इस लेख में आप लेखन के विभिन्न माध्यम ( पत्र-पत्रिका, सिनेमा, रेडियो, टेलीविज़न, समाचार, साहित्य ) से परिचित हो सकेंगे। यह लेख आपको परीक्षा में सर्वाधिक अंक दिला पाने में सक्षम हो सकता है।इस लेख में लेखन के विविध आयामों को प्रकट किया गया है।
विभिन्न माध्यम के लिए लेखन कक्षा 12
लेखन अभिव्यक्ति का एक माध्यम है, जिस प्रकार व्यक्ति बोलकर अपनी भावनाओं तथा विचारों को दूसरों तक पहुंचाता है। उसी प्रकार लेखन अपने विचार विनिमय का एक माध्यम है। आज लेखन का विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग किया जा रहा है जैसे – पत्र-पत्रिका, सिनेमा, रेडियो, समाचार, साहित्य आदि के लिए।
जनसंचार के विभिन्न माध्यम
- जनमानस द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले जनसंचार के अनेक माध्यम है जैसे – मुद्रित (प्रिंट), रेडियो, टेलिविजन एवं इंटरनेट।
- मुद्रित अर्थात समाचार पत्र – पत्रिकाएं पढ़ने के लिए, रेडियो सुनने के लिए, टीवी देखने और सुनने के लिए तथा इंटरनेट पढ़ने, सुनने और देखने के लिए प्रयुक्त होते हैं।
- अखबार पढ़ने के लिए, रेडियो सुनने के लिए और टीवी देखने के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है।
- किंतु इंटरनेट पर पढ़ने, देखने और सुनने तीनों की आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।
अभिव्यक्ति और माध्यम ( class 11 and 12 )
कार्यसूची लेखन ( अभिव्यक्ति और माध्यम ) संपूर्ण जानकारी
जनसंचार के मुद्रित (प्रिंट) माधयम –
- जन संचार के आधुनिक माध्यमों में मुद्रित (प्रिंट) सबसे ज्यादा पुराना माध्यम है।
- जिसके अंतर्गत समाचार पत्र पत्रिकाएं आती है।
- मुद्रण का प्रारंभ चीन में हुआ, तत्पश्चात जर्मनी के गुटेनबर्ग में छापाखाना की खोज की।
- भारत में सन 1556 में गोवा में पहला छापाखाना खुला।
- इसका प्रयोग मिशनरियों ने धर्म प्रचार की पुस्तकें छापने के लिए किया था।
- आज मुद्रण कंप्यूटर की सहायता से होता है।
जनसंचार मुद्रित माध्यमों की खूबियां –
- मुद्रित माध्यमों की खूबियां देखें तो हम पाएंगे कि सभी की अपनी कमियां है और विशेषताएं भी है।
- लिखे हुए शब्द स्थाई होते हैं।
- इन लिखे हुए शब्दों को हम एक बार ही नहीं अनेकों बार पढ़ सकते हैं।
- अपनी रुचि और समझ के अनुसार उस स्तर के शब्दों से परिचित हो सकते हैं।
- उसका अध्ययन चिंतन मनन किया जा सकता है।
- जटिल शब्द आने पर शब्दकोश का प्रयोग भी किया जा सकता है।
- इसके अतिरिक्त भी खबर को अपनी रूचि के अनुसार पहले तथा बाद में पढ़ा जा सकता है।
- चाहे तो किसी भी सामग्री को लंबे समय तक सुरक्षित रखा भी जा सकता है।
जनसंचार मुद्रित माध्यमों की कमियां –
- मुद्रित माध्यम की खामियां भी है जैसे अशिक्षित लोगों के लिए अनुपयोगी।
- टेलीविजन तथा रेडियो की भांति मुद्रित माध्यम तुरंत घटी घटना की जानकारी नहीं दे पाता।
