उल्टा पिरामिड शैली पूरी जानकारी ( ulta pyramid shaili )

आज के लेख में हम सीखेंगे उल्टा पिरामिड शैली क्या है, इसका प्रयोग कहां किया जाता है और समाचार से इसका क्या संबंध है।

इन सभी प्रश्नों के उत्तर आप इस लेख में प्राप्त करेंगे।

इस लेख का अध्ययन कर आप उल्टा पिरामिड शैली और समाचार के विषय में समग्र जानकारी हासिल करेंगे।

उल्टा पिरामिड शैली किसे कहते है

पिरामिड को आप जानते होंगे , इस शैली में अरब के देशों में विभिन्न प्रकार की वास्तुकला देखने को मिलती है। पिरामिड का आकार नीचे से चौड़ा और ऊपर की ओर बिल्कुल पतला नुकीला जैसा होता है। इसको उल्टा किया जाए तो साधारण शब्दों में इसे ही उल्टा पिरामिड कहते हैं

उल्टा पिरामिड शैली से हमारा तात्पर्य समाचार लेखन से है। समाचार को पढ़ते समय आपने महसूस किया होगा समाचार के आरंभ में ही उस विषय की पूरी जानकारी दे दी जाती है।

फिर घटते क्रम में धीरे-धीरे उन खबरों को आगे बढ़ाते हुए अंत किया जाता है।

इसके तीन महत्वपूर्ण चरण होते हैं –

1. मुखड़ा –

यह समाचार का सबसे महत्वपूर्ण भाग है , जिसके अंतर्गत समाचार का संपूर्ण सार नहीं होता है। के अंतर्गत क्या , कौन ,कहां ,कब आदि बिंदुओं पर विचार किया जाता है।

2. बॉडी –

इसके अंतर्गत समाचार के विभिन्न पहलुओं को समाहित किया जाता है और घटना को उजागर करते हुए उसके कारण आदि को उद्घाटित किया जाता है। इसके अंतर्गत कैसे, क्यों के रहस्य को उद्घाटित किया जाता है।

3. समापन –

यह समाचार का अंतिम बिंदु होता है। जिसमें समाचार लिखने वाला समाचार के कारणों को सामने रखते हुए पाठकों के लिए विचारणीय बिंदु छोड़ जाता है, जो काफी संक्षिप्त रूप में होता है। साथ ही इसमें तथ्य का स्रोत भी छिपा होता है।

समाचार तथा उल्टा पिरामिड शैली का संबंध

समाचार का मूल उद्देश्य लोगों की जिज्ञासाओं को शांत करना होता है। व्यक्ति अपने आसपास की घटनाओं को देखना वह जानना चाहता है , जिससे वह संबंध रखता है। उन घटनाओं को वह बेहद करीबी से जानने की उत्सुकता रखता है। इस उत्सुकता को समाचार के माध्यम से पूरा किया जाता है। समाचार लेखन करते समय यह ध्यान दिया जाता है कि जिस उद्देश्य के लिए पाठक उस समाचार का अध्ययन कर रहा है उसे शुरुआत में ही पूरी जानकारी मिल जाए।

अगर पूरी जानकारी शुरुआत में नहीं मिलेगी तो , वह उसके प्रति गलत विचार तथा धारणा बना सकता है। कहानी उपन्यास आदि में रहस्य कथा घटनाओं को बाद में उजागर किया जाता है, जबकि समाचार लेखन में ऐसा नहीं है। यहां उल्टा पिरामिड शैली का प्रयोग करते हुए समाचार के शुरुआत में ही पूरी घटना का वृतांत प्रस्तुत कर दिया जाता है।

पाठक को आरंभ में ही कौन, कहां, कब जैसे महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर मिल जाते हैं।

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निष्कर्ष –

उपर्युक्त अध्ययन से स्पष्ट होता है कि उल्टा पिरामिड शैली का प्रयोग समाचार लेखन में किया जाता है। जबकि सीधा पिरामिड शैली का प्रयोग कथा, कहानी, उपन्यास आदि में किया जाता है। कारण यह है कि अधिक से अधिक देरी तक जोड़ें रखना।

कथा कहानी के माध्यम से वह कहानी के साथ जुड़ा  रहता है और रहस्य के उद्घाटन के लिए वह स्वयं प्रेरित होता है।

किंतु समाचार के विषय में पाठक की उत्सुकता बेहद ही तीव्र होती है।

इस उत्सुकता को शांत करने के लिए उसके सभी प्रश्नों के उत्तर समाचार में आरंभ से ही मिलना जारी रहता है।

आशा है उल्टा पिरामिड शैली और समाचार लेखन के विषय में आप की जानकारी स्पष्ट हो सकी होगी। इस विषय से संबंधित किसी भी प्रकार के प्रश्न के लिए आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर संपर्क कर सकते हैं।

हम आपके प्रश्न से तत्काल उत्तर देंगे।

2 thoughts on “उल्टा पिरामिड शैली पूरी जानकारी ( ulta pyramid shaili )”

    • उल्टा पिरामिड शैली का प्रयोग समाचार लेखन के लिए किया जाता है. इसका प्रयोग कहानी, उपन्यास, नाटक, कविता आदि लेखन में नहीं किया जाता। आपका प्रश्न उचित है, किंतु इस प्रकार का प्रश्न परीक्षा में नहीं पूछा जाता।

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