फीचर लेखन ( नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन ) आलेख लेखन

प्रस्तुत लेख में फीचर लेखन का अध्ययन प्राप्त करेंगे। इसके अंतर्गत आप फीचर लेखन क्या होता है, कैसे लिखा जाता है, तथा मूलभूत तत्व आदि का विस्तार पूर्वक उल्लेख है।

इसका अध्ययन कर आप फीचर लेखन की बारीकियों को समझ सकेंगे तथा फीचर लेखन करने की कला का स्वयं में विकास कर सकेंगे।

फीचर लेखन की पूरी जानकारी

सामान्य से अलग हटकर , किसी एक विषय पर सर्वांगीण रूप से चर्चा तथा अध्ययन फीचर लेखन का अंग बन जाता है।

कहे तो यह फीचर लेखन होता है।

आप दैनिक अखबारों का अध्ययन करते हैं अर्थात पाठ करते हैं तो आप किसी विशेष दिन , विशेष विषय पर चाहे – क्रिकेट , अर्थव्यवस्था , पर्यावरण पुरस्कार आदि के विषय में एक लंबा चौड़ा आलेख लिखा जाता है। यह आलेख किसी विशेषज्ञ के द्वारा लिखा जाता है , जो उस क्षेत्र में गहन जानकारी रखता है। इसे ही फीचर लेखन कहा जाता है

फीचर लेखन के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न – नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन को किस प्रकार सरल बनाया जा सकता है ?

उत्तर – नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन को सरल बनाने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  1. किसी भी विषय पर लिखने से पूर्व अपने मन में उस विषय से संबंधित उठने वाले विचारों को कुछ देर रुक कर एक रूपरेखा प्रदान करें।  उसके बाद शानदार तरीके से अपने विषय की शुरुआत करें।
  2. उस विषय को किस प्रकार आगे बढ़ाया जाए , यह भी दिमाग में पहले से होना आवश्यक है।
  3. जिस विषय पर लिखा जा रहा है उस विषय से जुड़े अन्य तथ्यों की जानकारी होना भी बहुत आवश्यक है। सुसंबद्धता किसी भी लेखन का बुनियादी तत्व होता है
  4. किसी भी विषय पर लिखते हुए दो बातों का आपस में जुड़े होने के साथ-साथ उसमें तालमेल होना भी आवश्यक है।
  5. आत्मपरक लेखन में ‘मैं शैली का प्रयोग किया जा सकता है’ , जबकि निबंधों और अन्य लेखों में मैं शैली का प्रयोग लगभग वर्जित होता है।

प्रश्न – आलेख या फीचर लेखन करते हुए किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है ?

उत्तर

  • आलेख या फीचर लेखन की भाषा शैली सरल और भावपूर्ण होनी चाहिए।
  • इसमें नई जिज्ञासाएं जागृत करने की क्षमता होनी चाहिए।
  • विचारों की अधिकता होनी चाहिए।
  • इसमें किसी बात को बार-बार नहीं दोहराना चाहिए।
  • यह नवीनता और ताजगी से युक्त होना चाहिए।
  • आकार ज्यादा बड़ा नहीं होना चाहिए।

अन्य महत्वपूर्ण लेख

हल सहित आलेख/फीचर लेखन

प्रश्न – खेल और स्वास्थ्य पर फीचर लेखन लिखिए।

उत्तर – हमारे जीवन में खेल खेलना एक शारीरिक क्रियाकलाप है। जिससे हमारे शरीर के सभी अंगो का संचालन होता रहता है।

जिससे हमारे शरीर में रक्त का परिसंचरण भी सुधर जाता है। जीवन में सदैव खेलों में भाग लेने से सबसे पहले तो हमारे स्वास्थ्य पर उत्तम प्रभाव पड़ता है। हमारी कोशिकाओं में रक्त का संचार सही बना रहता है। हमारे उत्तक जो टूटते रहते हैं वे फिर से बनते रहते हैं।

हमारा स्नायु तंत्र मजबूत होकर काम करता है।

यदि स्वस्थ वातावरण में सामान्य सारी गतिविधियां की जाए तो शारीरिक सुंदरता के साथ-साथ स्वास्थ्य गत सुंदरता भी प्राप्त हो सकती है।खेलों में भाग लेने वाले व्यक्ति का शारीरिक व मानसिक विकास दूसरे बच्चों से अधिक अच्छा होता है। दोनों में संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है। उसके स्मृति स्तर एकाग्रता स्तर और सीखने की क्षमता में सुधार होता है।

इतना ही नहीं खेल से विद्यार्थियों में नेतृत्व की क्षमता का विकास भी होता है।

किसी भी विद्यार्थी या बालक के सर्वांगीण विकास में खेल की अहम भूमिका रहती है।

अन्य फीचर लेखन/आलेख

नीचे दिए गए फीचर लेखन हल सहित हैं। जिसका प्रयोग आप अपने परीक्षाओं में कर सकते हैं।

फीचर लेखन को आप और अधिक बारीकी से भी अपने अखबारों के माध्यम से समझ सकते हैं। विशेष रुप से फीचर लेखन रविवार के दिन प्रत्येक अखबार में प्रकाशित होता है।

किंतु यहां आप अपनी परीक्षाओं के लिए अध्ययन कर सकते हैं।

बस्तों के बोझ के नीचे गुम होता बचपन

शिक्षा का व्यवसायीकरण होने के कारण आज बचपन बस्ते के बोझ तले दबता जा रहा है। शिक्षा का स्वरूप आज जैसा है पूर्वकालिक समय में ऐसा नहीं हुआ करता था। पूर्व समय में छात्रों के सर्वांगीण विकास पर जोर दिया जाता था। आज शिक्षा का उद्देश्य धन कमाना रह गया है।