- समाचार पत्र निश्चित अवधि अर्थात 24 घंटे में एक बार, सप्ताहिक सप्ताह में एक बार तथा मासिक में माह में एक बार प्रकाशित किया जाता है।
- किसी भी खबर या रिपोर्ट के प्रकाशन के लिए एक डेड लाइन (समय सीमा) होती है।
- स्पेस (स्थान) सीमा भी होती है, जबकि रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट माध्यम पर ऐसा प्रतिबंध नहीं होता।
- महत्व एवं जगह की उपलब्धता के अनुसार किसी भी खबर को स्थान दिया जाता है।
- मुद्रित माध्यम में अशुद्धि होने पर सुधार हेतु अगले अंक की प्रतीक्षा करनी पड़ती है।
- अन्य माध्यमों में तत्काल सुधार किया जा सकता है।
जनसंचार मुद्रित माध्यमों की भाषा शैली –
- मुद्रित माध्यम में लेखन के लिए भाषा, व्याकरण, शैली, वर्तनी, समय सीमा, आवंटित स्थान, अशुद्धि शोधन एवं तारतम्यता पर विशेष ध्यान देना जरूरी है।
- लेखन तथा भाषा शैली पाठक वर्ग को ध्यान में रखकर किया जाता है।
रेडियो ( विभिन्न माध्यम )
- रेडियो जनसंचार का श्रव्य माध्यम है
- जिसके ध्वनि, शब्द और स्वर ही प्रमुख हैं
- रेडियो मूलतः एक रेखीय (लीनियर) माध्यम है
- रेडियो समाचार की संरचना समाचार पत्रों तथा टीवी की तरह उल्टा पिरामिड शैली पर आधारित होती है
- जिसमें अखबार की तरह पीछे लौटकर सुनने की सुविधा नहीं होती
- लगभग 90 फ़ीसदी समाचार या स्टोरीज इस शैली में लिखी जाती है।
उल्टा पिरामिड शैली किसे कहते हैं
उल्टा पिरामिड शैली मे समाचार पत्र के सबसे महत्वपूर्ण तथ्य को सर्वप्रथम लिखा जाता है। उसके बाद घटते हुए महत्व क्रम में दूसरे तथ्यों या सूचनाओं को बताया जाता है। अर्थात कहानी की तरह क्लाइमैक्स अंत में नहीं वरन खबर के प्रारंभ में आ जाता है। इस शैली के अंतर्गत समाचारों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है – १ इंट्रो २ बॉडी ३ समापन।
- इंट्रो – समाचार का मुख्य भाग होता है
- बॉडी – घटते हुए क्रम में खबर को विस्तार से लिखा जाता है। ब्यौरा प्रस्तुत किया जाता है।
- समापन – अधिक महत्वपूर्ण ना होने पर अथवा स्पेस ना होने पर इसे काट कर छोटा भी किया जा सकता है।
Kahani or Natakme Antar, कहानी और नाटक में अंतर लिखिए
उपन्यास के तत्व की संपूर्ण जानकारी उदाहरण सहित
समाचार लेखन की बुनियादी बातें
- साफ-सुथरी टाइप की हुई कॉपी, ट्रिपल स्पेस में टाइप करते हुए दोनों और हाशिए छोड़ें।
- एक पंक्ति में 12-13 शब्दों से अधिक ना हो।
- पंक्ति के अंत में विभाजित शब्द का प्रयोग ना करें
- समाचार कॉपी में जटिल एवं संक्षिप्त आकार का प्रयोग ना करें
- लंबे अंको को तथा दिनांक को शब्दों में लिखें
- निम्नलिखित, क्रमांक, अधोहस्ताक्षरी, किन्तु, लेकिन, उपर्युक्त, पूर्वक जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए
- वर्तनी पर विशेष ध्यान दें
- समाचार लेखन की भाषा को प्रभावी बनाने के लिए आम बोलचाल की भाषा का ही प्रयोग करें।
सृजनात्मक लेखन की परिभाषा और उदाहरण
रचनात्मक लेखन (मीडिया और आधुनिक समाज)
