प्रस्तुत लेख में मीडिया लेखन के विस्तृत रूप का अध्ययन करेंगे।
इस लेख के माध्यम से हम समझेंगे मीडिया लेखन क्या है, इसके प्रकार, वर्तमान समय में उपयोगिता तथा इसका समाज के साथ क्या संबंध है? मीडिया लेखन करते समय किन बातों पर ध्यान देना चाहिए? इसकी सावधानियां आदि।
समस्त प्रश्नों के उत्तर इस लेख में प्रस्तुत किए गए हैं। जिन्हें पढ़कर आप अपने सभी सवालों के जवाब प्राप्त कर सकते हैं।
मीडिया लेखन की सम्पूर्ण जानकारी
लेखन कला का विकास आधुनिक युग में माना गया है। बड़े-बड़े छापेखाने खोले गए जिसमें धार्मिक पुस्तकों को छापा गया , जिसका उद्देश्य धर्म का प्रचार प्रसार करना था लेखन कला के विकास से पूर्व पूरी व्यवस्था मौखिक रूप पर आधारित थी। शिक्षा-दीक्षा आदि सभी कार्य मौखिक रूप से ही किए जा रहे थे।
यह कला मनुष्य को जन्मजात प्राप्त नहीं हुई , इसका निर्माण तथा विकास लोगों ने स्वयं के विवेक से किया है। आज लेखन कला का व्यापक रूप से विकास हुआ है , संभवत आज एक क्षण में अपने संदेश को एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रेषित किया जा सकता है।
मुद्रण तथा लेखन के द्वारा ही यह कार्य संभव हुआ है।
भारत में प्रथम छापाखाना गोवा में खोला गया था , जिसमें ईसाई मिशनरियों ने अपने धर्म की पुस्तकों का प्रचार प्रसार करने के लिए प्रयोग किया।
धीरे-धीरे इसका विकास निरंतर होता गया , पाठक वर्ग का उदय भी तीव्र गति से होता रहा।
इसके साथ मुद्रण कला का विकास बढ़ता गया। आज मुद्रण कला ने अपने साथ समाज का भी विकास किया है। इसके साथ समाज का प्रत्येक वर्ग जुड़ चुका है।
मीडिया लेखन के सिद्धांत
मीडिया लेखन का संक्षिप्त में सिद्धांत समझने का प्रयत्न करें तो मीडिया लेखन का सिद्धांत सीधा और सरल है।
इस लेखन कला का संबंध सीधा-सीधा समाज और समाज के समस्याओं गतिविधियों आदि से होता है। इससे केंद्र में सामाजिक व्यक्ति होता है। अतः मीडिया लेखन का मूल उद्देश्य , सामाजिक विषयों को उठाना तथा समाज के लिए लेखन कार्य करना है। इसके लिए एक अनुभवी और जानकार व्यक्ति का होना नितांत आवश्यक है , जो उसके विभिन्न पहलुओं से परिचित हो।
उसकी बारीकियों को समझता हो तथा समाज के हितों का ध्यान रखता हो।
इसके विषय क्षेत्र पर बात करें तो वह सभी विषय इसके अंतर्गत समाहित हैं , जो सीधे तौर पर सामाजिक सरोकार के संदर्भ में हो।
मीडिया लेखन का वर्गीकरण
मीडिया लेखन का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत और व्यापक है। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के लेख लिखे जाते हैं , जिसका सीधा सरोकार समाज तथा सामाजिक विषयों से होता है।
इसका प्रमुख उद्देश्य समाज की जिज्ञासा को शांत करना है।
मीडिया लेखन के प्रकार
- समाचार ,
- भेंट वार्ता ,
- कमेंट्री ,
- लघु कथा ,
- कहानी ,
- कविता ,
- नाटक आदि लिखे जाते हैं।
समाचार
मीडिया लेखन के क्षेत्र में समाचार और प्रसिद्ध क्षेत्र है।
- समाचार सामाजिक जिज्ञासा को शांत करता है , उसके प्रश्नों के उत्तर तत्काल देने में सक्षम रहता है।
- यह समाज में हो रही घटना का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है।
- समाचार वह होना चाहिए जो समाज से सरोकार रखता हो , साथ ही ऐसी घटना जो मनुष्य को सीधा जोड़ती है होना चाहिए।
- समाचार लेखन करते समय हमें समाज के सभी वर्गों का ध्यान रखना चाहिए।
- क्योंकि समाज के सभी वर्ग आज समाचार से जुड़े होते हैं।
अतः घटना भाषा शैली शब्दावली चित्र आदि सभी समाज के अनुकूल होना चाहिए।
फीचर