बड़े-बड़े विद्यालय माता-पिता तथा छात्रों को अपनी और आकर्षित करते हैं। यह एक मायाजाल की तरह है जिसमें उलझ कर पूरा परिवार रह जाता है।

बच्चा सर्वांगीण विकास करने की बजाय केवल शिक्षा के भव जाल में फस जाता है।

बस्तों का बोझ उसके कंधों और कमर को कमजोर करता जा रहा है , जिसके कारण वह धीरे-धीरे जटिल बीमारी की ओर बढ़ता जा रहे हैं। देश-विदेश में अनेकों शोध किए जा रहे हैं , जिसमें कम उम्र में कमर तथा कंधों से संबंधित बीमारी का कारण नियमित उठाने वाले बस्तों का बोझ है। इस बोझ के कारण उनके कंधे झुकते जा रहे हैं और कमर पर विपरीत असर पड़ रहा है।

विद्यार्थी को केवल रटंत विद्या देने के लिए नामी-गिरामी विद्यालय मोटा पैसा कमा रहे हैं।

उनके इस व्यवसाय के पीछे एक और कारण हो सकता है जो सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की उचित व्यवस्था उचित इंफ्रास्ट्रक्चर आदि की कमी की ओर ध्यान आकर्षित करता है। लोग सरकारी विद्यालय में अपने बच्चों को पढ़ाने से परहेज करते हैं , क्योंकि वहां उन्हें वह सामाजिक व्यवस्था तथा उचित शिक्षा व्यवस्था नहीं मिलती जो नामी-गिरामी विद्यालयों में मिलती है। शायद इसी कारण अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला बड़े से बड़े नामी-गिरामी विद्यालय में करवाना चाहते हैं।

इस पढ़ाई के दौड़ में दिन-रात बच्चे केवल पढ़ाई करते रहते हैं।

कभी ट्यूशन कभी विद्यालय कभी होमवर्क।

इन सभी उलझन में पढ़कर विद्यार्थी अपने जीवन का बहुमूल्य समय व्यर्थ में गवा रहे हैं। उनका बचपन बस्तों के बोझ के नीचे दबता जा रहा है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और विद्यार्थियों के बस्तों का बोझ कम करना चाहिए कुछ ऐसी व्यवस्था बनाया जाना चाहिए जिससे विद्यार्थियों को कम से कम बोझ ढोना पड़े।

विद्यालय में भी उनके कॉपी किताब रखने की व्यवस्था की जा सकती है।

अनेकों कमेटियों ने शिक्षा व्यवस्था तथा कॉपी किताब के बोझ को कम करने के लिए सरकार के पास सुझाव दिए हैं। किंतु सरकार का सुस्त रवैया न जाने कब और अपना ध्यान देगा। कुछ विकासशील देशों की बात करें तो वहां के विद्यालयों में विद्यार्थियों को आदि रखने की पूरी व्यवस्था दी जाती है। उनका पाठ्यक्रम छात्रों को लुभाती है। वहां विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर जोर दिया जाता है और कॉपी-किताब के बोझ को जितना हो सके कम किया जाता है।

यहां तक कि प्रत्येक विद्यार्थी के पास अपना टेबलेट , कंप्यूटर आदि की व्यवस्था है।

शिक्षक जो पढ़ाता है उसे वह अपने टेबलेट या कंप्यूटर में देख सकते हैं होमवर्क भी उसी पर कर सकते हैं तथा निरंतर वह अपने शिक्षक के संपर्क में रहते हैं। इसके माध्यम से समय तो बचता ही है साथ ही साथ वह अपने शिक्षकों के निरंतर संपर्क में रहते हैं।

उनका दिन-प्रतिदिन तथा मासिक अवलोकन करना बेहद आसान हो जाता है।

शिक्षा व्यवस्था में बदलाव कर विद्यार्थियों के बस्तों का बोझ कम करने की योजना बनानी चाहिए , जिससे छात्र खुलकर अपने चरित्र तथा सर्वांगीण विकास की ओर बढ़ सके।

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निष्कर्ष –

उपरोक्त अध्ययन तथा उदाहरणों को पढ़कर स्पष्ट हो गया होगा कि फीचर लेखन किसे कहते हैं ? इसे कैसे लिखा जाता है ? तथा इसके क्षेत्र कौन कौन से होते हैं।

संक्षिप्त में पुनः एक बार दौहरा लेते हैं – फीचर लेखन विशेष लेखन होता है।

इसका लेखन उस क्षेत्र में लिखने वाले अनुभवी व्यक्ति के द्वारा किया जाता है।

इसका क्षेत्र व्यापक है , अर्थात कुछ भी हो सकता है जो सामाजिक जिज्ञासा की पूर्ति करता हो जैसे –

  • खेल ,
  • र्यावरण ,
  • अर्थव्यवस्था ,
  • व्यापार ,
  • शिक्षा ,
  • राजनीति आदि।

आशा हे यह लेख आपको पसंद आया हो ,आपके ज्ञान के वृद्धि हो सकी हो तथा इस लेख के माध्यम से आप संबंधित विषय में समस्त जानकारी प्राप्त कर चुके हो। फिर भी किसी प्रकार की समस्या या कोई प्रश्न मन में उठता है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर संपर्क कर सकते हैं।

हम आपके प्रश्नों के उत्तर तत्काल देने के लिए तत्पर हैं।

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