टेलीविजन ( विभिन्न माध्यम )
- टेलीविजन जनसंचार का दृश्य श्रव्य माध्यम है
- यह रेडियो की भांति एक रेखीय माध्यम है
- टेलीविजन में शब्दों व ध्वनियों की अपेक्षा दृश्यों का महत्व अधिक होता है
- इस में दृश्य शब्दों के अनुरूप उनके सहयोगी के रुप में चलते हैं
- इस में कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक खबर बताने की शैली का प्रयोग किया जाता है
- अतः टेलीविजन में समाचार लेखन की प्रमुख शर्त दृश्य के साथ लेखन है।
टेलीविजन खबरों के प्रमुख चरण –
प्रिंट अथवा रेडियो की भांति टेलीविजन चैनल समाचार देने का मूल आधार सूचना देना है। टेलीविजन में यह सूचनाएं इन चरणों से होकर गुजरती है।
- फ्लैश बैक(ब्रेकिंग न्यूज़)
- ड्राई एंकर
- फोन इन
- एंकर विजुअल
- एंकर बाइट
- लाइव
- एंकर पैकेज
विज्ञापन लेखन की परिभाषा और उदाहरण
विशेष लेखन की परिभाषा और उदाहरण
कहानी लेखन की परिभाषा और उदाहरण
टेलीविजन खबरों की विशेषताएं –
- देखने और सुनने की सुविधा
- जीवंत घटनाओं का प्रसारण
- प्रभावशाली खबर से परिचित होना
- समाचारों का लगातार प्रसारण देख पाना।
टेलीविजन खबरों की कमियां –
- भाषा शैली के स्तर पर अत्यंत सावधानी
- बाइट का ध्यान रखना आवश्यक है
- कार्यक्रम का सीधा प्रसारण कभी-कभी सामाजिक उत्तेजना को जन्म दे सकता है
- और परिपक्व बुद्धि पर सीधा प्रभाव डालता है
कार्यालयी लेखन की पूरी जानकारी
विज्ञापन लेखन परिभाषा, उदाहरण सहित पूरी जानकारी
रेडियो और टेलीविजन समाचार की भाषा
- भाषा के स्तर व गरिमा को बनाए रखते हुए सरल भाषा का प्रयोग करें।
- सभी वर्ग तथा स्तर के लोग समझ सके इसका ध्यान रखना चाहिए
- छोटे वाक्य तथा सरल और कर्णप्रिय हो
- वाक्यों में तारतम्यता हो
- जटिल शब्दों सामाजिक शब्दों एवं मुहावरों के अनावश्यक प्रयोग से बचें
- जटिल और उच्चारण में कठिन शब्द संक्षिप्त अंक आदि नहीं लिखने चाहिए जिन्हें पढ़ने में जबान लड़खड़ा जाए
इंटरनेट ( विभिन्न माध्यम )
इंटरनेट की दीवानी नई पीढ़ी को अब समाचार पत्र पर छपे समाचार पढ़ने में आनंद नहीं आता। उन्हें स्वयं को घंटे-दो घंटे में अपडेट रहने की आदत सी बन गई है। इंटरनेट पत्रकारिता, ऑनलाइन पत्रकारिता, साइबर पत्रकारिता या वेब पत्रकारिता इसे कुछ भी कह सकते हैं।
इसके द्वारा जहां हम सूचना , मनोरंजन , ज्ञान तथा निजी व सार्वजनिक संवादों का आदान – प्रदान कर सकते हैं। वहीं इसे अश्लील, दुष्प्रचार एवं गंदगी फैलाने का माध्यम भी बनाया जा रहा है। इंटरनेट का प्रयोग समाचारों के संप्रेषण संकलन तथा सत्यापन एवं पुष्टिकरण में भी किया जा रहा है। टेलीप्रिंटर के जमाने में जहां 1 मिनट में केवल 80 शब्द एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजे जा सकते थे। वही आज एक सेकंड में लगभग 70000 शब्द भेजे जा सकते हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु
- इंटरनेट पर समाचार पत्र का प्रकाशन अथवा खबर का आदान-प्रदान ही वास्तव में इंटरनेट पत्रकारिता है।
- इंटरनेट पर यदि हम किसी भी रूप में समाचारों लेखों चर्चा – परिचर्चा, बहसों, फीचर, झलकियों के माध्यम से अपने समय की धड़कनों को अनुभव कर दर्ज करने का कार्य करते हैं तो वही इंटरनेट पत्रकारिता है।
- इसी पत्रकारिता को वेब पत्रकारिता भी कहा जाता है।
- इस समय विश्व स्तर पर इंटरनेट पत्रकारिता का तीसरा दौर चल रहा है , जबकि भारत में दूसरा दौर माना जाता है।
- भारत के लिए प्रथम दौर 1993 से प्रारंभ माना जाता है और दूसरा दौर 2003 से माना जाता है।
- भारत में सच्चे अर्थों में यदि कोई भी पत्रकारिता कर रहा है तो वह rediff.com, इंडिया इन्फोलाइन, तथा सीफी जैसी कुछ सीटें हैं।
- रेडिफ को भारत की पहली साइट कहा जा सकता है।
- वेबसाइट पर विशुद्ध पत्रकारिता करने का श्रेय तहलका डॉट कॉम को जाता है।
- हिंदी में नेट पत्रकारिता वेबदुनिया के साथ प्रारंभ हुई।
- इंदौर के नई दुनिया समूह से प्रारंभ हुआ यह पोर्टल हिंदी का संपूर्ण पोर्टल है। जागरण, अमर उजाला, नई दुनिया, हिंदुस्तान, भास्कर, राजस्थान पत्रिका, नवभारत टाइम्स, प्रभात खबर एवं राष्ट्रीय सहारा के वेब संस्करण प्रारंभ हुए।
- प्रभासाक्षी नाम से प्रारंभ हुआ अखबार प्रिंट रूप में ना होकर केवल इंटरनेट पर उपलब्ध है।
- आज पत्रकारिता के अनुसार श्रेष्ठ साइड बी.बी.सी. है
- हिंदी वेब जगत में आज अनेक साहित्यिक पत्रिकाएं चल रही है।
- कुल मिलाकर हिंदी की वेब पत्रकारिता अभी अपने शैशव काल में ही है।
- सबसे बड़ी समस्या हिंदी के फॉन्ट की है अभी हमारे पास हिंदी की कोई कीबोर्ड नहीं है।
- जब तक हिंदी के कीबोर्ड का मानकीकरण नहीं हो जाता तब तक इस समस्या को दूर नहीं किया जा सकता।
पत्रकारिता लेखन के विभिन्न प्रकार
पत्रकारिता के विविध आयाम का संपूर्ण ज्ञान
उल्टा पिरामिड शैली की संपूर्ण जानकारी उदाहरण सहित
महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – विभिन्न माध्यम
प्रश्न – जनसंचार के प्रमुख साधन कौन-कौन से हैं ?
उत्तर – प्रिंट माध्यम, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट।
प्रश्न – जनसंचार का सबसे पुराना माध्यम कौन सा है ?
उत्तर – प्रिंट माध्यम
प्रश्न – सर्वप्रथम मुद्रण का प्रारंभ कहां हुआ ?
उत्तर – सर्वप्रथम मुद्रण का प्रारंभ चीन में हुआ।
प्रश्न – भारत में पहले छापेखाने की स्थापना किसने कब और कहां की ?
उत्तर – भारत में पहले छापेखाने की स्थापना में मिश्निरियों ने सन 1556 में गोवा में की।
प्रश्न – उल्टा पिरामिड शैली से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – उल्टा पिरामिड शैली में समाचार को तीन हिस्सों में बांटा जाता है- १ इंट्रो (मुख्य खबर) २ बॉडी (घटते क्रम में समाचार का ब्यौरा) ३ समापन (आवश्यकता अनुसार इसे छोटा तथा बड़ा किया जा सकता है )
प्रश्न – टी.वी. पर प्रसारित खबरें किन-किन चरणों से होकर गुजरती है ?
