आरोहण- कहानी का सार, पाठ की मूल संवेदना, सप्रसंग व्याख्या Aarohan Question Answer

इस लेख में आरोहण कहानी का सार, पाठ की मूल संवेदना, व्याख्यात्मक प्रसंग तथा महत्वपूर्ण परीक्षा के प्रश्न का संकलन प्राप्त कर सकते हैं। आरोहण अर्थात चढ़ना या सवार होना। चाहे जीवन की हो या पहाड़ की कोई अभ्यस्त व्यक्ति ही इस पर सफलतापूर्वक सवार हो सकता है। लेखक ने आरोहण कहानी के माध्यम से ग्रामीण परिवेश और पर्वतीय क्षेत्र की स्थिति को दिखाने का प्रयास किया है। किस प्रकार कुछ लोग इस विपदा को एक चुनौती के रूप में स्वीकार करते हैं तथा कुछ इस चुनौती से व्यथित होकर पलायन कर जाते हैं।अभ्यस्त तथा प्रशिक्षण के बीच कुछ भेद को भी लेखक ने उजागर किया है।

आरोहण – कक्षा 12 अंतरा भाग 2

‘आरोहण’ लेखक संजीव द्वारा रचित एक यात्रा वृतांत की भांति लिखी कहानी है। इस कहानी में पात्रों के माध्यम से पर्वतीय प्रदेश के जीवन संघर्ष तथा प्राकृतिक परिवेश को उनकी भावनाओं और संवेदनाओं के माध्यम से चित्रित किया गया है। मैदानी और समतल स्थानों की तुलना में पर्वतीय प्रदेशों का जीवन अधिक कठिन, जटिल, कष्टप्रद, दुखद और संघर्ष में होता है।

इसी संघर्षशील जीवन का सुंदर विवरण इस कहानी में किया गया है –

aarohan question answer
aarohan question answer

आरोहण पाठ के प्रमुख पात्र

भूप सिंह – रूप सिंह का बड़ा भाई व महेश का पिता

रूप सिंह – भूप सिंह का छोटा भाई

शैला – महीप की मां व भूप सिंह की पत्नी

महीप – भूप सिंह व शैला का बेटा

शेखर – गॉडफादर का बेटा व रूप सिंह का दोस्त

त्रिलोक सिंह – गांव का बूढ़ा आदमी

हिंदी प्रश्न पत्र कक्षा बारहवीं ( Prashna patra with solution )

अभिव्यक्ति और माध्यम ( class 11 and 12 )

कार्यसूची लेखन ( अभिव्यक्ति और माध्यम ) संपूर्ण जानकारी

आरोहण पाठ – कहानी का सार

प्रायः लोग रोजगार की तलाश में अपना घर छोड़कर बाहर जाते ही रहते हैं और रोजगार पाकर समय-समय पर अपने घर लौटते रहते हैं। तब उनके मन में हर्ष तथा गर्व का भाव होता है। पर रूप सिंह को एक अजीब किस्म की लाज , अपनत्व और झिझक की भावना होने लगती है।

वह पर्वतारोहण संस्थान में ₹4000 महीने की अच्छी नौकरी पा गया था।

ग्यारह साल पहले गांव में भूस्खलन हुआ , भूप सिंह के मां-बाप खेत घर सब मलबे में दब जाते हैं। किसी तरह भूप दादा बस जाते हैं , भूप  शैला नाम की लड़की से विवाह करके अपने जीवन की एक नई शुरुआत करता है।  दोनों की मेहनत व लगन से खेती बढ़ती चली गई फिर उन दोनों ने पहाड़ को काटकर कड़ी मेहनत से झरने को खेत तक मोड़ने में सफलता हासिल की।

सैलानी शेखर और रूप सिंह घोड़े पर चलते हुए उस लड़के के रोजगार के बारे में सोच रहे थे जिसने उनको घोड़े पर सवार कर रखा था और स्वयं पैदल चल रहा था। उसका नाम महीप था वह अपने पिता भूप सिंह से नाराज होकर स्वयं मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन कर रहा था।

Class 12 Surdas ki jhopdi mcq CBSE Hindi Antral

Class 12 Apna malwa MCQ ( अपना मालवा खाऊं उजाडूँ )

हम भी बाल मजदूरी के बारे में सोचते हैं बच्चों की यह उम्र तो पढ़ने – लिखने की होती है।

