमलता से अपने पंखों के अंदर छुपा कर रखती है। हमेशा निगाह कौवे की ताक पर रखती है। उसी प्रकार मानव शिशु मां भी अपने बच्चों को दुनिया की नजरों से बचाती है। उन पर आने वाली मुसीबत को भापकर उनकी रक्षा करती है।
गर्मियों की दोपहर में लेखक घर से चुपचाप बाहर निकल जाता था।
लू लगने पर मां धोति या कमीज से गांठ लगाकर प्याज बांध देती। लू लगने पर कच्चे आम का पन्ना पिया जाता। आम को भूनकर या उबालकर गुड़ या चीनी में उसका शरबत पिया जाता। उसे देह में लेपा जाता था , नहाया जाता तथा उससे सिर धोया जाता था। बिस्कोहर में बरसात आने से पहले बादल ऐसे घिरते हैं कि दिन में ही अंधेरा हो जाता है। बरसात कई दिन तक होती है , जिसके कारण घर की दीवार गिर जाती है तथा घर धस जाता है।
बरसात आने पर शिशु पक्षी सभी पुलकित हो उठते हैं।
बरसात में कई कीड़े भी निकल आते हैं। उमस के कारण मछलियां मरने लगती है। पहली बारिश में दाद-खाज , फोड़ा-फुंसी ठीक हो जाता है। मैदानों , खेतों तथा तालाबों में कई प्रकार के सांप होते हैं। सांप को देखने में डर तथा रोमांच दोनों है। डोडहा और मजगीदवा विषहीन होते हैं। डोडहा को वामन जाति का मान कर मारा नहीं जाता। घासीन भी विषहीन है। घेर कडाइव भटिहा तथा गोहुअन खतरनाक है जिसमें से सबसे अधिक गोहुअन खतरनाक है जिसे फ़ेंटास भी कहते हैं।
गांव के लोग प्रकृति के बहुत निकट है।
लेखक के अनुसार फूल केवल गंध ही नहीं देते , दवा भी करते हैं क्योंकि गांव में कई रोगों का इलाज फूलों द्वारा किया जाता है। फूलों की गंध से सांप महामारी ,देवी , चुड़ैल आदि का संबंध जोड़ा जाता है। गुड़हल के फूल को देवी का फूल मानते हैं। बेर के फूल सूंघने से बर्रे , ततैया का डंक झड़ता है। आम के फूल कई रोगों के उपचार में काम आते हैं।
नीम के पत्ते और फूल चेचक में रोगी के समीप रखते हैं।
लेखक के गांव में कमल भी खेलते हैं।
हिंदुओं के यहां कमल पत्र पर भोजन परोसा जाता है। कमल पत्र को पुरइन भी कहते हैं। कमल की नाल को भसीण कहते हैं। कमल ककड़ी केवल बिक्री के लिए प्रयोग की जाती है। कमलगट्टा (कमल बीज) खाया भी जाता है। अपने एक रिश्तेदार के घर में एक रूपवती अपनी उम्र से बड़ी औरत देखी जिसकी सुंदरता लेखक के हृदय में बस गई। लेखक को प्रकृति के समान ही वह औरत आकर्षण लगी। प्रकृति के समस्त दृश्य जूही की लता , चांदनी की छटा , फूलों की खुशबू में उन्हें वह औरत नजर आने लगी।
लेखक को लगा सुंदर प्रकृति नारी के सजीव रूप में आ गई हो।
लेखक जिस औरत को देखकर समस्त प्रकृति के सौंदर्य को भूल गया उससे अपनी भावनाओं का इजहार ना कर सका। वह सफेद रंग की साड़ी पहने रहती है आंखों में कैसी व्यथा लिए दिखती है। वह इंतजार करती हुई दिखती है। लेखक के लिए वह हर कला के अवसाद में वह मौजूद है लेखक के लिए हर सुख-दुख से जोड़ने की सेतु है।
इस स्मृति के साथ मृत्यु का बोध सजीव तौर पर जुड़ा है।
बिस्कोहर की माटी प्रश्न उत्तर
१ प्रश्न – लेखक ने किन आधारों पर अपनी मां की तुलना बत्तख से की है ?