उत्तर – टीवी पर प्रसारित होने वाली खबरें निम्न चरणों से होकर गुजरती है – फ्लैश, ब्रेकिंग न्यूज़, एंकर, एंकर विजुअल, एंकर बाइट, लाइव, एंकर पैकेज।
नाटक लेखन की परिभाषा और उदाहरण
प्रतिवेदन लेखन की परिभाषा और उदाहरण
प्रश्न – जन संचार के विभिन्न माध्यम का प्रमुख कार्य क्या है ?
उत्तर – जन संचार के विभिन्न माध्यम का प्रमुख कार्य सूचना देना, शिक्षित करना एवं मनोरंजन करना है।
प्रश्न – जन संचार के माध्यमों द्वारा किस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए।
उत्तर – सहज सरल और जनमानस के बिल्कुल निकट हो जिससे अधिक से अधिक लोग एवं हर स्तर के लोग समझ सके छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग होना चाहिए।
प्रश्न – नई पीढ़ी में इंटरनेट के अधिक लोकप्रिय होने का क्या कारण है ?
उत्तर – नई पीढ़ी को अब समाचार पत्र पर समाचार पढ़ने में आनंद नहीं आता। उन्हें स्वयं को समय-समय पर अपडेट रखने की आदत पड़ गई है यही कारण है कि नई पीढ़ी इंटरनेट की दीवानी है। इंटरनेट द्वारा सूचना, विज्ञान तथा निजी व सार्वजनिक संवाद का आदान – प्रदान कर सकते हैं।
प्रश्न – भारत में वेबसाइट पर पत्रकारिता कौन कर रहा है ?
उत्तर – तहलका डॉट कॉम।
प्रश्न – भारत में वेब पत्रकारिता कौन कर रहा है ?
उत्तर – rediff.com , इंडिया इन्फोलाइन, सीफी।
प्रश्न – उस खबर का नाम लिखिए जो प्रिंटर रूप में उपलब्ध ना होकर केवल इंटरनेट पर उपलब्ध है ?
उत्तर – प्रभासाक्षी
प्रश्न – हिंदी के किन्ही दो अखबारों के नाम लिखो जिनके वेब संस्करण उपलब्ध है।
उत्तर – जागरण, हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स आदि।
प्रश्न – वेब में प्रकाशित किन्हीं तीन पत्रिकाओं के नाम लिखो।
उत्तर – अनुभूति, अभिव्यक्ति, हिंदी नेस्ट, सहारा आदि
फीचर लेखन की परिभाषा, भेद और उदाहरण
प्रश्न – ब्रेकिंग न्यूज़ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – किसी भी बड़ी खबर को फ्लैश अथवा ब्रेकिंग न्यूज़ के रूप में तत्काल दर्शकों तक पहुंचाना ब्रेकिंग न्यूज़ है। इसमें कम से कम शब्दों में केवल सूचना दी जाती है।
प्रश्न – रेडियो तथा टीवी जनसंचार के कैसे माध्यम है ?
उत्तर – रेडियो श्रव्य माध्यम, टीवी दृश्य एवं श्रव्य माध्यम है।
प्रश्न – मुद्रित माध्यम के छपने से पहले संपादक को किस बात का ध्यान रखना पड़ता है ?
उत्तर – छपने से पहले आलेख में मौजूद सभी गलतियों और अशुद्धियों को दूर करना पड़ता है। प्रकाशन के बाद वह गलती नहीं सुधारी जा सकती उसके लिए नए अंक की प्रतीक्षा करनी पड़ती है।
प्रश्न – मुद्रित माध्यम की सबसे बड़ी विशेषता क्या है ?
उत्तर – मुद्रित माध्यम की सबसे बड़ी विशेषता शब्दों में स्थायित्व होना, भाषा का विस्तार होना तथा चिंतन विचार एवं विश्लेषण का माध्यम होना और संग्रह करने की सुविधा का होना है।
प्रश्न – मुद्रित माध्यम के अंतर्गत कौन कौन से माध्यम आते हैं ?