रूप सिंह ने पर्वतारोहण संस्थान में पहाड़ों पर चढ़ना भली प्रकार से सीखा था। वहां वह आधुनिक उपकरणों की सहायता से पहाड़ों पर चढ़ता था। यहां सिर्फ पेड़ , पत्थरों के नाम मात्र सपोर्ट से शरीर का संतुलन बनाए रखना उसे कठिन प्रतीत हो रहा था। यही कारण था रूप सिंह थोड़ी ही देर में हांफ गया था। इसके विपरीत रूप का बड़ा भाई भूप सिंह ना जाने वनमानुष थे या रोबोट। वे चढ़ाई चढ़ते समय जिस धैर्य , आत्मविश्वास , ताकत और कुशलता से मांसपेशियों और अंगों का उपयोग कर रहे थे , वह रूप सिंह और शेखर के लिए हैरत की बात थी।

रूप सिंह ने बूढ़े त्रिलोकी सिंह को बताया कि पर्वतारोहण संस्थान पहाड़ पर चढ़ने की नौकरी के लिए उसे ₹4000 प्रतिमाह तनखा देती है।  तब बूढ़े त्रिलोकी सिंह को पहाड़ पर चढ़ना जैसी नौकरी की बात सुनकर अजीब लगा क्योंकि पहाड़ पर चढ़ना आम बात है। त्रिलोक सिंह को लगता है कि यह तो हमारा रोजमर्रा का काम है , इस काम के लिए नौकरी पर रखना और ₹4000 खर्च करना सरकार की मूर्खता है।

पहाड़ों का जीवन अत्यंत कठिन होता है ,

जैसे

  • पानी की समस्या
  • ईंधन की कमी
  • शिक्षा के लिए उचित साधनों की कमी
  • रोजगार के साधनों में कमी
  • स्वास्थ्य सेवाओं में कमी
  • बिजली की पर्याप्त सुविधा नहीं।

इन समस्याओं को दूर करके उनके जीवन स्तर को सुधारा जा सकता है।

आरोहण पाठ – महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न – रूपसिंह पहाड़ पर चढ़ना सीखने के बावजूद भूप सिंह के सामने बौना क्यों पड़ गया था ?

उत्तर – जब ग्यारह वर्षों बाद रूप सिंह की मुलाकात , अपने भाई भूप सिंह से हुई तो वह उन्हें ऊपर पहाड़ पर स्थित अपने घर चलने के लिए कहता है।  लेकिन रूप सिंह व शेखर के लिए पहाड़ की सीधी चढ़ाई चढ़ना बड़ा मुश्किल हो रहा था। तब भूप सिंह नीचे आया और आकर मफलर को मजबूत से कमर में बांधकर रूप सिंह को ऊपर ले गया।

क्योंकि रूप सिंह जो पिछले ग्यारह वर्ष से पहाड़ी में रहने के बजाय समतल स्थान पर रह रहा था। उसके लिए पहाड़ की सीधी चढ़ाई चढ़ना आसान नहीं था और ऊपर से उसके पास पहाड़ पर चढ़ने के लिए संसाधन भी नहीं थे। लेकिन भूप सिंह के लिए पहाड़ पर चढ़ना रोज का काम था और यह उसके लिए सामान्य बात थी। उसमें रूप सिंह से कहीं अधिक धैर्य , आत्मविश्वास और शक्ति थी। इस प्रकार आज रूप सिंह पहाड़ पर चढ़ने की ट्रेनिंग लेने के बाद भी भूप सिंह के सामने बौना महसूस कर रहा था।

Dusra devdas mcq with solution दूसरा देवदास बहुविकल्पीय

Suryakant Tripathi Nirala MCQ Class 12 with solutions

Bharat ram ka prem MCQ ( भरत राम का प्रेम )

प्रश्न – आरोहण पाठ में पहाड़ो की चढ़ाई में भूप दादा का कोई जवाब नहीं उनके चरित्र – चित्रण की विशेषता बताइए।

उत्तर –  भूप दादा , रूप सिंह के बड़े भाई थे और उनका सारा जीवन पहाड़ों पर बीता था।  उनके चरित्र की विशेषताएं इस प्रकार है –

