रचनात्मक लेखन, मौलिक लेखन के समान है विद्यार्थियों को विद्यालय तथा विश्वविद्यालय में रचनात्मक लेखन का विषय अध्ययन करने को मिलता है। इससे संबंधित कुछ विषय उन्हें परीक्षा में दिए जाते हैं जिस पर अपने विचार या बौद्धिक कुशलता का प्रयोग करते हुए उत्तर लिखना होता है। विद्यार्थी रचनात्मक लेखन को बड़ा समझ कर उत्तर लिखने में संकोच करते हैं। प्रस्तुत लेख के माध्यम से हम आपके उन सभी शंका का समाधान कर देंगे।
इस लेख के अध्ययन उपरांत आप रचनात्मक लेखन में कुशल सकेंगे। कुछ रचनात्मक लेखन प्रस्तुत किए गए हैं।
रचनात्मक लेखन
विद्यार्थी रचनात्मक लेखन करते समय ध्यान रखें, यह लेख स्वयं के विवेक से लिखें तथा जितनी जानकारी हो उसको उचित प्रारूप में लिखें। परीक्षक को आपके लेख से यह जानकारी हो जाए कि आप दिए गए विषय में आप कितने कुशल हैं और उस संबंध में कितनी जानकारी रखते हैं।
इस लेख से आपकी लेखन कुशलता की परीक्षा होती है, इसलिए स्वतंत्र होकर दिए गए विषय पर रचनात्मक लेखन करें।
1. मीडिया और आधुनिक समाज पर रचनात्मक लेखन लिखिए
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, वह समाज में रहते हुए अपने विचारों तथा भावों का आदान प्रदान करता है। आधुनिक समय में तकनीक ने मनुष्य के संचार पद्धति को कुशल बनाया है, जिसे साधारण तौर पर हम मीडिया कहते हैं। आधुनिक समाज में मीडिया का काफी अहम योगदान है।
कहें तो मीडिया और समाज एक-दूसरे के पूरक हैं।
आधुनिक समाज मीडिया पर इतना निर्भर हो गया है कि, वह एक क्षण इसके प्रयोग से दूर नहीं रह सकता। जहां मीडिया ने ज्ञान-विज्ञान, सुचना आदि के द्वार खोले हैं, वही यह कुछ खामियां भी है, जिसे समाज के असामाजिक तत्वों ने अपने प्रयोग में लिया है।
मीडिया
मीडिया का कार्य सूचना, संदेश को एक स्थान से दूसरे स्थान कुशलतापूर्वक पहुंचाना होता है। वर्तमान समय की मुख्य भूमिका में दृश्य, श्रव्य तथा प्रिंट मीडिया कार्य कर रही है। मीडिया की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह संदेश आदान-प्रदान के कार्य को कितनी कुशलता से संपन्न करता है। कुछ दशक पूर्व तक मीडिया इतनी सशक्त नहीं थी कि तत्काल सूचनाएं आदान-प्रदान हो सके।
पहले सूचनाओं का आदान प्रदान करने में कई दिन तथा महीने भी लगते थे।
टेलीफोन इंटरनेट की उचित व्यवस्था ना होने के कारण सूचना रास्ते में भी बाधित हो जाया करती थी। चिट्ठी अपने गंतव्य स्थान तक विभिन्न कारणों से पहुंच भी नहीं पाती थी, जिसके कारण सूचनाओं का आदान-प्रदान अवरुद्ध हो जाया करता था। आज मीडिया इतना सशक्त हो गया है कि क्षणभर की घटनाएं सजीव देखी जा सकती है। आज हम किसी भी देश और किसी भी कोने में होने वाली घटनाओं को अपने मोबाइल, इंटरनेट और टेलीविजन पर देख लेते हैं।
इतना ही नहीं अपने परिजनों, शुभचिंतकों से क्षण भर में बातचीत कर उनका शुभ समाचार प्राप्त कर पाते हैं। आधुनिक मीडिया ने समाज को जोड़ने का कार्य किया है, इसके माध्यम से नई-नई तकनीक का विकास संभव हो सका है। शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थी मीडिया का प्रयोग कर नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। एक जीवंत उदाहरण हमने कोविड-19 के समय देखा। जब सभी प्रतिष्ठान बंद थे तब विद्यार्थियों ने अपनी पढ़ाई मीडिया के सहारे पूरी की। यहां तक की सभी कार्यालय मीडिया के सहारे चल रहे थे।
इन सभी कार्यों को संपन्न कराने में मीडिया ने अहम योगदान दिया।
