गुरु नानक देव जी सिख धर्म के पहले ग्रु है, उन्होंने आजीवन दीन-दुखियों की सेवा की, असमर्थ लोगों को सहारा दिया। गुरु जी ने अपने उपदेश में सेवा भाव को सर्वोपरि मान, ईश्वर का कार्य बताया। सिख धर्म में आज भी सेवा भाव सर्वोपरि है, गुरु नानक देव जी समाज सुधारक, दार्शनिक, समाजसेवी, राष्ट्र निर्माता आदि की भूमिका में रहे। उन्होंने आजीवन अपने धर्म को सेवा भाव से जोड़कर देखा। प्रस्तुत लेख में आप गुरु नानक देव जी पर निबंध पढ़ेंगे जो आपके परीक्षा के लिए कारगर है।
गुरु नानक देव जी पर निबंध Guru Nanak Dev Ji Nibandh In Hindi
नाम | गुरु नानक देव जी |
जन्म तिथि | कार्तिक पूर्णिमा 1469 |
पिता का नाम | लाला कल्याण राय(मेहता कालू) |
माता का नाम | तृप्ता देवी |
जन्म स्थान | रावी नदी के किनारे तलवंडी गाँव |
पुत्र, पुत्री | गुरु अंगद देव जी |
मृत्यु | 22 सितम्बर 1539 |
1 गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी जो वर्तमान में ननकाना साहिब पंजाब पाकिस्तान में स्थित है हुआ।
2 गुरु नानक देव जी ने सिख पंथ की स्थापना की वह सिख धर्म के प्रथम गुरु हुए।
3 गुरु नानक देव जी बचपन से ही प्रखर तथा कुशाग्र बुद्धि के थे उनमें सेवा भाव कूट-कूट कर भरा था जिसके कारण उन्होंने आजीवन दीन दुखियों की सेवा की।
4 बचपन से ही अध्यात्म की और इनका झुकाव था जिसके कारण कम उम्र में यह घर छोड़कर अध्यात्म को जानने समझने के लिए निकल पड़े थे।
5 गुरु नानक देव जी ने मूर्ति पूजा के बदले परमात्मा की उपासना करने के लिए कहा। उस समय की राजनीतिक तथा धार्मिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी जिसमें सुधार का यह प्रयत्न भी था।
6 गुरु नानक देव जी भक्ति कालीन कवि तथा समाज सुधारक में से एक थे इन्होंने निर्गुण भक्ति धारा की ज्ञानमार्गी शाखा से संबंध रखा और उसे मजबूत किया।
7 इन्होंने कविताएं तथा अनेकों रचनाएं की जो धार्मिक तथा सामाजिक दृष्टिकोण से अहम योगदान रखती है।
8 गुरु अंगद देव जी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।
9 गुरु नानक देव जी ने विदेशी आक्रमणकारियों तथा धर्म विरोधी आक्रांता ओं को देखा था उनकी आत्माओं को झेला था।
10 गुरु नानक देव जी की मृत्यु 22 सितंबर 1539 को करतारपुर जो वर्तमान समय में पाकिस्तान देश में स्थित है हुई।
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उपसंहार
सिख धर्म की स्थापना कर सेवा भाव को समाज में स्थापित करने वाले गुरु नानक देव जी को ईश्वर का अवतार माना जाता है। उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलना सभ्य समाज तथा जिम्मेदार नागरिक होने का प्रमाण है। उन्होंने तत्कालीन परिस्थितियों का भी सामना किया था, जब धर्म तथा समाज सुरक्षित नहीं था। ऐसे में गुरु नानक देव जी ने धर्म की जो व्याख्या कि वह अनुकरणीय है। आपको उपरोक्त लेख कैसा लगा? अपने सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें ताकि हम लेख में अधिक सुधार कर सकें।