आत्मविश्वासी – भूप दादा एक आत्मविश्वासी व्यक्ति थे, इसी के बल पर वे अपने नष्ट हुए खेत घर को पुनः बसा लेते हैं। वह शैला के साथ मिलकर झरने का मुंह मोड़ देते हैं।रूप और शेखर को ऊपर चढ़ा कर ले आते हैं।

धैर्यशील –भूप दादा एक धैर्यशील व्यक्ति हैं , वह मुश्किलों में अपना धैर्य नहीं खोते थे।जब पहाड़ के गिरने से उनके मां-बाप खेत सब कुछ बर्बाद हो जाता है , तब भी वह अपना धैर्य नहीं छोड़ते हैं , बल्कि हिम्मत से काम लेते हैं।

स्नेहशील – भूप दादा के मन में अपने छोटे भाई रूप सिंह के लिए बहुत प्यार है।जब रूप सिंह उन्हें धक्का देता है तब भी वह गुस्सा नहीं करते बल्कि उसकी जान बचाते हैं।

परिश्रमी – मेहनती भूप दादा बहुत मेहनती थे , वह शैला के साथ मिलकर झरने का मुंह मोड़ते हैं।दोनों बैलों को कंधे पर उठाकर ले जाते हैं।

चढ़ाई में कुशल – भूप दादा का पहाड़ों पर चढ़ाई चढ़ने का कोई मुकाबला नहीं कर सकता था।

रूप सिंह और भूप सिंह दोनों भाई पहाड़ी होने के बाद भी , जहां रूप सिंह आधुनिक उपकरणों की सहायता से चढ़ाई करता था , वही भूप दादा को चढ़ाई के लिए किसी सहारे की जरूरत नहीं थी।वह तो वनमानुष , छिपकली की तरह चढ़ाई करते थे।

जनसंचार माध्यम

कहानी के तत्व की पूरी जानकारी

नाटक के तत्व की पूरी जानकारी

उपन्यास के तत्व की संपूर्ण जानकारी उदाहरण सहित

प्रश्न – आरोहण कहानी पढ़ने के बाद पहाड़ी स्त्रियों की क्या छवि बनती है ?

उत्तर – आरोहण कहानी पढ़ने के बाद निम्नलिखित छवि उत्पन्न होती है –

दयनीय स्थिति –पर्वतीय वातावरण होने के कारण उनका जीवन दुखद कठिनाइयों और अभावों से भरा होता है।

शैला, भूप दादा का मुसीबत में पूरा साथ दिया था। परंतु मात्र खेती के बोझ के कारण उन्होंने दूसरी शादी कर ली , जिसके पश्चात शैला को आत्महत्या करनी पड़ी।

परिश्रमी –पहाड़ी स्त्रियां परिश्रमी होती है व पुरुषों का आजीविका कमाने , खेती करने आदि में पूरा साथ देती है।जैसे शैला ने भूप सिंह का साथ दिया और खेती को फिर से बढ़ा दिया। शैला भेड़े चराती है , खेती का काम करती है।

अनपढ़ – पहाड़ी स्त्रियां अनपढ़ या कम पढ़ी लिखी होती है क्योंकि वहां पढ़ाई के अवसर पूरी तरह से उपलब्ध नहीं होते।

सरल जीवन शैली – उनकी जीवा शैली सरल व साधारण होती है। वह भोली-भाली व छल-कपट से दूर रहती है। तभी तो जब भूप दादा दूसरी शादी कर लेता है तो वह उन्हें कुछ नहीं बोलती , बल्कि आत्महत्या कर लेती है।

प्रश्न – यूं तो प्रायः लोग घर छोड़कर कहीं ना कहीं जाते हैं, परदेस जाते हैं किंतु घर लौटते समय रूप सिंह को एक अजीब किस्म की लाज, अपनत्व और झिझक क्यों घेरने लगी ?