फीचर लेखन किसी एक विषय पर गहन अध्ययन होता है , जिसका प्रकाशन समाचार पत्र-पत्रिका में किया जाता है। इसको लिखने वाला उस क्षेत्र का अनुभवी या जानकार होता है। जिसे समाज उस क्षेत्र में भली भांति जानता है।
उदाहरण के लिए :-
क्रिकेट पर फीचर करते समय हर्ष भोगले , सचिन तेंदुलकर आदि लेख लिखते हैं तो वह अधिक रुचि का विषय बन जाता है। क्योंकि उनकी जानकारी इस क्षेत्र में अधिक है।
फीचर लेखन विशेषांक होता है , इसमें समग्र रूप से अध्ययन व विचार प्रकट किया जाता है।
साथ ही सुझाव भी दिया जाता है।
भेंट वार्ता
भेंट वार्ता का मीडिया लेखन में अहम योगदान है। इसके अंतर्गत किसी विशिष्ट व्यक्ति या पात्र से भेंट की जाती है इसके दौरान उनसे जो प्रश्न – उत्तर पूछे जाते हैं तथा सुझाव लिए जाते हैं उन सभी को क्रमशः प्रकाशित किया जाता है , जिसे भेंटवार्ता का नाम दिया जाता है।
आज इसका प्रचलन अधिक बढ़ता जा रहा है।
बड़े-बड़े राजनीतिज्ञ , लेखक , समाज के क्षेत्र में कार्य करने वाले समाजसेवी आदि से साक्षात्कार कर उनके अनुभवों , जानकारियों , सुझावों आदि को संग्रहित कर मीडिया लेखन किया जाता है।
कमेंट्री
कमेंट्री का मुख्य प्रयोग रेडियो तथा टेलीविजन के क्षेत्र में सीधे प्रसारण के तौर पर किया जाता है।
क्रिकेट का मैच चल रहा हो , उस समय आप इससे अधिक जुड़ते हैं।
राष्ट्रीय पर्व के उपलक्ष में किसी प्रकार का कार्यक्रम किया जाता है। तो उसमें कमेंट्री की भूमिका अवश्य रहती है।
कमेंट्री एक जीवंत कला है , जिसका सीधा लाइव प्रसारण किया जाता है।
मीडिया लेखन के क्षेत्र में इसका प्रयोग लोगों को जानकारी देने के उद्देश्य से किया जाता है।
यह उन लोगों के लिए विशेष लाभदायक है जो देख नहीं सकते।
उनके लिए यह दिव्य कला है, उन्हें कमेंट्री के माध्यम से जीवंत चित्र प्रस्तुत किया जाता है। जिसके माध्यम से वह पूरे दृश्य को सुनकर समझ लेते हैं। कमेंट्री करने वाले व्यक्ति को विशेष ध्यान देना चाहिए उन्हें अपने शब्दों से चित्र प्रस्तुत करने की कला का अनुभव होना चाहिए। उस क्षेत्र में गहन जानकारी का होना भी आवश्यक है, अन्यथा वह कमेंट्री के मूल उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सकते।
संपादकीय
संपादकीय किसी भी पत्र-पत्रिका का आईना होता है। संपादकीय पढ़कर आप उस पत्र की विचारधारा को समझ सकते हैं। संपादकीय उस पत्र या पत्रिका के संपादक के द्वारा या विशिष्ट लोगों के द्वारा लिखा जाता है , जिसमें समाज के ज्वलंत मुद्दों को उठाया जाता है और सामाजिक जिज्ञासाओं को शांत करने का प्रयास किया जाता है।
यह पत्र की अपनी विचारधारा प्रस्तुत करने का भी माध्यम है।
विज्ञापन
आज के दौर में विज्ञापन का महत्व काफी बढ़ गया है। किसी भी वस्तु या प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए उसका विज्ञापन किया जाता है।
विज्ञापन जितना सुंदर होता है , उतना ही वह ग्राहकों द्वारा पसंद किया जाता है।
आज इसका प्रयोग बाजार में खूब किया जा रहा है।
विज्ञापन की शक्ति यह है कि वह खराब से खराब वस्तु का भी महिमामंडन कर ग्राहकों तक पहुंचाया जा रहा है।
आज ऑनलाइन तथा ऑफलाइन विज्ञापन का प्रचार-प्रसार हो रहा है।
इसके माध्यम से विज्ञापन के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं और आर्थिक लाभ भी किया जा रहा है। नए-नए शोध में यह बात सामने आ रही है कि विज्ञापन के माध्यम से ऑनलाइन का बाजार निरंतर बढ़ता जा रहा है।
यही कारण है कि आज बाजार डिजिटल रूप में घर-घर उपलब्ध है।
समीक्षा
समीक्षा के बदौलत आज किसी को भी प्रसिद्ध बनाने का खूब प्रचलन है। आज जितने भी बाजार में प्रोडक्ट्स आते हैं उनकी समीक्षा अर्थात रिव्यू का प्रचलन बढ़ गया है।