उत्तर – लेखक ने बत्तख मां और मानव शिशु मां की तुलना करते हुए कई पक्ष सामने रखे हैं लेखक को दोनों में कई समानताएं दिखती है –
- खतरों से बचाना –
जिस प्रकार बत्तख अपने पंखों को फैलाकर अंडों की रक्षा दुनिया से बचाकर करती है। उसी प्रकार मानव मां भी अपने बच्चों को ढाल बनकर दुनिया तथा खतरों से रक्षा करती है।
- सतर्कता और कोमलता से देखरेख –
जैसे बत्तख मां अपनी पैनी चोंच से सतर्कता बरतते हुए कोमलता से अंडों को अपने पंख के नीचे छुपाती है। उसी प्रकार मानव मां भी अपने बच्चों को डांटते-मारते समय ध्यान रखती है कि शिशु को नुकसान ना हो।
- आने वाले खतरे को भांपना –
बत्तख मां की निगाह सदैव कौवे की ताक पर रहती है। मानव मां भी बच्चे पर आने वाले संभावित खतरे को भांप लेती है।
२ प्रश्न – बिस्कोहर की माटी के लेखक की प्रकृति , नारी और सौंदर्य संबंधी मान्यताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर –
- लेखक के लिए प्रकृति –
लेखक का प्रकृति से गहरा लगाव था , उसे प्रकृति के कई दृश्य अनुपम एवं हृदय ग्राही लगते थे।
प्रकृति उसके लिए सौंदर्य का पर्याय थी।
- लेखक की दृष्टि में नारी –
लेखक ने अपने गांव में एक रूपवती नारी देखी , जिसकी सुंदरता लेखक के हृदय में बस गई। वह भी लेखक को सौंदर्य की प्रतिमूर्ति लगी।
- प्रकृति और नारी में समानता –
सौंदर्य की समानता होने के कारण लेखक को लगा जैसे प्रकृति नारी का सजीव रूप लेकर उसके समक्ष आ गई। प्रकृति के समस्त दृश्य में जूही की लता , चांदनी की छटा , फूलों की खुशबू आदि में उसे नारी के सौंदर्य का आभास होता था। सुंदरी के समान धर्म होने के कारण लेखक को प्रकृति और नारी एकाएक होते हुए दिखे।
३ प्रश्न – कोईयां किसे कहते हैं ? उसकी क्या विशेषताएं हैं ?
उत्तर –
कोइयाँ ताल-तालाब में उगने वाला एक प्रकार का जल पुष्प है। बरसात के समय जहां पानी एकत्रित हो जाता है , वहां पर इस प्रकार की बेलें स्वतः उग जाती है।
जिसमें सिंघाड़े का पौधा , कुमुद , कोको बेली आदि होता है।
यह लेखक के गांव में विशेष रूप से अधिक मात्रा में पाया जाता है।
इसकी प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार है
- इसे उगाने के लिए परिश्रम नहीं करना पड़ता है। यह स्वयं उग जाता है।
- चांदनी रात में यह दूधिया रंग का दिखता है तथा आकर्षक प्रतीत होता है
- इसकी गंध अत्यंत मादक होती है।
- यह शरद ऋतु में बहुतायत मात्रा में पाया जाता है।
- विशेष रुप से यह पुष्प ग्रामीण क्षेत्र में पाया जाता है।
- यह प्रकृति सौंदर्य को चार चांद लगाता है।
४ प्रश्न – बच्चे का मां का दूध पीना सिर्फ दूध पीना नहीं , मां से बच्चे के सारे संबंधों का जीवन चरित्र होता है। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर –
बच्चा जब जन्म लेता है , तो उसे मां के दूध के अतिरिक्त और कुछ नहीं दिया जाता।
मां का दूध उसको जीवन प्रदान करती है।
मां अपने दूध के माध्यम से उसे अमृत प्रदान करती है।
उसे जीवन प्रदान करती है जो बालक के विकास के लिए अहम है।
यह केवल दूध ही नहीं बल्कि वह अपने संस्कार और जीवन भर एक-दूसरे का साथ देने का संबंध जोड़ती है। बच्चे के द्वारा मां को चोट पहुंचाने , दांत काटने आदि पर भी मां उसे प्यार करती है उसे अपने सीने से चिपका कर रखती है।
यह सभी कष्ट बच्चे के साथ मां के संबंध को और प्रगाढ़ बनाता है।
५ प्रश्न – बिसनाथ पर क्या अत्याचार हो गया ?