उत्तर – रूप सिंह अपने घर ग्यारह वर्ष के पश्चात जा रहा था। वह अपना घर गांव छोड़कर तब गया था , जब भूस्खलन से उसका पूरा गांव बर्बाद हो गया था। वह शहर की ओर पलायन कर गया और वहां पर्वतारोहण संस्थान से ट्रेनिंग लेकर पर्वत पर चढ़ाई करता , जिसके लिए उसे सरकार की तरफ से ₹4000 महीना मानदेय भी मिलता था। ग्यारह वर्ष के अंतराल में उसने कभी अपने घर से संपर्क नहीं किया। घर पर पिता समान बड़ा भाई भूप सिंह रहता था , लेकिन ना कभी खोज-खबर ली और ना ही कभी चिट्ठी – पत्र लिखा।

जब रूप सिंह ग्यारह वर्ष के बाद अपने बड़े भाई से मिलने गांव जा रहा था तो एक अपनत्व की भावना उसमें जागृत हो रही थी। क्योंकि बड़ा भाई पिता के समान प्यार किया करता था और लज्जा इस बात के लिए आ रही थी क्योंकि उसने ग्यारह वर्ष के लंबे अंतराल में भी किसी प्रकार खोज खबर नहीं ली।

Jaishankar prasad mcq class 12 – जयशंकर प्रसाद

Class 12 Barahmasa mcq, malik muhammad jayasi

Vidyapati ke pad mcq class 12 – विद्यापति के पद प्रश्न उत्तर

प्रश्न – आरोहण पाठ में पत्थर की जाति से लेखक का क्या आशय है ? उसके विभिन्न प्रकारों के बारे में लिखिए ?

उत्तर –

लेखक ने पत्थर की जातियां बताई है जो कुछ इस प्रकार है –

  • ग्रेनाइट ,
  • बलुआ पत्थर ,
  • इग्निशियस ,
  • सैंक स्टोन ,
  • सिलिका आदि

और भी बहुत सी प्रकार की जातियां पत्थर में पाई जाती है।

लेखक ने यहां पत्थर की जातियां इस लिए बताई है क्योंकि पर्वतारोही को यह पता रहना चाहिए कि वह किस पर्वत पर चढ़ाई करना आरंभ कर रहा है। अगर उसे पत्थर के प्रकार उसकी जाति का पूर्ण रूप से ज्ञान नहीं होगा तो वह किसी बड़े दुर्घटना का शिकार हो सकता है। इसलिए पर्वत पर चढ़ाई से पूर्व पर्वतारोही भली प्रकार से जांच कर लेता है कि उस पर्वत पर किस प्रकार का पत्थर है।

प्रश्न – महीप अपने विषय में बात पूछे जाने पर उसे क्यों टाल देता था ?

उत्तर – महीप कम आयु का लड़का है , अभी उसकी उम्र विद्यालय जाने की है किंतु पेट की अग्नि को बुझाने के लिए वह रोजगार करता है।

महीप अपने विषय में पूछे जाने पर बातों को निम्न कारणों से डाल देता है –

भूप सिंह से रिश्ता – रास्ते में महीप को मालूम होता है कि यह दोनों व्यक्ति का संबंध भूप सिंह से है।भूप सिंह महीप का पिता है और वह अपने पिता से नाराज रह रहा था अपनी जानकारी रूप सिंह को न लग जाए इसलिए वह बीच-बीच में बातों को टाल दिया करता था।

पिता से नाराजगी – महीप का अपने पिता से नाराजगी थी वह अपनी मां की मृत्यु का कारण उन्हें मना करता था और छोटी-मोटी अनबन के कारण वह कम उम्र में कमाने के लिए घर छोड़कर निकल गया था। संभवतः उपरोक्त दो कारणों से महीप , रूप सिंह तथा शेखर द्वारा बार-बार बातों के पूछने पर भी उन पर जवाब नहीं देता और बातों को टाल देता था।

सूरदास की झोपड़ी

दूसरा देवदास ममता कालिया

प्रश्न – शैला और भूप सिंह ने मिलकर किस तरह पहाड़ पर अपनी खेती से नई जिंदगी की कहानी लिखी ?

उत्तर – ग्यारह वर्ष पूर्व आए भयंकर तबाही ने पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया था। भूस्खलन में पूरे गांव के लोग दब कर मर गए , खेतों में पर्वत से आए मलबे भर गए , जिसके कारण खेत भी तबाह हो गए। रोजी – रोटी और गुजर बसर का अब कोई साधन ना रहा। भूप सिंह ने हार नहीं मानी और पुनः निर्माण करने के लिए ठान लिया।  सर्वप्रथम पर्वत के ऊंची चोटी पर अपना मकान बनाया तथा गांव की एक लड़की शैला से विवाह कर अपना गृहस्थ जीवन बसाया।

शैला कर्मशील महिला थी उसने भूप सिंह के साथ मिलकर खेतों को पूर्ण रूप से खेती लायक बनाया। पानी के प्रबंधन के लिए छोटे-छोटे तालाब भी बनाए।

दोनों के अथक परिश्रम ने पूरे गांव में खुशहाली ला दी थी।

खेत फिर जीवित हो उठे , गांव में खुशहाली आ गई।

इस प्रकार दोनों ने मिलकर भाग्य की नई रेखा खींची।

प्रश्न – बूढ़े त्रिलोकी सिंह को पहाड़ पर चढ़ना जैसी नौकरी की बात सुनकर अजीब क्यों लगा ?