उत्तर – मुद्रित माध्यम के अंतर्गत पत्र-पत्रिका समाचार साहित्य आदि आते हैं।
प्रश्न – रेडियो जनसंचार का कैसा माध्यम है ?
उत्तर – रेडियो जनसंचार का श्रव्य माध्यम है। रेडियो से संगीत तथा समाचार जैसी आवाजों को सुना जा सकता है।
प्रश्न – रेडियो समाचार किस शैली में लिखे जाते हैं ?
उत्तर – रेडियो समाचार उल्टा पिरामिड शैली के आधार पर ही लिखा जाता है। इसमें लौटने की विशेषता नहीं होती, इसके लिए धाराप्रवाह वाचन किया जाता है।
संदेश लेखन की परिभाषा और उदाहरण
संवाद लेखन विषय पर उदाहरण सहित जानकारी
प्रश्न – रेडियो समाचार में डेडलाइन से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – रेडियो समाचार में समय का निर्धारण और उसका पालन महत्वपूर्ण है जो इसका डेडलाइन कहलाता है।
प्रश्न – टेलीविजन जनसंचार का कैसा माध्यम है ?
उत्तर – टेलीविजन जनसंचार का दृश्य श्रव्य माध्यम है। इसके माध्यम से घटना को देखा तथा सुना जा सकता है।
प्रश्न – टी.वी पर प्रसारित समाचारों की मुख्य दो शर्तें कौन सी है ?
उत्तर – टीवी पर प्रसारित समाचारों की शर्तें समाचार जीवंत होना चाहिए लोक रूचि के अनुसार होने चाहिए तथा सत्य पर आधारित इसकी प्रमुख शर्ते है।
प्रश्न – इंटरनेट के क्या लाभ हैं ?
उत्तर – इंटरनेट व्यक्ति को स्वतंत्रता प्रदान करता है। व्यक्ति अपने मन मुताबिक किसी भी स्थान पर किसी भी समाचार , मनोरंजन तथा ज्ञान के विषय को देख अथवा सुन सकता है और उसका आनंद ले सकता है।
प्रश्न – इंटरनेट पत्रकारिता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – इंटरनेट पत्रकारिता समय की बचत के साथ-साथ उसको पढ़ने तथा उसे जुड़ने और संग्रह करने की सुविधा देता है।
यह आज की युवा पीढ़ी का सबसे पसंदीदा क्षेत्र है।
प्रश्न – भारत में इंटरनेट का कौन सा दौर चल रहा है और इसे कब से शुरू माना जाता है ?
उत्तर – भारत में इंटरनेट का अभी दूसरा दौर चल रहा है। पहला दौर 1993 से तथा दूसरा दौर 2003 से माना जाता है।
प्रश्न – हिंदी वेब पत्रकारिता की सबसे बड़ी समस्या क्या है ?
उत्तर – हिंदी वेब पत्रकारिता की सबसे बड़ी समस्या उसका लेखन शैली है , क्योंकि अन्य भाषाओं की भांति इस का कीबोर्ड अभी भी बाजारों में उपलब्ध नहीं है। एक निश्चित रूप रेखा का कीबोर्ड पर नहीं होने के कारण लेखन क्रिया कठिन विषय है।
प्रश्न – क्लाइमेक्स किसे कहते हैं ?
उत्तर – किसी भी घटना , सूचना आदि का संपूर्ण उद्घाटन वास्तविक रूप से परिचय कराना या उस चरम बिंदु पर पहुंचना , जहां से पूरी घटना का सार समझते हुए निवारण की ओर दिशा परिवर्तित होता है वह बिंदु क्लाइमैक्स कहलाता है।
प्रश्न – जनसंचार माध्यम के रूप में टेलीविजन की भूमिका स्पष्ट करते हुए बताइए कि टीवी पर प्रसारित समाचार किन-किन चरणों से होकर दर्शकों तक पहुंचते हैं।
प्रश्न – इंटरनेट पत्रकारिता नई पीढ़ी को अपडेट तो रखता है किंतु इसके दुष्परिणाम भी हैं स्पष्ट कीजिए।
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