समाज अपने परिजनों की कुशलता मीडिया के माध्यम से ही प्राप्त कर रहा था । देश-विदेश में होने वाली घटनाओं की जानकारी भी मीडिया से प्राप्त हो रही थी। मीडिया अगर उचित दिशा में कार्य करें तो समाज निर्माण का कार्य करती है। वही विपरीत दिशा में कार्य करने से समाज को विघटित करती है।
इसलिए मीडिया का प्रयोग सावधानी से किया जाना चाहिए।
आधुनिक समाज
समाज समय और परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है। पुराने समय में जो समाज की संरचना थी आज वह नहीं है। पहले एकल परिवार की व्यवस्था हमारे समाज में थी, आज वह विघटित होती जा रही है। आधुनिक समाज में लोगों के पास इतना समय नहीं है कि वह अपने परिवार के साथ कुछ क्षण व्यतीत कर सकें। अपने सगे संबंधियों के साथ समय बिता सके।
यह सभी प्रक्रिया समाज को नए-नए स्वरूप में परिवर्तित करती जा रही है।
आज व्यक्ति के पास समय का अभाव है, वह पैसे के सहारे सभी चीजें खरीदना चाहता है चाहे वह खुशी ही क्यों ना हो। पहले का समाज आपस में मिलकर खुश हुआ करता था, त्यौहार, उत्सव आदि एक साथ मिलकर मनाते थे और उसे आत्मसात किया करता था। किंतु आधुनिक समाज में समय अभाव के कारण सारी खुशियां पूंजी पर निर्भर करती है। कोई भी आदमी खुश इसलिए नहीं है क्योंकि उसे और अधिक पूंजी की आवश्यकता है। कुछ पूंजी को जोड़ने और बनाने के लिए वह दिन-रात मेहनत करता है, किंतु वह खुशी कभी प्राप्त नहीं कर पाता जो एक सभ्य समाज में स्वीकार की जाती है।
इस कारण भी लोगों में विभिन्न प्रकार की बीमारी तथा बुरी आदतों को जीवन में अपना लेते है।
इंटरनेट ने मानव का जीवन आसान किया है वहीं आधुनिक समाज को बर्बाद करने का श्रेय भी मीडिया को जाता है। बेहद कम उम्र में बच्चे इंटरनेट और मीडिया से जुड़ जाते हैं, जहां उन्हें अपने बौद्धिक विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए वहां वह अनावश्यक सामग्री को देखने में समय व्यतीत करते हैं जिससे उनका मानसिक विकास उस स्तर का नहीं हो पाता जो कुछ दशक पूर्व था।
मीडिया और आधुनिक समाज
निश्चित रूप से मीडिया की आवश्यकता आधुनिक समाज में है किंतु मीडिया का प्रयोग समाज में बेहद ही सावधानी से किया जाना चाहिए क्योंकि मीडिया एक ऐसा माध्यम बन गया है जो समाज को जोड़ने तथा तोड़ने का कार्य साथ ही साथ करता जा रहा है। पूर्व समय में जब मीडिया का अधिक प्रचलन नहीं था, तब समाज संगठित रहा करता था। अपने भावों, विचारों का आदान-प्रदान अपने समाज में किया करता था।
आज मीडिया के प्रचलन से समाज विकेंद्रीकृत हुआ है।
मीडिया ने लोगों को अकेला कर दिया है जिसमें उन्हें परिवार या अपने सगे संबंधी मित्र आदि की कमी महसूस नहीं होती। मीडिया और समाज के बीच एक बेहतर तालमेल के साथ कार्य किया जाना चाहिए जिससे सभ्य समाज का निर्माण हो सके।
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निष्कर्ष
उपरोक्त तथ्यों के माध्यम से हम कह सकते हैं कि मीडिया समाज के लिए आवश्यक है। किंतु उसके दायरे और प्रयोग के तरीके को नियंत्रित किया जाना चाहिए। मीडिया जहां समाज को शिक्षित जागरूक और मनोरंजन का माध्यम बनता है, वही समाज को विघटित तथा भ्रष्ट करने का कार्य भी करती है। मीडिया के प्रयोग पर नियंत्रण किया जाना चाहिए ताकि सभ्य समाज का निर्माण हो सके।
बच्चे मीडिया से शिक्षित हो सके और नए-नए अविष्कार के लिए प्रेरित हो। हमें मीडिया को इस प्रकार से प्रयोग करना होगा कि समाज में साक्षरता बढ़ सके, जागरूकता हो सके, अन्यथा मीडिया की सार्थकता सभ्य समाज में नहीं हो सकती।