उत्तर –
- पाठ के आधार पर बिसनाथ ने स्वयं पर हुए अत्याचार को व्यक्त किया है।
- वह अभी दूध पीने की अवस्था में ही था , कि उसके छोटे भाई ने जन्म ले लिया।
- इसके बाद उसे कई प्रकार की अपेक्षाओं का सामना करना पड़ा। जै
- से उसके दूध पर अब छोटे भाई का अधिकार हो गया था।
- उसका लालन-पालन अब मां की जगह धाय माँ (दाई कसेरिन ) करने लगी।
- उसके साथ ही चटाई पर सोना पड़ा।
- यह सभी अचानक आए परिवर्तन उसे अत्याचार मालूम हुए।
उसके अधिकार में अब सेंध लग चुका था , उसका अधिकार उसे छीन कर छोटे भाई को दे दिया गया था।
६ प्रश्न – गर्मी और लू से बचने के उपायों का विवरण दीजिए। क्या आप भी उन उपायों से परिचित हैं ?
उत्तर –
गर्मी तथा लू से बचने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में प्याज , शरबत , कच्चे आम का पन्ना , कूचा या चटनी आदि का प्रयोग किया जाता है। गुड , चना विशेष रूप से ग्रामीण परिवेश में प्रचलन में है। यह सभी गर्मी तथा लू से बचाने में कारगर साधन है। आज भी ग्रामीण परिवेश के लोग इन सभी का प्रयोग करते हैं। वह कहीं यात्रा पर भी निकलते हैं , तो अपने साथ इन सामानों को बांधकर ले जाते हैं।
इन सभी साधनों का प्रयोग मैंने भी आरंभिक जीवन में किया था।
क्योंकि मेरी पृष्ठभूमि ग्रामीण क्षेत्र से है।
इसलिए इन सभी संसाधनों से भलीभांति परिचित हूं और प्रयोग भी करता हूं।
७ प्रश्न – लेखक बिसनाथ ने किन आधारों पर अपनी मां की तुलना बत्तख से की है ?
उत्तर –
लेखक बिसनाथ ने दिलशाद गार्डन में एक बत्तख माता को देखा जिसने अपने अंडों को बड़े ही सुरक्षात्मक तथा कोमलता भाव से ढक कर रखा था। वह स्वयं कष्ट सहते हुए सभी अंडों को सुरक्षित कर रही थी। तथा उसकी दृष्टि आने वाले संभावित खतरे के ऊपर जमी हुई थी। वह अपनी आंखें आसमान में जमाई हुई थी , कहीं से कोई कौवा उसके अंडों को क्षति ना पहुंचाएं।
इसी प्रकार नर मां भी अपने बच्चे को प्यार करती है तथा उसका संरक्षण करती है।
कभी-कभी गुस्सा आने पर उसकी पिटाई करती है तो यह ध्यान रखते हुए कहीं उसकी पिटाई से कोई नुकसान ना हो जाए। अधिक चोट ना लगे , उसका डांट भी उसके परवरिश का एक अंग होता है , लेखक को इस दृश्य के बाद नर मां तथा बत्तख मां में समानता नजर आई।
८ प्रश्न – बिस्कोहर में हुई बरसात का जो वर्णन बिसनाथ ने किया है , उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर –
बरसात पृथ्वी पर खुशियां लेकर आती है , चारों ओर खुशहाली छा जाती है। प्रकृति का हृदय खुशी से नाच उठता है , वही मनुष्य भी बरसात के दिनों में प्रसन्न भाव से कार्य करता है। बरसात का आनंद जहां शहरी क्षेत्र के लोग खुल कर ले पाते हैं , वहीं ग्रामीण क्षेत्र में यह कुछ समस्याओं को लेकर आता है। जैसे – आवागमन का साधन ठप हो जाता है। व्यक्ति एक जगह स्थिर होकर बरसात के दिनों में रहता है।
बिस्कोहर की बरसात का वर्णन करते हुए बिसनाथ कहते हैं –
- यहां तो बादल गरजते हुए आते हैं ,
- बिजली ऐसे कड़कती है जैसे आंखें चौंधिया जाए।
- इन सभी के बीच प्रकृति ऐसा प्रतीत होती है जैसे मानो संगीत की महफिल जमी हो।
- बादल इधर-उधर उड़ते फिरते हैं और बरसात करते हैं।
- तेज हवाएं चलती है, कभी बरसात रूकती है, तो कभी एकाएक बरस पड़ती है।
यह सभी दृश्य मन को सुखद अनुभूति देती है।
- प्रकृति जहां शीतल होती है , धरती की प्यास बुझती है।
- वही कीड़े मकोड़े जमीन छोड़कर मानव के घर में घुस जाते हैं।
- चीटियां , सांप , बिच्छू आदि जमीन के भीतर ताप को सहन नहीं कर पाते और निकल कर इधर-उधर भागते फिरते हैं।
- चारों तरफ कीचड़ का माहौल हो जाता है।
- यह बरसात कई बार लोगों के घर भी बैठा देती है।
- खेत-खलिहान सभी पानी से लबा-लब भर जाते हैं।
मैदानों में मेंढक आदि की आवाज गूंज उठती है इस पाठ में बरसात के लेखक ने उभारने का प्रयास किया है।
९ प्रश्न – फूल केवल गंध ही नहीं देते दवा भी करते हैं कैसे ?