उत्तर – बूढ़े त्रिलोकी को पहाड़ों पर चढ़ना जैसी नौकरी सुनकर निम्नलिखित कारणों से लगा –

पहाड़ी तथा ग्रामीण व्यक्ति होना  त्रिलोकी पहाड़ी और ग्रामीण व्यक्ति था , वह सरकारी नौकरी और ऊपर से पर्वत पर चढ़ना इससे पूर्व नहीं जानता था।

इसलिए उसे आश्चर्य हुआ की सरकार पर्वत पर चढ़ने के लिए भी पैसे देती है।

पहाड़ी जीवन की दिनचर्या का होना – पहाड़ी जीवन में पहाड़ पर उतरना – चढ़ना दिनचर्या का अंग होता है।

बाजार तथा आवश्यकता के लिए उन्हें पहाड़ों से नीचे उतरना तथा वापस पहाड़ पर चढ़ना प्रतिदिन और नियमित हुआ करता था , इसलिए आश्चर्य हुआ।

सरकार को इस कार्य से क्या लाभ – बूढ़ा त्रिलोकी यह नहीं जानता कि सरकार को पर्वतारोहियों से क्या लाभ होता होगा।यूं ही व्यर्थ में पर्वत चढ़ने का भला कोई पैसा क्यों देगा और पर्वत चढ़ने का पैसा सरकार देती है तो सभी पहाड़ियों को पैसा क्यों नहीं देती।

उपरोक्त कारणों से त्रिलोकी को पर्वत पर चढ़ना जैसी नौकरी सुनकर आश्चर्य हुआ और वह हंसते हुए रूप सिंह से बात कर रहा था।यह विषय अजीब लग रहा था और इससे पूर्व त्रिलोकी ने सुना भी नहीं था।

प्रश्न – सैलानी (शेखर और रूप सिंह) घोड़े पर चलते हुए उस लड़के के रोजगार के बारे में सोच रहे थे। जिसने उनको घोड़े पर सवार कर रखा था,  और स्वयं पैदल चल रहा था। क्या आप भी बाल मजदूरों के बारे में सोचते हैं ?

उत्तर – बाल मजदूरी समाज के लिए हानिकारक है। बालक समाज का आधार होता है , अगर आधार को ही मजबूत ना बनाया जाए तो मीनार कहां से मजबूत बन सकेगी। बाल मजदूरी करते हुए महिप जब सैलानियों को लेकर जा रहा था तो शहर से आए यह सैलानी बाल मजदूरी को देखकर चिंतन  – मनन कर रहे थे और आपस में बातचीत कर रहे थे क्योंकि शहरों में बाल मजदूरी पर प्रतिबंध हो।शहरों में बाल मजदूरी को लेकर विशेष प्रकार के कानून का प्रावधान है ,लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कानून की कोई परवाह नहीं होती।आज चोरी-छिपे बाल मजदूरी जैसे अपराध को किया जाता है।कुछ बालक स्वेच्छा से इस कार्य को करते हैं और कुछ को जोर – जबरदस्ती के द्वारा कराया जाता है।

अगर समाज को मजबूत और सशक्त बनाना है तो बाल मजदूरी को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए।  बालकों के हाथ रोजगार नहीं बल्कि किताबों को थमाना चाहिए।  वह शिक्षित होकर एक मजदूर नहीं बने , वह सोच-विचार कर स्वयं को समाज में स्थापित करें और यह सभी कार्य शिक्षा के बिना संभव नहीं है।इसलिए बाल को को मजदूरी जैसे अपराध में नहीं धकेलना चाहिए।

यह भी पढें

आरोहण कहानी अंतरा भाग 2 कक्षा 12 से ली गई है। नीचे अन्य कहानियों के भी पाठ का सार, सप्रसंग व्याख्या पढ़ सकते हैं।

