परिकर अलंकार की परिभाषा, पहचान और उदाहरण, सहित

इस लेख में परिकर अलंकार की परिभाषा, पहचान और उदाहरण, सहित अध्ययन करेंगे। यह लेख सभी प्रकार की परीक्षाओं के लिए कारगर है। अतः आप इसका अध्ययन अपनी परीक्षाओं के लिए कर सकते हैं।

अलंकार का मुख्य कार्य काव्य में प्रयुक्त होकर उसकी शोभा को बढ़ाना होता है। जिस प्रकार महिलाएं तथा पुरुष अपने शरीर के सौंदर्य के लिए आभूषण तथा अन्य सामग्री का प्रयोग करते हैं। ठीक उसी प्रकार काव्य में अलंकार का प्रयोग होता है। जिससे चमत्कार उत्पन्न होने के साथ काव्य के सौंदर्य में वृद्धि होती है।

परिकर अलंकार

परिभाषा:- जब प्रस्तुत ( वर्ण्य, विषय, विशेष ) का वर्णन करने के लिए उसके साथ ऐसे विशेषण का प्रयोग किया जाता है तो, साभीप्राय अर्थात विशेष अभिप्राय या आशय से मुक्त होता है तब परिकर अलंकार होता है

परिकर अलंकार के उदाहरण

चक्रपाणि हरि को निरखि असुर जात भजि दूर। ।

यहां ‘हरि’ का विशेषण ‘चक्रपाणि’ साभीप्राय है। क्योंकि उनके हाथ में चक्र होने के कारण असुर उनके सामने नहीं ठहर सके।

अन्य उदाहरण –

  • तऊ गुन सुंदरि अति भेल दूबरि। (विद्यापति पद )

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निष्कर्ष

उपर्युक्त अध्ययन से हमने परिकर अलंकार के उदाहरण तथा परिभाषा को जाना है। जिसमें साभीप्राय अर्थ या विशेष अभिप्राय वाले वाक्यों शब्दों को परिकर अलंकार कहते हैं।

यह अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है। संबंधित विषय से प्रश्न पूछने के लिए कमेंट बॉक्स में लिखें।

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