प्रस्तुत लेख में वीप्सा अलंकार की परिभाषा, भेद, उदाहरण, इसकी पहचान कैसे करें आदि जानकारी उपस्थित है।
यह लेख अलंकार की जानकारी के साथ-साथ वीप्सा अलंकार की समस्त जानकारी देने में कारगर है। इस लेख का अध्ययन आप सभी प्रकार की परीक्षाओं जिनमें अलंकार के प्रश्न पूछे जाते हैं के लिए कर सकते हैं।
शब्दों की बार-बार आवृत्ति के कारण इस अलंकार की उत्पत्ति हुई है। जैसा कि हम जानते हैं अलंकार का कार्य काव्य की शोभा को बढ़ाना होता है।
यह काव्य में प्रयुक्त होकर काव्य की शोभा के साथ चमत्कार उत्पन्न करने की क्षमता भी रखते हैं।
अलंकार को काव्य का आभूषण भी माना जाता है।
वीप्सा अलंकार
परिभाषा:- जहां आदर,घृणा,हर्ष,शोक,विस्मय आदि भावों को प्रभावशाली रूप में व्यक्त करने के लिए किसी शब्द की आवृत्ति होती है,वहां वीप्सा अलंकार होता है। जैसे –
हा! हा! इन्हें रोकन कौं टोक न लगावौ तुम
विसद-विवेक ज्ञान गौरव-दुलार हौ। ।
इस उदाहरण में ‘ हा! ‘ शब्द की आवृत्ति द्वारा गोपियों के विरह की तीव्रता को प्रकट किया गया है ,अतः यहां विपदा अलंकार है।
वीप्सा का अर्थ
जहां शब्द की बार-बार आवृत्ति हो किंतु उसकी अर्थ भिन्नता ना हो वहां वीप्सा माना जाता है। वीप्सा का अर्थ की आवृत्ति।
वीप्सा अलंकार के उदहारण
1
कातर दिति करि चौदसि हेरि-हेरि।
2
मेरी करुणा हा-हा खाती।
3
जांति पाँति हमतैं बड़ नाहीं ,नाहिंन बसत तुम्हारी छैयाँ। ।
4
सुलगि सुलगि दगधै भै छारा।
5
हहलि हहलि अधिका हिय काँपे।
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निष्कर्ष –
उपरोक्त अध्ययन में हमने पाया कि वीप्सा अलंकार के अंतर्गत शब्दों की बार-बार आवृत्ति होती है, जिसका मुख्य कारण वाक्य में प्रयोग होकर उसकी तीव्रता आदि को व्यक्त करना होता है।
विप्सा का अर्थ है आवृत्ति अर्थात इसके अंतर्गत शब्दों की आवृत्ति होती है ,किंतु अर्थ भिन्नता नहीं।
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