उत्तर –
फूल केवल गंध ही नहीं देते , बल्कि वह औषधि के रूप में भी प्रयोग किए जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में इसका प्रयोग जग जाहिर है। वहां के लोग अंग्रेजी दवाई खाने के बजाय प्राकृतिक औषधि का प्रयोग करना पसंद करते हैं।
काफी हद तक यह उपचार कारगर भी सिद्ध होता है।
जैसे
- गुड़हल बैर के फूल,
- आम के फूल,
- नीम के फूल आदि का विशेष महत्व है।
इसका संबंध देवी-देवता से जहां जोड़ा जाता है , वही भूत पिशाच चुड़ैल आदि से भी जोड़ा गया है।
माना जाता है गुड़हल के फूल पर देवी-देवता का वास होता है।
नीम के फूल तथा पत्ते अनेक रोगों में कारगर है।
इसका लेप लगाने से खतरनाक बैक्टीरिया समाप्त हो जाता है , तथा चेचक के रोग में लाभकारी सिद्ध होता है। बेर के फूल का प्रयोग मुख्य रूप से ततैया के विष को दूर करने के लिए किया जाता है। आम के फूल का भी प्रयोग विभिन्न रोगों में किया जाता है , इसका प्रयोग दवा बनाने के लिए भी किया जाता है।
१० प्रश्न – प्रकृति सजीव नारी बन गई , इस कथन के संदर्भ में लेखक की प्रकृति , नारी और सौंदर्य संबंधी मान्यताएं स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
लेखक प्रकृति प्रेमी था , यह पाठ उसके प्रकृति प्रेम की अभिव्यक्ति करता है।
जब वह अपने रिश्तेदार के घर गए थे , तो वहां अपने आयु की एक महिला को देखा।
जिसके अद्भुत सौंदर्य पर वह रीझ गए।
उस नव युवती का अनुपम सौंदर्य लेखक के हृदय में बस गया था।
उन्होंने अपने गांव में जो प्रकृति का अनुपम सौंदर्य देखा था। प्रकृति के दिव्य छठा को जो उन्होंने अपने हृदय में बसा रखा था , वह सभी रूप सिमटकर इस नव युवती में आ गया था। वह हृदय से उस नव युवती के प्रति आकर्षित हुए। यह रूप मानो ऐसा प्रतीत हो रहा था , जैसे प्रकृति सजीव रूप से नारी में उतर आई थी।
इस दृष्टांत से स्पष्ट होता है कि लेखक प्रकृति तथा नारी सौंदर्य को एक ही दृष्टिकोण से देखा करते थे।
११ प्रश्न – ऐसी कौन सी स्मृति है , जिसके साथ लेखक को मृत्यु का बहुत अजीब तौर से जुड़ा मिलता है ?