इसके माध्यम से उसकी खूबियों-कमियों को बताया जाता है जो ग्राहकों को अपने मन मुताबिक पसंद करने में आसानी होती है वैश्विक बाजार में इसका प्रचलन काफी बढ़ गया है।
आज हैरी पॉटर इतना प्रसिद्ध क्यों है ? क्या आपने इस पर थोड़ा सा ध्यान दिया है ? नहीं तो यहां हम आपको समीक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। हैरी पॉटर ने विश्व स्तर पर अपने किताब की समीक्षा के लिए धन खर्च किए जिसके कारण हैरी पॉटर आज विश्व का सबसे ज्यादा बिकने वाला किताब बन गया है।
- समीक्षा करते समय उसके गुण-अवगुण आदि को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
- प्रस्तुतकर्ता को उस क्षेत्र का विशेष अनुभव भी होना चाहिए।
- कहानी का महत्व तब बढ़ जाता है , जब समाज में किसी संदेश को पहुंचाना होता है।
- कहानी का संबंध समाज के साथ सीधा है।
- लेखन कला के विकास से पूर्व बालक में संस्कार कहानी के माध्यम से ही डाले जाते हैं।
- आज भी पंचतंत्र जैसी कहानियां नैतिक , चारित्रिक , सामाजिक विकास के लिए अहम भूमिका निभाती है।
मीडिया देखन में कहानी का प्रयोग ही नहीं सभी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है।
लघु कथा
शब्द से ही स्पष्ट होता है कि वह कथा जो लघु हो , इसका मीडिया लेखन में विशेष प्रयोग किया जाता है।
छोटी छोटी कथाएं लिखकर छात्रों को उसे जोड़ने का प्रयास किया जाता है।
यह प्रेरणादायक तथा सामाजिक नैतिक आदि मूल्यों पर आधारित होती है।
नाटक
नाटक साहित्य की सबसे पुरानी विधा है। जब लेखन कला का विकास नहीं हुआ था तब भी इसका भरपूर प्रयोग किया जाता था। पूर्व समय में लोग मंच पर मुखौटा लगाकर अभिनय करते थे , इसका विस्तृत रूपरेखा शास्त्र में भी अपने उपलब्ध है। अ
भिनव गुप्ता तथा अन्य नाट्य शास्त्रियों ने इसकी विस्तृत रूपरेखा तथा योजना का निर्माण किया है। जिसमें अभिनयकर्ता तथा दर्शक दोनों के बीच तारतम्यता स्थापित करने के लिए संपूर्ण क्रियाकलाप को शास्त्रबद्ध किया गया है।
नाटक आज भी खेले जाते हैं
आए दिन अपने समाज को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटक का अभिनय तो देखा ही होगा साथ ही रामलीला का मंचन भी वर्ष में एक बार अवश्य देखते होंगे यह सभी नाटक का ही अंग है।
मीडिया लेखन के क्षेत्र में नाटक का विशेष महत्व है।
इसके माध्यम से सामाजिक जागरूकता का अभियान भी चलाया जाता है जिससे समाज के निकट जाने में सुविधा होती है।
यात्रा वृतांत
आधुनिक साहित्य में यात्रा वृतांत का प्रचलन खूब देखने को मिलता है , इससे पूर्व इसकी प्रासंगिकता उतनी नहीं थी जितनी आज है। यात्रा वृतांत अर्थात किसी भी यात्रा का वह स्मरण बिंदु जो लोगों के साथ या स्वयं के मन मस्तिष्क में यादों को संजो कर रखना चाहता हे।किसी भी यात्रा में कुछ ऐसे पहलू होते हैं जिसे हम लोगों के साथ साझा करते हैं या संजो कर रखना चाहते हैं।
इसी लेखन कला को यात्रा वृतांत कहा गया।
आज अनेकों ऐसे प्रसिद्ध यात्रा वृतांत है जिसे घूमने फिरने की शौक रखने वाले लोग पढ़ते हैं।
यात्रा वृतांत आधुनिक युग की देन है , माना जाता है यात्रा से मन को शांति मिलती है।
रोजमर्रा की थकान और गतिविधियों से मनुष्य जब ऊब महसूस करता है, स्वयं को बुझिल मानता है तो वह यात्रा पर निकलता है। जहां से उसे एक नवीन शक्ति प्रदान होती है।
वह पूर्व से अधिक ऊर्जावान होकर अपने दुनिया में वापस लौट आता है।
जहां वह पूर्व से कहीं अधिक ऊर्जावान और सकारात्मक विचार से परिपूर्ण होता है।