प्रेमघन की छाया स्मृति – लेखक का जीवन परिचय , पाठ का सार , महत्वपूर्ण प्रश्न। 

Vishnu Khare Class 12

जयशंकर प्रसाद ( अंतरा भाग 2 )

रघुवीर सहाय बसन्त आया कविता

गीत गाने दो मुझे Class 12

भरत राम का प्रेम ( तुलसीदास )

मलिक मुहम्मद जायसी – बारहमासा

चंद्रधर शर्मा गुलेरी class 12

कच्चा चिट्ठा कक्षा 12

बनारस कविता व्याख्या सहित

यह दीप अकेला कविता

फणीश्वर नाथ रेणु – संवदिया

असगर वजाहत अन्तरा भाग 2

विद्यापति की पदावली

जहां कोई वापसी नहीं – निर्मल वर्मा

बिस्कोहर की माटी

अपना मालवा खाऊ उजाड़ू

Yah deep akela mcq class 12 ( यह दीप अकेला ) अज्ञेय

Samvadiya mcq Questions संवदिया फणीश्वर नाथ रेणु

फीचर लेखन की परिभाषा, भेद और उदाहरण

मीडिया लेखन का संपूर्ण ज्ञान

संदेश लेखन की परिभाषा और उदाहरण

संवाद लेखन विषय पर उदाहरण सहित जानकारी

पटकथा लेखन उदाहरण सहित

डायरी लेखन की संपूर्ण जानकारी

सृजनात्मक लेखन की परिभाषा और उदाहरण

रचनात्मक लेखन (मीडिया और आधुनिक समाज)

विज्ञापन लेखन की परिभाषा और उदाहरण

विशेष लेखन की परिभाषा और उदाहरण

कहानी लेखन की परिभाषा और उदाहरण

स्ववृत्त लेखन की परिभाषा और उदाहरण

नाटक लेखन की परिभाषा और उदाहरण 

विभिन्न माध्यम के लिए लेखन

प्रतिवेदन लेखन की परिभाषा और उदाहरण

कार्यालयी लेखन की पूरी जानकारी

विज्ञापन लेखन परिभाषा, उदाहरण सहित पूरी जानकारी

पत्रकारिता लेखन के विभिन्न प्रकार

पत्रकारिता के विविध आयाम का संपूर्ण ज्ञान

उल्टा पिरामिड शैली की संपूर्ण जानकारी उदाहरण सहित

आरोहण पर मेरी राय

यह पाठ ग्रामीण जीवन और पर्वतीय जीवन को उद्घाटित करने का सामर्थ्य रखता है।  प्रस्तुत पाठ में ग्रामीण क्षेत्र में किस प्रकार की समस्या नित्य – निरंतर घेरे रहती है। अभाव के जीवन यापन करना कैसे चुनौतीपूर्ण होता है , वह दर्शाया गया है। पर्वतीय क्षेत्र में आए दिन आपदा आती रहती है , जिसके कारण जीवन जीना दुष्कर हो जाता है। कई बार यह आपदा इतनी बड़ी होती है कि उसमें गांव , खेत सब कुछ तबाह हो जाता है। आदमी अपना जीवन पुनः शून्य से आरंभ करता है , इसके लिए उसे कर्म का फावड़ा चलाकर भाग्य बदलना पड़ता है।

भूप सिंह और शैला ने मिलकर जो चुनौतीपूर्ण कार्य किया , वह सामान्य व्यक्ति के सामर्थ्य से बाहर है।

इसका उदाहरण रूप सिंह के रूप में देख सकते हैं –

भूस्खलन के बाद जब पूरा गांव तबाह हो गया , खेत बर्बाद हो गए तब रूप सिंह इस चुनौती भरे क्षण में अपना घर परिवार छोड़कर शहर की ओर पलायन कर जाता है।

वही भूप सिंह धैर्यशील , कर्मशील और विभिन्न दुर्लभ मानवीय गुणों से युक्त है।

उसने हार न मानकर चुनौती को स्वीकार किया और पुनः जीवन को स्थापित किया।

किसी भी व्यक्ति में धैर्य और कर्म के प्रति लगन हो तो वह दुष्कर कार्य भी आसानी से कर लेता है। इस पाठ को पढ़ने के बाद यही मुख्य निष्कर्ष सामने प्रस्तुत होता है।

Leave a Comment