उत्तर –
किसी भी सुख के साथ दुख का जुड़ा होना इस प्रकृति और संसार का नियम है।
जहां सुख है , वहां दुख भी है लेखक प्रकृति तथा सौंदर्य प्रेमी था। उसे प्रकृति की समस्त छटा एक नव युवती में प्रतीत हुई , मानो सौंदर्य साक्षात इस नव युवती में सिमट कर आ गई हो।
अर्थात वह नवती साक्षात सौंदर्य की प्रतिमूर्ति हो।
मगर जब उस युवती के वस्त्र-परिधान आदि से स्पष्ट हुए कि वह कितने ही दुखों के साथ टिकी हुई है। तो लेखक को एक अजीब अनुभूति हुई , जिस सौंदर्य की प्रतिमूर्ति के साथ इतने लगाओ के साथ जुड़े थे।
वह अपना जीवन निराशा और पति के वियोग में जी रही थी।
इस स्मृति ने लेखक को भीतर से झकझोर दिया था।
१२ प्रश्न – बिस्कोहर की माटी के कथ्य का विश्लेषण अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर –
बिस्कोहर की माटी लेख आत्मकथ्य शैली में लिखा गया है , जिसमें लेखक स्वयं बिसनाथ है। उन्होंने अपने जीवन में अनेकों पड़ाव पार किए , उन सभी पड़ाव पर अपने निजी अनुभव को इस पाठ के माध्यम से उजागर किया है। ग्रामीण जीवन में सुख-सुविधाओं आदि का किस प्रकार अभाव होता है उस की ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयत्न किया है।
मां , गांव तथा अपने प्रकृति परिवेश का पूरा मर्म उन्होंने इस पाठ के माध्यम से व्यक्त किया है। अपने तीन वर्ष की अवस्था में छोटे भाई के आ जाने पर किस प्रकार उनके प्रेम में कमी आ गई। उन्हें दाई मां के साथ सोना पड़ा तथा गांव के प्राकृतिक संसाधनों जैसे कमल ककड़ी , भिंडी , तोरी आदि की जानकारी इस में उपलब्ध कराई है।
यह अकाल के समय भी उनके पास इस संपदा की कमी नहीं होती है।
वही बरसात , जाड़े आदि में ग्रामीणों को काफी तकलीफ का सामना करना पड़ता है।
गांव में अजीबो-गरीब मान्यताएं भी लोगों के बीच व्याप्त है। जैसे फूलों को देवी-देवता तथा भूत-पिशाच , चुड़ैल आदि से जोड़ना। ग्रामीण लोग दवाई खाने के बजाय प्राकृतिक रूप से अपना इलाज स्वयं करते हैं। फूल-पत्तियों का प्रयोग करके अपने रोगों को दूर करते हैं। बिस्कोहर लेखक का गांव है , अपने गांव को लेखक ने पाठ के माध्यम से अमर बनाने का प्रयास किया है। कुल मिलाकर लेखक ने ग्रामीण परिवेश में प्राकृतिक संसाधनों और उसके अनुपम सौंदर्य का कथानक तैयार किया है।
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बिस्कोहर की माटी पाठ का निष्कर्ष –
प्रस्तुत पाठ में लेखक विश्वनाथ ने अपने जीवन के विभिन्न पड़ाव को अभिव्यक्त किया है। यह आत्मकथ्य शैली में लिखा गया लेख है। जिसमें अपने जीवन के सुखद तथा दुखद अनुभव को अभिव्यक्ति प्रदान की गई है। मुख्य रूप से इस पाठ में ग्रामीण परिवेश तथा मानव मां तथा पशु मां के बीच की समानता आदि को व्यक्त करने का प्रयास किया गया है। लेखक प्रकृति से लगाव रखते हैं , उनका प्रकृति प्रेम इस पाठ में उजागर हुआ है।
उन्हें यात्रा के दौरान भी अपने गांव के प्रकृति की सदैव याद रहती थी।
वैष्णव देवी यात्रा के दौरान उन्होंने पंजाब क्षेत्र में रेल पटरी के किनारे मोलश्री के फूल सिंघाड़े की बेल आदि को देखकर अपने ग्रामीण परिवेश को याद करते हैं। यह प्रकृति सम्पदा उनके क्षेत्र में अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इन्हें उगाने के लिए कोई विशेष प्रबंध नहीं करना पड़ता है , जहां पानी जमा हो जाता है वहां यह स्वतः उग जाते हैं।
फूल , पत्तियां ग्रामीण परिवेश में जहां आपदा के समय एक अवसर बनकर उभरते हैं। वही बीमारी में रामबाण इलाज का कार्य करते हैं। अंत में लेखक प्रकृति के संपूर्ण सौंदर्य को एक युवती के भीतर पाते हैं। उसके प्रति वह गहरी आस्था रखते हैं लेकिन जब उन्हें मालूम होता है उसके इस सौंदर्य के पीछे उसके दुखों का भंडार भी छिपा है तब वह भी तरसे बेहद दुखी होते हैं।
अंततः यह पाठ आत्मकथ्य शैली को नया आयाम प्रदान करती है।
विश्वनाथ की लेखनी आत्मकथ्य शैली को नई दिशा व जीवन प्रदान करती प्रतीत होती है।