इस यात्रा के दौरान वह जितने अनुभव , आरंभ से लेकर अंत तक करता है उसे एक लेखन के रूप में परिवर्तित करता है। जिससे यात्रा वृतांत कहा जाता है। आज जब छुट्टियां पड़ती है, विद्यालय या कार्यालय कुछ समय के लिए बंद होते हैं तो आपने देखा होगा अखबार या अन्य पत्र-पत्रिकाएं यात्रा तथा ऐसे स्थल का प्रचार-प्रसार करती है जहां व्यक्ति अपने अनमोल समय को व्यतीत कर सकता है।
कार्टून कोना
कार्टून हजारों शब्द कहने की क्षमता रखता है। यह कड़ा व्यंगय तो करने में सक्षम है ही ,
साथ ही यह किसी भी प्रकार का संदेश बेहद ही सटीक रूप से दे सकता है। कार्टून का प्रयोग आज के लगभग सभी अखबारों में किया जाता है। भारत में जब आपातकाल लगाया गया था , उस समय पत्रकारों को कुछ लिखने या अपनी बातें रखने पर पूर्ण रूप से पाबंदी थी।
जो सरकार के विरुद्ध लिखता था , उसे सख्त सजा का प्रावधान था।
उस पत्रकार तथा लेखक को कैद कर लिया जाता था। पत्रकारों ने इसका तोड़ कार्टून के माध्यम से अपने संदेश जनमानस तक पहुंचाने के रूप में निकाला। अनेकों ऐसे कार्टून प्रेषित किए गए जो , सरकार और आपातकाल की बर्बरता को सामान्य जनमानस तक पहुंचा सकता था।
इसे लोगों ने खूब पसंद किया।
मीडिया लेखन की भाषा शैली कैसी होनी चाहिए ?
मीडिया लेखन एक बहुत विस्तृत और व्यापक विषय है , जिसका सीधा संबंध समाज से होता है।
यह कहें कि इसके केंद्र में सामाजिक व्यक्ति तथा सामाजिक विषय होते हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। मीडिया लेखन कार्य करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि विषय के साथ-साथ उसकी भाषा शैली भी समाज के अनुकूल होनी चाहिए।
जिस प्रकार कोई भी लेखन का सीधा सरोकार आम जनता से होता है।
अतः उस लेखन की भाषा शैली भी जनता के अनुकूल ही होनी चाहिए।
जिस विषय या क्षेत्र पर लेखन कार्य किया जा रहा हो , उससे संबंधित शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए जैसे – आर्थिक जगत में लेखन किया जा रहा है तो आर्थिक क्षेत्र में प्रयोग होने वाले शब्दों का ही प्रयोग किया जाना चाहिए।
ठीक उसी प्रकार –
- क्रिकेट ,
- कृषि ,
- राजनीति
आदि विषय पर लेखन कार्य करते समय उससे संबंधित शब्दावली ओं का ही चयन विशेष रूप से करना चाहिए।
मीडिया तथा संचार से आज सभी वर्ग के पाठक दर्शक जुड़ते हैं।
हमें इसका भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।
लेखन कार्य करते समय हमें ऐसे कठिन शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए जो सामान्य जनमानस की समझ से बाहर।
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निष्कर्ष –
उपर्युक्त अध्ययन से स्पष्ट होता है कि मीडिया लेखन का क्षेत्र बहुत विस्तृत और व्यापक है।
इसके पाठक वर्ग , सभी वर्ग से है। पूर्व समय में जहां इसके पाठक वर्ग में कमी थी, आज ऐसा नहीं है।
बल्कि निरंतर इसके पाठक वर्ग में बढ़ोतरी हो रही है।
मीडिया लेखन ऑनलाइन , ऑफलाइन दोनों ही रूप में कार्य कर रही है।
अब इसकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है क्योंकि पूरा समाज इससे जुड़ गया है , कुछ उम्मीदें रखता है जिसकी पूर्ति करते समय सावधानियों को बरतना चाहिए। चुनिंदा विषयों सामाजिक विषयों को इसमें समाहित किया जाना चाहिए तथा पाठक वर्ग के और निकट पहुंचने की निरंतर कोशिश की जानी चाहिए।
आशा है यह लेख आपको समझ आया हो , आपके ज्ञान की वृद्धि हो सकी हो।
मीडिया लेखन से जुड़े किसी भी प्रश्न के उत्तर पाने के लिए आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर संपर्क कर सकते हैं।
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