Deen Dayal Virad Sambhari Arth Sahit Vyakhya

दीन दयाल बिरिदु संभारी, प्रस्तुत चौपाई श्रीरामचरितमानस से उद्धृत है जिसमें तुलसीदास जी ने सीता के द्वारा कहे गए वचनों को संकलित किया है। श्रीरामचरितमानस प्रभु श्री राम के जीवन का महाकाव्य है।

Deen Dayal Virad Sambhari Lyrics

दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ सम संकट भारी।

भावार्थ- उपरोक्त चौपाई का संबंध सीता जी से है। राम काज के लिए जब वानर, भालू आदि की टोली सीता खोज में निकली। उस एक दल में हनुमान जी शामिल थे। हनुमान जी जब सीता खोज करते हुए लंका की अशोक वाटिका में पहुंचे जहां उन्होंने माता सीता से सकुशल भेंट किया और श्री राम के द्वारा दी गई मुद्रिका भेंट की। प्रभु श्री राम का कुशल संदेश पाकर सीता जी ने अपने ऊपर आए हुए विपत्ति को दूर करने के लिए हनुमान जी से उपरोक्त वचन कहे। श्री राम जिस प्रकार दीन दुखियों की सेवा करते हैं उनके संकट विपदाओं को हर लेते हैं उसी प्रकार दुख के बादल जो आए मेरे ऊपर आए हुए हैं उन दुखों को हर लीजिए। मुझे घोर संकट से निकालकर अपने शरण में लीजिए। आप जिस प्रकार दीन दुखियों की सेवा करना अपना धर्म समझते हैं, उसी प्रकार मुझे दुखियारी पर भी दया कर अपने धर्म का पालन करें।

deen dayal virad sambhari lyrics
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समापन

प्रस्तुत अंश लंका कांड से संबंधित है जहां हनुमान जी सीता माता की खोज में अशोक वाटिका पहुंचते हैं। सकुशल भेंट कर जब वह लौटते हैं तो सीता माता अपने संदेश हनुमान जी को सुनाती हैं। जो अपने प्रभु श्री राम को जाकर सीता का संदेश पहुंचा सकें। उन्होंने प्रभु श्री राम के महिमा का वर्णन किया और दिन दुखियों पर व जिस प्रकार सहायता करते हैं धर्म का कार्य करते हैं उसी प्रकार मुझ पर आए हुए संकटों को हर कर वह अपना धर्म निभाएं। कुछ इस प्रकार का संदेश सीता माता हनुमान जी को देती हैं। आशा है उपरोक्त लेख आपको पसंद आया हो अपने सुझाव तथा विचार कमेंट बॉक्स में लिखें।

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